मोअज़ेजा ए हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम

*💐सिराते मुस्तक़ीम💐*

             
*मोअज़ेजा ए हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम*
                *पोस्ट नंबर 1⃣*
           

 *तलवार का ज़ख़्म अच्छा हो गया*

_💎ग़ज़वए ख़ैबर में हज़रते सलमा बिन अकोअ रदियल्लाहु तआला अन्हु की टांग में तलवार का ज़ख़्म लग गया ! वो फौरन ही बारगाहे नुबुव्वत में हाजिर हो गए ! आपने उनके ज़ख़्म पर तीन मर्तबा दम कर दिया ! फिर उन्हें दर्द की कोई शिकायत महसूस नही हुई सिर्फ ज़ख़्म का निशान रह गया था !_
*📚(बुखारी शरीफ, ज़िल्द 2, सफा 605)*

🖋आला हज़रत फरमाते है
*वाह क्या जूदो करम है शहे बतहा तेरा,*
*नही सुनता ही नही मांगने वाला तेरा!!*
*➡जारी•••*




*💐सिराते मुस्तक़ीम💐*

             
*मोअजज़ा ए हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम*
                *पोस्ट नंबर 2⃣*
           

*🌙चाँद दो टुकड़े हो गया🌙*

✨रिवायतों में सबसे ज़्यादा सही और मुस्तनद हज़रते अब्दुल्लाह बिन मसऊद रदियल्लाहु तआला अन्हु की रिवायत है की जो बुखारी व मुस्लिम व तिर्मिज़ी वगैरह में मज़कूर है ! हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद रदियल्लाहु तआला अन्हु मौका पर मौजूद थे और उन्होंने इस मुअजिज़ा को अपनी आँखो से देखा ! *उनका बयान है कि~*

_*💫हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम* के ज़माने में चांद दो टुकड़े हो गया ! एक टुकड़ा पहाड़ के ऊपर और एक टुकड़ा पहाड़ के नीचे नज़र आ रहा था ! आपने कुफ्फार को ये मंज़र दिखा कर उनसे इरशाद फ़रमाया की गवाह हो जाओ, गवाह हो जाओ !_
*📚[बुखारी शरीफ़, जिल्द 2, सफा 721]*

🖋आला हज़रत फरमाते है~
*सूरज उलटे पाँव पलटे,*
*चाँद इशारे से हो चाक !*
*अंधे नजदी देख ले,*
*कुदरत रसुलुल्लाह की !!*
*➡जारी•••*



*💐सिराते मुस्तक़ीम💐*

             
*मोअजज़ा ए हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम*
                *पोस्ट नंबर 3⃣*


*☀सूरज पलट गया☀*

🗒इसका वाक़या ये है की हज़रते बीबी असमा बिन्ते उमैस रदियल्लाहु तआला अन्हा का बयान है की "ख़ैबर" के करीब "मंजिल सहबा" में *हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम* नमाज़े अस्र पढ़ कर हजरत अली रदियल्लाहु अन्हु की गोद में सर रख कर सो गए और आप पर "वही" नाज़िल होने लगी ! हज़रते अली सरे अक़दस को अपनी आग़ोश में लिए बेठे रहे यहाँ तक की सूरज गुरुब हो गया ! और आपकी नमाज़े अस्र क़ज़ा हो गयी !

❄जब वही ख़त्म हुई और आपने अपने सरे अक़दस को उठाया और आपको ये मालूम हुआ की हज़रते अली रदियल्लाहु अन्हु की नमाज़े अस्र क़ज़ा हो गयी है !  तो आपने दुआ फ़रमाई की *"या अल्लाह! यक़ीनन अली तेरी और तेरे रसूल की इताअत में थे लिहाज़ा तू सूरज को वापस लौटा दे ताकि अली नमाज़े अस्र अदा कर लें !"*

_💎हज़रते बीबी असमा बिन्ते उमैस कहती है की मैने अपनी आँखो से देखा की डूबा हुआ सूरज पलट आया और पहाडो की चोटियों पर और ज़मीन के उपर हर तरफ धुप फ़ैल गई !_
*📚(शिफ़ा शरीफ़, जिल्द 1, सफा 185)*

🖋आला हज़रत फरमाते है~
*साहिब रजअते शम्सो शक़्क़ुल क़मर,*
*नाइब दस्ते कुदरत पे लाखों सलाम !!*

*फ़र्श ता अर्श है जिस के ज़ेरे नगीं,*
*उसकी क़ाहिर रियासत पे लाखों सलाम*
*➡जारी•••*




*💐सिराते मुस्तक़ीम💐*

             
*मोअजज़ा ए हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम*
                *पोस्ट नंबर 4⃣*


*☁☁"मेराज"☁☁*

💎जमहूर उल्माए मिल्लत का सही मज़हब यही है की मेराज बहलाते बेदारी जिस्मों रूह के साथ सिर्फ एक बार हुई ! जम्हूर सहाबा व ताबेईन और फ़ुक़हा मुहद्दिसिन नीज़ सुफियेकेराम यही मज़हब है ! चुनाँचे अल्लामा हज़रते मुल्ला अहमद जैवन रहमतुल्लाह अलैह *(उस्ताद औरंगज़ेब आलमगिर बादशाह ने तहरीर फरमाया कि)~*

_✨और सबसे ज़्यादा सही कौल ये की मेराज़ बहलाते बेदारी जिस्मों रूह के साथ हुई ! यही अहले सुन्नत व जमाअत का मज़हब है ! लिहाज़ा जो शख्श ये कहे की मेराज़ फ़क़त रूहानी हुई या फ़क़त ख़्वाब में हुई वो सख़्श बिदती व गुमराह कुन फ़ासिक है !_
*(सिरतुल मुस्तफ़ा, सफ़ा 530)*

🖋आला हज़रत फरमाते है~
*लामकां तक जिसका उजाला वो है !*
*हर मकां का उजाला हमारा नबी !!*
*➡जारी•••*




*💐सिराते मुस्तक़ीम💐*

             
*मोअजज़ा ए हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम*
                *पोस्ट नंबर 5⃣*


*📜तीस बरस ख़िलाफ़त फिर बादशाही👑*

💫हज़रते सफ़ीना रदियल्लाहु अन्हु कहते है की *हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम* ने फ़रमाया की मेरे बाद तीस बरस तक ख़िलाफ़त रहेगी ! उसके बाद बादशाही हो जायेगी ! इस हदीस को सुनाकर हज़रते सफ़ीना ने फ़रमाया तुम लोग गिन लो ! हज़रत अबूबक्र की ख़िलाफ़त 2 बरस और हज़रते उमर की ख़िलाफ़त 10 बरस और हज़रत उस्मान की ख़िलाफ़त 12 बरस और हज़रत अली की ख़िलाफ़त 6 बरस है ! ये कुल तीस बरस हो गए !
*📚(मिश्कात जिल्द, 2, सफा 463)*

*📆70 हिज़री और लड़को की हुकूमत👑*

✨हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया की 70 हिजरी के शुरू और लड़कों की हुकूमत से पनाह मांगो !
*📚(मिश्कात जिल्द2 सफा 463, किताबुल फ़ित्न)*

✨इसी तरह हुज़ूर ए अकरम ने फ़रमाया की मेरी उम्मत तबाही कुरैश के चन्द लड़को के हाथों होगी ! हज़रते अबु हुरेरह इस हदीस को सुनाकर फ़रमाया करते थे की अगर में चाहूँ तो उन लड़को के नाम बता सकता हूँ ! वो फुलाँ के बेटे और फुलाँ के बेटे है !
*📚(बुखारी जिल्द 1 सफा 509, बाब अलामाते नुबुव्वा)*

🖋आला हज़रत फरमाते है~
*सरे अर्श पर है तेरी गुजर,*
*दिले फ़र्श पर है तेरी नज़र !*
*मलकुत व मुल्क में कोई शय,*
*वो नहीँ जो तूझ पे अयाँ नहीं !*
*➡जारी•••*




*💐सिराते मुस्तक़ीम💐*

             
*मोअजज़ा ए हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम*
                *पोस्ट नंबर 6⃣*
 

*⛰पहाड़ का हिलना⛰*

💎एक दिन हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अपने साथ हज़रते अबू बकर व हज़रत उमर हज़रते उस्मान रदियल्लाहु ताला अन्हु को लेकर *उहद पहाड़* पर चढ़े ! पहाड़ (जोशे मुसर्रत) झूम कर हिलने लगा ! उस वक़्त आपने पहाड़ को ठोकर मारकर ये फ़रमाया की *"ठहर जा"* इस वक़्त तेरी पुश्त पर एक पैगम्बर है सिद्दीक़ है और दो (हज़रते उमर व उस्मान) शहीद है !
*📚(बुखारी जिल्द 1, सफा 519, बाब फज़ले अबी बकर)*

🖋आला हज़रत फरमाते है~
*एक ठोकर में उहद का ज़लज़ला जाता रहा,*
*रखतीं है कितना वक़ार अल्लाहु अकबर एडियां !*
*➡जारी•••*




*💐सिराते मुस्तक़ीम💐*

             
*मोअजज़ा ए हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम*
                *पोस्ट नंबर 7⃣*


*⚰लड़की क़ब्र से निकल पड़ी⚰*

💎रिवायत है *हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम* ने एक शख्श को इस्लाम की दावत दी ! तो उसने कहा की मै उस वक़्त तक आप ईमान नही ला सकता जब तक की मेरी बच्ची ज़िंदा न हो जाये ! आपने फ़रमाया की तुम मुझे उसकी क़ब्र दिखाओ ? उसने अपनी लड़की की क़ब्र दिखा दी !

*✨हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम* ने उस लड़की का नाम लेकर पुकारा ! तो उस लड़की ने क़ब्र से निकल कर जवाब दिया कि ए हुज़ूर! में आपके दरबार में हाजिर हूँ ! फिर आपने उस लड़की से फरमाया की "क्या तुम फिर दुनिया में लौट कर आना पसन्द करती हो !" लड़की ने जवाब दिया- "नही" या रसूलुल्लाह! मेने अल्लाह तआला को अपने माँ बाप से ज़्यादा मेहरबान और आख़िरत को दुनिया से बेहतर पाया !
*📚(शिफ़ा शरीफ़, जिल्द 1, सफा 211)*

🖋आला हज़रत फरमाते है~

*जब आ गयी है जोशे रहमत में उनकी आँखें!*
*जलते बुझा दिए है रोते हंसा दिए है !!*

*इक दिन हमारा क्या है आज़ार उसका कितना !*
*तुमने तो चलते फिरते मुर्दे ज़िला दिए है !!*
*➡जारी•••*




 *💐सिराते मुस्तक़ीम💐*

             
*मोअजज़ा ए हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम*
                *पोस्ट नंबर 8⃣*


*💦अंगुश्ते मुबारक की नहरें💦*

अहादीस की तलाशो ज़ुस्तज़ु से पता चलता है की आपकी मुबारक ऊँगलीयों से तकरीबन तेरह मोके पर पानी की नहरें जारी हुईं ! उनमे से सिर्फ़ एक मोके का ज़िक़्र यहाँ तहरीर किया जा रहा है !

*📆6 हिजरी* में रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम उमरा का इरादा करके मदीना मुनव्वरा से मक्कए मुकर्रमा के लिए रवाना हुए और हुदैबिया के मैदान में उतार पड़े ! आदमियों की कसरत की वजह से हुदैबिया का कुँआ ख़ुश्क हो गया और हाजिरिन पानी के एक एक कतरे के लिए मुहताज हो गए उस वक़्त रहमते आलम के दरियाये रहमत में जोश आ गया और आपने एक बड़े प्याले में अपना दस्ते मुबारक रख दिया ! तो आपकी मुबारक उंगलियों से इस तरह पानी की नहरें जारी हो गयी की पन्द्रह सौ का लश्कर सैराब हो गया !

🔹लोगों ने वज़ू व गुस्ल भी किया ! जानवरो को भी पिलाया और अपने मस्को और बर्तनों को भी भर लिया ! फिर आपने प्याला में से दस्ते मुबारक को उठा लिया और पानी ख़त्म हो गया !

⚜हज़रत जाबिर से लोगों ने पूछा की उस वक़्त तुम लोग कितने आदमी थे तो उन्होंने फ़रमाया की हम लोग 1500 की तादाद थी ! मगर पानी इस क़दर ज़्यादा था की हम लोग एक लाख भी होते तो सबको काफ़ी हो जाता !
*📚(मिश्कात शरीफ़, जिल्द 2, सफा 532)*
*📚(बुखारी शरीफ, जिल्द1, सफा 504/505)*

🖋सुभानल्लाह! इसी हसीन मंज़र की तसवीर कशी करते हुए आला हज़रत फरमाते है~

*उंगलिया हैं फ़ैज़ पर, टूटे हैं प्यासे झूम कर !*
*नदियां पंजात रहमत की हैं जारी वाह वाह !*
*➡जारी•••*




*💐सिराते मुस्तक़ीम💐*

             
*मोअजज़ा ए हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम*
                *पोस्ट नंबर 9⃣*


*🌪जिन्नों का सलामो पैग़ाम🌪*

📜इब्ने साद ने जाद बिन क़ैस मुरादी से रिवायत की है की हम चार आदमी हज का इरादा करके अपने वतन से रवाना हुए ! यमन के एक जंगल में हम लोग चल रहे की नागहाँ अशआर पढ़ने की आवाज़ आई ! हमने उन अशआर  को गौर से सुना तो उनका मज़्मून ये था की ए सवारों! जब तुम लोग ज़मज़म और हतिम पर पहुचों तो हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की खिदमते अक़दस में हमारा सलाम अर्ज़ कर देना ! जिनको अल्लाह ने अपना रसूल बना कर भेजा है !

❄और हमारा ये पैगाम भी पंहुचा देना की हम आपके दीन के फरमाबरदार है ! क्योंकि हज़रते मसीह बिन मरयम अलैहिस्सलाम ने हम लोगों को इस बात की वसीयत फ़रमाई थी ! (यक़ीनन ये यमन के जंगल में रहने वाले जिन्नों की आवाज़ थी !)
*📚(अल कलामुल मुबीन, सफा 93, बहवाला इब्ने साद)*

🖋आला हज़रत फरमाते है~

*जिन्नों बशर सलाम को हाजिर है अस्सलाम,*
*यह बारगाह मालिको जिन्नों बशर की है !*
*➡जारी•••*




*💐सिराते मुस्तक़ीम💐*

             
*मोअजज़ा ए हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम*
                *पोस्ट नंबर 🔟*


*🗻पहाड़ों का सलाम करना🗻*

💫हज़रते अली रदियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते है की एक मर्तबा में *हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम* के साथ मक्कए मुकर्रमा को एक तरफ निकला ! तो मैंने देखा की जो दरख्त और पहाड़ भी सामने आता है उससे *"अस्सलामु अलैका या रसूलुल्लाह"* की आवाज़ आती है ! और मै खुद उस आवाज़ को अपने कानों से सुन रहा था !
*📚(तिर्मिज़ी शरीफ, जिल्द 2, सफा 203)*

🖋आलाहज़रत फरमाते है~

*उनपर दरूद जिनको हजर तक करें सलाम,*
*उन पर सलाम जिनको तहिय्यत शजर की है !*
*➡जारी•••*




*💐सिराते मुस्तक़ीम💐*

             
*मोअजज़ा ए हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम*
                *पोस्ट नंबर 1⃣1⃣*


*🌨☁बादल कट गया☁🌨*

🔮हज़रत अनस बिन मालिक रदियल्लाहु अन्हु का बयान है की अरब में निहायत ही सख्त क़िस्म का कहत पड़ा हुआ था ! उस वक़्त जबकि आप ख़ुत्बा के लिए मिम्बर पर चढ़े तो अअराबी ने खड़े हो कर फरयाद की ! या रसुलुल्लाह! बारिश न होने से जानवर और बच्चे भूख से तबाह हो रहे है ! लिहाजा आप दुआ फरमाइए ! उस वक़्त आसमान में कहीँ बदली का नामो निशान नही था ! मगर जूं ही हुज़ूर ने दुआ के लिए अपने दस्ते मुबारक उठाये, हर तरफ से पहाड़ों की तरह बादल आ कर छा गए ! और अभी आप मिम्बर से उतरे भी न थे की बारिश के कतरात आपकी नूरानी दाढी टपकने लगे ! और 8 दिन तक मूसलाधार बारिश होती रही !

⚜यहाँ तक की दूसरे जुमा को जब आप मिम्बर पर ख़ुत्बे के लिए रोनक अफ़रोज़ हुए तो वही अराबी या कोई दूसरा खड़े ही गया ! और बलन्द आवाज़ से फरयाद करने लगा की या रसूलुल्लाह! मकानात मुन्हदिम हो गए माल मवेशी ग़र्क़ हो गए ! लिहाज़ा दुआ करें की बारिश बन्द हो जाये ! और फिर आपने अपना मुक़द्दश हाथ उठा दिया !

🔹और ये दुआ फ़रमाई कि *"अल्लाहुम्मा हवा लैना ला-अलैना"* ऐ अल्लाह! हमारे इर्द गिर्द बारिश हो, और हम पर न हो ! फिर आपने बदली की तरफ अपने दस्ते मुबारक से इशारा फरमाया तो मदीना के इर्द गिर्द से बादल कट कर छंट गया ! और मदीना और उसके इतराफ़ में बारिश बन्द हो गयी !
*📚(बुखारी जिल्द 1, सफा 127, बाबुल इस्तिक़ा फ़िल जुमा)*
❄💫❄💫❄💫❄💫❄

🖋आला हज़रत फरमाते है~

*साहिब ए रूज़अते शम्सों शक़्क़ुल क़मर*
*नाइबे दस्ते रुज़अते कुदरत पे लाखों सलाम*
*अर्श ता फ़र्श है जिसके ज़ेरे नगीं*
*उसकी क़ाहिर रियासत पे लाखों सलाम*
*➡जारी•••*




*💐सिराते मुस्तक़ीम💐*

             
*मोअजज़ा ए हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम*
                *पोस्ट नंबर 1⃣2⃣*


*💫इशारा से बुतों का गिर जाना💫*

⚜ये हर कोई जानता है की फ़तहे मक्का से पहले काबा शरीफ में 360 बुतों की पूजा होती थी ! फ़तह मक्का के दिन हुज़ूर ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम काबा में तशरीफ़ ले गए ! उस वक़्त दस्ते मुबारक में एक छड़ी थी और आप ज़बाने अक़दस से ये आयत तिलावत फ़रमा रहे थे !
*💎जा-अल-हक़्कु व ज़-ह-क़ल बातिल। इन्नल बातीला काना ह्हूका।*
तर्जुमा--:: हक़ आ गया और बातिल मिट गया ! यकीनन बातिल मिटने के ही क़ाबिल था !

❄आप अपनी छड़ी से जिस बूत की तरफ इशारा फरमाते थे वो बगैर छुए हुए फ़क़त इशारा करते ही धम से ज़मीन पर आ गिरता !
*📚(मदाजिजुन्नुबुव्वा, जिल्द 2, सफ़ा 290)*
❄💫❄💫❄💫❄💫❄

🖋आला हज़रत फरमाते है~

*तेरी आमद थी के बैतुल्लाह मुजरे को झुका,*
*तेरी हैबत थी के हर बूत थरथरा के गिर गया !*
*➡जारी•••*




*💐सिराते मुस्तक़ीम💐*

             
*मोअजज़ा ए हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम*
                *पोस्ट नंबर 1⃣3⃣*


 *🌹मदीना की आबो हवा अच्छी हो गयी*

💫पहले मदीना की आबो हवा अच्छी नही थी ! वहाँ किस्म किस्म की वबाओं का असर था ! चुनाँचे हिजरत के बाद अक्सर मुहजीरिन बीमार पढ़ गए ! और बिमारी की हालत में अपने वतन मक्का को याद करके पुरदर्द लहज़े में अशआर पढ़ा करते थे ! आपने उन लोगो के ये हाल देख कर दुआ फ़रमाई की-
*इलाही!  मदीना को हमारे लिए वैसा ही महबूब कर दे जैसा की मक्का महबूब है बल्कि उससे भी ज़्यादा महबूब बना दे ! इलाही!  हमारे साअ और मुद में बरकत दे और मदीना को हमारे लिए सेहत बख़्श बना दे ! और यहाँ के बुखार को हज़फा में मुन्तकिल कर दे !*

💐आपकी दुआ हर्फ़ ब हर्फ़ मक़बूल हुई ! और हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम को अल्लाह तआला ने ख्वाब में ये दिखला दिया की मदिना की वबाऐं मदीना से दफ़ा हो गयी और मदीना की आबो हवा सिहत बख़्श हो गयी !
*📚(बुखारी, जिल्द 1, सफा 558, बाब मुक़द्दमुन्नबी)*
❄💫❄💫❄💫❄💫❄

🖋आला हज़रत फरमाते है~

*माहे मदीना अपनी तजल्ली अता करे,*
*ये ढलती चांदनी पहर दो पहर की है!*

*भीनी सुहानी सुबह में ठंडक जिगर की है,*
*कलियाँ खिली दिलो की ये हवा किधर की है!*
*➡जारी•••*



*💐सिराते मुस्तक़ीम💐*

             
*मोअजज़ा ए हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम*
                *पोस्ट नंबर 1⃣4⃣*


*हुज़ूर अपनी कब्र शरीफ़ में जिन्दा है*

👑हज़रत अमीरुल मोमिनीन अली मुर्तज़ा रदियल्लाहु अन्हु से रिवायत है की वफ़ात अक़दस के तीन दिन बाद एक अराबी मुसलमान आया और कब्रे अनवर पर गिर कर लिपट गया ! फिर कुछ मिटटी अपने सर पर डाल कर यूँ अर्ज़ करने लगता है~

*💎या रसूलुल्लाह!* सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम आपने जो कुछ फरमाया हम उस पे ईमान लाये ! अल्लाह तआला ने आप पर कुरान नाज़िल किया ! जिसमे उसने इरशाद फरमाया की *वलव अन्नहुम इज-ज़--ल-मू अनफु-सहुम*

💫रसूलुल्लाह! सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मेने अपनी जान पर जुल्म किया है(गुनाह किया है) इसलिए में आपके पास आया हूँ की आप मेरे लिए दुआ ए मगफिरत करें ! अराबी की इस बात पर कब्र अनवर से अवाज़ आई~ *ए अराबि! तू बख्श दिया गया !*
*📚(वफ़ा उल वफ़ा, जिल्द 2, साफ़ 412)*
❄💫❄💫❄💫❄💫❄

🖋आला हज़रत फरमाते है~

*तू जिन्दा है वल्लाह तू जिन्दा है वल्लाह,*
*मेरी चश्मे आलम से छिप जाने वाले !!*
*➡जारी•••*



*💐सिराते मुस्तक़ीम💐*

             
*मोअजज़ा ए हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम*
                *पोस्ट नंबर 1⃣5⃣*
                   *आखरी पोस्ट*


*🌹दीदारे इलाही🌹*

💎हज़रते अबू ज़र गिफ़ारि रदियल्लाहु तआला अन्हु ने *मा क-ज़-बलफुआदू मा-राआ* की तफ़सीर में फरमाया की नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपने रब को देखा ! इसी तरह हज़रते मुआज़ बिन जबल रदियाल्लाहु अन्हु ने हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से रिवायत किया की *र-ऐतु* रब्बि यानि मैने अपने रब को देखा !

*💐बहरहाल उलमा ए अहले सुन्नत का यही मज़हब है मेराज़ की रात को हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अल्लाह का दीदार किया !*
💫💎💫💎💫💎💫💎💫

🖋आला हज़रत अपने नातिया दीवान में फ़रमाते है~

*यही समां था की पैके रहमत खबर ये लाया की चलिए हज़रत,*
*तुम्हारी ख़ातिर कुशादा है जो कलीम पे बन्द रास्ते थे !!*

*बढ़ ए मुहम्मद करीब हो अहमद करीब आ सरवरे मुमज्जद,*
*निसार जाऊं ये क्या निदा थी ये क्या समां था ये क्या मज़े थे !!*

*हिजाब उठने में लाखो परदे हर इक परदे में लाखों जलवे,*
*अजब घडी थी वस्लो फुरक़त जनम के बिछड़े गले मिले थे !!*

*नबीये रहमत शफिये उम्मत "रज़ा" पे लिल्लाह हो इनायत*
*इसे भी उन खिलअतों से हिस्सा जो ख़ास रहमत के वाँ बटे थे !!*
*➡उन्वान ख़त्म•••*

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