शॉर्ट स्टेटस दीनी msg

पार्ट :-1
आज कुछ लोग सोंचते हैं कि वो क़ुरआन को मिटा देंगे लेकिन वो ग़फ़लत में हैं। तुम जैसे बहुत आए, तुम्हारे जैसे बड़े बड़े और सड़े सड़े आए लेकिन क़ुरआन का कुछ न कर सके। इसलिए कि इसकी हिफ़ाज़त की जिम्मेदारी अल्लाह तआला ने ली है।
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✨अल्लाह तआला क़ुरआन में फ़रमाता है: *हमनें ही क़ुरआन को उतारा है और हम ही इसकी हिफ़ाज़त करने वाले हैं।*
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पार्ट :-2
बुरा ख्वाब आए तो हमारा तर्ज़-ए अमल क्या हो कि हमें कोई नुक़सान न पहुँचे?
एक नुस्ख़ा है और ये हदीस का मफ़हूम भी है
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⚠️जब कभी बुरा ख़्वाब आए तो ये तीन नुस्ख़े अपनाए

1. अपनी बायीं जानिब थूकें(थूकना ही नही है, बल्कि थू-थू करें)


2. اَعُوْذُ بِاللّٰهِ مِنَ الشَّيْطٰنِ الرَّجِيْمِ पढें।


3. बुरे ख़्वाब का ज़िक़्र किसी से न करें।


इंशाअल्लाह तआला ख़्वाब नुक़सान नही

पार्ट 3
पेशाब और पाखाना का होना भी एक नेअमत है, कि अग़र ये बन्द हो जाये या किसी वजह से इनमें रुकावट आ जाए तो हज़रत ए इंसान का जिस्म एक अज़ीब सी कशमकश और परेशानी के आलम में आ जाता है। आप कभी हॉस्पिटल जाएंगे तो पता चलेगा कि Department Of Nephrology[किडनी विभाग] Department Of Urology[यूरिन विभाग] और Department Of Scatology[मल विज्ञान】 में ऐसे ऐसे मरीज़ मौजूद हैं जो ऐसे ऐसे मर्ज़ और बीमारी से दो चार हो रहे कि यहां बयान करना मुश्किल है। फ़क़ीर ए क़ादरी(writer) ने ख़ुद ब नफ़्स-ए नफ़ीस देखा है कि लोग कैसी कैसी तकलीफ़ों में मुब्तिला हैं।❤‍🩹
लेहाज़ा अग़र आप तंदुरुस्त है तो “करीम रब” का शुक्र अदा करें।
पार्ट 4
बच्चे पालना कोई बड़ा काम नहीं है, जानवर और परिंदे और दूसरी मख़्लूक(Creation) ये काम अपने अपने अंदाज़ में सदियों से करते चले आ रहे हैं। बड़ा काम तो बच्चों की अच्छी तरबियत है जिसमें इन्सान को ग़ौरो फ़िक्र और वक़्त लगता है, जिससे नस्ले इन्सानी उरूज़ पाती है और क़ौम(Society) में रहनुमा बनते नज़र आते हैं। जिससे मुआशरे में इस्लाह होती है और फ़िर इन्सान अपनी इन्सानियत को बाक़ी रखकर ईमान/नेकी की दावत देता नज़र आता है और कुर्बे इलाही को पाने में ज़िन्दगी के अय्याम(Days) गुज़ारता है। और ऐसा ही इन्सान ईमान के साथ कामिल है, बकिया हमें अपने आपकी इस्लाह(Reform) करनी चाहिए और हम करते रहें कि बंदा अपने गुनाहों से तौबा करने वाला ही अच्छा है कि जिसने अपना मुहासिबा(Self-Assessment) किया वही कामयाब है।😊
पार्ट 5

बच्चे पालना कोई बड़ा काम नहीं है, जानवर और परिंदे और दूसरी मख़्लूक(Creation) ये काम अपने अपने अंदाज़ में सदियों से करते चले आ रहे हैं। बड़ा काम तो बच्चों की अच्छी तरबियत है जिसमें इन्सान को ग़ौरो फ़िक्र और वक़्त लगता है, जिससे नस्ले इन्सानी उरूज़ पाती है और क़ौम(Society) में रहनुमा बनते नज़र आते हैं। जिससे मुआशरे में इस्लाह होती है और फ़िर इन्सान अपनी इन्सानियत को बाक़ी रखकर ईमान/नेकी की दावत देता नज़र आता है और कुर्बे इलाही को पाने में ज़िन्दगी के अय्याम(Days) गुज़ारता है। और ऐसा ही इन्सान ईमान के साथ कामिल है, बकिया हमें अपने आपकी इस्लाह(Reform) करनी चाहिए और हम करते रहें कि बंदा अपने गुनाहों से तौबा करने वाला ही अच्छा है कि जिसने अपना मुहासिबा(Self-Assessment) किया वही कामयाब है।😊

पार्ट 6

इसी तरह Science की किताबों में ये भी पढ़ाया जाता है कि इंसान के पूर्वज बंदर थे(माज़अल्लाह) जो Gradual Development(क्रमिक विकास) के आधार पर आजके इंसान के रूप में विकसित हुए।

ऐसा अक़ीदा रखना गुमराही है। वालिदैन खुद दीनी इल्म सीखें और फिर बच्चों के Syllabus(पाठ्यक्रम) को बागौर देखें उससे पूछे कि उसे क्या पढ़ाया जाता है स्कूल में। अग़र वो बद-अकिदगी या गुमराही के सेलेब्स पढ़ेगा और वालिदैन तवज्जोह नही देंगे तो पकड़ इनकी(वालिदैन की) भी होगी।

पार्ट 7
उलमा-ए किराम फ़रमाते हैं: जब परीक्षा(Exam) में ज़मीन के ताल्लुक़(Related) सवाल आए तो इस तरह लिखें कि *“विज्ञान(Science) के अनुसार ज़मीन घूमती है”*
ख़ुद ये अक़ीदा न रखें। क्योंकि ये कुरआन-ए पाक के ख़िलाफ़ है, मामला कुफ़्र तक जाएगा।
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⚠️इसलिए कहा जाता है इस दौर में बग़ैर इल्मे-दीन के स्कूल-कॉलेज बहुत बड़ा फ़ितना है। याद रहे तालीम(Education) जरूर हासिल करें, दीन की भी और दुनिया की भी लेकिन पहले दीन के साथ। वरना अक्सर सिर्फ़ दुनियावी पढ़े-लिखे गुमराह होते हैं।
पार्ट 8
उलमा-ए किराम फ़रमाते हैं: जब परीक्षा(Exam) में ज़मीन के ताल्लुक़(Related) सवाल आए तो इस तरह लिखें कि *“विज्ञान(Science) के अनुसार ज़मीन घूमती है”*
ख़ुद ये अक़ीदा न रखें। क्योंकि ये कुरआन-ए पाक के ख़िलाफ़ है, मामला कुफ़्र तक जाएगा।
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⚠️इसलिए कहा जाता है इस दौर में बग़ैर इल्मे-दीन के स्कूल-कॉलेज बहुत बड़ा फ़ितना है। याद रहे तालीम(Education) जरूर हासिल करें, दीन की भी और दुनिया की भी लेकिन पहले दीन के साथ। वरना अक्सर सिर्फ़ दुनियावी पढ़े-लिखे गुमराह होते हैं।

पार्ट 9
बच्चा क्या पढ़ रहा है उस पर तवज्जोह दें।
ये आपका फ़रिज़ा है
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बकिया आप समझदार हैं, मुझे निशानदेही करने की ज़रूरत नही।

पार्ट 10
अमीरुल मोमिनीन हज़रते सय्यदुना उमर फारूके आजम रदीअल्लाहु तआला अन्हु एक ऐसे शख्स के पास से गुज़रे जो जुज़ाम(कोढ़) के मर्ज़ में मुब्तला होने के साथ अन्धा, गूंगा और बहरा भी था। जो उस के साथ लोग थे, आप रदी अल्लाहु तआला अन्हु ने उनसे पूछा: "क्या तुम्हे इस(शख्स) की जात में अल्लाह तआला की ने'मतों में से कोई ने'मत नज़र आती है?" वोह कहने लगे कि नहीं। आप ने फ़रमाया: “क्यूं नहीं है? क्या तुम लोग देखते नहीं हो कि यह जब पेशाब करता है तो बगैर किसी तकलीफ़ के आसानी के साथ करता है, यह भी तो अल्लाह तआला की ने'मतों में से एक ने 'मत ही है।
*_[#फैज़ान-ए हज़रत उमर फारूक, ज़िल्द 2, सफ़ा 252]_*
पार्ट 11
जिस तरह अंग्रेजी माह का नया साल January से शुरू होता है उसी तरह इस्लामिक नया साल माह-ए मुहर्रम-उल हराम से शुरू होता है। हमारे जो दुनियावी काम होते हैं अक्सर शम्सी तारीख़ यानी के अंग्रेजी महीनों और दिनों के हिसाब से तय होते हैं जबकि क़मरी तारीख़ से हमारे दीनी काम तय होते हैं जैसे रमजान के रोज़े, हज के अय्याम वगैरह।
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⚠️बहुत से लोग तो शम्सी साल की शुरवात यानी की 31st को बहुत बड़ा celebration करते और Celebration के नाम पर खुराफ़ात। जबकि आज के दौर में हम मुसलमानों को ही इस्लामिक 12 माह के नाम याद नही होंगे? बड़ा अफसोस होता है की हम बेसिक जानकारी से कोसो दूर हैं।😥

पार्ट 12

Status पर कव्वाली, ढोल ताशों की धमा-चौकड़ी, 1 से 10 मुहर्रम तक काले हरे और लाल कपड़े पहनना, और *इमाम हुसैन रदियल्लाहो तआला अन्हो* के नाम पर खुराफ़ात करके उसे हुसैनियत का नाम देना ये सब हुसैनियो के काम नही।
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अपना क़िरदार बुलन्द करो, अपना किरदार हुसैनी रखो। इमाम-ए आली मक़ाम ने यजीद के हाथ पर बैअत नही की क्योंकि वो शराबी था, ज़ानी था, हराम कारी करता था। और एक हम है कि ख़ुद को हुसैनी कहते हैं और हमारे शर से हमारा पड़ोसी ही परेशान है।
*अल्लाह तआला हमें अक़्ल-ए सलीम अता करे।*
पार्ट 13
हज़रत अली रदियल्लाहो तआला अन्हो से मुहब्बत अग़र शरीअत के तरीक़े से हट कर करोगे तो गुमराही मुक़द्दर होगी। और आप से मुहब्बत शरीअत की रौशनी में करोगे तो यकीनन इंशाअल्लाह तआला, मुक़द्दर जन्नत होगी।
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जैसा आप social media के platform WhatsApp, Twitter, Facebook, Instagram etc यूज़ करते हैं उसी तरह राफ़ज़ी शिया, बदमज़हब भी यूज करते हैं, वो अपनी गलाज़ते और गंदे अक़ाइद social media पर circulate करते रहते हैं। लेहाज़ा कुछ भी शेयर करने से पहले तहक़ीक़ लाज़मी तौर पर करें।

पार्ट 14
शहर की और शहर के बाहर की हर ख़्वातीन से गुजारिश है कि मुहर्रम की 10 दिन के वाज़ व नसीहत की महफ़िल में जाएं लेकिन ज़ुहर, असर, मग़रिब की नमाज़ कज़ा न करें !
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⚠️बाज़ प्रोग्राम में दर्स होता है वाज़ व नसीहत का लेकिन बहुतों की असर, मग़रिब क़ज़ा हो जाती और कई तो पढ़ते ही नही ! लेहाज़ा महफ़िल का इनकाद करने वालों और वाज़ व नसीहत का दर्स देने वाली मां बहनों से दरख़्वास्त है कि लोगों को नमाज़ ए असर व मग़रिब अदा करने की तम्बीह करें ! प्रोग्राम ऐसी जगह करें जहां नमाज़ के वक़्त में नमाज़ भी हो जाए या नमाज़ के वक़्त तक प्रोग्राम का इख़्तेताम हो जाए और बहने घर पर जाकर नमाज़ पढ़ लें !

पार्ट 15
पुरुष समाज(society) का कर्तव्य है कि महिलाओं के प्रति एक सभ्य और आदर व्यवहार रखे है, और ख़ुद को विवेकशील बना कर रखे न कि विवेकहीन।
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💔
😖

पार्ट 16
इमाम-ए आली मक़ाम हथियार से नही लड़े, सब्र से लड़े। हज़रत-ए अब्बास और दीग़र शहीदाने कर्बला ने ज़बरदस्त सब्र का मुज़ाहरा किया। इनके पास जो सबसे क़ीमती चीज़ थी वो सब्र थी। इनके सब्र ने कमाल कर दिया। यजीद पलीद तो 3-4 साल तख्त-ए हुकूमत पर फिस्क-ओ फुज़ूर करता हुआ बिल आख़िर मर गया।
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*⚠️लेकिन क़ायनात में छा कर वक़्त हुसैन इब्न-ए अली ने गुज़ारा। तख़्त पर तो एक भी दिन नही बैठे हैं लेकिन दिलों पर हुक़ूमत हमेशा हुसैन इब्न-ए अली की होगी।*
_रदी अल्लाहो तआला अन्हुमा अज़मईन_

पार्ट 17
घर मे कभी ग़ुरबत आ जाती है कभी आजमाइशों का दौर होता है। लेकिन हौसलामंद वो लोग होते हैं जो इन आजमाइशों से दिलेरी से गुजरते हैं। लेकिन जो तल्ख़ हो जाएं और सख़्त बातें करें जो उम्र भर भुलाई न जा सके वो बोझ छोड़ जाती है तबीअत में। अदब जो है वो ज़िन्दगी का हुस्न है, थोड़ा सा जुम्ले सोंच समझ कर अदा करें। थोड़ा सा लफ़्ज़ों पर गौर करें।
✨बसा अवक़ात क्या है कुछ जुम्ले ऐसे भी होते हैं जो बड़ा मसअला खड़ा कर देते हैं लेहाज़ा जब भी ज़ुबान खोलें हमेशा अच्छा बोलें और दुसरों को अपनी ज़बानी तकलीफ़ से महफ़ूज़ रखें। बकिया आप समझदार हैं और मुझे ज़्यादा कुछ कहने की ज़रूरत नही।😊

पार्ट 18
कुछ लोगों को जब शिद्दत की भूख होती है या जब कोई 4-5 लोगों का जत्था सफ़र में हो तो भूख लगने पर उन्हें ये कहते है सुना जाता है: *पहले पेट पूजा, फिर काम दूजा।*
अल्लाह तआला की पनाह ऐसे जुमलों से। और आजकल घर पर भी लोग भूख की शिद्दत पर कहते हैं कि पहले पेट पूजा कर लूं।
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⚠️अरे ओ ख़ुदा के बन्दों! इस्लामी रवीश पर चलो, खुद की ज़ात पर मसाईल के दरवाज़े न खोलो।⁉️

पार्ट 19
एक मालदार मुसलमान का फ़रिज़ा ये होना चाहिए कि वो अपने से कमतर मुसलमान भाई को आगे बढ़ने में promote करे। उसके लिए कोई असबाब उसके ज़रिये बन सकता है, तो उसे कुशादा करे। उसको चाहिए कि अपने लिए कुछ नेकियां आख़िरत की इकठ्ठी करे, उन्हें रियायत अता करे जो मालदारी में इससे कम दर्ज़े पर हैं।
⚠️तवज्जोह इस बात पर हो कि हमारा अख़लाक़ मुख़लिस हो। कसरत से लोग हमारी ज़ात से फ़ायदा हासिल करें और हमारी कोशिश यही हो कि लोग कुछ सहारा हमारा लेकर आगे बढ़ें और बढ़ते चलें। और कोशिश यही हो हमारी कि हमारा कोई मुसलमान भाई आगे बढ़े तो उसके लिए हम असबाब पैदा कर सकें।✨😊

पार्ट 20
अग़र किसी से पूछो की गाय दूध देती है तो जवाब में हर कोई “हां” कहेगा। जबकि सच्चाई यही है कि गाय दूध नही देती बल्कि गाय का दूध निकलना पड़ता है।
इसी तरह कामयाबी यूँ ही नही मिलती बल्कि निकालनी पड़ती है उसके लिए जद्दोजेहद करना पड़ता है।😊
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इसी तरह लोग मिसालें देते हैं कि “कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है” जबकि *कुछ पाने के लिये कुछ करना पड़ता है।*😊

पार्ट 21
अल्लाह तआला व रसूल अलैहिस्सलाम के बाद जो हक़ीक़ी मुहब्बत है जिसमें सच्चाई है वो सिर्फ़ वालिदैन(Parents) और भाई-बहन का प्यार है। बाकी सब मे अपना ज़ाती मफाद है। इसी तरह एक लड़का और लड़की का बिना निक़ाह(Marriage) के Relationship में रहना हराम सद हराम है। और जब किसी को समझाया जाए तो कहते हैं कि, नही! हम तो सिर्फ़ दोस्त टाइप के हैं हमारी मुहब्बत सच्ची है। इन नादानों को नही पता की ये जिसे मुहब्बत(Love) कहते हैं उसका आख़री पड़ाव Sexual Relationship है और कम्बख़्त इसी को मुहब्बत का नाम देते।
⚠️इस्लाम में इस तरह की चीज़ों की सख़्त मनाही है, लोगों को इन ख़बासत से बचना चाहिए।

पार्ट 22
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“ख़ुद की और दूसरों की इस्लाह”
_हर किसी का मक़सद यही हो_
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पार्ट 23
इरशाद-ए अमीरुल मोमिनीन हज़रत सैयदना उमर फ़ारुक़ रदि अल्लाहो त'आला अन्हो
“अपनी औरतों को “ना” सुनने का आदी बनाओ, क्योंकि “हां”(या'नी उनकी हर बात मानना) उन्हें बेबाक(निडर/ढीठ) बना देगा।
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✨---“जुमा मुबारक”---✨

पार्ट 24

10 मोहर्रम के दिन अपने घर वालों पर दस्तरख़्वान को वसीअ करने की बड़ी फ़ज़ीलत है। यानी कि इस दिन अपने घर वालों को अच्छा से अच्छा और उम्दा चीज़ खिलाएं। इसकी बड़ी फ़ज़ीलत है कि साल पर ख़ुशफ़राखी रहती है।
लेकिन आजकल लोगों ने इसे कुछ इस तरह लिया है कि दुनिया भर की चीज़ें घर मे बनाते है हत्ता की दिन का एक बड़ा वक़्त ख़ाना बनाने में ही निकल जाता और बाद में लोग इतना खाते भी नही और बसा अवक़ात ये Waste भी होता और नालियों में बहाया जाता।
⚠️तो इस तरह न करें ये दस्तरख़ान वसीअ करना नही बल्कि अनाज की बेहुरमती है, इससे परहेज़ करें।

पार्ट 25
“हम *बरैली* वाले हैं”
🪻हमने *अहले बैत* की इज़्ज़त और उनसे वफ़ा, *आलाहज़रत इमाम अहमद रज़ा ख़ाँ बरेलवी अलैहिर्रहमा* से सीखी है।
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पार्ट 26
“मुफ़्ती आज़म हिन्द अपने फ़ज़लो कमाल के आईने में” नाम की एक क़िताब है, जिसके सफ़ा नम्बर 12 में हुज़ूर मुफ़्ती ए आज़म हिन्द अलैहिर्रहमाह के कमालात का ज़िक़्र है।
⚠️अग़र किसी ने तावीज़ लिखने के लिए काग़ज़ दिया तो मुफ़्ती ए आज़म हिन्द अलैहिर्रहमाह उससे बचने वाला काग़ज़ भी वापस फ़रमा देते थे।
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✨“हुज़ूर मुफ़्ती ए आज़म हिन्द हज़रत मुस्तफ़ा रज़ा ख़ाँ रदियल्लाहो तआला अन्हो 'मुत्तक़ी ए आज़म' थे।”



पार्ट :-1
आज कुछ लोग सोंचते हैं कि वो क़ुरआन को मिटा देंगे लेकिन वो ग़फ़लत में हैं। तुम जैसे बहुत आए, तुम्हारे जैसे बड़े बड़े और सड़े सड़े आए लेकिन क़ुरआन का कुछ न कर सके। इसलिए कि इसकी हिफ़ाज़त की जिम्मेदारी अल्लाह तआला ने ली है।
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✨अल्लाह तआला क़ुरआन में फ़रमाता है: *हमनें ही क़ुरआन को उतारा है और हम ही इसकी हिफ़ाज़त करने वाले हैं।*
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पार्ट :-2
बुरा ख्वाब आए तो हमारा तर्ज़-ए अमल क्या हो कि हमें कोई नुक़सान न पहुँचे?
एक नुस्ख़ा है और ये हदीस का मफ़हूम भी है
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⚠️जब कभी बुरा ख़्वाब आए तो ये तीन नुस्ख़े अपनाए

1. अपनी बायीं जानिब थूकें(थूकना ही नही है, बल्कि थू-थू करें)


2. اَعُوْذُ بِاللّٰهِ مِنَ الشَّيْطٰنِ الرَّجِيْمِ पढें।


3. बुरे ख़्वाब का ज़िक़्र किसी से न करें।


इंशाअल्लाह तआला ख़्वाब नुक़सान नही

पार्ट 3
पेशाब और पाखाना का होना भी एक नेअमत है, कि अग़र ये बन्द हो जाये या किसी वजह से इनमें रुकावट आ जाए तो हज़रत ए इंसान का जिस्म एक अज़ीब सी कशमकश और परेशानी के आलम में आ जाता है। आप कभी हॉस्पिटल जाएंगे तो पता चलेगा कि Department Of Nephrology[किडनी विभाग] Department Of Urology[यूरिन विभाग] और Department Of Scatology[मल विज्ञान】 में ऐसे ऐसे मरीज़ मौजूद हैं जो ऐसे ऐसे मर्ज़ और बीमारी से दो चार हो रहे कि यहां बयान करना मुश्किल है। फ़क़ीर ए क़ादरी(writer) ने ख़ुद ब नफ़्स-ए नफ़ीस देखा है कि लोग कैसी कैसी तकलीफ़ों में मुब्तिला हैं।❤‍🩹
लेहाज़ा अग़र आप तंदुरुस्त है तो “करीम रब” का शुक्र अदा करें।
पार्ट 4
बच्चे पालना कोई बड़ा काम नहीं है, जानवर और परिंदे और दूसरी मख़्लूक(Creation) ये काम अपने अपने अंदाज़ में सदियों से करते चले आ रहे हैं। बड़ा काम तो बच्चों की अच्छी तरबियत है जिसमें इन्सान को ग़ौरो फ़िक्र और वक़्त लगता है, जिससे नस्ले इन्सानी उरूज़ पाती है और क़ौम(Society) में रहनुमा बनते नज़र आते हैं। जिससे मुआशरे में इस्लाह होती है और फ़िर इन्सान अपनी इन्सानियत को बाक़ी रखकर ईमान/नेकी की दावत देता नज़र आता है और कुर्बे इलाही को पाने में ज़िन्दगी के अय्याम(Days) गुज़ारता है। और ऐसा ही इन्सान ईमान के साथ कामिल है, बकिया हमें अपने आपकी इस्लाह(Reform) करनी चाहिए और हम करते रहें कि बंदा अपने गुनाहों से तौबा करने वाला ही अच्छा है कि जिसने अपना मुहासिबा(Self-Assessment) किया वही कामयाब है।😊
पार्ट 5

बच्चे पालना कोई बड़ा काम नहीं है, जानवर और परिंदे और दूसरी मख़्लूक(Creation) ये काम अपने अपने अंदाज़ में सदियों से करते चले आ रहे हैं। बड़ा काम तो बच्चों की अच्छी तरबियत है जिसमें इन्सान को ग़ौरो फ़िक्र और वक़्त लगता है, जिससे नस्ले इन्सानी उरूज़ पाती है और क़ौम(Society) में रहनुमा बनते नज़र आते हैं। जिससे मुआशरे में इस्लाह होती है और फ़िर इन्सान अपनी इन्सानियत को बाक़ी रखकर ईमान/नेकी की दावत देता नज़र आता है और कुर्बे इलाही को पाने में ज़िन्दगी के अय्याम(Days) गुज़ारता है। और ऐसा ही इन्सान ईमान के साथ कामिल है, बकिया हमें अपने आपकी इस्लाह(Reform) करनी चाहिए और हम करते रहें कि बंदा अपने गुनाहों से तौबा करने वाला ही अच्छा है कि जिसने अपना मुहासिबा(Self-Assessment) किया वही कामयाब है।😊

पार्ट 6

इसी तरह Science की किताबों में ये भी पढ़ाया जाता है कि इंसान के पूर्वज बंदर थे(माज़अल्लाह) जो Gradual Development(क्रमिक विकास) के आधार पर आजके इंसान के रूप में विकसित हुए।

ऐसा अक़ीदा रखना गुमराही है। वालिदैन खुद दीनी इल्म सीखें और फिर बच्चों के Syllabus(पाठ्यक्रम) को बागौर देखें उससे पूछे कि उसे क्या पढ़ाया जाता है स्कूल में। अग़र वो बद-अकिदगी या गुमराही के सेलेब्स पढ़ेगा और वालिदैन तवज्जोह नही देंगे तो पकड़ इनकी(वालिदैन की) भी होगी।

पार्ट 7
उलमा-ए किराम फ़रमाते हैं: जब परीक्षा(Exam) में ज़मीन के ताल्लुक़(Related) सवाल आए तो इस तरह लिखें कि *“विज्ञान(Science) के अनुसार ज़मीन घूमती है”*
ख़ुद ये अक़ीदा न रखें। क्योंकि ये कुरआन-ए पाक के ख़िलाफ़ है, मामला कुफ़्र तक जाएगा।
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⚠️इसलिए कहा जाता है इस दौर में बग़ैर इल्मे-दीन के स्कूल-कॉलेज बहुत बड़ा फ़ितना है। याद रहे तालीम(Education) जरूर हासिल करें, दीन की भी और दुनिया की भी लेकिन पहले दीन के साथ। वरना अक्सर सिर्फ़ दुनियावी पढ़े-लिखे गुमराह होते हैं।
पार्ट 8
उलमा-ए किराम फ़रमाते हैं: जब परीक्षा(Exam) में ज़मीन के ताल्लुक़(Related) सवाल आए तो इस तरह लिखें कि *“विज्ञान(Science) के अनुसार ज़मीन घूमती है”*
ख़ुद ये अक़ीदा न रखें। क्योंकि ये कुरआन-ए पाक के ख़िलाफ़ है, मामला कुफ़्र तक जाएगा।
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⚠️इसलिए कहा जाता है इस दौर में बग़ैर इल्मे-दीन के स्कूल-कॉलेज बहुत बड़ा फ़ितना है। याद रहे तालीम(Education) जरूर हासिल करें, दीन की भी और दुनिया की भी लेकिन पहले दीन के साथ। वरना अक्सर सिर्फ़ दुनियावी पढ़े-लिखे गुमराह होते हैं।

पार्ट 9
बच्चा क्या पढ़ रहा है उस पर तवज्जोह दें।
ये आपका फ़रिज़ा है
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बकिया आप समझदार हैं, मुझे निशानदेही करने की ज़रूरत नही।

पार्ट 10
अमीरुल मोमिनीन हज़रते सय्यदुना उमर फारूके आजम रदीअल्लाहु तआला अन्हु एक ऐसे शख्स के पास से गुज़रे जो जुज़ाम(कोढ़) के मर्ज़ में मुब्तला होने के साथ अन्धा, गूंगा और बहरा भी था। जो उस के साथ लोग थे, आप रदी अल्लाहु तआला अन्हु ने उनसे पूछा: "क्या तुम्हे इस(शख्स) की जात में अल्लाह तआला की ने'मतों में से कोई ने'मत नज़र आती है?" वोह कहने लगे कि नहीं। आप ने फ़रमाया: “क्यूं नहीं है? क्या तुम लोग देखते नहीं हो कि यह जब पेशाब करता है तो बगैर किसी तकलीफ़ के आसानी के साथ करता है, यह भी तो अल्लाह तआला की ने'मतों में से एक ने 'मत ही है।
*_[#फैज़ान-ए हज़रत उमर फारूक, ज़िल्द 2, सफ़ा 252]_*
पार्ट 11
जिस तरह अंग्रेजी माह का नया साल January से शुरू होता है उसी तरह इस्लामिक नया साल माह-ए मुहर्रम-उल हराम से शुरू होता है। हमारे जो दुनियावी काम होते हैं अक्सर शम्सी तारीख़ यानी के अंग्रेजी महीनों और दिनों के हिसाब से तय होते हैं जबकि क़मरी तारीख़ से हमारे दीनी काम तय होते हैं जैसे रमजान के रोज़े, हज के अय्याम वगैरह।
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⚠️बहुत से लोग तो शम्सी साल की शुरवात यानी की 31st को बहुत बड़ा celebration करते और Celebration के नाम पर खुराफ़ात। जबकि आज के दौर में हम मुसलमानों को ही इस्लामिक 12 माह के नाम याद नही होंगे? बड़ा अफसोस होता है की हम बेसिक जानकारी से कोसो दूर हैं।😥

पार्ट 12

Status पर कव्वाली, ढोल ताशों की धमा-चौकड़ी, 1 से 10 मुहर्रम तक काले हरे और लाल कपड़े पहनना, और *इमाम हुसैन रदियल्लाहो तआला अन्हो* के नाम पर खुराफ़ात करके उसे हुसैनियत का नाम देना ये सब हुसैनियो के काम नही।
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अपना क़िरदार बुलन्द करो, अपना किरदार हुसैनी रखो। इमाम-ए आली मक़ाम ने यजीद के हाथ पर बैअत नही की क्योंकि वो शराबी था, ज़ानी था, हराम कारी करता था। और एक हम है कि ख़ुद को हुसैनी कहते हैं और हमारे शर से हमारा पड़ोसी ही परेशान है।
*अल्लाह तआला हमें अक़्ल-ए सलीम अता करे।*
पार्ट 13
हज़रत अली रदियल्लाहो तआला अन्हो से मुहब्बत अग़र शरीअत के तरीक़े से हट कर करोगे तो गुमराही मुक़द्दर होगी। और आप से मुहब्बत शरीअत की रौशनी में करोगे तो यकीनन इंशाअल्लाह तआला, मुक़द्दर जन्नत होगी।
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जैसा आप social media के platform WhatsApp, Twitter, Facebook, Instagram etc यूज़ करते हैं उसी तरह राफ़ज़ी शिया, बदमज़हब भी यूज करते हैं, वो अपनी गलाज़ते और गंदे अक़ाइद social media पर circulate करते रहते हैं। लेहाज़ा कुछ भी शेयर करने से पहले तहक़ीक़ लाज़मी तौर पर करें।

पार्ट 14
शहर की और शहर के बाहर की हर ख़्वातीन से गुजारिश है कि मुहर्रम की 10 दिन के वाज़ व नसीहत की महफ़िल में जाएं लेकिन ज़ुहर, असर, मग़रिब की नमाज़ कज़ा न करें !
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⚠️बाज़ प्रोग्राम में दर्स होता है वाज़ व नसीहत का लेकिन बहुतों की असर, मग़रिब क़ज़ा हो जाती और कई तो पढ़ते ही नही ! लेहाज़ा महफ़िल का इनकाद करने वालों और वाज़ व नसीहत का दर्स देने वाली मां बहनों से दरख़्वास्त है कि लोगों को नमाज़ ए असर व मग़रिब अदा करने की तम्बीह करें ! प्रोग्राम ऐसी जगह करें जहां नमाज़ के वक़्त में नमाज़ भी हो जाए या नमाज़ के वक़्त तक प्रोग्राम का इख़्तेताम हो जाए और बहने घर पर जाकर नमाज़ पढ़ लें !

पार्ट 15
पुरुष समाज(society) का कर्तव्य है कि महिलाओं के प्रति एक सभ्य और आदर व्यवहार रखे है, और ख़ुद को विवेकशील बना कर रखे न कि विवेकहीन।
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पार्ट 16
इमाम-ए आली मक़ाम हथियार से नही लड़े, सब्र से लड़े। हज़रत-ए अब्बास और दीग़र शहीदाने कर्बला ने ज़बरदस्त सब्र का मुज़ाहरा किया। इनके पास जो सबसे क़ीमती चीज़ थी वो सब्र थी। इनके सब्र ने कमाल कर दिया। यजीद पलीद तो 3-4 साल तख्त-ए हुकूमत पर फिस्क-ओ फुज़ूर करता हुआ बिल आख़िर मर गया।
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*⚠️लेकिन क़ायनात में छा कर वक़्त हुसैन इब्न-ए अली ने गुज़ारा। तख़्त पर तो एक भी दिन नही बैठे हैं लेकिन दिलों पर हुक़ूमत हमेशा हुसैन इब्न-ए अली की होगी।*
_रदी अल्लाहो तआला अन्हुमा अज़मईन_

पार्ट 17
घर मे कभी ग़ुरबत आ जाती है कभी आजमाइशों का दौर होता है। लेकिन हौसलामंद वो लोग होते हैं जो इन आजमाइशों से दिलेरी से गुजरते हैं। लेकिन जो तल्ख़ हो जाएं और सख़्त बातें करें जो उम्र भर भुलाई न जा सके वो बोझ छोड़ जाती है तबीअत में। अदब जो है वो ज़िन्दगी का हुस्न है, थोड़ा सा जुम्ले सोंच समझ कर अदा करें। थोड़ा सा लफ़्ज़ों पर गौर करें।
✨बसा अवक़ात क्या है कुछ जुम्ले ऐसे भी होते हैं जो बड़ा मसअला खड़ा कर देते हैं लेहाज़ा जब भी ज़ुबान खोलें हमेशा अच्छा बोलें और दुसरों को अपनी ज़बानी तकलीफ़ से महफ़ूज़ रखें। बकिया आप समझदार हैं और मुझे ज़्यादा कुछ कहने की ज़रूरत नही।😊

पार्ट 18
कुछ लोगों को जब शिद्दत की भूख होती है या जब कोई 4-5 लोगों का जत्था सफ़र में हो तो भूख लगने पर उन्हें ये कहते है सुना जाता है: *पहले पेट पूजा, फिर काम दूजा।*
अल्लाह तआला की पनाह ऐसे जुमलों से। और आजकल घर पर भी लोग भूख की शिद्दत पर कहते हैं कि पहले पेट पूजा कर लूं।
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⚠️अरे ओ ख़ुदा के बन्दों! इस्लामी रवीश पर चलो, खुद की ज़ात पर मसाईल के दरवाज़े न खोलो।⁉️

पार्ट 19
एक मालदार मुसलमान का फ़रिज़ा ये होना चाहिए कि वो अपने से कमतर मुसलमान भाई को आगे बढ़ने में promote करे। उसके लिए कोई असबाब उसके ज़रिये बन सकता है, तो उसे कुशादा करे। उसको चाहिए कि अपने लिए कुछ नेकियां आख़िरत की इकठ्ठी करे, उन्हें रियायत अता करे जो मालदारी में इससे कम दर्ज़े पर हैं।
⚠️तवज्जोह इस बात पर हो कि हमारा अख़लाक़ मुख़लिस हो। कसरत से लोग हमारी ज़ात से फ़ायदा हासिल करें और हमारी कोशिश यही हो कि लोग कुछ सहारा हमारा लेकर आगे बढ़ें और बढ़ते चलें। और कोशिश यही हो हमारी कि हमारा कोई मुसलमान भाई आगे बढ़े तो उसके लिए हम असबाब पैदा कर सकें।✨😊

पार्ट 20
अग़र किसी से पूछो की गाय दूध देती है तो जवाब में हर कोई “हां” कहेगा। जबकि सच्चाई यही है कि गाय दूध नही देती बल्कि गाय का दूध निकलना पड़ता है।
इसी तरह कामयाबी यूँ ही नही मिलती बल्कि निकालनी पड़ती है उसके लिए जद्दोजेहद करना पड़ता है।😊
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इसी तरह लोग मिसालें देते हैं कि “कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है” जबकि *कुछ पाने के लिये कुछ करना पड़ता है।*😊

पार्ट 21
अल्लाह तआला व रसूल अलैहिस्सलाम के बाद जो हक़ीक़ी मुहब्बत है जिसमें सच्चाई है वो सिर्फ़ वालिदैन(Parents) और भाई-बहन का प्यार है। बाकी सब मे अपना ज़ाती मफाद है। इसी तरह एक लड़का और लड़की का बिना निक़ाह(Marriage) के Relationship में रहना हराम सद हराम है। और जब किसी को समझाया जाए तो कहते हैं कि, नही! हम तो सिर्फ़ दोस्त टाइप के हैं हमारी मुहब्बत सच्ची है। इन नादानों को नही पता की ये जिसे मुहब्बत(Love) कहते हैं उसका आख़री पड़ाव Sexual Relationship है और कम्बख़्त इसी को मुहब्बत का नाम देते।
⚠️इस्लाम में इस तरह की चीज़ों की सख़्त मनाही है, लोगों को इन ख़बासत से बचना चाहिए।

पार्ट 22
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“ख़ुद की और दूसरों की इस्लाह”
_हर किसी का मक़सद यही हो_
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पार्ट 23
इरशाद-ए अमीरुल मोमिनीन हज़रत सैयदना उमर फ़ारुक़ रदि अल्लाहो त'आला अन्हो
“अपनी औरतों को “ना” सुनने का आदी बनाओ, क्योंकि “हां”(या'नी उनकी हर बात मानना) उन्हें बेबाक(निडर/ढीठ) बना देगा।
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✨---“जुमा मुबारक”---✨

पार्ट 24

10 मोहर्रम के दिन अपने घर वालों पर दस्तरख़्वान को वसीअ करने की बड़ी फ़ज़ीलत है। यानी कि इस दिन अपने घर वालों को अच्छा से अच्छा और उम्दा चीज़ खिलाएं। इसकी बड़ी फ़ज़ीलत है कि साल पर ख़ुशफ़राखी रहती है।
लेकिन आजकल लोगों ने इसे कुछ इस तरह लिया है कि दुनिया भर की चीज़ें घर मे बनाते है हत्ता की दिन का एक बड़ा वक़्त ख़ाना बनाने में ही निकल जाता और बाद में लोग इतना खाते भी नही और बसा अवक़ात ये Waste भी होता और नालियों में बहाया जाता।
⚠️तो इस तरह न करें ये दस्तरख़ान वसीअ करना नही बल्कि अनाज की बेहुरमती है, इससे परहेज़ करें।

पार्ट 25
“हम *बरैली* वाले हैं”
🪻हमने *अहले बैत* की इज़्ज़त और उनसे वफ़ा, *आलाहज़रत इमाम अहमद रज़ा ख़ाँ बरेलवी अलैहिर्रहमा* से सीखी है।
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पार्ट 26
“मुफ़्ती आज़म हिन्द अपने फ़ज़लो कमाल के आईने में” नाम की एक क़िताब है, जिसके सफ़ा नम्बर 12 में हुज़ूर मुफ़्ती ए आज़म हिन्द अलैहिर्रहमाह के कमालात का ज़िक़्र है।
⚠️अग़र किसी ने तावीज़ लिखने के लिए काग़ज़ दिया तो मुफ़्ती ए आज़म हिन्द अलैहिर्रहमाह उससे बचने वाला काग़ज़ भी वापस फ़रमा देते थे।
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✨“हुज़ूर मुफ़्ती ए आज़म हिन्द हज़रत मुस्तफ़ा रज़ा ख़ाँ रदियल्लाहो तआला अन्हो 'मुत्तक़ी ए आज़म' थे।”


पार्ट :-1
आज कुछ लोग सोंचते हैं कि वो क़ुरआन को मिटा देंगे लेकिन वो ग़फ़लत में हैं। तुम जैसे बहुत आए, तुम्हारे जैसे बड़े बड़े और सड़े सड़े आए लेकिन क़ुरआन का कुछ न कर सके। इसलिए कि इसकी हिफ़ाज़त की जिम्मेदारी अल्लाह तआला ने ली है।
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✨अल्लाह तआला क़ुरआन में फ़रमाता है: *हमनें ही क़ुरआन को उतारा है और हम ही इसकी हिफ़ाज़त करने वाले हैं।*
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पार्ट :-2
बुरा ख्वाब आए तो हमारा तर्ज़-ए अमल क्या हो कि हमें कोई नुक़सान न पहुँचे?
एक नुस्ख़ा है और ये हदीस का मफ़हूम भी है
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⚠️जब कभी बुरा ख़्वाब आए तो ये तीन नुस्ख़े अपनाए

1. अपनी बायीं जानिब थूकें(थूकना ही नही है, बल्कि थू-थू करें)


2. اَعُوْذُ بِاللّٰهِ مِنَ الشَّيْطٰنِ الرَّجِيْمِ पढें।


3. बुरे ख़्वाब का ज़िक़्र किसी से न करें।


इंशाअल्लाह तआला ख़्वाब नुक़सान नही

पार्ट 3
पेशाब और पाखाना का होना भी एक नेअमत है, कि अग़र ये बन्द हो जाये या किसी वजह से इनमें रुकावट आ जाए तो हज़रत ए इंसान का जिस्म एक अज़ीब सी कशमकश और परेशानी के आलम में आ जाता है। आप कभी हॉस्पिटल जाएंगे तो पता चलेगा कि Department Of Nephrology[किडनी विभाग] Department Of Urology[यूरिन विभाग] और Department Of Scatology[मल विज्ञान】 में ऐसे ऐसे मरीज़ मौजूद हैं जो ऐसे ऐसे मर्ज़ और बीमारी से दो चार हो रहे कि यहां बयान करना मुश्किल है। फ़क़ीर ए क़ादरी(writer) ने ख़ुद ब नफ़्स-ए नफ़ीस देखा है कि लोग कैसी कैसी तकलीफ़ों में मुब्तिला हैं।❤‍🩹
लेहाज़ा अग़र आप तंदुरुस्त है तो “करीम रब” का शुक्र अदा करें।
पार्ट 4
बच्चे पालना कोई बड़ा काम नहीं है, जानवर और परिंदे और दूसरी मख़्लूक(Creation) ये काम अपने अपने अंदाज़ में सदियों से करते चले आ रहे हैं। बड़ा काम तो बच्चों की अच्छी तरबियत है जिसमें इन्सान को ग़ौरो फ़िक्र और वक़्त लगता है, जिससे नस्ले इन्सानी उरूज़ पाती है और क़ौम(Society) में रहनुमा बनते नज़र आते हैं। जिससे मुआशरे में इस्लाह होती है और फ़िर इन्सान अपनी इन्सानियत को बाक़ी रखकर ईमान/नेकी की दावत देता नज़र आता है और कुर्बे इलाही को पाने में ज़िन्दगी के अय्याम(Days) गुज़ारता है। और ऐसा ही इन्सान ईमान के साथ कामिल है, बकिया हमें अपने आपकी इस्लाह(Reform) करनी चाहिए और हम करते रहें कि बंदा अपने गुनाहों से तौबा करने वाला ही अच्छा है कि जिसने अपना मुहासिबा(Self-Assessment) किया वही कामयाब है।😊
पार्ट 5

बच्चे पालना कोई बड़ा काम नहीं है, जानवर और परिंदे और दूसरी मख़्लूक(Creation) ये काम अपने अपने अंदाज़ में सदियों से करते चले आ रहे हैं। बड़ा काम तो बच्चों की अच्छी तरबियत है जिसमें इन्सान को ग़ौरो फ़िक्र और वक़्त लगता है, जिससे नस्ले इन्सानी उरूज़ पाती है और क़ौम(Society) में रहनुमा बनते नज़र आते हैं। जिससे मुआशरे में इस्लाह होती है और फ़िर इन्सान अपनी इन्सानियत को बाक़ी रखकर ईमान/नेकी की दावत देता नज़र आता है और कुर्बे इलाही को पाने में ज़िन्दगी के अय्याम(Days) गुज़ारता है। और ऐसा ही इन्सान ईमान के साथ कामिल है, बकिया हमें अपने आपकी इस्लाह(Reform) करनी चाहिए और हम करते रहें कि बंदा अपने गुनाहों से तौबा करने वाला ही अच्छा है कि जिसने अपना मुहासिबा(Self-Assessment) किया वही कामयाब है।😊

पार्ट 6

इसी तरह Science की किताबों में ये भी पढ़ाया जाता है कि इंसान के पूर्वज बंदर थे(माज़अल्लाह) जो Gradual Development(क्रमिक विकास) के आधार पर आजके इंसान के रूप में विकसित हुए।

ऐसा अक़ीदा रखना गुमराही है। वालिदैन खुद दीनी इल्म सीखें और फिर बच्चों के Syllabus(पाठ्यक्रम) को बागौर देखें उससे पूछे कि उसे क्या पढ़ाया जाता है स्कूल में। अग़र वो बद-अकिदगी या गुमराही के सेलेब्स पढ़ेगा और वालिदैन तवज्जोह नही देंगे तो पकड़ इनकी(वालिदैन की) भी होगी।

पार्ट 7
उलमा-ए किराम फ़रमाते हैं: जब परीक्षा(Exam) में ज़मीन के ताल्लुक़(Related) सवाल आए तो इस तरह लिखें कि *“विज्ञान(Science) के अनुसार ज़मीन घूमती है”*
ख़ुद ये अक़ीदा न रखें। क्योंकि ये कुरआन-ए पाक के ख़िलाफ़ है, मामला कुफ़्र तक जाएगा।
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⚠️इसलिए कहा जाता है इस दौर में बग़ैर इल्मे-दीन के स्कूल-कॉलेज बहुत बड़ा फ़ितना है। याद रहे तालीम(Education) जरूर हासिल करें, दीन की भी और दुनिया की भी लेकिन पहले दीन के साथ। वरना अक्सर सिर्फ़ दुनियावी पढ़े-लिखे गुमराह होते हैं।
पार्ट 8
उलमा-ए किराम फ़रमाते हैं: जब परीक्षा(Exam) में ज़मीन के ताल्लुक़(Related) सवाल आए तो इस तरह लिखें कि *“विज्ञान(Science) के अनुसार ज़मीन घूमती है”*
ख़ुद ये अक़ीदा न रखें। क्योंकि ये कुरआन-ए पाक के ख़िलाफ़ है, मामला कुफ़्र तक जाएगा।
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⚠️इसलिए कहा जाता है इस दौर में बग़ैर इल्मे-दीन के स्कूल-कॉलेज बहुत बड़ा फ़ितना है। याद रहे तालीम(Education) जरूर हासिल करें, दीन की भी और दुनिया की भी लेकिन पहले दीन के साथ। वरना अक्सर सिर्फ़ दुनियावी पढ़े-लिखे गुमराह होते हैं।

पार्ट 9
बच्चा क्या पढ़ रहा है उस पर तवज्जोह दें।
ये आपका फ़रिज़ा है
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बकिया आप समझदार हैं, मुझे निशानदेही करने की ज़रूरत नही।

पार्ट 10
अमीरुल मोमिनीन हज़रते सय्यदुना उमर फारूके आजम रदीअल्लाहु तआला अन्हु एक ऐसे शख्स के पास से गुज़रे जो जुज़ाम(कोढ़) के मर्ज़ में मुब्तला होने के साथ अन्धा, गूंगा और बहरा भी था। जो उस के साथ लोग थे, आप रदी अल्लाहु तआला अन्हु ने उनसे पूछा: "क्या तुम्हे इस(शख्स) की जात में अल्लाह तआला की ने'मतों में से कोई ने'मत नज़र आती है?" वोह कहने लगे कि नहीं। आप ने फ़रमाया: “क्यूं नहीं है? क्या तुम लोग देखते नहीं हो कि यह जब पेशाब करता है तो बगैर किसी तकलीफ़ के आसानी के साथ करता है, यह भी तो अल्लाह तआला की ने'मतों में से एक ने 'मत ही है।
*_[#फैज़ान-ए हज़रत उमर फारूक, ज़िल्द 2, सफ़ा 252]_*
पार्ट 11
जिस तरह अंग्रेजी माह का नया साल January से शुरू होता है उसी तरह इस्लामिक नया साल माह-ए मुहर्रम-उल हराम से शुरू होता है। हमारे जो दुनियावी काम होते हैं अक्सर शम्सी तारीख़ यानी के अंग्रेजी महीनों और दिनों के हिसाब से तय होते हैं जबकि क़मरी तारीख़ से हमारे दीनी काम तय होते हैं जैसे रमजान के रोज़े, हज के अय्याम वगैरह।
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⚠️बहुत से लोग तो शम्सी साल की शुरवात यानी की 31st को बहुत बड़ा celebration करते और Celebration के नाम पर खुराफ़ात। जबकि आज के दौर में हम मुसलमानों को ही इस्लामिक 12 माह के नाम याद नही होंगे? बड़ा अफसोस होता है की हम बेसिक जानकारी से कोसो दूर हैं।😥

पार्ट 12

Status पर कव्वाली, ढोल ताशों की धमा-चौकड़ी, 1 से 10 मुहर्रम तक काले हरे और लाल कपड़े पहनना, और *इमाम हुसैन रदियल्लाहो तआला अन्हो* के नाम पर खुराफ़ात करके उसे हुसैनियत का नाम देना ये सब हुसैनियो के काम नही।
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अपना क़िरदार बुलन्द करो, अपना किरदार हुसैनी रखो। इमाम-ए आली मक़ाम ने यजीद के हाथ पर बैअत नही की क्योंकि वो शराबी था, ज़ानी था, हराम कारी करता था। और एक हम है कि ख़ुद को हुसैनी कहते हैं और हमारे शर से हमारा पड़ोसी ही परेशान है।
*अल्लाह तआला हमें अक़्ल-ए सलीम अता करे।*
पार्ट 13
हज़रत अली रदियल्लाहो तआला अन्हो से मुहब्बत अग़र शरीअत के तरीक़े से हट कर करोगे तो गुमराही मुक़द्दर होगी। और आप से मुहब्बत शरीअत की रौशनी में करोगे तो यकीनन इंशाअल्लाह तआला, मुक़द्दर जन्नत होगी।
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जैसा आप social media के platform WhatsApp, Twitter, Facebook, Instagram etc यूज़ करते हैं उसी तरह राफ़ज़ी शिया, बदमज़हब भी यूज करते हैं, वो अपनी गलाज़ते और गंदे अक़ाइद social media पर circulate करते रहते हैं। लेहाज़ा कुछ भी शेयर करने से पहले तहक़ीक़ लाज़मी तौर पर करें।

पार्ट 14
शहर की और शहर के बाहर की हर ख़्वातीन से गुजारिश है कि मुहर्रम की 10 दिन के वाज़ व नसीहत की महफ़िल में जाएं लेकिन ज़ुहर, असर, मग़रिब की नमाज़ कज़ा न करें !
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⚠️बाज़ प्रोग्राम में दर्स होता है वाज़ व नसीहत का लेकिन बहुतों की असर, मग़रिब क़ज़ा हो जाती और कई तो पढ़ते ही नही ! लेहाज़ा महफ़िल का इनकाद करने वालों और वाज़ व नसीहत का दर्स देने वाली मां बहनों से दरख़्वास्त है कि लोगों को नमाज़ ए असर व मग़रिब अदा करने की तम्बीह करें ! प्रोग्राम ऐसी जगह करें जहां नमाज़ के वक़्त में नमाज़ भी हो जाए या नमाज़ के वक़्त तक प्रोग्राम का इख़्तेताम हो जाए और बहने घर पर जाकर नमाज़ पढ़ लें !

पार्ट 15
पुरुष समाज(society) का कर्तव्य है कि महिलाओं के प्रति एक सभ्य और आदर व्यवहार रखे है, और ख़ुद को विवेकशील बना कर रखे न कि विवेकहीन।
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पार्ट 16
इमाम-ए आली मक़ाम हथियार से नही लड़े, सब्र से लड़े। हज़रत-ए अब्बास और दीग़र शहीदाने कर्बला ने ज़बरदस्त सब्र का मुज़ाहरा किया। इनके पास जो सबसे क़ीमती चीज़ थी वो सब्र थी। इनके सब्र ने कमाल कर दिया। यजीद पलीद तो 3-4 साल तख्त-ए हुकूमत पर फिस्क-ओ फुज़ूर करता हुआ बिल आख़िर मर गया।
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*⚠️लेकिन क़ायनात में छा कर वक़्त हुसैन इब्न-ए अली ने गुज़ारा। तख़्त पर तो एक भी दिन नही बैठे हैं लेकिन दिलों पर हुक़ूमत हमेशा हुसैन इब्न-ए अली की होगी।*
_रदी अल्लाहो तआला अन्हुमा अज़मईन_

पार्ट 17
घर मे कभी ग़ुरबत आ जाती है कभी आजमाइशों का दौर होता है। लेकिन हौसलामंद वो लोग होते हैं जो इन आजमाइशों से दिलेरी से गुजरते हैं। लेकिन जो तल्ख़ हो जाएं और सख़्त बातें करें जो उम्र भर भुलाई न जा सके वो बोझ छोड़ जाती है तबीअत में। अदब जो है वो ज़िन्दगी का हुस्न है, थोड़ा सा जुम्ले सोंच समझ कर अदा करें। थोड़ा सा लफ़्ज़ों पर गौर करें।
✨बसा अवक़ात क्या है कुछ जुम्ले ऐसे भी होते हैं जो बड़ा मसअला खड़ा कर देते हैं लेहाज़ा जब भी ज़ुबान खोलें हमेशा अच्छा बोलें और दुसरों को अपनी ज़बानी तकलीफ़ से महफ़ूज़ रखें। बकिया आप समझदार हैं और मुझे ज़्यादा कुछ कहने की ज़रूरत नही।😊

पार्ट 18
कुछ लोगों को जब शिद्दत की भूख होती है या जब कोई 4-5 लोगों का जत्था सफ़र में हो तो भूख लगने पर उन्हें ये कहते है सुना जाता है: *पहले पेट पूजा, फिर काम दूजा।*
अल्लाह तआला की पनाह ऐसे जुमलों से। और आजकल घर पर भी लोग भूख की शिद्दत पर कहते हैं कि पहले पेट पूजा कर लूं।
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⚠️अरे ओ ख़ुदा के बन्दों! इस्लामी रवीश पर चलो, खुद की ज़ात पर मसाईल के दरवाज़े न खोलो।⁉️

पार्ट 19
एक मालदार मुसलमान का फ़रिज़ा ये होना चाहिए कि वो अपने से कमतर मुसलमान भाई को आगे बढ़ने में promote करे। उसके लिए कोई असबाब उसके ज़रिये बन सकता है, तो उसे कुशादा करे। उसको चाहिए कि अपने लिए कुछ नेकियां आख़िरत की इकठ्ठी करे, उन्हें रियायत अता करे जो मालदारी में इससे कम दर्ज़े पर हैं।
⚠️तवज्जोह इस बात पर हो कि हमारा अख़लाक़ मुख़लिस हो। कसरत से लोग हमारी ज़ात से फ़ायदा हासिल करें और हमारी कोशिश यही हो कि लोग कुछ सहारा हमारा लेकर आगे बढ़ें और बढ़ते चलें। और कोशिश यही हो हमारी कि हमारा कोई मुसलमान भाई आगे बढ़े तो उसके लिए हम असबाब पैदा कर सकें।✨😊

पार्ट 20
अग़र किसी से पूछो की गाय दूध देती है तो जवाब में हर कोई “हां” कहेगा। जबकि सच्चाई यही है कि गाय दूध नही देती बल्कि गाय का दूध निकलना पड़ता है।
इसी तरह कामयाबी यूँ ही नही मिलती बल्कि निकालनी पड़ती है उसके लिए जद्दोजेहद करना पड़ता है।😊
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इसी तरह लोग मिसालें देते हैं कि “कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है” जबकि *कुछ पाने के लिये कुछ करना पड़ता है।*😊

पार्ट 21
अल्लाह तआला व रसूल अलैहिस्सलाम के बाद जो हक़ीक़ी मुहब्बत है जिसमें सच्चाई है वो सिर्फ़ वालिदैन(Parents) और भाई-बहन का प्यार है। बाकी सब मे अपना ज़ाती मफाद है। इसी तरह एक लड़का और लड़की का बिना निक़ाह(Marriage) के Relationship में रहना हराम सद हराम है। और जब किसी को समझाया जाए तो कहते हैं कि, नही! हम तो सिर्फ़ दोस्त टाइप के हैं हमारी मुहब्बत सच्ची है। इन नादानों को नही पता की ये जिसे मुहब्बत(Love) कहते हैं उसका आख़री पड़ाव Sexual Relationship है और कम्बख़्त इसी को मुहब्बत का नाम देते।
⚠️इस्लाम में इस तरह की चीज़ों की सख़्त मनाही है, लोगों को इन ख़बासत से बचना चाहिए।

पार्ट 22
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“ख़ुद की और दूसरों की इस्लाह”
_हर किसी का मक़सद यही हो_
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पार्ट 23
इरशाद-ए अमीरुल मोमिनीन हज़रत सैयदना उमर फ़ारुक़ रदि अल्लाहो त'आला अन्हो
“अपनी औरतों को “ना” सुनने का आदी बनाओ, क्योंकि “हां”(या'नी उनकी हर बात मानना) उन्हें बेबाक(निडर/ढीठ) बना देगा।
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✨---“जुमा मुबारक”---✨

पार्ट 24

10 मोहर्रम के दिन अपने घर वालों पर दस्तरख़्वान को वसीअ करने की बड़ी फ़ज़ीलत है। यानी कि इस दिन अपने घर वालों को अच्छा से अच्छा और उम्दा चीज़ खिलाएं। इसकी बड़ी फ़ज़ीलत है कि साल पर ख़ुशफ़राखी रहती है।
लेकिन आजकल लोगों ने इसे कुछ इस तरह लिया है कि दुनिया भर की चीज़ें घर मे बनाते है हत्ता की दिन का एक बड़ा वक़्त ख़ाना बनाने में ही निकल जाता और बाद में लोग इतना खाते भी नही और बसा अवक़ात ये Waste भी होता और नालियों में बहाया जाता।
⚠️तो इस तरह न करें ये दस्तरख़ान वसीअ करना नही बल्कि अनाज की बेहुरमती है, इससे परहेज़ करें।

पार्ट 25
“हम *बरैली* वाले हैं”
🪻हमने *अहले बैत* की इज़्ज़त और उनसे वफ़ा, *आलाहज़रत इमाम अहमद रज़ा ख़ाँ बरेलवी अलैहिर्रहमा* से सीखी है।
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पार्ट 26
“मुफ़्ती आज़म हिन्द अपने फ़ज़लो कमाल के आईने में” नाम की एक क़िताब है, जिसके सफ़ा नम्बर 12 में हुज़ूर मुफ़्ती ए आज़म हिन्द अलैहिर्रहमाह के कमालात का ज़िक़्र है।
⚠️अग़र किसी ने तावीज़ लिखने के लिए काग़ज़ दिया तो मुफ़्ती ए आज़म हिन्द अलैहिर्रहमाह उससे बचने वाला काग़ज़ भी वापस फ़रमा देते थे।
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✨“हुज़ूर मुफ़्ती ए आज़म हिन्द हज़रत मुस्तफ़ा रज़ा ख़ाँ रदियल्लाहो तआला अन्हो 'मुत्तक़ी ए आज़म' थे।”


पार्ट 28
मैं *ग़रीब* हूँ तो क्या है
आपका दर तो *बादशाह* है
मुझे मिल गया है *आपकी ज़ात का सहारा*
*“सरकार-ए गौस आज़म”* नज़र-ए करम ख़ुदारा
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_रदी अल्लाहो त-आला अन्हो✨_
पार्ट 29
जैसा की Corona Covid-19 के दौरान सफ़ाई का ख़ास ख़्याल रखा गया, इसी असना में नमाज़ के लिए किया जाने वाला वज़ू हमारे लिए फायदेमंद है। दौरान-ए वज़ू अल्हम्दुलिल्लाह हाथों को, चेहरों को धोया जाता है। और अल्हम्दुलिल्लाह हमनें इस वबा से निजात पाई। अभी फील वक़्त Conjunctivitis Flu(आई फ्लू) नाम की वबा चल रही है। लेहाज़ा दौरान-ए वज़ू चंद मर्तबा दोनों आंखों में साफ़ पानी के छींटे दें ताकि हमारी आंखे Bacterial infection से महफ़ूज़ रहें।
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⚠️ये मेरा Personal Opinion है, लेहाज़ा मौके की नज़ाकत को देखते हुए तर्ज़-ए अमल करें।

पार्ट 30
करूँ शुक्र कितना और फ़ख्र कितना करूँ,
के तेरे करम ने मुझे *“फ़ाइज़-उल मराम”** किया
और बना कर *“सैय्यद-ए आलम”* का उम्मती मुझको,
गुनाह से पहले ही बख्शीश का इंतज़ाम किया
_____________
_सल्लल्लाहु त-आला अलैही वसल्लम_
**फ़ाइज-उल मराम-:* मक़सद में कामयाब, मुराद पाने वाला

पार्ट 31
आज मुसलमान भी Friendship का दिन मना रहे और दोस्ती के नाम पर फहशाई को आम कर रहे।कभी कोशिश की है कि इसके तह तक पहुँचे या इसके नुक़्त-ए नज़र को पहचाने ?
दोस्ती तो वो थी जो 1450 साल पहले निभाई गयी।
क्या आप भुल गए ग़ार वाला वाक़या ?
क्या आप भुल गए हिज़रत का वाक़या ?
वो असहाब-ए कहफ़ का वाक़या जिसमें एक कुत्ता, अल्लाह वालों की सुहबत इख्तियार कर लेता है और उसका उसे एजाज ये मिला कि वो जन्नत में जाएगा एक इंसान की शक्ल में।1/2

पार्ट 32

वो वाक़या भी क्या भूल गए जिसमे एक लागर कुत्ता, अल्लाह वालों के दर पर बैठा करता था। जब एक शेर उन अल्लाह वालों की गाय को ले जाता है तो ये कुत्ता उस शेर को फाड़ देता है।
⚠️क्या आज भी हमें बताना पड़ेगा कि दोस्ती का मिजाज और उसका हुस्न क्या है ? क्या हमनें कभी कोशिश की हमारे दोस्त व अहबाब अल्लाह वाले हों ताकि उनकी सुहबत पाकर हम भी सिराते मुस्तक़ीम के राह पर गामज़न हों ? जन्नत की तलब हम सबको है, लेकिन वो किस राह पर मिलेगी ये हम जानना नही चाहते। 2/2
Friendship Day, Birthday, Valentine Day और शादी की तकरिबात etc जैसी चीज़ों पर मुस्लिम औरतें अपनी तस्वीरें लेकर इधर-उधर Forward करती हैं। वो इस चीज़ का बड़ी दयानतदारी से ख़्याल रखें कि सोशल मीडिया पर लुटेरों की कमी नही और इसी social media पर एक ऐसा application भी है जो इज़्ज़तों को तार-तार कर सकता है।
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⚠️लेहाज़ा इस्लाम के सांचो में ढलें, अल्लाह व रसूल अलैहिस्सलाम की ख़ुशनूदी हासिल करने की कोशिश करें। सिर्फ़ कनीज़-ए फ़ातिमा ज़हरा कह भर लेने से मकसद हासिल नही होता। अमल के सांचे में ढलना पड़ता है।
पार्ट 33

*हुज़ूर अमीने शरीअत अल्लामा मौलाना हज़रत सिब्तैन रज़ा खान रदियल्लाहो तआला अन्हो* जब बरेली शरीफ़ से सफ़र कर करके छत्तीसगढ़ के सुदूर जंगलात में मौजूद शहर, शहर-ए कांकेर छत्तीसगढ़ तब्लीग़ ए दीन के लिए तशरीफ लाये। जब आप यहां आए तब यहां चारों तरफ़ जाहिलियत आम थी। आपने दीनो सुन्नियत की तब्लीग़ घूम घूम कर की। यहां तक के आप दीन की ख़ातिर दिन भर साइकिल पे घूमते।  सुबह सफ़ेद कपड़ों में निकलते और तब्लीग़ ए दीनो सुन्नियत में इतनी मेहनत करते कि शाम को वापस आते वक़्त आपके कपड़े धूल से लाल रंग के हो जाते। (कांकेर जो एरिया है वो पहाड़ी पर बसा है और उसकी जो धूल-मिट्टी है वो सुर्ख़ रंग की है) आपकी तब्लीग़ की बरक़त ही है कि आज यहां इतने उलमा हैं जो अवाम को दीनो सुन्नियत का दर्स दे रहे और उनकी आख़िरत के रास्ते को हमवार कर रहे।

भले ही आज हुज़ूर अमीने शरीअत अलैहिर्रहमाह का मज़ार बरेली शरीफ़ में है लेकिन आज भी आपके मुरीदीन, मुतवस्सीलिन और अक़ीदत मन्द हज़रात शहरे कांकेर को महज कांकेर नही कहते। आप की 50 साला से ज़ाईद अज़ीम खिदमात का ही नतीज़ा है कि आपके मुरीदीन की ज़बान पर आज भी कांकेर,कांकेर नही बल्कि *“कांकेर शरीफ़”* है।

⚠️अल्हम्दुलिल्लाह, जब भी हम मुरीदीन कांकेर शरीफ़ पहुँचते है तो आज भी वहां हज़रत की रूहानी मौजूदगी का अहसास पाते हैं। रब तआला हज़रत के दरज़ात बुलन्द फ़रमाए।
आमिन या रब्बल आलमीन...💫

पार्ट 34

कुछ लोगों की उम्रें कम होतीं हैं लेकिन वो अपने उम्र से कहीं ज़्यादा बड़ी और मसलेहत भरी बातें करते हैं
उनकी बातें, उनसे ज़्यादा उम्र वालों को सीख दे जाती हैं
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#..........?

पार्ट 35

हम दांतों को ज़्यादा कुछ अहमियत नही देते। बस खाना चबाना है और ज़्यादा कुछ नही की बस हंसे तो चेहरे खूबसूरत दिखें। लेकिन जब उन्ही दांतो और मसूड़ों में वर्म पैदा हो, शदीद दर्द पैदा हो किसी वज़ह से तो हज़रत-ए इंसान किसी मछली की तरह बेचैन होता है जिसे पानी से बाहर निकाल दिया गया हो। अल्लाह तआला की अज़ीम नेअमतों में से एक नेअमत(Gift) दांत है कि ये किस क़द्र इंसान के लिए अहमियत रखता और क्या कुछ इसकी अहमियत है। बन्दा जब किसी बीमारी में या किसी परेशानियों में मुब्तिला होता है तब उसे इन नेअमतों का एहसास होता है जो अल्लाह तआला के फ़ज़्ल से, बन्दे को अता हुआ।
✨शुक्र है उस रब्बे क़दीर का जिसने इंसान को इतना मुअज़्ज़ज़् बनाया और उसे अपने फ़ज़्ल से नवाज़ा और नवाज़ता जा रहा।💜

पार्ट 36

✨इरशाद-ए अमीर-उल मोमिनीन सैयदना हज़रत उमर फ़ारुक़-ए आज़म रदियल्लाहो तआला अन्हो:
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💫आदमी के बे-अक्ल होने के लिए इतना ही काफ़ी है कि उसे जब भी किसी चीज़ के ख़ाने की ख़्वाहिश हो तो उसे खा ले।

पार्ट 37

जब हम किसी दीनी Program में हों या किसी उलमा या मुअज़्ज़ज़ शख्स की सुहबत में हों या मस्जिद में हों तो, जब हमें प्यास लगती है तो हम इन जगहों पर पानी बैठ कर पीते हैं। लेकिन इसके बर'अक्स जब हम किसी दूसरे मक़ामात पर हों For Example School, College, Railway Station, Bus Station, Hotels etc. तो इन जगहों पर पानी पीते वक़्त बाज़ हज़रात सुन्नत की पैरवी भूल जाते या बाज़ लोग बैठ कर पानी पीने में झिझक महसूस करते हैं। सुन्नत-ए रसूल अलैहिस्सलाम की पैरवी में शर्म कैसी ? Science आज ख़ुद तस्लीम करता है कि बैठ कर पानी पीने से बहुत सी बीमारियों से बचा जा सकता है।
⚠️एक सुन्नत को जिंदा करने से 100 शहीदों का सवाब मिलता है। लेहाज़ा, पानी बैठ कर पियें।

पार्ट 39
दाढ़ी मुसलमान की पहचान है। यह गुलाम-ए हुज़ूर अलैहिस्सलाम की जान है।  दाढ़ी ऐसी सुन्नत है जिसकी अल्लाह तआला के प्यारे हबीब हुज़ूर मुहम्मदﷺ ने बारहा तरग़ीब फ़रमाई। लेकिन आजका मुसलमान इस सुन्नत से ग़ाफ़िल है, कोसो दूर है। बाज़ तो इस डर से दाढ़ी नही रखते की मुझे सरकारी नोकरी(Government Job) नही मिलेगी और कोई तो इस डर से नही रखते की लड़की ख़ुबसूरत मिलेगी की नही।
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⚠️हम ख़ुद को हुज़ूर अलैहिस्सलाम का ग़ुलाम तो कहते है लेकिन जब सुन्नत-ए रसूल(दाढ़ी रखने) की बात आए तो हम दूर भागते हैं। जबकि साइंसी एतबार से भी दाढ़ी मर्द के लिए 101% फायदेमंद हैं।

पार्ट 40

एक तरफ़ रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो तआला अलैही वसल्लम की शरीअत और एक तरफ़ तेरी बिरादरी के रस्मो-ओ रिवाज़। लेकिन शादी वाले दिन तेरे रस्मो रिवाज़ जीत गए और तेरी मुहब्बत ए रसूल अलैहिस्सलातो वस्सलाम क्यों नही जीती?💔
वो सिर्फ़ महफ़िल वाले दिन थी या सिर्फ़ रबीउल अव्वल शरीफ़ में थी?❤‍🩹
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💫हम तो दीनदार समझते ही उसे हैं, जिसके यहां शादी हो तो पता चलता है कि कितना दीनदार है। महफ़िल में तो हर कोई दीनदार ही होता है।.................🫥

पार्ट 41
लोग शादियों का आगाज़ क़ुरआन खानी और मिलाद ए मुस्तफ़ा सल्लल्लाहो तआला अलैही वसल्लम से करवाते हैं ताकि बरकत का नुजूल हो !
और जैसे ही मिलाद ए मुस्तफ़ा का इख़्तेताम होता है दूसरे दिन शादी के नाम पर ग़ैर शरई रस्म व रिवाज़ को फ़रोग़ देते नज़र आते हैं ! नाच गाने आजकल की शादियों में आम हो गए है और फिर उनके वीडियो, फ़ोटो बनाकर Status पर डाला जाता है !
⚠️शायद इन्ही सभी ग़ैर शरई हरकतों से आगे चलकर दुल्हा दुल्हन के रिश्तों में बरक़त दिखाई नही देती ! क्योंकि हमनें कोशिश ही नही की अपनी शादियों को सुन्नत के मुताबिक कम खर्चों पर पाए तकमील तक पहुँचाए ! हमें तो अपना विशाल वैभव लोगों के सामने जो लाना था !

पार्ट 42

हज मुकम्मल होते ही जो ख़रीदारी(Shopping) का मुआमला शुरू होता है क्या बताएं? बाज़ार से सामान ख़रीदने में कोई मुमानियत नही है। आप जो मर्ज़ी आए समान ख़रीदे लेकिन जो सामान वहां मिलता है वो दूसरे country जैसे चाइना, अमरीका etc से import होता है। अग़र तुमको वहां से लेना है तो क़ाबा शरीफ़ से ज़म-ज़म का पानी लो, लेना है तो मदीने शरीफ़ की खजूरें लो। ये वो तबर्रुकात है जो आपको कहीं नही मिलेगी।
पता है हमारे बुज़ुर्गों ने क्या किया है ?1/2

...हज पर, उमरे पर गए तो वहां मदिने शरीफ़ से 1किलो शक़्कर ले लिया, 1किलो नमक ले लिया, 1 किलो आटा ले लिया। और लेकर आये अपने घर और जो नमक, आटा, शक्कर की बरनी है उसमें थोड़ा थोड़ा डाल कर मिलाते रहते। और जब ख़त्म हो जाती है तो हुज़ूर अलैहिस्सलाम की बारगाह में 🤲🏻 कहते हैं: हुज़ूर अलैहिस्सलाम! मेरा नमक, मेरी शक्कर, मेरा आटा खत्म हो चुका है। एक मर्तबा बुला लें, ताकि आपका ये ग़ुलाम अपना आटा और नमक तो ले ले आके। इस तरह से एक मुहब्बत का अंदाज़ था रंग था।❤‍🩹✨😓😣
2/2

पार्ट 43

तमाम मुरीदीन, मुतवसीलिन व ख़ुश अक़ीदा मुसलमानों को उर्स-ए ताजुल औलिया हज़रत बाबा ताजुद्दीन रहमतुल्लाह तआला अलैह, उर्स-ए अमीने शरीअत हज़रत सिब्तैन रज़ा अलैहिर्रहमा मुबारक हो....💜
साथ ही हुज़ूर मुफ़्ती अख़्तर रज़ा क़ादरी अलैहिर्रहमा की यौमे पैदाइश की पुर ख़ुलूस मुबारक बाद।
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अल्लाह तआला से दुआ है कि इन बुज़ुर्गाने दीन का फ़ैज़ हम सभी ख़ुशअकीदा लोगों पर जारी व सारी रहे।
आमीन या रब्बल आलमीन✨

पार्ट 44

तमाम ख़ुशअक़ीदा सुन्नी सहीउल अक़ीदा मुसलमानों को उर्स-ए अशरफ़िया मुबारक
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अल्लाह तआला से दुआ है कि मौला करीम हज़रत सैय्यद जहांगीर अशरफ़ का सदक़ा अता करे और आपके फ़ैज़ से हम सभी को मालामाल फ़रमाए।
✨आमिन या रब्बल आलमीन

पार्ट 45

नीर शरीफ़...🫶🏻 बुज़ुर्गों की रिवायतों से पता चलता है कि नीर शरीफ़ का पानी बड़ा ही बरक़त वाला है। [नीर शरीफ़, आस्ताना-ए अशरफिया, किछोछा शरीफ़, उत्तरप्रदेश]

पार्ट 46
एक मर्तबा सुल्तान हज़रत सैय्यद जहांगीर अशरफ़ सिमनानी रहमतुल्लाह तआला अलैह, सिमनान से(जो कि ईरान में मौजूद है) मदीना शरीफ़ अम्मा फातिमा रदियल्लाहो तआला अन्हा के मज़ार-ए मुबारक को हाज़री के लिए निकले। जब आपने हज़रत फ़ातिमा ज़हरा के कब्र शरीफ़ पर हाज़री दी तो कब्र से आवाज़ आई: बेटा! मौत को भूल मत जाना। हज़रत का इतना सुनना था कि आपने सल्तनत को लात मारी और तारिकुस्सल्तनत कहलाए। आप मुल्क-ए सिमनान से ला-इलाहा इल्लल्लाह का फैज़ान लेकर किछोछा मुक़द्दसा आए।
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💜✨💜

तुम्हारे पीर ने तुम्हारी आख़िरत संवारने के लिए हजारो जतन किये हैं।
आज मौका है कि तुम 8th उर्स-ए अमीने शरीअत में, कांकेर शरीफ़ में शिरक़त करके अपने पीर को सच्ची खिराज़-ए अक़ीदत पेश करो।
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ये कभी भी तसव्वुर मत करना कि हज़रत अमीने शरीअत का मज़ार तो बरैली शरीफ़ में है, बल्कि तसव्वुर यही रखना की हमारी रहती ज़िन्दगी और हमारी ज़िंदगी के बाद भी हज़रत की रूहानी तवज्जोह और रूहानी फ़ैज़ आज भी कांकेर में बरस रहा है जिसके छींटे आसपास के बड़े इलाकों पर भी पड़ रहे हैं। और आज उन्ही छीटों में भीगने का वक़्त है।

_✨लेकिन ये याद जरूर रखना, दीवारों के कान हो या न हों मग़र फ़रिश्तो के पास क़लम जरूर है_

सुन्नत-ए रसूल अलैहिस्सलाम को तर्क करके कोई भी इंसान बुलंदी हासिल नही कर सकता।
सुन्नत-ए रसूल ही कामयाबी का जाब्ता है।
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_दाढ़ी रखें_
_सुन्नत भी है और मर्द की खुबसूरती भी_

*⚠️अपील⚠️*
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अल्हम्दुलिल्लाह! मैं काफ़ी वक़्त Short Status लिख रहा हूँ ताकि लोग इसे अपने status पर रखें तो इसे उनके अहबाब, रिश्तेदार पढें, देखें समझें और अमल में लाएं। पहले में बहुत से उनवान के Msg लिखता था लेकिन वक़्त बदला, WhatsApp का सिस्टम बदला और मैंने भी कुछ बदलाव करके तवील msg लिखना बन्द किया और स्टेटस पर लिखने को तवज्जोह देता गया। और अल्हम्दुलिल्लाह रोज़ाना कितने ही msg लिखता सर्कुलेट करता। लेकिन आज थोड़ी फ़िक्रमन्दी होती कि लोग उसे आगे शेयर करते हैं कि नही और कितने तो स्टेटस पर भी नही रखते। सैकड़ो की तादाद में कॉन्टेक्ट है सच कहूं तो 20-30 अफ़राद ही होंगे जो उसे स्टेटस पर रखते हैं।

मैं ये नही कहता कि मेरे ही स्टेटस रखें। में तो यह कहता हूं कि शरीअत की बात होती है और स्टेटस पर रखने से बाज़ दूसरे लोगो की भी तवज्जोह बनती है की लोग MSG कम पढ़ते हैं और स्टेटस ओर तवज्जोह उनकी ज़्यादा होती है।
तो में यही कहता हूं कि स्टेटस पर हमेशा शरीअत के मसाईल और दूसरी जरूरी चीज़ें ही रखें। ताकि आजके ज़रिये दूसरे भी सीखते रहें। दीनी msg बड़े कीमती होते हैं उन्हें आप सोने(Gold) से भी नही ख़रीद सकते। इन्हें महफ़ूज़ रखें और दूसरों में तक़सीम करें।

हमारी ज़िंदगी का कोई भरोसा नही है कि साँसों ने कब साथ छोड़ दिया पता ही नही। जो कुछ कमाया हुआ है वो इल्म है जो आप छोड़ कर जाएंगे। बाद-ए इन्तकाल भी इसका सवाब मिलते रहेगा इंशाअल्लाह तआला।
बात आप समझ गए होंगे। में ज़्यादा कुछ और नही कहना चाहता शायद में आपके साथ आगे के सप्ताह में न रहूं। क्योंकि अब मेरा ये मोबाइल शायद आगे साथ दे।
💜😊
दुआ में याद रखियेगा हमेशा

पार्ट 50

हज़रत-ए इंसान को छोटी छोटी चीज़ों पर अपना दिल छोटा नही करना चाहिए। कोशिश हमेशा यही हो कि दिल आपका हमेशा बड़ा हो। ख़ुद के अंदर, लोगों को हमेशा नवाज़ने की आदत डालें यानी की सखी बने मसलन इस्तेताअत हो तो किसी बच्चे को टॉफ़ी अता करें तो किसी घर को महंगे कपड़े।
_______________________
ख़ुद के लिए अपने आसपास मौजूद चीज़ों से खुशियाँ तलाश करें। असल दरअसल खुशियां हमारे इर्दगिर्द मौजूद होती हैं लेकिन उसे हम महंगे कपड़ो, महंगी गाड़ियों, महंगे फ़ोन में तलाशते हैं।
याद रखें! जिसका दिल बड़ा होगा उसकी खुशियाँ भी बड़ी होंगी...💜😊

पार्ट 51
आप जिसकी सुहबत(Company) में रहेंगे उसका कुछ ना कुछ, थोड़ा असर आप पर पड़ेगा। शेर के बच्चे को आप बकरियों के रेवड़(Herd) में रख दें उसकी सिफ़त(Quality) बकरियों सी हो जाएगी, वो बकरी है।
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🔥क्योंकि शेरों की सुहबत, बन्दे को शेर बनाती है।

पार्ट 52
मेरी आप सभी से एक इल्तिज़ा(Request) है कि आप अपनी पूरी तवज्जोह(Concentration) अल्लाह तआला और रसूल अलैहिस्सलाम की तरफ़ रखें। ज़्यादा इधर उधर न देखें की वसवसों का ज़्यादा ख़तरा है।  कि कौन क्या कर रहा है, कैसे कर रहा, क्यों कर रहा है उसका मामला ऐसा क्यों था ?
_________________
✨मेरा और मेरे रब तआला का मामला ठीक चल रहा है। अल्लाह रसूल के साथ मेरे मामलात ठीक है।
_⚠️यहाँ तो आप किसी को दुआ देंगे, दुआ लेंगे या इस्लाह करेंगे। तनक़ीद(Criticism) की तो वैसे भी इजाज़त(Permission) नही है।😊_



पार्ट 28
मैं *ग़रीब* हूँ तो क्या है
आपका दर तो *बादशाह* है
मुझे मिल गया है *आपकी ज़ात का सहारा*
*“सरकार-ए गौस आज़म”* नज़र-ए करम ख़ुदारा
💜
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_रदी अल्लाहो त-आला अन्हो✨_
पार्ट 29
जैसा की Corona Covid-19 के दौरान सफ़ाई का ख़ास ख़्याल रखा गया, इसी असना में नमाज़ के लिए किया जाने वाला वज़ू हमारे लिए फायदेमंद है। दौरान-ए वज़ू अल्हम्दुलिल्लाह हाथों को, चेहरों को धोया जाता है। और अल्हम्दुलिल्लाह हमनें इस वबा से निजात पाई। अभी फील वक़्त Conjunctivitis Flu(आई फ्लू) नाम की वबा चल रही है। लेहाज़ा दौरान-ए वज़ू चंद मर्तबा दोनों आंखों में साफ़ पानी के छींटे दें ताकि हमारी आंखे Bacterial infection से महफ़ूज़ रहें।
.
⚠️ये मेरा Personal Opinion है, लेहाज़ा मौके की नज़ाकत को देखते हुए तर्ज़-ए अमल करें।

पार्ट 30
करूँ शुक्र कितना और फ़ख्र कितना करूँ,
के तेरे करम ने मुझे *“फ़ाइज़-उल मराम”** किया
और बना कर *“सैय्यद-ए आलम”* का उम्मती मुझको,
गुनाह से पहले ही बख्शीश का इंतज़ाम किया
_____________
_सल्लल्लाहु त-आला अलैही वसल्लम_
**फ़ाइज-उल मराम-:* मक़सद में कामयाब, मुराद पाने वाला

पार्ट 31
आज मुसलमान भी Friendship का दिन मना रहे और दोस्ती के नाम पर फहशाई को आम कर रहे।कभी कोशिश की है कि इसके तह तक पहुँचे या इसके नुक़्त-ए नज़र को पहचाने ?
दोस्ती तो वो थी जो 1450 साल पहले निभाई गयी।
क्या आप भुल गए ग़ार वाला वाक़या ?
क्या आप भुल गए हिज़रत का वाक़या ?
वो असहाब-ए कहफ़ का वाक़या जिसमें एक कुत्ता, अल्लाह वालों की सुहबत इख्तियार कर लेता है और उसका उसे एजाज ये मिला कि वो जन्नत में जाएगा एक इंसान की शक्ल में।1/2

पार्ट 32

वो वाक़या भी क्या भूल गए जिसमे एक लागर कुत्ता, अल्लाह वालों के दर पर बैठा करता था। जब एक शेर उन अल्लाह वालों की गाय को ले जाता है तो ये कुत्ता उस शेर को फाड़ देता है।
⚠️क्या आज भी हमें बताना पड़ेगा कि दोस्ती का मिजाज और उसका हुस्न क्या है ? क्या हमनें कभी कोशिश की हमारे दोस्त व अहबाब अल्लाह वाले हों ताकि उनकी सुहबत पाकर हम भी सिराते मुस्तक़ीम के राह पर गामज़न हों ? जन्नत की तलब हम सबको है, लेकिन वो किस राह पर मिलेगी ये हम जानना नही चाहते। 2/2
Friendship Day, Birthday, Valentine Day और शादी की तकरिबात etc जैसी चीज़ों पर मुस्लिम औरतें अपनी तस्वीरें लेकर इधर-उधर Forward करती हैं। वो इस चीज़ का बड़ी दयानतदारी से ख़्याल रखें कि सोशल मीडिया पर लुटेरों की कमी नही और इसी social media पर एक ऐसा application भी है जो इज़्ज़तों को तार-तार कर सकता है।
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⚠️लेहाज़ा इस्लाम के सांचो में ढलें, अल्लाह व रसूल अलैहिस्सलाम की ख़ुशनूदी हासिल करने की कोशिश करें। सिर्फ़ कनीज़-ए फ़ातिमा ज़हरा कह भर लेने से मकसद हासिल नही होता। अमल के सांचे में ढलना पड़ता है।
पार्ट 33

*हुज़ूर अमीने शरीअत अल्लामा मौलाना हज़रत सिब्तैन रज़ा खान रदियल्लाहो तआला अन्हो* जब बरेली शरीफ़ से सफ़र कर करके छत्तीसगढ़ के सुदूर जंगलात में मौजूद शहर, शहर-ए कांकेर छत्तीसगढ़ तब्लीग़ ए दीन के लिए तशरीफ लाये। जब आप यहां आए तब यहां चारों तरफ़ जाहिलियत आम थी। आपने दीनो सुन्नियत की तब्लीग़ घूम घूम कर की। यहां तक के आप दीन की ख़ातिर दिन भर साइकिल पे घूमते।  सुबह सफ़ेद कपड़ों में निकलते और तब्लीग़ ए दीनो सुन्नियत में इतनी मेहनत करते कि शाम को वापस आते वक़्त आपके कपड़े धूल से लाल रंग के हो जाते। (कांकेर जो एरिया है वो पहाड़ी पर बसा है और उसकी जो धूल-मिट्टी है वो सुर्ख़ रंग की है) आपकी तब्लीग़ की बरक़त ही है कि आज यहां इतने उलमा हैं जो अवाम को दीनो सुन्नियत का दर्स दे रहे और उनकी आख़िरत के रास्ते को हमवार कर रहे।

भले ही आज हुज़ूर अमीने शरीअत अलैहिर्रहमाह का मज़ार बरेली शरीफ़ में है लेकिन आज भी आपके मुरीदीन, मुतवस्सीलिन और अक़ीदत मन्द हज़रात शहरे कांकेर को महज कांकेर नही कहते। आप की 50 साला से ज़ाईद अज़ीम खिदमात का ही नतीज़ा है कि आपके मुरीदीन की ज़बान पर आज भी कांकेर,कांकेर नही बल्कि *“कांकेर शरीफ़”* है।

⚠️अल्हम्दुलिल्लाह, जब भी हम मुरीदीन कांकेर शरीफ़ पहुँचते है तो आज भी वहां हज़रत की रूहानी मौजूदगी का अहसास पाते हैं। रब तआला हज़रत के दरज़ात बुलन्द फ़रमाए।
आमिन या रब्बल आलमीन...💫

पार्ट 34

कुछ लोगों की उम्रें कम होतीं हैं लेकिन वो अपने उम्र से कहीं ज़्यादा बड़ी और मसलेहत भरी बातें करते हैं
उनकी बातें, उनसे ज़्यादा उम्र वालों को सीख दे जाती हैं
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#..........?

पार्ट 35

हम दांतों को ज़्यादा कुछ अहमियत नही देते। बस खाना चबाना है और ज़्यादा कुछ नही की बस हंसे तो चेहरे खूबसूरत दिखें। लेकिन जब उन्ही दांतो और मसूड़ों में वर्म पैदा हो, शदीद दर्द पैदा हो किसी वज़ह से तो हज़रत-ए इंसान किसी मछली की तरह बेचैन होता है जिसे पानी से बाहर निकाल दिया गया हो। अल्लाह तआला की अज़ीम नेअमतों में से एक नेअमत(Gift) दांत है कि ये किस क़द्र इंसान के लिए अहमियत रखता और क्या कुछ इसकी अहमियत है। बन्दा जब किसी बीमारी में या किसी परेशानियों में मुब्तिला होता है तब उसे इन नेअमतों का एहसास होता है जो अल्लाह तआला के फ़ज़्ल से, बन्दे को अता हुआ।
✨शुक्र है उस रब्बे क़दीर का जिसने इंसान को इतना मुअज़्ज़ज़् बनाया और उसे अपने फ़ज़्ल से नवाज़ा और नवाज़ता जा रहा।💜

पार्ट 36

✨इरशाद-ए अमीर-उल मोमिनीन सैयदना हज़रत उमर फ़ारुक़-ए आज़म रदियल्लाहो तआला अन्हो:
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💫आदमी के बे-अक्ल होने के लिए इतना ही काफ़ी है कि उसे जब भी किसी चीज़ के ख़ाने की ख़्वाहिश हो तो उसे खा ले।

पार्ट 37

जब हम किसी दीनी Program में हों या किसी उलमा या मुअज़्ज़ज़ शख्स की सुहबत में हों या मस्जिद में हों तो, जब हमें प्यास लगती है तो हम इन जगहों पर पानी बैठ कर पीते हैं। लेकिन इसके बर'अक्स जब हम किसी दूसरे मक़ामात पर हों For Example School, College, Railway Station, Bus Station, Hotels etc. तो इन जगहों पर पानी पीते वक़्त बाज़ हज़रात सुन्नत की पैरवी भूल जाते या बाज़ लोग बैठ कर पानी पीने में झिझक महसूस करते हैं। सुन्नत-ए रसूल अलैहिस्सलाम की पैरवी में शर्म कैसी ? Science आज ख़ुद तस्लीम करता है कि बैठ कर पानी पीने से बहुत सी बीमारियों से बचा जा सकता है।
⚠️एक सुन्नत को जिंदा करने से 100 शहीदों का सवाब मिलता है। लेहाज़ा, पानी बैठ कर पियें।

पार्ट 39
दाढ़ी मुसलमान की पहचान है। यह गुलाम-ए हुज़ूर अलैहिस्सलाम की जान है।  दाढ़ी ऐसी सुन्नत है जिसकी अल्लाह तआला के प्यारे हबीब हुज़ूर मुहम्मदﷺ ने बारहा तरग़ीब फ़रमाई। लेकिन आजका मुसलमान इस सुन्नत से ग़ाफ़िल है, कोसो दूर है। बाज़ तो इस डर से दाढ़ी नही रखते की मुझे सरकारी नोकरी(Government Job) नही मिलेगी और कोई तो इस डर से नही रखते की लड़की ख़ुबसूरत मिलेगी की नही।
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⚠️हम ख़ुद को हुज़ूर अलैहिस्सलाम का ग़ुलाम तो कहते है लेकिन जब सुन्नत-ए रसूल(दाढ़ी रखने) की बात आए तो हम दूर भागते हैं। जबकि साइंसी एतबार से भी दाढ़ी मर्द के लिए 101% फायदेमंद हैं।

पार्ट 40

एक तरफ़ रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो तआला अलैही वसल्लम की शरीअत और एक तरफ़ तेरी बिरादरी के रस्मो-ओ रिवाज़। लेकिन शादी वाले दिन तेरे रस्मो रिवाज़ जीत गए और तेरी मुहब्बत ए रसूल अलैहिस्सलातो वस्सलाम क्यों नही जीती?💔
वो सिर्फ़ महफ़िल वाले दिन थी या सिर्फ़ रबीउल अव्वल शरीफ़ में थी?❤‍🩹
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💫हम तो दीनदार समझते ही उसे हैं, जिसके यहां शादी हो तो पता चलता है कि कितना दीनदार है। महफ़िल में तो हर कोई दीनदार ही होता है।.................🫥

पार्ट 41
लोग शादियों का आगाज़ क़ुरआन खानी और मिलाद ए मुस्तफ़ा सल्लल्लाहो तआला अलैही वसल्लम से करवाते हैं ताकि बरकत का नुजूल हो !
और जैसे ही मिलाद ए मुस्तफ़ा का इख़्तेताम होता है दूसरे दिन शादी के नाम पर ग़ैर शरई रस्म व रिवाज़ को फ़रोग़ देते नज़र आते हैं ! नाच गाने आजकल की शादियों में आम हो गए है और फिर उनके वीडियो, फ़ोटो बनाकर Status पर डाला जाता है !
⚠️शायद इन्ही सभी ग़ैर शरई हरकतों से आगे चलकर दुल्हा दुल्हन के रिश्तों में बरक़त दिखाई नही देती ! क्योंकि हमनें कोशिश ही नही की अपनी शादियों को सुन्नत के मुताबिक कम खर्चों पर पाए तकमील तक पहुँचाए ! हमें तो अपना विशाल वैभव लोगों के सामने जो लाना था !

पार्ट 42

हज मुकम्मल होते ही जो ख़रीदारी(Shopping) का मुआमला शुरू होता है क्या बताएं? बाज़ार से सामान ख़रीदने में कोई मुमानियत नही है। आप जो मर्ज़ी आए समान ख़रीदे लेकिन जो सामान वहां मिलता है वो दूसरे country जैसे चाइना, अमरीका etc से import होता है। अग़र तुमको वहां से लेना है तो क़ाबा शरीफ़ से ज़म-ज़म का पानी लो, लेना है तो मदीने शरीफ़ की खजूरें लो। ये वो तबर्रुकात है जो आपको कहीं नही मिलेगी।
पता है हमारे बुज़ुर्गों ने क्या किया है ?1/2

...हज पर, उमरे पर गए तो वहां मदिने शरीफ़ से 1किलो शक़्कर ले लिया, 1किलो नमक ले लिया, 1 किलो आटा ले लिया। और लेकर आये अपने घर और जो नमक, आटा, शक्कर की बरनी है उसमें थोड़ा थोड़ा डाल कर मिलाते रहते। और जब ख़त्म हो जाती है तो हुज़ूर अलैहिस्सलाम की बारगाह में 🤲🏻 कहते हैं: हुज़ूर अलैहिस्सलाम! मेरा नमक, मेरी शक्कर, मेरा आटा खत्म हो चुका है। एक मर्तबा बुला लें, ताकि आपका ये ग़ुलाम अपना आटा और नमक तो ले ले आके। इस तरह से एक मुहब्बत का अंदाज़ था रंग था।❤‍🩹✨😓😣
2/2

पार्ट 43

तमाम मुरीदीन, मुतवसीलिन व ख़ुश अक़ीदा मुसलमानों को उर्स-ए ताजुल औलिया हज़रत बाबा ताजुद्दीन रहमतुल्लाह तआला अलैह, उर्स-ए अमीने शरीअत हज़रत सिब्तैन रज़ा अलैहिर्रहमा मुबारक हो....💜
साथ ही हुज़ूर मुफ़्ती अख़्तर रज़ा क़ादरी अलैहिर्रहमा की यौमे पैदाइश की पुर ख़ुलूस मुबारक बाद।
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अल्लाह तआला से दुआ है कि इन बुज़ुर्गाने दीन का फ़ैज़ हम सभी ख़ुशअकीदा लोगों पर जारी व सारी रहे।
आमीन या रब्बल आलमीन✨

पार्ट 44

तमाम ख़ुशअक़ीदा सुन्नी सहीउल अक़ीदा मुसलमानों को उर्स-ए अशरफ़िया मुबारक
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अल्लाह तआला से दुआ है कि मौला करीम हज़रत सैय्यद जहांगीर अशरफ़ का सदक़ा अता करे और आपके फ़ैज़ से हम सभी को मालामाल फ़रमाए।
✨आमिन या रब्बल आलमीन

पार्ट 45

नीर शरीफ़...🫶🏻 बुज़ुर्गों की रिवायतों से पता चलता है कि नीर शरीफ़ का पानी बड़ा ही बरक़त वाला है। [नीर शरीफ़, आस्ताना-ए अशरफिया, किछोछा शरीफ़, उत्तरप्रदेश]

पार्ट 46
एक मर्तबा सुल्तान हज़रत सैय्यद जहांगीर अशरफ़ सिमनानी रहमतुल्लाह तआला अलैह, सिमनान से(जो कि ईरान में मौजूद है) मदीना शरीफ़ अम्मा फातिमा रदियल्लाहो तआला अन्हा के मज़ार-ए मुबारक को हाज़री के लिए निकले। जब आपने हज़रत फ़ातिमा ज़हरा के कब्र शरीफ़ पर हाज़री दी तो कब्र से आवाज़ आई: बेटा! मौत को भूल मत जाना। हज़रत का इतना सुनना था कि आपने सल्तनत को लात मारी और तारिकुस्सल्तनत कहलाए। आप मुल्क-ए सिमनान से ला-इलाहा इल्लल्लाह का फैज़ान लेकर किछोछा मुक़द्दसा आए।
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💜✨💜

तुम्हारे पीर ने तुम्हारी आख़िरत संवारने के लिए हजारो जतन किये हैं।
आज मौका है कि तुम 8th उर्स-ए अमीने शरीअत में, कांकेर शरीफ़ में शिरक़त करके अपने पीर को सच्ची खिराज़-ए अक़ीदत पेश करो।
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ये कभी भी तसव्वुर मत करना कि हज़रत अमीने शरीअत का मज़ार तो बरैली शरीफ़ में है, बल्कि तसव्वुर यही रखना की हमारी रहती ज़िन्दगी और हमारी ज़िंदगी के बाद भी हज़रत की रूहानी तवज्जोह और रूहानी फ़ैज़ आज भी कांकेर में बरस रहा है जिसके छींटे आसपास के बड़े इलाकों पर भी पड़ रहे हैं। और आज उन्ही छीटों में भीगने का वक़्त है।

_✨लेकिन ये याद जरूर रखना, दीवारों के कान हो या न हों मग़र फ़रिश्तो के पास क़लम जरूर है_

सुन्नत-ए रसूल अलैहिस्सलाम को तर्क करके कोई भी इंसान बुलंदी हासिल नही कर सकता।
सुन्नत-ए रसूल ही कामयाबी का जाब्ता है।
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_दाढ़ी रखें_
_सुन्नत भी है और मर्द की खुबसूरती भी_

*⚠️अपील⚠️*
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अल्हम्दुलिल्लाह! मैं काफ़ी वक़्त Short Status लिख रहा हूँ ताकि लोग इसे अपने status पर रखें तो इसे उनके अहबाब, रिश्तेदार पढें, देखें समझें और अमल में लाएं। पहले में बहुत से उनवान के Msg लिखता था लेकिन वक़्त बदला, WhatsApp का सिस्टम बदला और मैंने भी कुछ बदलाव करके तवील msg लिखना बन्द किया और स्टेटस पर लिखने को तवज्जोह देता गया। और अल्हम्दुलिल्लाह रोज़ाना कितने ही msg लिखता सर्कुलेट करता। लेकिन आज थोड़ी फ़िक्रमन्दी होती कि लोग उसे आगे शेयर करते हैं कि नही और कितने तो स्टेटस पर भी नही रखते। सैकड़ो की तादाद में कॉन्टेक्ट है सच कहूं तो 20-30 अफ़राद ही होंगे जो उसे स्टेटस पर रखते हैं।

मैं ये नही कहता कि मेरे ही स्टेटस रखें। में तो यह कहता हूं कि शरीअत की बात होती है और स्टेटस पर रखने से बाज़ दूसरे लोगो की भी तवज्जोह बनती है की लोग MSG कम पढ़ते हैं और स्टेटस ओर तवज्जोह उनकी ज़्यादा होती है।
तो में यही कहता हूं कि स्टेटस पर हमेशा शरीअत के मसाईल और दूसरी जरूरी चीज़ें ही रखें। ताकि आजके ज़रिये दूसरे भी सीखते रहें। दीनी msg बड़े कीमती होते हैं उन्हें आप सोने(Gold) से भी नही ख़रीद सकते। इन्हें महफ़ूज़ रखें और दूसरों में तक़सीम करें।

हमारी ज़िंदगी का कोई भरोसा नही है कि साँसों ने कब साथ छोड़ दिया पता ही नही। जो कुछ कमाया हुआ है वो इल्म है जो आप छोड़ कर जाएंगे। बाद-ए इन्तकाल भी इसका सवाब मिलते रहेगा इंशाअल्लाह तआला।
बात आप समझ गए होंगे। में ज़्यादा कुछ और नही कहना चाहता शायद में आपके साथ आगे के सप्ताह में न रहूं। क्योंकि अब मेरा ये मोबाइल शायद आगे साथ दे।
💜😊
दुआ में याद रखियेगा हमेशा

पार्ट 50

हज़रत-ए इंसान को छोटी छोटी चीज़ों पर अपना दिल छोटा नही करना चाहिए। कोशिश हमेशा यही हो कि दिल आपका हमेशा बड़ा हो। ख़ुद के अंदर, लोगों को हमेशा नवाज़ने की आदत डालें यानी की सखी बने मसलन इस्तेताअत हो तो किसी बच्चे को टॉफ़ी अता करें तो किसी घर को महंगे कपड़े।
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ख़ुद के लिए अपने आसपास मौजूद चीज़ों से खुशियाँ तलाश करें। असल दरअसल खुशियां हमारे इर्दगिर्द मौजूद होती हैं लेकिन उसे हम महंगे कपड़ो, महंगी गाड़ियों, महंगे फ़ोन में तलाशते हैं।
याद रखें! जिसका दिल बड़ा होगा उसकी खुशियाँ भी बड़ी होंगी...💜😊

पार्ट 51
आप जिसकी सुहबत(Company) में रहेंगे उसका कुछ ना कुछ, थोड़ा असर आप पर पड़ेगा। शेर के बच्चे को आप बकरियों के रेवड़(Herd) में रख दें उसकी सिफ़त(Quality) बकरियों सी हो जाएगी, वो बकरी है।
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🔥क्योंकि शेरों की सुहबत, बन्दे को शेर बनाती है।

पार्ट 52
मेरी आप सभी से एक इल्तिज़ा(Request) है कि आप अपनी पूरी तवज्जोह(Concentration) अल्लाह तआला और रसूल अलैहिस्सलाम की तरफ़ रखें। ज़्यादा इधर उधर न देखें की वसवसों का ज़्यादा ख़तरा है।  कि कौन क्या कर रहा है, कैसे कर रहा, क्यों कर रहा है उसका मामला ऐसा क्यों था ?
_________________
✨मेरा और मेरे रब तआला का मामला ठीक चल रहा है। अल्लाह रसूल के साथ मेरे मामलात ठीक है।
_⚠️यहाँ तो आप किसी को दुआ देंगे, दुआ लेंगे या इस्लाह करेंगे। तनक़ीद(Criticism) की तो वैसे भी इजाज़त(Permission) नही है।😊_


पार्ट 28
मैं *ग़रीब* हूँ तो क्या है
आपका दर तो *बादशाह* है
मुझे मिल गया है *आपकी ज़ात का सहारा*
*“सरकार-ए गौस आज़म”* नज़र-ए करम ख़ुदारा
💜
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_रदी अल्लाहो त-आला अन्हो✨_
पार्ट 29
जैसा की Corona Covid-19 के दौरान सफ़ाई का ख़ास ख़्याल रखा गया, इसी असना में नमाज़ के लिए किया जाने वाला वज़ू हमारे लिए फायदेमंद है। दौरान-ए वज़ू अल्हम्दुलिल्लाह हाथों को, चेहरों को धोया जाता है। और अल्हम्दुलिल्लाह हमनें इस वबा से निजात पाई। अभी फील वक़्त Conjunctivitis Flu(आई फ्लू) नाम की वबा चल रही है। लेहाज़ा दौरान-ए वज़ू चंद मर्तबा दोनों आंखों में साफ़ पानी के छींटे दें ताकि हमारी आंखे Bacterial infection से महफ़ूज़ रहें।
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⚠️ये मेरा Personal Opinion है, लेहाज़ा मौके की नज़ाकत को देखते हुए तर्ज़-ए अमल करें।

पार्ट 30
करूँ शुक्र कितना और फ़ख्र कितना करूँ,
के तेरे करम ने मुझे *“फ़ाइज़-उल मराम”** किया
और बना कर *“सैय्यद-ए आलम”* का उम्मती मुझको,
गुनाह से पहले ही बख्शीश का इंतज़ाम किया
_____________
_सल्लल्लाहु त-आला अलैही वसल्लम_
**फ़ाइज-उल मराम-:* मक़सद में कामयाब, मुराद पाने वाला

पार्ट 31
आज मुसलमान भी Friendship का दिन मना रहे और दोस्ती के नाम पर फहशाई को आम कर रहे।कभी कोशिश की है कि इसके तह तक पहुँचे या इसके नुक़्त-ए नज़र को पहचाने ?
दोस्ती तो वो थी जो 1450 साल पहले निभाई गयी।
क्या आप भुल गए ग़ार वाला वाक़या ?
क्या आप भुल गए हिज़रत का वाक़या ?
वो असहाब-ए कहफ़ का वाक़या जिसमें एक कुत्ता, अल्लाह वालों की सुहबत इख्तियार कर लेता है और उसका उसे एजाज ये मिला कि वो जन्नत में जाएगा एक इंसान की शक्ल में।1/2

पार्ट 32

वो वाक़या भी क्या भूल गए जिसमे एक लागर कुत्ता, अल्लाह वालों के दर पर बैठा करता था। जब एक शेर उन अल्लाह वालों की गाय को ले जाता है तो ये कुत्ता उस शेर को फाड़ देता है।
⚠️क्या आज भी हमें बताना पड़ेगा कि दोस्ती का मिजाज और उसका हुस्न क्या है ? क्या हमनें कभी कोशिश की हमारे दोस्त व अहबाब अल्लाह वाले हों ताकि उनकी सुहबत पाकर हम भी सिराते मुस्तक़ीम के राह पर गामज़न हों ? जन्नत की तलब हम सबको है, लेकिन वो किस राह पर मिलेगी ये हम जानना नही चाहते। 2/2
Friendship Day, Birthday, Valentine Day और शादी की तकरिबात etc जैसी चीज़ों पर मुस्लिम औरतें अपनी तस्वीरें लेकर इधर-उधर Forward करती हैं। वो इस चीज़ का बड़ी दयानतदारी से ख़्याल रखें कि सोशल मीडिया पर लुटेरों की कमी नही और इसी social media पर एक ऐसा application भी है जो इज़्ज़तों को तार-तार कर सकता है।
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⚠️लेहाज़ा इस्लाम के सांचो में ढलें, अल्लाह व रसूल अलैहिस्सलाम की ख़ुशनूदी हासिल करने की कोशिश करें। सिर्फ़ कनीज़-ए फ़ातिमा ज़हरा कह भर लेने से मकसद हासिल नही होता। अमल के सांचे में ढलना पड़ता है।
पार्ट 33

*हुज़ूर अमीने शरीअत अल्लामा मौलाना हज़रत सिब्तैन रज़ा खान रदियल्लाहो तआला अन्हो* जब बरेली शरीफ़ से सफ़र कर करके छत्तीसगढ़ के सुदूर जंगलात में मौजूद शहर, शहर-ए कांकेर छत्तीसगढ़ तब्लीग़ ए दीन के लिए तशरीफ लाये। जब आप यहां आए तब यहां चारों तरफ़ जाहिलियत आम थी। आपने दीनो सुन्नियत की तब्लीग़ घूम घूम कर की। यहां तक के आप दीन की ख़ातिर दिन भर साइकिल पे घूमते।  सुबह सफ़ेद कपड़ों में निकलते और तब्लीग़ ए दीनो सुन्नियत में इतनी मेहनत करते कि शाम को वापस आते वक़्त आपके कपड़े धूल से लाल रंग के हो जाते। (कांकेर जो एरिया है वो पहाड़ी पर बसा है और उसकी जो धूल-मिट्टी है वो सुर्ख़ रंग की है) आपकी तब्लीग़ की बरक़त ही है कि आज यहां इतने उलमा हैं जो अवाम को दीनो सुन्नियत का दर्स दे रहे और उनकी आख़िरत के रास्ते को हमवार कर रहे।

भले ही आज हुज़ूर अमीने शरीअत अलैहिर्रहमाह का मज़ार बरेली शरीफ़ में है लेकिन आज भी आपके मुरीदीन, मुतवस्सीलिन और अक़ीदत मन्द हज़रात शहरे कांकेर को महज कांकेर नही कहते। आप की 50 साला से ज़ाईद अज़ीम खिदमात का ही नतीज़ा है कि आपके मुरीदीन की ज़बान पर आज भी कांकेर,कांकेर नही बल्कि *“कांकेर शरीफ़”* है।

⚠️अल्हम्दुलिल्लाह, जब भी हम मुरीदीन कांकेर शरीफ़ पहुँचते है तो आज भी वहां हज़रत की रूहानी मौजूदगी का अहसास पाते हैं। रब तआला हज़रत के दरज़ात बुलन्द फ़रमाए।
आमिन या रब्बल आलमीन...💫

पार्ट 34

कुछ लोगों की उम्रें कम होतीं हैं लेकिन वो अपने उम्र से कहीं ज़्यादा बड़ी और मसलेहत भरी बातें करते हैं
उनकी बातें, उनसे ज़्यादा उम्र वालों को सीख दे जाती हैं
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#..........?

पार्ट 35

हम दांतों को ज़्यादा कुछ अहमियत नही देते। बस खाना चबाना है और ज़्यादा कुछ नही की बस हंसे तो चेहरे खूबसूरत दिखें। लेकिन जब उन्ही दांतो और मसूड़ों में वर्म पैदा हो, शदीद दर्द पैदा हो किसी वज़ह से तो हज़रत-ए इंसान किसी मछली की तरह बेचैन होता है जिसे पानी से बाहर निकाल दिया गया हो। अल्लाह तआला की अज़ीम नेअमतों में से एक नेअमत(Gift) दांत है कि ये किस क़द्र इंसान के लिए अहमियत रखता और क्या कुछ इसकी अहमियत है। बन्दा जब किसी बीमारी में या किसी परेशानियों में मुब्तिला होता है तब उसे इन नेअमतों का एहसास होता है जो अल्लाह तआला के फ़ज़्ल से, बन्दे को अता हुआ।
✨शुक्र है उस रब्बे क़दीर का जिसने इंसान को इतना मुअज़्ज़ज़् बनाया और उसे अपने फ़ज़्ल से नवाज़ा और नवाज़ता जा रहा।💜

पार्ट 36

✨इरशाद-ए अमीर-उल मोमिनीन सैयदना हज़रत उमर फ़ारुक़-ए आज़म रदियल्लाहो तआला अन्हो:
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💫आदमी के बे-अक्ल होने के लिए इतना ही काफ़ी है कि उसे जब भी किसी चीज़ के ख़ाने की ख़्वाहिश हो तो उसे खा ले।

पार्ट 37

जब हम किसी दीनी Program में हों या किसी उलमा या मुअज़्ज़ज़ शख्स की सुहबत में हों या मस्जिद में हों तो, जब हमें प्यास लगती है तो हम इन जगहों पर पानी बैठ कर पीते हैं। लेकिन इसके बर'अक्स जब हम किसी दूसरे मक़ामात पर हों For Example School, College, Railway Station, Bus Station, Hotels etc. तो इन जगहों पर पानी पीते वक़्त बाज़ हज़रात सुन्नत की पैरवी भूल जाते या बाज़ लोग बैठ कर पानी पीने में झिझक महसूस करते हैं। सुन्नत-ए रसूल अलैहिस्सलाम की पैरवी में शर्म कैसी ? Science आज ख़ुद तस्लीम करता है कि बैठ कर पानी पीने से बहुत सी बीमारियों से बचा जा सकता है।
⚠️एक सुन्नत को जिंदा करने से 100 शहीदों का सवाब मिलता है। लेहाज़ा, पानी बैठ कर पियें।

पार्ट 39
दाढ़ी मुसलमान की पहचान है। यह गुलाम-ए हुज़ूर अलैहिस्सलाम की जान है।  दाढ़ी ऐसी सुन्नत है जिसकी अल्लाह तआला के प्यारे हबीब हुज़ूर मुहम्मदﷺ ने बारहा तरग़ीब फ़रमाई। लेकिन आजका मुसलमान इस सुन्नत से ग़ाफ़िल है, कोसो दूर है। बाज़ तो इस डर से दाढ़ी नही रखते की मुझे सरकारी नोकरी(Government Job) नही मिलेगी और कोई तो इस डर से नही रखते की लड़की ख़ुबसूरत मिलेगी की नही।
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⚠️हम ख़ुद को हुज़ूर अलैहिस्सलाम का ग़ुलाम तो कहते है लेकिन जब सुन्नत-ए रसूल(दाढ़ी रखने) की बात आए तो हम दूर भागते हैं। जबकि साइंसी एतबार से भी दाढ़ी मर्द के लिए 101% फायदेमंद हैं।

पार्ट 40

एक तरफ़ रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो तआला अलैही वसल्लम की शरीअत और एक तरफ़ तेरी बिरादरी के रस्मो-ओ रिवाज़। लेकिन शादी वाले दिन तेरे रस्मो रिवाज़ जीत गए और तेरी मुहब्बत ए रसूल अलैहिस्सलातो वस्सलाम क्यों नही जीती?💔
वो सिर्फ़ महफ़िल वाले दिन थी या सिर्फ़ रबीउल अव्वल शरीफ़ में थी?❤‍🩹
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💫हम तो दीनदार समझते ही उसे हैं, जिसके यहां शादी हो तो पता चलता है कि कितना दीनदार है। महफ़िल में तो हर कोई दीनदार ही होता है।.................🫥

पार्ट 41
लोग शादियों का आगाज़ क़ुरआन खानी और मिलाद ए मुस्तफ़ा सल्लल्लाहो तआला अलैही वसल्लम से करवाते हैं ताकि बरकत का नुजूल हो !
और जैसे ही मिलाद ए मुस्तफ़ा का इख़्तेताम होता है दूसरे दिन शादी के नाम पर ग़ैर शरई रस्म व रिवाज़ को फ़रोग़ देते नज़र आते हैं ! नाच गाने आजकल की शादियों में आम हो गए है और फिर उनके वीडियो, फ़ोटो बनाकर Status पर डाला जाता है !
⚠️शायद इन्ही सभी ग़ैर शरई हरकतों से आगे चलकर दुल्हा दुल्हन के रिश्तों में बरक़त दिखाई नही देती ! क्योंकि हमनें कोशिश ही नही की अपनी शादियों को सुन्नत के मुताबिक कम खर्चों पर पाए तकमील तक पहुँचाए ! हमें तो अपना विशाल वैभव लोगों के सामने जो लाना था !

पार्ट 42

हज मुकम्मल होते ही जो ख़रीदारी(Shopping) का मुआमला शुरू होता है क्या बताएं? बाज़ार से सामान ख़रीदने में कोई मुमानियत नही है। आप जो मर्ज़ी आए समान ख़रीदे लेकिन जो सामान वहां मिलता है वो दूसरे country जैसे चाइना, अमरीका etc से import होता है। अग़र तुमको वहां से लेना है तो क़ाबा शरीफ़ से ज़म-ज़म का पानी लो, लेना है तो मदीने शरीफ़ की खजूरें लो। ये वो तबर्रुकात है जो आपको कहीं नही मिलेगी।
पता है हमारे बुज़ुर्गों ने क्या किया है ?1/2

...हज पर, उमरे पर गए तो वहां मदिने शरीफ़ से 1किलो शक़्कर ले लिया, 1किलो नमक ले लिया, 1 किलो आटा ले लिया। और लेकर आये अपने घर और जो नमक, आटा, शक्कर की बरनी है उसमें थोड़ा थोड़ा डाल कर मिलाते रहते। और जब ख़त्म हो जाती है तो हुज़ूर अलैहिस्सलाम की बारगाह में 🤲🏻 कहते हैं: हुज़ूर अलैहिस्सलाम! मेरा नमक, मेरी शक्कर, मेरा आटा खत्म हो चुका है। एक मर्तबा बुला लें, ताकि आपका ये ग़ुलाम अपना आटा और नमक तो ले ले आके। इस तरह से एक मुहब्बत का अंदाज़ था रंग था।❤‍🩹✨😓😣
2/2

पार्ट 43

तमाम मुरीदीन, मुतवसीलिन व ख़ुश अक़ीदा मुसलमानों को उर्स-ए ताजुल औलिया हज़रत बाबा ताजुद्दीन रहमतुल्लाह तआला अलैह, उर्स-ए अमीने शरीअत हज़रत सिब्तैन रज़ा अलैहिर्रहमा मुबारक हो....💜
साथ ही हुज़ूर मुफ़्ती अख़्तर रज़ा क़ादरी अलैहिर्रहमा की यौमे पैदाइश की पुर ख़ुलूस मुबारक बाद।
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अल्लाह तआला से दुआ है कि इन बुज़ुर्गाने दीन का फ़ैज़ हम सभी ख़ुशअकीदा लोगों पर जारी व सारी रहे।
आमीन या रब्बल आलमीन✨

पार्ट 44

तमाम ख़ुशअक़ीदा सुन्नी सहीउल अक़ीदा मुसलमानों को उर्स-ए अशरफ़िया मुबारक
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अल्लाह तआला से दुआ है कि मौला करीम हज़रत सैय्यद जहांगीर अशरफ़ का सदक़ा अता करे और आपके फ़ैज़ से हम सभी को मालामाल फ़रमाए।
✨आमिन या रब्बल आलमीन

पार्ट 45

नीर शरीफ़...🫶🏻 बुज़ुर्गों की रिवायतों से पता चलता है कि नीर शरीफ़ का पानी बड़ा ही बरक़त वाला है। [नीर शरीफ़, आस्ताना-ए अशरफिया, किछोछा शरीफ़, उत्तरप्रदेश]

पार्ट 46
एक मर्तबा सुल्तान हज़रत सैय्यद जहांगीर अशरफ़ सिमनानी रहमतुल्लाह तआला अलैह, सिमनान से(जो कि ईरान में मौजूद है) मदीना शरीफ़ अम्मा फातिमा रदियल्लाहो तआला अन्हा के मज़ार-ए मुबारक को हाज़री के लिए निकले। जब आपने हज़रत फ़ातिमा ज़हरा के कब्र शरीफ़ पर हाज़री दी तो कब्र से आवाज़ आई: बेटा! मौत को भूल मत जाना। हज़रत का इतना सुनना था कि आपने सल्तनत को लात मारी और तारिकुस्सल्तनत कहलाए। आप मुल्क-ए सिमनान से ला-इलाहा इल्लल्लाह का फैज़ान लेकर किछोछा मुक़द्दसा आए।
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💜✨💜

तुम्हारे पीर ने तुम्हारी आख़िरत संवारने के लिए हजारो जतन किये हैं।
आज मौका है कि तुम 8th उर्स-ए अमीने शरीअत में, कांकेर शरीफ़ में शिरक़त करके अपने पीर को सच्ची खिराज़-ए अक़ीदत पेश करो।
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ये कभी भी तसव्वुर मत करना कि हज़रत अमीने शरीअत का मज़ार तो बरैली शरीफ़ में है, बल्कि तसव्वुर यही रखना की हमारी रहती ज़िन्दगी और हमारी ज़िंदगी के बाद भी हज़रत की रूहानी तवज्जोह और रूहानी फ़ैज़ आज भी कांकेर में बरस रहा है जिसके छींटे आसपास के बड़े इलाकों पर भी पड़ रहे हैं। और आज उन्ही छीटों में भीगने का वक़्त है।

_✨लेकिन ये याद जरूर रखना, दीवारों के कान हो या न हों मग़र फ़रिश्तो के पास क़लम जरूर है_

सुन्नत-ए रसूल अलैहिस्सलाम को तर्क करके कोई भी इंसान बुलंदी हासिल नही कर सकता।
सुन्नत-ए रसूल ही कामयाबी का जाब्ता है।
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_दाढ़ी रखें_
_सुन्नत भी है और मर्द की खुबसूरती भी_

*⚠️अपील⚠️*
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अल्हम्दुलिल्लाह! मैं काफ़ी वक़्त Short Status लिख रहा हूँ ताकि लोग इसे अपने status पर रखें तो इसे उनके अहबाब, रिश्तेदार पढें, देखें समझें और अमल में लाएं। पहले में बहुत से उनवान के Msg लिखता था लेकिन वक़्त बदला, WhatsApp का सिस्टम बदला और मैंने भी कुछ बदलाव करके तवील msg लिखना बन्द किया और स्टेटस पर लिखने को तवज्जोह देता गया। और अल्हम्दुलिल्लाह रोज़ाना कितने ही msg लिखता सर्कुलेट करता। लेकिन आज थोड़ी फ़िक्रमन्दी होती कि लोग उसे आगे शेयर करते हैं कि नही और कितने तो स्टेटस पर भी नही रखते। सैकड़ो की तादाद में कॉन्टेक्ट है सच कहूं तो 20-30 अफ़राद ही होंगे जो उसे स्टेटस पर रखते हैं।

मैं ये नही कहता कि मेरे ही स्टेटस रखें। में तो यह कहता हूं कि शरीअत की बात होती है और स्टेटस पर रखने से बाज़ दूसरे लोगो की भी तवज्जोह बनती है की लोग MSG कम पढ़ते हैं और स्टेटस ओर तवज्जोह उनकी ज़्यादा होती है।
तो में यही कहता हूं कि स्टेटस पर हमेशा शरीअत के मसाईल और दूसरी जरूरी चीज़ें ही रखें। ताकि आजके ज़रिये दूसरे भी सीखते रहें। दीनी msg बड़े कीमती होते हैं उन्हें आप सोने(Gold) से भी नही ख़रीद सकते। इन्हें महफ़ूज़ रखें और दूसरों में तक़सीम करें।

हमारी ज़िंदगी का कोई भरोसा नही है कि साँसों ने कब साथ छोड़ दिया पता ही नही। जो कुछ कमाया हुआ है वो इल्म है जो आप छोड़ कर जाएंगे। बाद-ए इन्तकाल भी इसका सवाब मिलते रहेगा इंशाअल्लाह तआला।
बात आप समझ गए होंगे। में ज़्यादा कुछ और नही कहना चाहता शायद में आपके साथ आगे के सप्ताह में न रहूं। क्योंकि अब मेरा ये मोबाइल शायद आगे साथ दे।
💜😊
दुआ में याद रखियेगा हमेशा

पार्ट 50

हज़रत-ए इंसान को छोटी छोटी चीज़ों पर अपना दिल छोटा नही करना चाहिए। कोशिश हमेशा यही हो कि दिल आपका हमेशा बड़ा हो। ख़ुद के अंदर, लोगों को हमेशा नवाज़ने की आदत डालें यानी की सखी बने मसलन इस्तेताअत हो तो किसी बच्चे को टॉफ़ी अता करें तो किसी घर को महंगे कपड़े।
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ख़ुद के लिए अपने आसपास मौजूद चीज़ों से खुशियाँ तलाश करें। असल दरअसल खुशियां हमारे इर्दगिर्द मौजूद होती हैं लेकिन उसे हम महंगे कपड़ो, महंगी गाड़ियों, महंगे फ़ोन में तलाशते हैं।
याद रखें! जिसका दिल बड़ा होगा उसकी खुशियाँ भी बड़ी होंगी...💜😊

पार्ट 51
आप जिसकी सुहबत(Company) में रहेंगे उसका कुछ ना कुछ, थोड़ा असर आप पर पड़ेगा। शेर के बच्चे को आप बकरियों के रेवड़(Herd) में रख दें उसकी सिफ़त(Quality) बकरियों सी हो जाएगी, वो बकरी है।
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🔥क्योंकि शेरों की सुहबत, बन्दे को शेर बनाती है।

पार्ट 52
मेरी आप सभी से एक इल्तिज़ा(Request) है कि आप अपनी पूरी तवज्जोह(Concentration) अल्लाह तआला और रसूल अलैहिस्सलाम की तरफ़ रखें। ज़्यादा इधर उधर न देखें की वसवसों का ज़्यादा ख़तरा है।  कि कौन क्या कर रहा है, कैसे कर रहा, क्यों कर रहा है उसका मामला ऐसा क्यों था ?
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✨मेरा और मेरे रब तआला का मामला ठीक चल रहा है। अल्लाह रसूल के साथ मेरे मामलात ठीक है।
_⚠️यहाँ तो आप किसी को दुआ देंगे, दुआ लेंगे या इस्लाह करेंगे। तनक़ीद(Criticism) की तो वैसे भी इजाज़त(Permission) नही है।😊_


पार्ट 28
मैं *ग़रीब* हूँ तो क्या है
आपका दर तो *बादशाह* है
मुझे मिल गया है *आपकी ज़ात का सहारा*
*“सरकार-ए गौस आज़म”* नज़र-ए करम ख़ुदारा
💜
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_रदी अल्लाहो त-आला अन्हो✨_
पार्ट 29
जैसा की Corona Covid-19 के दौरान सफ़ाई का ख़ास ख़्याल रखा गया, इसी असना में नमाज़ के लिए किया जाने वाला वज़ू हमारे लिए फायदेमंद है। दौरान-ए वज़ू अल्हम्दुलिल्लाह हाथों को, चेहरों को धोया जाता है। और अल्हम्दुलिल्लाह हमनें इस वबा से निजात पाई। अभी फील वक़्त Conjunctivitis Flu(आई फ्लू) नाम की वबा चल रही है। लेहाज़ा दौरान-ए वज़ू चंद मर्तबा दोनों आंखों में साफ़ पानी के छींटे दें ताकि हमारी आंखे Bacterial infection से महफ़ूज़ रहें।
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⚠️ये मेरा Personal Opinion है, लेहाज़ा मौके की नज़ाकत को देखते हुए तर्ज़-ए अमल करें।

पार्ट 30
करूँ शुक्र कितना और फ़ख्र कितना करूँ,
के तेरे करम ने मुझे *“फ़ाइज़-उल मराम”** किया
और बना कर *“सैय्यद-ए आलम”* का उम्मती मुझको,
गुनाह से पहले ही बख्शीश का इंतज़ाम किया
_____________
_सल्लल्लाहु त-आला अलैही वसल्लम_
**फ़ाइज-उल मराम-:* मक़सद में कामयाब, मुराद पाने वाला

पार्ट 31
आज मुसलमान भी Friendship का दिन मना रहे और दोस्ती के नाम पर फहशाई को आम कर रहे।कभी कोशिश की है कि इसके तह तक पहुँचे या इसके नुक़्त-ए नज़र को पहचाने ?
दोस्ती तो वो थी जो 1450 साल पहले निभाई गयी।
क्या आप भुल गए ग़ार वाला वाक़या ?
क्या आप भुल गए हिज़रत का वाक़या ?
वो असहाब-ए कहफ़ का वाक़या जिसमें एक कुत्ता, अल्लाह वालों की सुहबत इख्तियार कर लेता है और उसका उसे एजाज ये मिला कि वो जन्नत में जाएगा एक इंसान की शक्ल में।1/2

पार्ट 32

वो वाक़या भी क्या भूल गए जिसमे एक लागर कुत्ता, अल्लाह वालों के दर पर बैठा करता था। जब एक शेर उन अल्लाह वालों की गाय को ले जाता है तो ये कुत्ता उस शेर को फाड़ देता है।
⚠️क्या आज भी हमें बताना पड़ेगा कि दोस्ती का मिजाज और उसका हुस्न क्या है ? क्या हमनें कभी कोशिश की हमारे दोस्त व अहबाब अल्लाह वाले हों ताकि उनकी सुहबत पाकर हम भी सिराते मुस्तक़ीम के राह पर गामज़न हों ? जन्नत की तलब हम सबको है, लेकिन वो किस राह पर मिलेगी ये हम जानना नही चाहते। 2/2
Friendship Day, Birthday, Valentine Day और शादी की तकरिबात etc जैसी चीज़ों पर मुस्लिम औरतें अपनी तस्वीरें लेकर इधर-उधर Forward करती हैं। वो इस चीज़ का बड़ी दयानतदारी से ख़्याल रखें कि सोशल मीडिया पर लुटेरों की कमी नही और इसी social media पर एक ऐसा application भी है जो इज़्ज़तों को तार-तार कर सकता है।
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⚠️लेहाज़ा इस्लाम के सांचो में ढलें, अल्लाह व रसूल अलैहिस्सलाम की ख़ुशनूदी हासिल करने की कोशिश करें। सिर्फ़ कनीज़-ए फ़ातिमा ज़हरा कह भर लेने से मकसद हासिल नही होता। अमल के सांचे में ढलना पड़ता है।
पार्ट 33

*हुज़ूर अमीने शरीअत अल्लामा मौलाना हज़रत सिब्तैन रज़ा खान रदियल्लाहो तआला अन्हो* जब बरेली शरीफ़ से सफ़र कर करके छत्तीसगढ़ के सुदूर जंगलात में मौजूद शहर, शहर-ए कांकेर छत्तीसगढ़ तब्लीग़ ए दीन के लिए तशरीफ लाये। जब आप यहां आए तब यहां चारों तरफ़ जाहिलियत आम थी। आपने दीनो सुन्नियत की तब्लीग़ घूम घूम कर की। यहां तक के आप दीन की ख़ातिर दिन भर साइकिल पे घूमते।  सुबह सफ़ेद कपड़ों में निकलते और तब्लीग़ ए दीनो सुन्नियत में इतनी मेहनत करते कि शाम को वापस आते वक़्त आपके कपड़े धूल से लाल रंग के हो जाते। (कांकेर जो एरिया है वो पहाड़ी पर बसा है और उसकी जो धूल-मिट्टी है वो सुर्ख़ रंग की है) आपकी तब्लीग़ की बरक़त ही है कि आज यहां इतने उलमा हैं जो अवाम को दीनो सुन्नियत का दर्स दे रहे और उनकी आख़िरत के रास्ते को हमवार कर रहे।

भले ही आज हुज़ूर अमीने शरीअत अलैहिर्रहमाह का मज़ार बरेली शरीफ़ में है लेकिन आज भी आपके मुरीदीन, मुतवस्सीलिन और अक़ीदत मन्द हज़रात शहरे कांकेर को महज कांकेर नही कहते। आप की 50 साला से ज़ाईद अज़ीम खिदमात का ही नतीज़ा है कि आपके मुरीदीन की ज़बान पर आज भी कांकेर,कांकेर नही बल्कि *“कांकेर शरीफ़”* है।

⚠️अल्हम्दुलिल्लाह, जब भी हम मुरीदीन कांकेर शरीफ़ पहुँचते है तो आज भी वहां हज़रत की रूहानी मौजूदगी का अहसास पाते हैं। रब तआला हज़रत के दरज़ात बुलन्द फ़रमाए।
आमिन या रब्बल आलमीन...💫

पार्ट 34

कुछ लोगों की उम्रें कम होतीं हैं लेकिन वो अपने उम्र से कहीं ज़्यादा बड़ी और मसलेहत भरी बातें करते हैं
उनकी बातें, उनसे ज़्यादा उम्र वालों को सीख दे जाती हैं
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#..........?

पार्ट 35

हम दांतों को ज़्यादा कुछ अहमियत नही देते। बस खाना चबाना है और ज़्यादा कुछ नही की बस हंसे तो चेहरे खूबसूरत दिखें। लेकिन जब उन्ही दांतो और मसूड़ों में वर्म पैदा हो, शदीद दर्द पैदा हो किसी वज़ह से तो हज़रत-ए इंसान किसी मछली की तरह बेचैन होता है जिसे पानी से बाहर निकाल दिया गया हो। अल्लाह तआला की अज़ीम नेअमतों में से एक नेअमत(Gift) दांत है कि ये किस क़द्र इंसान के लिए अहमियत रखता और क्या कुछ इसकी अहमियत है। बन्दा जब किसी बीमारी में या किसी परेशानियों में मुब्तिला होता है तब उसे इन नेअमतों का एहसास होता है जो अल्लाह तआला के फ़ज़्ल से, बन्दे को अता हुआ।
✨शुक्र है उस रब्बे क़दीर का जिसने इंसान को इतना मुअज़्ज़ज़् बनाया और उसे अपने फ़ज़्ल से नवाज़ा और नवाज़ता जा रहा।💜

पार्ट 36

✨इरशाद-ए अमीर-उल मोमिनीन सैयदना हज़रत उमर फ़ारुक़-ए आज़म रदियल्लाहो तआला अन्हो:
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💫आदमी के बे-अक्ल होने के लिए इतना ही काफ़ी है कि उसे जब भी किसी चीज़ के ख़ाने की ख़्वाहिश हो तो उसे खा ले।

पार्ट 37

जब हम किसी दीनी Program में हों या किसी उलमा या मुअज़्ज़ज़ शख्स की सुहबत में हों या मस्जिद में हों तो, जब हमें प्यास लगती है तो हम इन जगहों पर पानी बैठ कर पीते हैं। लेकिन इसके बर'अक्स जब हम किसी दूसरे मक़ामात पर हों For Example School, College, Railway Station, Bus Station, Hotels etc. तो इन जगहों पर पानी पीते वक़्त बाज़ हज़रात सुन्नत की पैरवी भूल जाते या बाज़ लोग बैठ कर पानी पीने में झिझक महसूस करते हैं। सुन्नत-ए रसूल अलैहिस्सलाम की पैरवी में शर्म कैसी ? Science आज ख़ुद तस्लीम करता है कि बैठ कर पानी पीने से बहुत सी बीमारियों से बचा जा सकता है।
⚠️एक सुन्नत को जिंदा करने से 100 शहीदों का सवाब मिलता है। लेहाज़ा, पानी बैठ कर पियें।

पार्ट 39
दाढ़ी मुसलमान की पहचान है। यह गुलाम-ए हुज़ूर अलैहिस्सलाम की जान है।  दाढ़ी ऐसी सुन्नत है जिसकी अल्लाह तआला के प्यारे हबीब हुज़ूर मुहम्मदﷺ ने बारहा तरग़ीब फ़रमाई। लेकिन आजका मुसलमान इस सुन्नत से ग़ाफ़िल है, कोसो दूर है। बाज़ तो इस डर से दाढ़ी नही रखते की मुझे सरकारी नोकरी(Government Job) नही मिलेगी और कोई तो इस डर से नही रखते की लड़की ख़ुबसूरत मिलेगी की नही।
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⚠️हम ख़ुद को हुज़ूर अलैहिस्सलाम का ग़ुलाम तो कहते है लेकिन जब सुन्नत-ए रसूल(दाढ़ी रखने) की बात आए तो हम दूर भागते हैं। जबकि साइंसी एतबार से भी दाढ़ी मर्द के लिए 101% फायदेमंद हैं।

पार्ट 40

एक तरफ़ रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो तआला अलैही वसल्लम की शरीअत और एक तरफ़ तेरी बिरादरी के रस्मो-ओ रिवाज़। लेकिन शादी वाले दिन तेरे रस्मो रिवाज़ जीत गए और तेरी मुहब्बत ए रसूल अलैहिस्सलातो वस्सलाम क्यों नही जीती?💔
वो सिर्फ़ महफ़िल वाले दिन थी या सिर्फ़ रबीउल अव्वल शरीफ़ में थी?❤‍🩹
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💫हम तो दीनदार समझते ही उसे हैं, जिसके यहां शादी हो तो पता चलता है कि कितना दीनदार है। महफ़िल में तो हर कोई दीनदार ही होता है।.................🫥

पार्ट 41
लोग शादियों का आगाज़ क़ुरआन खानी और मिलाद ए मुस्तफ़ा सल्लल्लाहो तआला अलैही वसल्लम से करवाते हैं ताकि बरकत का नुजूल हो !
और जैसे ही मिलाद ए मुस्तफ़ा का इख़्तेताम होता है दूसरे दिन शादी के नाम पर ग़ैर शरई रस्म व रिवाज़ को फ़रोग़ देते नज़र आते हैं ! नाच गाने आजकल की शादियों में आम हो गए है और फिर उनके वीडियो, फ़ोटो बनाकर Status पर डाला जाता है !
⚠️शायद इन्ही सभी ग़ैर शरई हरकतों से आगे चलकर दुल्हा दुल्हन के रिश्तों में बरक़त दिखाई नही देती ! क्योंकि हमनें कोशिश ही नही की अपनी शादियों को सुन्नत के मुताबिक कम खर्चों पर पाए तकमील तक पहुँचाए ! हमें तो अपना विशाल वैभव लोगों के सामने जो लाना था !

पार्ट 42

हज मुकम्मल होते ही जो ख़रीदारी(Shopping) का मुआमला शुरू होता है क्या बताएं? बाज़ार से सामान ख़रीदने में कोई मुमानियत नही है। आप जो मर्ज़ी आए समान ख़रीदे लेकिन जो सामान वहां मिलता है वो दूसरे country जैसे चाइना, अमरीका etc से import होता है। अग़र तुमको वहां से लेना है तो क़ाबा शरीफ़ से ज़म-ज़म का पानी लो, लेना है तो मदीने शरीफ़ की खजूरें लो। ये वो तबर्रुकात है जो आपको कहीं नही मिलेगी।
पता है हमारे बुज़ुर्गों ने क्या किया है ?1/2

...हज पर, उमरे पर गए तो वहां मदिने शरीफ़ से 1किलो शक़्कर ले लिया, 1किलो नमक ले लिया, 1 किलो आटा ले लिया। और लेकर आये अपने घर और जो नमक, आटा, शक्कर की बरनी है उसमें थोड़ा थोड़ा डाल कर मिलाते रहते। और जब ख़त्म हो जाती है तो हुज़ूर अलैहिस्सलाम की बारगाह में 🤲🏻 कहते हैं: हुज़ूर अलैहिस्सलाम! मेरा नमक, मेरी शक्कर, मेरा आटा खत्म हो चुका है। एक मर्तबा बुला लें, ताकि आपका ये ग़ुलाम अपना आटा और नमक तो ले ले आके। इस तरह से एक मुहब्बत का अंदाज़ था रंग था।❤‍🩹✨😓😣
2/2

पार्ट 43

तमाम मुरीदीन, मुतवसीलिन व ख़ुश अक़ीदा मुसलमानों को उर्स-ए ताजुल औलिया हज़रत बाबा ताजुद्दीन रहमतुल्लाह तआला अलैह, उर्स-ए अमीने शरीअत हज़रत सिब्तैन रज़ा अलैहिर्रहमा मुबारक हो....💜
साथ ही हुज़ूर मुफ़्ती अख़्तर रज़ा क़ादरी अलैहिर्रहमा की यौमे पैदाइश की पुर ख़ुलूस मुबारक बाद।
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अल्लाह तआला से दुआ है कि इन बुज़ुर्गाने दीन का फ़ैज़ हम सभी ख़ुशअकीदा लोगों पर जारी व सारी रहे।
आमीन या रब्बल आलमीन✨

पार्ट 44

तमाम ख़ुशअक़ीदा सुन्नी सहीउल अक़ीदा मुसलमानों को उर्स-ए अशरफ़िया मुबारक
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अल्लाह तआला से दुआ है कि मौला करीम हज़रत सैय्यद जहांगीर अशरफ़ का सदक़ा अता करे और आपके फ़ैज़ से हम सभी को मालामाल फ़रमाए।
✨आमिन या रब्बल आलमीन

पार्ट 45

नीर शरीफ़...🫶🏻 बुज़ुर्गों की रिवायतों से पता चलता है कि नीर शरीफ़ का पानी बड़ा ही बरक़त वाला है। [नीर शरीफ़, आस्ताना-ए अशरफिया, किछोछा शरीफ़, उत्तरप्रदेश]

पार्ट 46
एक मर्तबा सुल्तान हज़रत सैय्यद जहांगीर अशरफ़ सिमनानी रहमतुल्लाह तआला अलैह, सिमनान से(जो कि ईरान में मौजूद है) मदीना शरीफ़ अम्मा फातिमा रदियल्लाहो तआला अन्हा के मज़ार-ए मुबारक को हाज़री के लिए निकले। जब आपने हज़रत फ़ातिमा ज़हरा के कब्र शरीफ़ पर हाज़री दी तो कब्र से आवाज़ आई: बेटा! मौत को भूल मत जाना। हज़रत का इतना सुनना था कि आपने सल्तनत को लात मारी और तारिकुस्सल्तनत कहलाए। आप मुल्क-ए सिमनान से ला-इलाहा इल्लल्लाह का फैज़ान लेकर किछोछा मुक़द्दसा आए।
__________________
💜✨💜

तुम्हारे पीर ने तुम्हारी आख़िरत संवारने के लिए हजारो जतन किये हैं।
आज मौका है कि तुम 8th उर्स-ए अमीने शरीअत में, कांकेर शरीफ़ में शिरक़त करके अपने पीर को सच्ची खिराज़-ए अक़ीदत पेश करो।
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ये कभी भी तसव्वुर मत करना कि हज़रत अमीने शरीअत का मज़ार तो बरैली शरीफ़ में है, बल्कि तसव्वुर यही रखना की हमारी रहती ज़िन्दगी और हमारी ज़िंदगी के बाद भी हज़रत की रूहानी तवज्जोह और रूहानी फ़ैज़ आज भी कांकेर में बरस रहा है जिसके छींटे आसपास के बड़े इलाकों पर भी पड़ रहे हैं। और आज उन्ही छीटों में भीगने का वक़्त है।

_✨लेकिन ये याद जरूर रखना, दीवारों के कान हो या न हों मग़र फ़रिश्तो के पास क़लम जरूर है_

सुन्नत-ए रसूल अलैहिस्सलाम को तर्क करके कोई भी इंसान बुलंदी हासिल नही कर सकता।
सुन्नत-ए रसूल ही कामयाबी का जाब्ता है।
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_दाढ़ी रखें_
_सुन्नत भी है और मर्द की खुबसूरती भी_

*⚠️अपील⚠️*
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अल्हम्दुलिल्लाह! मैं काफ़ी वक़्त Short Status लिख रहा हूँ ताकि लोग इसे अपने status पर रखें तो इसे उनके अहबाब, रिश्तेदार पढें, देखें समझें और अमल में लाएं। पहले में बहुत से उनवान के Msg लिखता था लेकिन वक़्त बदला, WhatsApp का सिस्टम बदला और मैंने भी कुछ बदलाव करके तवील msg लिखना बन्द किया और स्टेटस पर लिखने को तवज्जोह देता गया। और अल्हम्दुलिल्लाह रोज़ाना कितने ही msg लिखता सर्कुलेट करता। लेकिन आज थोड़ी फ़िक्रमन्दी होती कि लोग उसे आगे शेयर करते हैं कि नही और कितने तो स्टेटस पर भी नही रखते। सैकड़ो की तादाद में कॉन्टेक्ट है सच कहूं तो 20-30 अफ़राद ही होंगे जो उसे स्टेटस पर रखते हैं।

मैं ये नही कहता कि मेरे ही स्टेटस रखें। में तो यह कहता हूं कि शरीअत की बात होती है और स्टेटस पर रखने से बाज़ दूसरे लोगो की भी तवज्जोह बनती है की लोग MSG कम पढ़ते हैं और स्टेटस ओर तवज्जोह उनकी ज़्यादा होती है।
तो में यही कहता हूं कि स्टेटस पर हमेशा शरीअत के मसाईल और दूसरी जरूरी चीज़ें ही रखें। ताकि आजके ज़रिये दूसरे भी सीखते रहें। दीनी msg बड़े कीमती होते हैं उन्हें आप सोने(Gold) से भी नही ख़रीद सकते। इन्हें महफ़ूज़ रखें और दूसरों में तक़सीम करें।

हमारी ज़िंदगी का कोई भरोसा नही है कि साँसों ने कब साथ छोड़ दिया पता ही नही। जो कुछ कमाया हुआ है वो इल्म है जो आप छोड़ कर जाएंगे। बाद-ए इन्तकाल भी इसका सवाब मिलते रहेगा इंशाअल्लाह तआला।
बात आप समझ गए होंगे। में ज़्यादा कुछ और नही कहना चाहता शायद में आपके साथ आगे के सप्ताह में न रहूं। क्योंकि अब मेरा ये मोबाइल शायद आगे साथ दे।
💜😊
दुआ में याद रखियेगा हमेशा

पार्ट 50

हज़रत-ए इंसान को छोटी छोटी चीज़ों पर अपना दिल छोटा नही करना चाहिए। कोशिश हमेशा यही हो कि दिल आपका हमेशा बड़ा हो। ख़ुद के अंदर, लोगों को हमेशा नवाज़ने की आदत डालें यानी की सखी बने मसलन इस्तेताअत हो तो किसी बच्चे को टॉफ़ी अता करें तो किसी घर को महंगे कपड़े।
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ख़ुद के लिए अपने आसपास मौजूद चीज़ों से खुशियाँ तलाश करें। असल दरअसल खुशियां हमारे इर्दगिर्द मौजूद होती हैं लेकिन उसे हम महंगे कपड़ो, महंगी गाड़ियों, महंगे फ़ोन में तलाशते हैं।
याद रखें! जिसका दिल बड़ा होगा उसकी खुशियाँ भी बड़ी होंगी...💜😊

पार्ट 51
आप जिसकी सुहबत(Company) में रहेंगे उसका कुछ ना कुछ, थोड़ा असर आप पर पड़ेगा। शेर के बच्चे को आप बकरियों के रेवड़(Herd) में रख दें उसकी सिफ़त(Quality) बकरियों सी हो जाएगी, वो बकरी है।
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🔥क्योंकि शेरों की सुहबत, बन्दे को शेर बनाती है।

पार्ट 52
मेरी आप सभी से एक इल्तिज़ा(Request) है कि आप अपनी पूरी तवज्जोह(Concentration) अल्लाह तआला और रसूल अलैहिस्सलाम की तरफ़ रखें। ज़्यादा इधर उधर न देखें की वसवसों का ज़्यादा ख़तरा है।  कि कौन क्या कर रहा है, कैसे कर रहा, क्यों कर रहा है उसका मामला ऐसा क्यों था ?
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✨मेरा और मेरे रब तआला का मामला ठीक चल रहा है। अल्लाह रसूल के साथ मेरे मामलात ठीक है।
_⚠️यहाँ तो आप किसी को दुआ देंगे, दुआ लेंगे या इस्लाह करेंगे। तनक़ीद(Criticism) की तो वैसे भी इजाज़त(Permission) नही है।😊_


पार्ट 53
12 रबीउल अव्वल शरीफ़ के बाद लोगों के स्टेटस देख अब यही लग रहा है की हम बस फोटोबाजी और वीडीयोबाजी वाले मुसलमान है
❤‍🩹😰

पार्ट 54

अल्लाह तआला ने मां के रहम में बच्चे की परवरिश का कितना ख़ास इंतजाम किया है कि बच्चे को मां के रहम(Womb) में जो गिज़ा मिलती है वो उसे मुंह से नही मिलती बल्कि एक नाल(Umbilical Cord) होती है जो बच्चे की नाभी से अटैच होती है और बच्चा जो मां की रहम में परवरीश पाता है वो मां के हैज का खून होता है जो बच्चे के लिए गिजा में तब्दील हो जाता है। और यही वजह है की जब रहम में नुत्फा करार पा जाता है तो औरत को हैज़ का खून आना बन्द हो जाता।
⚠️पता चला की रहम में इतना ख़ास इंतजाम अल्लाह तआला की जानिब से है की बच्चे का मुंह हमेशा पाक रहे की उसने अल्लाह तआला का ज़िक्र करना है...1/2

...और फिर जब इस बच्चे की पैदाइश होती है तो फ़िर वो नाल काट दी जाती है और अब बच्चा मुंह के ज़रिए अपनी गिज़ा लेना शुरू करता है और एक वक्त ऐसा भी आता है कि गलत सुहबत और वालिदैन की सही परवरीश न पाकर वही बच्चा बिगड़ जाता है और फ़िर सुनसान जगहों, बंद कमरों और जंगलात में जाकर उसी मुंह में गलाज़त उडेलता है, शराब पीता है, गांजा अफीम पीता है। हत्ता की उस पाक मुंह से गंदी गंदी गालियां भी बकता है।😰
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⚠️खुदारा अपने हाल पर रहम खाएं और अपने मुंह को पाक-साफ़ रखें, हराम चीजों से बचें।2/2

पार्ट 55
...और फिर जब इस बच्चे की पैदाइश होती है तो फ़िर वो नाल काट दी जाती है और अब बच्चा मुंह के ज़रिए अपनी गिज़ा लेना शुरू करता है और एक वक्त ऐसा भी आता है कि गलत सुहबत और वालिदैन की सही परवरीश न पाकर वही बच्चा बिगड़ जाता है और फ़िर सुनसान जगहों, बंद कमरों और जंगलात में जाकर उसी मुंह में गलाज़त उडेलता है, शराब पीता है, गांजा अफीम पीता है। हत्ता की उस पाक मुंह से गंदी गंदी गालियां भी बकता है।😰
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⚠️खुदारा अपने हाल पर रहम खाएं और अपने मुंह को पाक-साफ़ रखें, हराम चीजों से बचें।2/2

पार्ट 56
इंसान झूट पर झूट बोलता है और बोलता चला जाता है। यहां तक कि एक वक्त ऐसा भी आता है की लोग उसकी सच्ची बातों का भी एतबार नही करते, की ये शख्स तो हमेशा झूट ही बोलता है।
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इस लिए सच के नुमाइंदे बनो, सच को अपनाओ। झूट बोलकर किसकी दुनिया बनी है, जो आपकी बनेगी। झूट, इंसान की दुनिया भी ख़राब करता है और आखिरत भी।❤‍🩹

पार्ट 57
उन लोगों को और उन कंटेंट को बिलकुल भी अपने स्टेटस पर जगह न दो जिन्हें हुजूर अलैहिस्सलाम का नाम मुबारक लेने की रत्ती भर भी तमीज न हो या उन कंटेंट में वो अल्फाज़ की कमी महसूस हो जैसे की शरीअत ने हुक्म फरमाया है।
रिवायतों में है की हुज़ूर का नाम(मुहम्मद) इस तरह न पुकारा जाए जैसा कि हम एक दूसरे को पुकारते हैं। बल्कि आपका नाम जब भी लिया जाए अदब के सारे तकाज़े पूरे किए जाएं और दरूद शरीफ़ पढ़ा जाए, सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम।
⚠️लिहाजा, इस बात को जिंदगी भर के लिए अपने दिल पर पेवस्त कर लें की जब कभी कोई चीज़ सोशल मीडिया पर या दीगर जगह पर मिली और उसमे अदब को मल्हुज़ नही रखा गया है तो उसे इधर उधर न भेजें।
पार्ट 58
इंसान दिन भर की भागदौड़ में ऐसे ऐसे मराहिल से भी गुजरता है जिसमें कई कई दफा उसकी ज़ात को क़ल्बी तकलीफ पहुंच ही जाती है, लेकिन एक कामिल मोमिन का तरीका यही है की उन तकलीफ़ का बोझ अपने दिल पर सह ले और सब्र का मुज़ाहरा करे। तकलीफ़ देह बातों पर सब्र कर लेना और दरगुज़र की जिंदगी जीना और मुआफ़ करने की आदत डालना एक कामिल मोमिन की निशानी है। और फिर सब्र करने वालों को, दरगुज़र की जिंदगी गुजारने वालों के लिए तो बड़ा सवाब है।✨

पार्ट 59
अजमेर शरीफ़ जाना, कोई पिकनिक स्पॉट जाना नही है।
हुज़ूर ख़्वाजा गरीब नवाज़ रहमतुल्लाह तआला अलैह की बारगाह बड़ी मुबारक बारगाह है। यहां हाजरी इस तरह दी जाए की मानों बादशाह के दर पे फ़कीर हाजिर हो।
लेकिन कितनों ही को देखा गया है की, वहां जाते हैं तो ऐसा महसूस करवाते की वो उस दर-ए पाक पर महज़ सैर-ओ तफरीह की गर्ज़ से जा रहे।
⚠️जब कभी आप सरकारों की बारगाह में जाएं तो खुद को बिल्कुल खाली करके जाएं। और ये भी ख़्याल रखें की पानी उन्हीं कांसो(बर्तन) में भरा जाता है जो खाली होता है।

पार्ट 60
हर हाल में *अल्हम्दुलिल्लाह* कहें और खुश रहें,
क्यूंकि आप की जिंदगी बहुत लोगों से बेहतर है।✨
*_🥰अल्हम्दुलिल्लाह_*

पार्ट 62
दाढ़ी हुज़ूर अलैहिस्सलाम की सुन्नत है। और अल्लाह तआला ने औरत को नही दी, सिर्फ़ मर्द को अता की। तो दाढ़ी नेक होके नही रखनी चाहिए बल्कि दाढ़ी रख कर बंदा नेक हो जाता है। और दाढ़ी रखनी भी है तो अपनी मर्ज़ी की नही बल्कि अल्लाह तआला और रसूल अलैहिस्सलाम के बताए तरीके पर।
कोशिश करें, दाढ़ी रखें।
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⚠️दाढ़ी से बंदा खुबसूरत और प्यारा लगता है। दाढ़ी रसूलों, नबियों, सहाबियों, वलियों, बुजुर्गों सबका तरीका है।(अलैहिस्सलाम, रज़िअल्लाहो त'आला अन्हुमा अजमईन)✨😊

पार्ट 63
हमारे सूफ़िया फ़रमाते हैं:  इंसान की मिसाल उस बच्चे की तरह है जो अभी बहुत छोटा है और अपने वालिदैन से आग का अंगारा मांग रहा है। बच्चा जितनी मर्ज़ी भी रोए, आह-ओ ज़ारी करे लेकिन वालिदैन जानते है कि जो ये मांग रहा है वो आग है और ये इसे जला देगी। उसे देते नही, हज़रत इंसान की मिसाल भी कुछ इसी तरह है।
✨मिसाल समझें-: बच्चे का गला ख़राब है उसे Tonsils की शिकायतें हैं लेकिन वो ice cream की ज़िद करता है। मां के ज़ेब में पैसे हैं, बाप को अल्लाह तआला ने ताक़त दी है वो अपने बच्चे के लिए 10 Ice Cream ख़रीद सकता है। लेकिन उन्हें पता है कि बच्चे का गला ख़राब है, आइसक्रीम खाएगा तो मजीद ज़्यादा बीमार हो जाएगा।1/2

...वो देखते हैं कि ये सख़्त बेचैन है और तड़प रहा है लेकिन वो लेके नही देते की, यह इसके हक़ में बेहतर नही है।
*📖मफ़हूम ए हदीस है: अल्लाह तआला तुम्हारी सारी दुआएं क़ुबूल करता है। उसके तीन तरीके हैं: या तो तुम जो मांग रहे हो, वही तुम्हें अता कर देता है। या जो तुम मांग रहे हो, वो तुम्हारे हक़ में बेहतर नही है तो रब करीम उसके बदले तुम्हें कुछ और दे देता है। और कई दफ़ा तो ऐसा होता है तुम्हारे हक़ में कुछ भी बेहतर नही होता, लेकिन रब तुम्हारी दुआ फिर भी रद्द नही करता है। तीसरी सूरत में रब तुम्हारी दुआओं को, ज़खीरा कर लेता है और उन दुआओं के बदले में अल्लाह तआला तुम्हे क़यामत में अज़्र अता कर देगा। 2/2*

पार्ट 63
हज़रत-ए इंसान मुआशरे को अपनी बारीक निगाहों से देखने लगे और फ़िर उसके दिल में दीन का दर्द हो और वो मुआशरे की भलाई मकसूद रखता हो तो उसके क़लम से हमेशा लोगों के लिए इस्लाह के अल्फाज़ ही निकलेंगे।
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और फिर लिखना भी एक नेअमत है जो फ़ज़ल-ए मौला तआला है।

पार्ट 65
*Call पर कुछ बोलने और Msg पर कुछ लिखने से पहले 10 बार सोचें...*
_Recording और Screen Shot का जमाना है।_
😄

पार्ट 66

मदीना शरीफ़ कोई सेल्फी की जगह नही की मियां साहब मक्का मदीना जा रहे और वहां जाकर दौरान ए तवाफ़ सेल्फी, ज़मज़म के पास सेल्फी, हजरे असवद के पास सेल्फी, खाना-ए काबा के सामने सेल्फी और कुछ तो इतने जाहिल सरीखे हो जाते की बेगम का वहीं हाथ पकड़ते और रिल्स बनाते। यहां तक कि जहां दुआ के लिए हाथ उठने थे तो वहां हाथो में बस मोबाइल और सेल्फी।❤‍🩹
✨इतने मुकद्दस मकामात पर जाकर भी हज़रत-ए इंसान, मोबाइल और सेल्फी का ज़हनी मरीज बना बैठा है। जबकि उन हज़रात की क़ल्बी कैफियत दरयाफ्त करें, जो चाहते हैं कहीं से बस ज़ादे-सफ़र(सफ़र के सामान का बंदोबस्त) हो जाए और ये हुजूर अलैहिस्सलाम की बारगाह में हाजरी देकर बस अपने मुकद्दर को सराहे।✨🥹

पार्ट 67

🪻हज़रत सैय्यदना सिद्दीक-ए अकबर रदिअल्लाहो तआला अन्हो के हवाले से सूफिया ने बड़ा प्यारा नुक्ता बयान किया है, फरमाते हैं: गार में हज़रत सिद्दीक-ए अकबर पहले गए थे  और कहा: हुज़ूर आप बाद में आएं। और पहले गार को पूरा साफ़ किया।
✨सूफिया ने यहां सूफिया का नुक्ता दिया है: वो कहते हैं, जो चाहता है की उसके दिल में हुज़ूर आएं तो पहले सिद्दीक-ए अकबर को ले जाएं। जब वो सफ़ाई कर देंगे तो हुज़ूर ख़ुद ब ख़ुद आ जायेंगे।
*⚠️अगर सिद्दीक-ए अकबर अंदर न हों तो भूल जाइए की आपको किसी और का कुर्ब हासिल होगा।*

पार्ट 68
आप अपने लहज़े में हुस्न-ए अख़लाक़ पैदा करें। आपके पैसों पर किसी को नही जीना है और न ही आपके पैसों से रोज़ रोटी खानी है। आप किसी को रोज़ राशन देंगे तो कोई थोड़ी खाता है अल्लाह तआला देता है तो लोग खाते हैं। लेकिन आप जब किसी ग़रीब के घर जाकर किसी ग़रीब रिश्तेदार के घर जाकर उसकी मुट्ठी में चार पैसे देकर आते हैं तो उसके गिरे हुए आंसू अल्लाह तआला की रहमत को आपके क़रीब कर देते हैं। जब आप अमीर होकर किसी ग़रीब के घर जाते हैं और वहां जाकर जो दुआएं और लहज़े आप लेते हैं वो ज़िन्दगी बदल देती है।
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⚠️फिर ऐसी खुशियां आती हैं कि बज़ाहिर आपके चेहरे से तो ख़ुशी नही झलकती, लेकिन आपके सारे वजूद को फूल बना देती है।

पार्ट 69
आजका दौर बड़ा पुरफितन है। लोगों ने अपनी तबिअत और नफ्स की पैरवी करते हुए उन तकाज़ो को दरकिनार कर दिया है जो कभी हज़रत-ए इंसान के लिए ख़ास अहमियत रखते और उसे मुमताज बनाते थे। आज जब साइंस ने जदीद तरक्की करली है और सोशल मीडिया का ज़माना आ गया है जहां एक तरफ लड़के मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे वहीं दूसरी तरफ़ लड़कियां भी इससे पीछे नही हैं। और बाज़ अवक़ात तो ऐसा भी होता है अपोजिट जेंडर की तरफ़ नफ्स बहकाता भी है यानी की दौरान-ए मोबाइल का इस्तेमाल अनजान लड़का या लड़की का अट्रेक्सन एक दूसरे की तरफ होता है और अक्सर यहां से फितने का आगाज़ होना शुरू हो जाता है...1/3

...जहां एक लड़की का या एक लड़के का अपने अपोजिट जेंडर की तरफ माइल होना या अट्रैक्ट होना और वो अट्रैक्ट नजर का भी हो सकता, चेहरे की खूबसूरती की भी हो सकती, आवाज की भी हो सकती और बाज़ कितने ही लोग इसे इश्क, प्यार, मुहब्बत का नाम देते। और कई ऐसे मामलात मैने देखें हैं जो प्यार का नाम देकर निकाह से पहले ही सेक्सुअल रिलेशनशिप तक पहुंच जाती है। और कई दफा तो ये भी होता है की जब मामलात एक तरफा हो जाते हैं तो खुद को नुकसान पहुंचाने, तकलीफ़ देने तक पहुंच जाती है। और ये भी देखा गया है की जब वालिदैन राजी न हों तो लड़का लड़की गलत क़दम उठाने से भी गुरेज़ नही करते...2/3

...इस पूरी तहरीर का निचोड़ बिल-आख़िर यही निकला की सोशल मीडिया का रिश्ता, और इसका अट्रैक्सन महज़ फसाना है। शरीयत के खिलाफ़ जाकर, वालिदैन की नाराज़गी मोल लेकर आपकी जिंदगी नही बननी है। शादी के पहले love अफेयर और अक्सर love अफेयर फिजिकल रिलेशनशिप पर जाकर के खत्म हो जाते हैं। जहां एक बेहतरीन मुआशरा इसकी इजाजत कतई तौर पर नही देता। 3/3
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पार्ट 71
जो शौहर[Husband] शरीअत का हुक़्म जानता है, वो कभी अपनी बीवी[Wife] के हक़ की ख़यानत[Dishonesty/बेईमानी] न करेगा ! और जो औरत शरीअत के हुक़्म के मुताबिक जज़ा और सज़ा[Gift&Punishment] से वाकिफ़ है, वो हर हाल में शौहर की एहसानमन्द[Gracious] रहेगी, और हमेशा उसे ख़ुश रखने की कोशिश करेगी !
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⚠️बीवी के हक़ की ख़यानत से मुराद यहां यह है, कि बाज़ मर्द घर पर बीवी होने के बावजूद इधर उधर मुंह मारते है यानी कि दूसरी औरतों से नाजाइज़ ताल्लुक़ात रखते हैं !

पार्ट 72
✨दवा का काम हमारी जुबान भी करती है, अगर उसका इस्तेमाल सही तरीके किया जाए। जब कोई आपके सामने अपनी परेशानी जाहिर करे, तो ऐसा होता है की आप किन्ही मसलेहत के तहत हेल्प नहीं कर पाएं। पर आप अपनी उसी जुबान से दो बोल मीठे कह कर उसका साथ ज़रूर दे सकते हैं। हज़रत-ए इंसान का किसी परेशान जदा को देख कर बस इतना कह देना की आप परेशान ना हो, अल्लाह करीम सब ठीक कर देगा। उसे बहुत बड़ा सहारा दे देगा। आप चंद मीठे बोल कह कर उसकी दुश्वारी को बहुत हद तक कम कर सकते हैं।
⚠️ याद रखें! हम इंसान अपनी जुबान से जहर भरे अल्फाज़ निकाल कर किसी को क़ल्बी तकलीफ़ पहुंचाते हैं और कभी उन्हीं ज़ुबान से दो बोल मीठे बोलकर किसी के दिल को राहत और ठंडक पहुंचा सकते हैं।🫥

पार्ट 72
✨बाज़ लोगों की ये तबिअत होती है की वो अपने मिजाज़ के हिसाब से ही कभी इस पलड़े पर तो कभी इस पलड़े पर झुक जाते हैं। किसी से दोस्ती हुई तो इस क़दर हुई की जान भी हाजिर, माल भी हाजिर, सारा कुछ हाजिर, घर की बातें भी बता दीं, कारोबार की भी बता दी यानी की सबकुछ उसके नाम कर दिया। लेकिन जब उस शख्स के साथ इख्तेलाफ हुआ तो दोस्त तो दूर की बात है, उसे इंसान मानने से भी इंकार कर दिया(माज़अल्लाह)। *ये तनाव है मिजाज का, इससे इंसान का अखलाकी हुस्न ज़ाया होता है। इससे इंसान की, इंसानी खुबसूरती है वो चली जाती है। किसी ने कहा था की:*
_जब ताल्लुकात हद से बढ़ जाएं तो गम मिलते हैं,_
_इसलिए हम हर शख्स से कम मिलते हैं।_

पार्ट 73

*✨कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनके पास चीज़ें होतीं हैं लेकिन वो छुपाते हैं। सुनें! सादगी इसका नाम नही है, की पैसे आप अंदर छिपा कर पुराने कपड़े पहन कर निकलें।*
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*📃मफहुम-ए हदीस है:* नबी ए करीम अलैहिस्सलाम ने एक शख्स को देखा जो फटे पुराने कपड़े पहना हुआ था, आवाज दी और फरमाया: तुझ पर तो अल्लाह तआला का फ़ज़ल है अच्छे कपड़े पहना कर। अल्लाह तआला जब नेमत देता है तो असर देखना पसंद फरमाता है।

पार्ट 74
✨कुछ अफ़राद ऐसे होते हैं जो अपने अख्लाकी मयार से दिल जीत लेते हैं और फिर दिल बस उन्ही का हो कर रह जाता...
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पार्ट 75
बगैर मुहब्बत के गुज़ारा नहीं होता। घर में सारा कुछ हो, पर घर वालों के दरमियान मुहब्बत न हो तो वहां वक्त नही गुजारा जा सकता। लेकिन छोटा घर हो, गुज़र और आमदनी कम हो मुश्किल से गुजारा होता हो लेकिन जो घर में बसते हों और उन्हें प्यार करना आता हो तो कभी कभी ऐसा भी होता है की दुःख भी इतने जल्दी चला जाता की महसूस भी नही होता की दुःख आया था भी की नही।❤‍🩹
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✨🏠💖🏠💖

पार्ट76
⚠️मेरे बहुत से स्टेटस ऐसे हो जा रहे हैं की बाज़ कितने ही हजरात समझ नहीं पा रहे। तो मैंने अब सोंचा की शायद इन्हें तफसील के तौर समझाते हुए एक और msg इसी पर भेज दिया करूं।
ताकि मेरा मक़सद भी पूरा हो और लोग msg का दूसरा मतलब न निकाल पाएं। की हर शख्स अपने ज़हन की वुसअत के मुताबिक किसी तहरीर को पढ़ता है या समझता है।
बीते कई दिनों से कई msg पर लोगो ने मुझे msg के मुतल्लिक पूछा। और इसी पर ये मैने सोचा है।

पार्ट 77

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में मुहब्बत नाम की कोई चीज़ न हो तो फिर जिंदगी का कोई मज़ा ही नही। आपके पास बड़ा सा घर हो, नौकर हो, बहुत से पैसे हों लेकिन घर में मौजूद लोगों के बीच मुहब्बत व इख्लास न हो तो फिर वक्त गुजरता नही है। लेकिन जब घर में मौजूद लोगों के बीच बेहतर तालमेल(बांडिंग), मुहब्बत व इखलास पाया जाए तो घर में किसी एक शख्स पर आई मुसीबत को घर के पूरे अफ़राद एक साथ हल करते और बाज़ दफे किसी एक फर्द पर आई फाईनेनशियल प्राब्लम का हल भी सब मिलजुलकर निकाल ही लेते। ज्वाइंट फैमली में रहने से बड़े से बड़े दुःख बहुत कम वक्त में दूर हो जाया करते हैं।
उम्मीद है आप समझ गए होंगे।
✨😊

पार्ट 78
*एक बार और तैयबा से फलस्तीन में आ*
*रास्ता देखती है मस्जिद-ए अक्सा तेरा*

🔮हुज़ूर अलैहिस्सलाम ने मेराज की शब में, शब के चंद हिस्सो में ही मस्जिदे हराम(मक्का शरीफ़) से मस्जिदे अक्सा(फलस्तीन) का सफ़र किया। जिसका ज़िक्र कुरान शरीफ में मौजूद है। जब आप सफ़र-ए मेराज से वापस आए तो कुफ्फार ने आपसे पूछना शुरू कर दिया की मस्जिद-ए अक्सा कैसी दिखती है, चूंकि कुफ्फार ने मस्जिद-ए अक्सा देखी हुई थी तो आप अलैहिस्सलाम से पूछने लगे कि मस्जिदे अक्सा में खिड़की कितनी है? दरवाज़े कितने हैं? पिलर कितने हैं?  जब वो सवाल करने लगे तो अल्लाह तआला ने मस्जिदे अक्सा को मेरे सामने कर दिया। वो पूछते जाते और  हुज़ूर अलैहिस्सलाम बताते जाते।

💜एक बार मेरे हुज़ूर अलैहिस्सलाम मस्जिद अक्सा गए तो एक बार मस्जिदे अक्सा, हुज़ूर अलैहिस्सलाम की जियारत के लिए आई।

💫मेरे हुज़ूर एक दफा किसी चीज़ की तरफ़ देख लें तो वहां रहमत के फूल खिलते हैं। मेरे हुजूर तो 17 महीने मस्जिद-ए अक्सा की तरफ मुंह करके नमाज़ पढ़ी है।

_✨एक हदीस का मफहूम है, फरमाया: तीन मस्जिद के लिए सफ़र करना।_
*1. मस्जिद-ए हराम(मक्का शरीफ)*
*2. मस्जिद-ए नबवी(मदीना शरीफ़)*
*3. मस्जिद-ए अल अक्सा(फलस्तीन)*
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_13-10-2023(जुमा)_

पार्ट 69
हमारी इल्मी सलाहियत के क्या ही कहने ?
की जब हम आपस में गुफ्तगू करें तो *जुमेरात और जुमा* को गुरुवार और शुक्रवार कहें।
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और तसव्वुर करते हैं की, हम मुआशरे में इंकलाब लाएंगे।
*गज़ब की सलाहिय्यत है हममें.....🥺😥*

पार्ट 80
_*📃मसअला:* गुस्ल और वुजू का पानी “शौहर” के ज़िम्मा है, चाहे “औरत” मालदार ही हो।_
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*#कानून-ए शरीअत, सफा 339*

✨नुक्ता: मतलब यही की नान-नफका की जिम्मेदारी शौहर पर है। उसी में गुस्ल का पानी, वजू का पानी और पीने का पानी भी है। जहां कहीं पानी की क़िल्लत होती है वहां शौहर तो अपना बंदोबस्त करके फारिग हो जाते हैं लेकिन औरत बेचारी परेशान रहती की कहां से बंदोबस्त हो ? अब अगर औरत की कोई नमाज़ छूटती है तो उबाल शौहर पर होगा।

पार्ट 81
किसी भी रिश्ते में भरोसा, एतबार एक बड़ी चीज़ है। जब ये चीज़ें मौजूद न हो तो तो हर रिश्ते दम तोड़ते हुए नज़र आते हैं।💔
____________
✒️..........?

पार्ट 82

हर इंसान चाहता है की उसका घर साफ़ सुथरा रहे। लेकिन इसका ये मतलब नही की आप अपने घर का कूड़ा दूसरों के घर के सामने या उसके आसपास फेंके।
___________
✨हक्के पड़ोस नाम की भी एक चीज है और फिर इस्लाम ने तो आपको एक तालीम दी है की आपको अपने पड़ोसियों से कैसा रवैय्या रखना है। कहीं ये न हो की हम बरोज़-ए कयामत हुकुकुल इबाद(बंदों का बंदों पर हक़) पर घेरे जाएं?

पार्ट 83
कौम के नौजवानों को वीडियोग्राफी से फुर्सत नही।
मुफ्ती सलमान अजहरी कहीं आ जाएं या चले जाएं तो कौम का नौजवान इनकी नसीहत या इनके दुआ पर आमीन कहने की बजाए इनकी तस्वीर कसी और उनकी वीडियो बनाने पर आमदा रहता है।
समझ नही आता मुआशरा किस सिम्त जा रहा है?........❤‍🩹

पार्ट 84
_👤हमारे यहां कुछ मुसलमान, यहूदियों का Fevor(पक्ष) ले रहे हैं। वो लोग सुरह फातेहा का तर्जुमा कंजूल ईमान पढ़ें। तफसीर पढ़ेंगे तो पाएंगे की,_
✨फरमाया गया: ऐ अल्लाह! उन लोगो का रास्ता चला जिनपर तूने ईनआम किया।
⚠️इनाम याफ़्ता कोन?
*📖 कुरआन-ए मुकद्दस ने बताया: नबी अलैहिस्सलाम की जमाअत, शोहदा की जमाअत, सिद्दीक की जमाअत और सालेहीन की जमाअत। आगे तफसीर में फरमाया गया: या अल्लाह! उन लोगों का रास्ता न चला जिन पर तेरा गज़ब हुआ।* 1/2

...तफसीर की किताबो से आप 1000 रिवायतें उठा कर देखेंगे तो हर जगह गजब शुदा लोगों में, जिससे हम पनाह मांगते हैं की ए अल्लाह! हमें उनके रास्ते पर ना चला।
❔कोई एक तफसीरी इबारत ऐसी नहीं होगी जिसमे गज़बशुदा लोगों में यहूदियों को बयान न किया गया हो।
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*✨हम जब नमाज़ में या गैरे नमाज़ में दुआ करते हैं की ए अल्लाह! जिन पर गजब हुआ उनके रास्ते पर ना चला इसका मतलब यह हुआ कि ए अल्लाह! हमें यहुदियो के रास्ते पर न चला। 2/2*

पार्ट 85
अगर आप अपनी बहन को कह देंगे ऐसे ही जुमला की में ज़रा मुश्किल में हूं, दुआ करना। तो मेरा ख़्याल है बहन फिर मुसल्ला भिगो देती रो-रो कर। भाई और बहन के बीच ये ताल्लुक़ होते हैं, ये प्यार होता है, ये वफा होती है। बेटियों और बहनों से प्यार करें, यारों के लिए बड़ा वक्त है। इन्हे भी वक्त दें। बहने रास्ता देखतीं हैं की चल मेरा भाई कभी 2-4 मिनट की call ही कर दिया करे। कभी पूछा करें, इनको वक्त दिया करें।😊
*⚠️बहन का दिल तो इतना बड़ा होता है की जब कभी आप इसके लिए ₹500 का कोई कपड़ा भी ले जाएंगे न तो ये 2 दिन तक मुहल्ले के लोगों को बताएगी, भाई मेरा बड़ा अच्छा है। घर आया था तो मेरे लिए कपड़े भी लाया।🥺*

पार्ट 86
आपके घर पर पानी न हो, खाना खत्म हो गया हो, बिजली कट-ऑफ हो।
क्या आप सरवाईव कर पाएंगे?
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बस यही हो रहा गजा में
दुआ में याद रखें फलस्तीन को
💔

पार्ट 87

_हर नफ्स को मौत का मज़ा चखना है..._

पार्ट 88

गाजा स्वास्थ्य मंत्रालय के हिसाब से 7 अक्टूबर को हमास के हमले के जवाब में इजराइल के ज़रिए बमबारी शुरू करने के बाद गाजा में 3470 से अधिक इंसान मारे गए हैं, इनमें करीब 1200 बच्चे थे। गाजा की जनसंख्या करीब 22 लाख है। इसकी तकरीबन आधी आबादी 18 साल से कम उम्र की है। कई फलस्तीनियों को बूढ़ा होने का मौका नही मिलता। वे या तो संघर्षों में या संघर्षरत स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के कारण जवानी में ही इंतकाल कर जाते। गाजा के अल अहली हॉस्पिटल में हुई बमबारी के बाद हालात बद से बदतर हो चुके हैं। बिना Anesthesia(बेहोश करने वाली दवा) के घायलों को ज़मीन पर लिटा कर ट्रीटमेंट किया जा रहा।💔

पार्ट 89
बायकाट का यह मतलब नहीं है की आप अपनी मेहनत के पैसे से कोई चीज़ खरीदें और फ़िर उसे ख़राब करके उसकी वीडियो बनाएं। ये आला दर्जे की बेवकूफी है। बल्कि होना तो ये चाहिए था की आप वो चीज न ही खरीदें या अपनी निर्भरता इस चीज़ से खत्म करें या कम कर दें। आप पहले खरीदते हैं और फिर उस चीज को नष्ट करते हैं तो ये आपके ही पैसे का नुकसान है।
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⚠️और मेरे हिसाब से तो सोशल मीडिया पर 95% लोगों को ये भी नही पता होगा कि किस प्रॉडक्ट का बहिष्कार करना और कोनसे प्रॉडक्ट का नही? बस कॉपी पेस्ट करना है, यहां उठाया कॉपी किया और दूसरी तरफ ले जाकर पेस्ट करके पटक दिया। बस यही हो रहा है।

पार्ट 90
कलाईदुल जवाहिर, सफ़ा 10 में दर्ज़ है। हुज़ूर गौस पाक शेख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी बड़े पीर रदियल्लाहो तआला अन्हो इरशाद फ़रमाते हैं मैंने (राह ए ख़ुदा में) *बड़ी बड़ी सख्तियां* और *मशक्कतें* बर्दाश्त की। अग़र वो किसी पहाड़ पर गुजरतीं तो वोह भी फ़ट जाता।
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एक मुज़रिम सियाहकार हूँ मैं हर ख़ता का सज़ावार हूँ
मेरे चारों तरफ़ है अंधेरा रौशनी का तलबगार हूँ मैं
एक दीया ही समझ कर जला दो जालियों पर निगाह जमी है

पार्ट 91
असल में दुःख पूछने वाला मिले तो रोने में मजा आता है। और फिर हर जगह दुःख सुनाया भी नही जाता। कोई ऐसा मिले न की कोई दुःख पूछने वाला भी हो, तशफ्फी देने वाला हो, जिसके कांधे पर सर रख कर बंदा देर तक रोए।
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✨कोशिश करें कि आप लोगों के दुःख बाटने वाले हों। इंशाअल्लाह तआला आपके मसले उन गमजदो की दुआ से हल हो जायेंगे।
💔

पार्ट 92
मोमिन होता ही उल्फत वाला है, मोमिन होता ही मुहब्बत वाला है। उस बन्दे में खैर ही नही, की वो किसी से प्यार न करे न कोई उससे प्यार करे।
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✨मोमिन जो है वो प्यार करता भी है और उससे प्यार किया भी जाता है।💜
पार्ट 93
मैं *ग़रीब* हूँ तो क्या है
आपका दर तो *बादशाह* है
मुझे मिल गया है *आपकी ज़ात का सहारा*
*“सरकार-ए गौस आज़म”* नज़र-ए करम ख़ुदारा
💜
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_रदी अल्लाहो त-आला अन्हो✨_

पार्ट 94
हुज़ूर गौस पाक रदियल्लाहो त'आला अन्हो हर माह की 12 तारीख को हुजूर अलैहिस्सलाम के नाम का लंगर खिलाया करते थे। और धीरे धीरे ये आपकी तरफ मंसूब हो गया और तमाम मुरिदीन अब कयामत तक 11वीं शरीफ़ का लंगर लोगों को खिलाएंगे।💜
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*की मुहम्मद से वफा तूने तो हम तेरे हैं*
*ये जहां चीज़ है क्या लोहो कलम तेरे हैं*
_सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम_

पार्ट 95
जरूरी नही की आप 50 किलो की डेग पकाएंगे तभी हुजूर गौस पाक रहमतुल्लाह तआला अलैह का लंगर होगा बल्कि आप खुलूस से ₹5 की बिस्किट या ₹50 का चावल लाकर भी उसकी न्याज़ दिला कर लोगों को खिलाएंगे न तो भी आप हुजूर गौस पाक के फयूजो बरकात से मालामाल होंगे।
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✨लेहाजा कोशिश करें और अपनी इस्तेताअत और वुसअत के मुताबिक हुजूर गौस पाक की बारगाह में ईसाले सवाब पेश करें और बड़े पीर गौसे पाक रहमतुल्लाह तआला अलैह के फैज़ से मालामाल हो।

पार्ट 96
जब _‘हज़रत-ए इंसान’_ पर *आजमाइश* का दौर आए तो उसे चाहिए की सब्र का मुज़ाहरा करे और *“अल्लाह तआला”* की मसलीहत पर राज़ी रहे।
✨🫶🏻✨
🤗

पार्ट 97
शौहर जब काम पर जाने को सुबह सवेरे निकले और बीवी उसे घर के दरवाजे तक खुश हो कर अलविदा करे
यकीन मानिए, ये अज़दवाजी जिंदगी का असल हुस्न है की एक अल्लाह की बंदी दूसरे अल्लाह के बंदे को निकाह जैसे अज़ीम रिश्ते में बंध कर किस तरह हुस्न-ए अखलाक का मुज़ाहरा करते हुए जिंदगी बशर कर रही।
✨💜✨💜✨💜✨
⚠️ और ऐसी जिंदगी के लिए तरसने की जरुरत कतई तौर पर नही बस आप अपने रिश्तों को अपना अख्लाक का 101% दें और इंशा अल्लाह आपके अख्लाक का हुस्न रिश्तों में खुदबखुद दिखने लगेगा।😊

पार्ट 98

जिसे मैं की हवा लगी
फिर उसे
दवा लगी न दुआ लगी
💯✅
_________________
Note:- ⤵️
Mein(Khud-Pasandi)
(Self Appreciation/Self Complacency)

ये आजकल काकरोच(Cockroach) देख कर, छिपकली(Lizard) देखकर चीख(Scream) मारना ये खौफ(Fear) नही बल्कि फैशन है। इससे पता चलता है बड़ी फैमली है ये अमीर लोग हैं। काकरोच खा जायेगा या छिपकली काट खाएगी। वालिदैन(Parent's)भी साथ देते हैं और कहते हैं अजी हमारा बच्चा बड़ा पढ़ा लिखा है काकरोच से डरता है, चीख मारता है।
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*⚠️ये पढ़े लिखे होने की अलामत नही बल्कि बुजदिल होने की अलामत(Sign) है। कमजोर पड़ना, खौफ खाना, डरना, अल्लाह तआला पर ईमान रखते हुए तवक्कुल में कमजोरी करना(माज़अल्लाह) ये मुसलमान का तो तरीका नही न है।*

पार्ट 99
ये आजकल काकरोच(Cockroach) देख कर, छिपकली(Lizard) देखकर चीख(Scream) मारना ये खौफ(Fear) नही बल्कि फैशन है। इससे पता चलता है बड़ी फैमली है ये अमीर लोग हैं। काकरोच खा जायेगा या छिपकली काट खाएगी। वालिदैन(Parent's)भी साथ देते हैं और कहते हैं अजी हमारा बच्चा बड़ा पढ़ा लिखा है काकरोच से डरता है, चीख मारता है।
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*⚠️ये पढ़े लिखे होने की अलामत नही बल्कि बुजदिल होने की अलामत(Sign) है। कमजोर पड़ना, खौफ खाना, डरना, अल्लाह तआला पर ईमान रखते हुए तवक्कुल में कमजोरी करना(माज़अल्लाह) ये मुसलमान का तो तरीका नही न है।*

पार्ट 100
नज़रों से ऐसी मां और बहनें गुजरीं है जो बहुत कम उम्र में बेवा हो गईं। मग़र उम्र बच्चों के नाम कर दिया। इसे ये पता था कि कल को जब ये बड़े होंगे तो कमरे का दरवाजा बंद कर लेंगे। ये नही पूछेंगे की अम्मा सोई है या जाग रही है। इनका आना जाना अलग से हो जाएगा इनके ताल्लुक़ात अपने हो जाएंगे लेकिन ये बैठी रही(दूसरा निक़ाह नही किया) बच्चों को वक़्त दिया। 💔
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⚠️तो बच्चे इसे क्या सिला(बदला) देते, की रब ने वो सिला दिया कि सबसे पहले जन्नत में दाख़िला अता करेगा।✨




पार्ट 101

पैसों के और दीगर चीज़ों के बलबूते पर आप ताल्लुकात(Rilationship) कायम करेंगे तो ये मुहब्बत नही बल्कि तिजारत होगी। एक बाजार लगेगा रिश्तों का और तिजारत(Business) होगी मुहब्बतों की। फिर जो ज्यादा रेट लगाएगा वो प्यार ज्यादा लूट के ले जाएगा, तो ये काम न करें।
_________________
*⚠️हमने पैसों और दीगर कीमती चीज का शौकीन नही बनना, बस कोशिश करें की आप अपनी शफक्क़त(Kindness) का, मुहब्बतो का और अदब-ओ लिहाज(Respect Ful Manner) का कुछ हिस्सा हमे देते रहें और फिर बात ख़त्म।*

पार्ट 102

पैसों के और दीगर चीज़ों के बलबूते पर आप ताल्लुकात(Rilationship) कायम करेंगे तो ये मुहब्बत नही बल्कि तिजारत होगी। एक बाजार लगेगा रिश्तों का और तिजारत(Business) होगी मुहब्बतों की। फिर जो ज्यादा रेट लगाएगा वो प्यार ज्यादा लूट के ले जाएगा, तो ये काम न करें।
_________________
*⚠️हमने पैसों और दीगर कीमती चीज का शौकीन नही बनना, बस कोशिश करें की आप अपनी शफक्क़त(Kindness) का, मुहब्बतो का और अदब-ओ लिहाज(Respect Ful Manner) का कुछ हिस्सा हमे देते रहें और फिर बात ख़त्म।*

पार्ट 103
जो मरने वाले लोग होते हैं
*उनका जीना कुछ और होता है*
जिनको जाना होता है
*उनका रहना कुछ और तरह का होता है*
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_✨जगह जी लगाने की दुनिया नही है_
_ये इबरत की जां है तमाशा नही है.......💔😥_

पार्ट 104

*✨मफहुम-ए हदीस है: हुजूरﷺ* का इरशाद है कि जिस शख्स ने अपनी बीवी की बद-खुल्की पर सब्र किया अल्लाह तआला उसे मसाइब पर हज़रते अय्यूब अलैहिस्सलाम के सब्र के अज़्र के बराबर अज़्र देगा और जिस औरत ने ख़ाविन्द की बद-खुल्की पर सब्र किया अल्लाह तआला उसे फ़िरऔन की बीवी आसिया के सवाब के मिस्ल सवाब अता फरमाएगा।
______________________________
*#मुकाशिफ़्तुल कुलूब, सफ़ा 488*

पार्ट 105

अल्लाह तआला व रसूल अलैहिस्सलाम के बाद जो हक़ीक़ी मुहब्बत है जिसमें सच्चाई है वो सिर्फ़ वालिदैन(Parents) और भाई-बहन का प्यार है। बाकी सब मे अपना ज़ाती मफाद है। इसी तरह एक लड़का और लड़की का बिना निक़ाह(Marriage) के Relationship में रहना हराम सद हराम है। और जब किसी को समझाया जाए तो कहते हैं कि, नही! हम तो सिर्फ़ दोस्त टाइप के हैं हमारी मुहब्बत सच्ची है। इन नादानों को नही पता की ये जिसे मुहब्बत(Love) कहते हैं उसका आख़री पड़ाव *Sexual Relationship* है और कम्बख़्त इसी को मुहब्बत का नाम देते।
*⚠️इस्लाम में इस तरह की चीज़ों की सख़्त मनाही है, लोगों को इन ख़बासत से बचना चाहिए।*

पार्ट 106

मैं पीर साहब का बड़ा करीबी हूं। तो फिर तेरे अखलाक(Behaviour) बताने चाहिए की तू पीर साहब का बड़ा करीबी है। तेरे ऊपर उसका असर हो तो पता चल जाए की कितना करीबी है। पीर साहब के पास बैठ जाने और पीर के साथ फोटो खिंचवा(तस्वीर-कसी की इजाजत शरिअत नही देती) लेने से कोई करीबी नही हो जाता।
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⚠️आज हमारी सारी नसीहते गैरों के लिए है। हमारे सारे पैगाम(Msg) औरों के लिए है। और जब हमारे अपने घर की बारी आती है, तो बहुत सारे लोग कमजोर पड़ जाते हैं।😥

पार्ट 107

वालिदैन या घर का कोई बड़ा जब किसी छोटे बच्चे या किसी और शख्स से पानी का गिलास मंगाता है तो हो न हो, कभी न कभी एकाध बार पानी का गिलास छूट कर गिर जाता है। और ये साहेबान बिगड़ जाते की देख कर पकड़ नही सकते, इतने बड़े हो गए हो, काम ठीक से करने नही आता। गौर करने की बात है की गिलास किसके हाथ से गिरेगा? उसी से न जो दिन रात पानी का गिलास ला कर दे। या उससे जो पानी का गिलास मंगवाए ? अब बंदा अगर दिन में 10 गिलास भी ला कर देता है और उसे साल भर में करीब वो 4000 गिलास पानी सप्लाई करता है। अब कभी 1-2 मर्तबा गिलास गिर भी गया तो कोई प्राब्लम नही की उसने 4000 गिलास भी तो सप्लाई की...1/2
...अब जबकि गिलास गिर गया तो बच्चे या उस गिराने वाले शख्स को हमदर्दी(Sympathy) देने की बजाए इस पर ही अपनी कड़वाहट निकालने लगते हैं, की देख कर नही कर सकते इतने बड़े हो।
अरे भाई! आपका मिजाज तो ऐसा होना था की उसने 4000 हजार गिलास सप्लाई की लेकिन 1-2 बार गिरा तो उससे कहना था, की बस 1 बार ही गिरा है। इतनी सप्लाई की तो कम से कम 40-50 बार गिरना था। इंसान ही हो न, कोई जिन्न वगैरह तो नही हो न ?
_________________
⚠️पता चला की हम बच्चों का आत्मविश्वास(Confidence) बे-फजुल की बातों से डाउन कर देते हैं।😥2/2

पार्ट 108
*अपनी जिंदगी में एक ही मक़सद रखें की आपने बस खुश रहना है, बाकी सब बेकार की बातें हैं।😊*
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बड़ी बड़ी नौकरी करने वाले भी रोज़ घुटते हैं, ऐसे भी लोग हैं। और छोटी छोटी नौकरी करने वाले, खेतों में काम करने वाले भी एकदम मस्त रहते हैं खुश रहते हैं, ऐसे भी लोग हैं।
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यानी ये समझ लीजिए की आपकी जिंदगी का मक़सद खुश रहना हो। अब चाहे खुशी गरीबी में हो, या मुश्किल हालात में हों या बुरे वक्त में हों या फिर जिंदगी का उतार चढ़ाव। खुशियां अपनी जिंदगी में आपने ही तलाशनी है।😌

पार्ट 109

🥼अगर आप दर्जीयों(Tailor) का काम करते हैं तो
ये *हज़रत इदरीस अलैहिस्सलाम* का तरीका है।
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⚒️अगर आप लोहे(Iron) का काम करते हैं तो
ये *हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम* का तरीका है।
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🌾अगर आप खेती बाड़ी(Farming) का काम करते हैं तो
ये *हजरत आदम अलैहिस्सलाम* का तरीका है।
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🍃अगर आप बकरियां(Goat) चराते हैं तो मफहूम ए रिवायत है की
*सारे नबियों* ने चराई है।
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⚖️अगर आप तिजारत(Business) करते हैं तो
ये मदीने वाले *रसूल अलैहिस्सलाम* का तरीका है।
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🎙️अगर आप मस्जिद के मोअज्जिन हैं, अज़ान पढ़ते है तो
ये *सैय्यदना हज़रत बिलाल रदियअल्लाहो तआला अन्हो* का तरीका है।
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📖अगर आप कुरान पढ़ते, पढ़ाते, सिखाते हैं तो
ये *हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने मसउद रदियअल्लाहो तआला अन्हो* का तरीका है।
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🎤अगर तू नात पढ़ता है तो
ये *हज़रत हस्सान बिन साबित रदियअल्लाहो* तआला अन्हो का तरीका है।
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🕌अगर तू मस्जिद के मिम्बर बैठ कर खुतबा देता है तो
ये *मुहम्मद ए अरबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम* का तरीका है।
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*⚠️तो घबराने की जरूरत क्या है? आप क्यूं घबराते हैं की आप फलां जगह पर हों और ये चीज़ कमजोरी का बाइस है। आप कमजोर क्यूं पड़ते हैं, आपके अंदर ख़ुदएतमादी(Self Confident) तो हो।*

पार्ट 111
🤝लोग माफ़ी नहीं देते, लोग दरगुज़र नही करते। इंसानों से गलतियां हो जाती हैं।
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✨सही मुस्लिम की मफहुम-ए हदीस है: कि अगर कभी किसी बन्दे से कोई गुनाह सरजद हो जाए फिर उसने तौबा कर ली। अगर किसी बन्दे ने दुबारा इस बन्दे को वो गुनाह याद दिलाया तो अल्लाह तआला इसको(याद दिलाने वाले को) मरने से पहले पहले इसे भी उस गुनाह में मुब्तिला कर देगा। अल्लाहु अकबर
*➡️पीर अजमल रज़ा क़ादरी के बयान से अख्ज़*

पार्ट 112
*✨तशरीह:* इश्क ए रसूल की आग में दिल के जलने की जो हल्की हल्की बू आ रही है ये मेरे आका अलैहिस्सलाम की मुबारक आंखों के इश्क की सोजिश से पैदा होती है और इस दिल के इश्क ए रसूल में कबाब होने की जो लज़्ज़त है भला वो हिरण के कबाबों में कहां हो सकती है।

पार्ट 113
सबसे पहले रिज़्क़(Sustananse) को इज़्ज़त(Respect) देना सीखिए।
खाना(Food) अल्लाह त'आला की नेअमत(Gift) है, जब खाना पेश किया जाए तो जरूरी है कि इसके आदाब(Manner's) का ख़्याल रखा जाए।
💯✅
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“Save_Food”

पार्ट 113
पहले निकाह का बड़ा आसान था की बस इज़ाब-व कुबूल था।
लेकिन आज के दौर में सेखी बघारने और दिखाने के चक्कर में लोगों ने निकाह जैसे चीज़ों में बे-फिजूल की चीज़ें दाखिल करके अपने ही नफ्स पर आफ़त मोल ले ली।
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और उन्ही चोचलों में से एक चोचला दौरान-ए निकाह हल्दी और मेहंदी सेरेमनी के नाम पर बेपर्दगी, और दूसरी गैर शरई चीज़ों को फरोग देना है। जिसमें आजका नौजवान तबका इन सेरेमनी को महज़ सोशल मीडिया की ज़ीनत बनाने की गर्ज़ से ही अमल में लाता है। ये तो हाल है हमारा और फिर हम, हमारी शादियों में बरकत तलाशते। हम लोग भी गज़ब हैं...😥

पार्ट 114
*मस्जिद में स्कैनर*

उलमा-ए अहले सुन्नत की बारगाह में यह अर्ज़ी पेश है कि जिस तरह ज़माने के एतिबार से (फुरूई) मसअले-मसाइल बदल जाते हैं, ठीक उसी तरह हालात के एतिबार से तरीक़े भी बदल जाते हैं यानी असल वही रहता है लेकिन उसका तरीक़ा नया हो जाता है।

जैसे पहले मस्जिद का मीनारा नहीं था, बाद में बनाया गया। इसी तरह जमाअत के औकात मखसूस नहीं थे, बाद में लोगों के आसानी के लिए औकात मखसूस किए गए। इसी तरह पहले लोटे से वुजू बनाते थे, अब नल वगैरा पर बनाने का नया तरीक़ा हो गया है। इसी तरह पहले पंखे भी नहीं थे, बाद में पंखा हुआ लेकिन अब Ac वगैरा लगते हैं। पहले माइक नहीं थे, अब माइक से तकरीर वगैरा होती है और भी बहुत सी चीज़ हैं।

कहना ये है, कि जब जदीद चीज़ की बिना पर इतना सारा हो गया तो एक नए जदीद चीज़ को और जारी किया जाए कि अब हर जगह ऑनलाइन पेमेंट का सिस्टम सब लगा है, कहीं भी जाए तो स्कैनर वगैरा के ज़रिए पैसे का लेनदेन होता है, तो ठीक इसी तरह मस्जिद का A/c खुलवा कर उसका स्कैनर बना कर मस्जिद और मदरसे के लिए अलग अलग लिख कर बाहर गेट पर लगवा दिया जाए कि अब 80% ऑनलाइन पेमेंट लोग करते हैं और अक्सर हज़रात Cash नही रखते तो वो जैसे मस्जिद से बाहर निकले तो स्कैनर देख कर पेमेंट कर सकें।

और वैसे भी अभी के दौर में बहुत से लोग इधर-उधर में पैसे ज़्यादा खर्च करते हैं लेकिन नेक काम में खर्च करने से कतराते हैं, और उनका नफ्स उनको एक बहाना भी दे देता है कि "पास पैसे है नहीं तो देगा कैसे" जबकि किसी और काम में दोस्त यार के साथ अय्याशी के लिए कैसे भी कर के पैसे ले आते हैं। तो इस तरह एक अच्छी चीज़ भी राइज हो जायेगी, और लोग बा आसानी इस में हिस्सा भी ले पाएंगे।

पार्ट 115
हमारे पास ढेरों चप्पलें हैं लेकिन हमें हर तिमाही में नई चप्पल चाहिए। हमारी आलमारियां दर्जनों कपड़ों से भरी पड़ीं हैं लेकिन हमें हर माह नए कपड़े चाहिए। हमारे दस्तरखान अल्लाह तआला की दी हुई नेअमतो(Gift) से भरे पड़े हैं लेकिन हमने आज भी दस्तरखान(Tablecloth) में कमी लगती है। हमारे पास दुनिया भर की एशो इशरत(Luxury & Pleasure) की चीजें मौजूद हैं लेकिन फिर भी दिल को सुकून(Peace) नही की बस ये हासिल कर लूं वो हासिल कर लूं।
⚠️सुनो!
✨जिसे शुक्रगुजार(Thankful) दिल और हमेशा करीम रब का शुक्र अदा करने वाली ज़बान मिल गई गोया उसने दो जहां की भलाइयां(Goodness) हासिल कर ली।

पार्ट 116

अगर आप नोकरी करते हैं तो इसमें एक तय शुदा रकम मिलती है मिसाल के तौर पर आप कहीं मुलाजिम हैं तो 7000-10000, और अगर कहीं कंपनी में जॉब करते हैं तो 25हज़ार के करीब और सरकारी नौकरी है तो कहीं ज़्यादा 50 हजार के करीब तनख्वाह पाएंगे। लेकिन आप अगर ख़ुद का कुछ स्टार्टप या बिजनेस करेंगे इससे कहीं ज़्यादा कमा लेंगे और फिर आपको अपने बिजनेस में लगन और मज़ा एक अलग ही लेवल पर ले जाएगा।
⚠️इसलिए छोटी शुरवात करें। अक्सर बड़े ताजिर(बिज़नेस मैन) ने छोटे छोटे कदम बढ़ा कर बड़े मुकाम को हासिल किया है।😊

पार्ट 117

मा-बाप तो हुस्न हैं जिंदगी के, वकार हैं इंसान का। मां बाप का हाथ पकड़ कर चलेंगे तो रास्ते सीधे रहेंगे। और जिस दिन उंगली छोड़ कर सड़क पर निकलना पड़ा न तो सर चकराने लगेगा।
याद रखना! ये बड़ा मुश्किल काम होता है।
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❤‍🩹इंसान का रुख(Dircetion) ही उस दिन मालूम होता है जिस दिन वो साए से महरूम होता है।😥💔

पार्ट 118
_कुरआन-ए करीम फरमाता है_
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*“मर्द अफ़सर है औरतों पर”*
✨💜✨

पार्ट 119
*✨इमाम गज़ाली रदीअल्लाहो तआला अन्हो फरमाते हैं*
💫बुजुर्गों ने फरमाया है औरतों से मशवरा करो लेकिन अमल उसके खिलाफ़ करो। (यानी जरूरी नही कि औरत के हर मशवरे पर अमल किया जाए)
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*#कीम्या-ए सआदत, सफा 263*

पार्ट 120
_📖मिश्कात शरीफ़ की एक हदीस है जिसका मफहुम है:_ *एक मर्द, दूसरे मर्द के साथ और एक औरत, दूसरी औरत के साथ एक कपड़ा ओढ़ कर न लेटे।*
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⚠️कुर्बान जाइए हुजूर अलैहिस्सलाम पर जिन्होंने औरत को औरत के साथ  एक बिस्तर पर एक चादर में आराम करने से मना फरमा दिया। मर्दों में जिस तरह इस हरक़त से कॉम-ए लूत के ना'पाक अमल का खतरा, औरतों में भी उसी फितने का डर।

पार्ट 121
शहरे नबी तेरी गलियों का नक्शा ही कुछ ऐसा है,
खुल्द भी है मुश्ताक-ए ज्यारत जलवा ही कुछ ऐसा है।✨

पार्ट 122
जिंदगी में एक वक्त ऐसा भी आ जाता है जब इंसान बिलकुल अकेला हो जाता। आपने अपनी जिंदगी में देखा ही होगा कहीं न कहीं, कि जब घर में कोई बुज़ुर्ग एक दम ज़्यादा बीमार हो जाएं तो घर में लोग मशवरा करते हैं कि आज तूने रात जागनी है और तीमारदारी करनी है और कल फ़िर मैं रुकूंगा। यानी की वक्त किसी के पास नही है।❤‍🩹
_____________________________
*⚠️आपने अक्सर जनाजो पर शिरकत की होगी। कोई पुकारने वाला पुकारता है की जल्दी करो जी, मेहमान लोग दूर से आए हैं खाना खाकर उन्हे जाना भी है। यानी की कुल महासल यही की अब लोगों के पास वक्त नहीं रह गया है।💔😥*

पार्ट 123
*✨अ़ल्लामा खा़दिम हु़सैन रज़वी अलैहिर्रहमा* अपने एक बयान में कहते हैं के मैंने शादियों में जाना बंद कर दिया है।  मुझे समझ ही नहीं आता के ये मुसलमानों की शादी है ?
(या'नी क्या मुसलमान भी ऐसे शादी करते हैं?)
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पार्ट 124
अगर मजदूर दिन भर कड़ी धूप में मेहनत करके कुछ 100 रुपए कमा कर लाता है तो वो उन करोड़ों रुपए से बेहतर है जो हराम की कमाई से हासिल किए जाएं।
_______________
*✨इसलिए हज़रत-ए इंसान को चाहिए की कभी भी अपने जायज़ कामों में शर्म न करे, कि हलाल की कमाई नसीब होना भी बहुत बड़ी सआदत है।*

पार्ट 125
तकरीबन तकरीबन हर मर्द और औरत को पता ही है की मर्दों को सोने की अंगूठी पहनना हराम है। लेकिन जब बात अमल की आती है तो अकसर मकाम पर कुछ लोग फिसड्डी साबित होते हैं की इनकी तबिअत इन पर ग़ालिब आ जाती है।🤨
✨कुल महासल यही की मर्द को पता है की सोने की अंगूठी नही पहनना है लेकिन जब ख़ुद की शादी होती है तो बड़ी शौक से पहनते है की मियां कुछ देर ही तो पहनना है। और इसी तरह लड़की की मां भी जानती है की मर्द को सोने की अंगूठी नही पहननी है लेकिन शादी में दामाद को बड़े शौक से सोने की अंगूठी पहनने को दी जाती है।
*⚠️पता चला की हम अमल के मैदान में फिसड्डी हैं।*

पार्ट 126
_साल में कम से कम 2 बार हॉस्पिटल के चक्कर लगा कर वहां एडमिट मरीजों को बस करीब से देख कर आ जाना।_
_________________________
*सारा घमंड, तकब्बुर, अना हॉस्पिटल के सीढ़ियों तक पहुंचते पहुंचते ख़त्म हो जाएगा।*
😥💔

पार्ट 127
कभी कभी ऐसा होता की हम घर की किसी जगह पर कुछ हज़ार रुपए या कुछ सौ रुपए रखे होते हैं और फिर एक मुद्दत तक भूल जाते हैं। लेकिन जब याद आता है सामने सख्त जरूरत हो और पता चले की रखे थे ₹1000 रुपए और वहां से निकले ₹10000 रुपए तो फिर खुशी का ठिकाना पूछो मत मत।
*✨हालांकि ये अल्लाह तआला का फजल है। क्या हमने हज़ार ही रखे थे या हमारी जायज जरूरत के पेशे नज़र उन पैसों में बरकत हो गई और हमें गैब से नवाज़ दिया गया।💜😊*
_पता चला की बन्दे को हमेशा *रब तआला* की रज़ा पर रहना चाहिए वो उसके लिए काफी है_

पार्ट 128
चुनाव हर 5 साल में आयेंगे
कुछ लोग चुनाव जीत कर आएंगे तो कुछ हार जाएंगे
और ऐसा चलता रहेगा।
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लेकिन इन चुनाव परिणामों में आप अपने आपसी सम्बन्ध ख़राब न करें, मिल कर रहें। मतदाता की एक एकता ही उसकी ताकत है।
🇮🇳
पार्ट 129
चुनाव कोई भी जीते
पर जितना *“भारत”* ही चाहिए
___________
💜🇮🇳💜

पार्ट 130

💫अपनी जिंदगी में देने वाला मिजाज बनाएं। अब तो दोस्तियां, यारियां, ताल्लुकात, नाते इस बुनियाद पर है की नफा कैसे हासिल किया जा सके। सामने वाले को इस्तेमाल कैसे करना है?
_🔹ये छोटे लोगों की अलामत है, बुजदिलों की अलामत है, कमजोर लोगों की अलामत है। *दिलेर लोग जो होते हैं वो नफा नही लेते।*_
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*✨लोगों में बेहतर लोग वो हैं जो दूसरों को नफ़ा दें...😊*

पार्ट 131
6 दिसंबर को ~Black Day Status~ रखने से अच्छा अपने *मुहल्ले की मस्जिद* को आबाद करना।
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यही सच्ची खिराज़-ए अकीदत होगी तेरी
💔

पार्ट 132
जब हम किसी नेक, पारसा, परहेज़गार से सच्ची पक्की अकीदत-ओ मुहब्बत करते हैं तो लोग हमें कहते न की प्यार बड़ा करते हो, उन जैसे अमल भी तो करो।😪
_______________________
✨अब इंसान है न, गलती तो हो ही जाती है। अब हम अमल नही करते तो क्या तुम हमें नेक लोगों से मुहब्बत भी न करने दोगे ? मेहरबानी तो करिए, प्यार तो करने दीजिए।
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*⚠️एक रिवायत का खुलासा है जो जिससे मुहब्बत करेगा उसका हश्र भी उसके साथ होगा*

पार्ट 133
देखिए! जो शख्स रिश्तों की अहमियत को समझता और उनकी कद्र को जानता है वो हमेशा उन रिश्तों में तालमेल बना कर रखेगा की कभी किसी बात पर कोई खटास पैदा न हो। और बाज़ लोगों को शिकायत भी होती है की दो लोगों के दरमियान एक शख्स दूसरे शख्स को तवज्जोह नही दे रहा जबकि होता इसके बरअक्स है की तवज्जोह तो पूरी है लेकिन फ़िक्र उसकी दिल से है।

पार्ट 134
जो शौहर[Husband] शरीअत का हुक़्म जानता है, वो कभी अपनी बीवी[Wife] के हक़ की ख़यानत[Dishonesty/बेईमानी] न करेगा ! और जो औरत शरीअत के हुक़्म के मुताबिक जज़ा और सज़ा[Gift&Punishment] से वाकिफ़ है, वो हर हाल में शौहर की एहसानमन्द[Gracious] रहेगी, और हमेशा उसे ख़ुश रखने की कोशिश करेगी !
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⚠️बीवी के हक़ की ख़यानत से मुराद यहां यह है, कि बाज़ मर्द घर पर बीवी होने के बावजूद इधर उधर मुंह मारते है यानी कि दूसरी औरतों से नाजाइज़ ताल्लुक़ात रखते हैं !

पार्ट 135
पेशाब और पाखाना का होना भी एक नेअमत है, कि अग़र ये बन्द हो जाये या किसी वजह से इनमें रुकावट आ जाए तो हज़रत ए इंसान का जिस्म एक अज़ीब सी कशमकश और परेशानी के आलम में आ जाता है। आप कभी हॉस्पिटल जाएंगे तो पता चलेगा कि Department Of Nephrology[किडनी विभाग] Department Of Urology[यूरिन विभाग] और Department Of Scatology[मल विज्ञान】 में ऐसे ऐसे मरीज़ मौजूद हैं जो ऐसे ऐसे मर्ज़ और बीमारी से दो चार हो रहे कि यहां बयान करना मुश्किल है। फ़क़ीर ए क़ादरी(writer) ने ख़ुद ब नफ़्स-ए नफ़ीस देखा है कि लोग कैसी कैसी तकलीफ़ों में मुब्तिला हैं।❤‍🩹
लेहाज़ा अग़र आप तंदुरुस्त है तो “करीम रब” का शुक्र अदा करें।

पार्ट 136
हम अक्सर नात सुनते हैं और बहुत सी नातों में हुज़ूर अलैहिस्सलाम का नाम मुबारक भी आता है और अक्सर लोग जलसों में शिरकत करते हैं और जलसों में भी हुज़ूर अलैहिस्सलाम का नाम भी कसरत से ज़िक्र किया जाता है। दो लोग जब आप में बैठते हैं, तो एक शख्स हुज़ूर की सीरत बयान करता है तो दूसरा सुनता है।
क्या इस दौरान हम दरूद-ए पाक पढ़ते हैं ? जबकि हुक्म है की जहां हुज़ूर अलैहिस्लाम ज़िक्र हो कम से कम एक बार दरूद शरीफ़ पढ़ा जाए।
______________
*✨मफहुम-ए हदीस है की वो शख्स बखिल(कंजूस) है जिसके सामने मेरा ज़िक्र हो और वो मुझ पर दरूद ना पढ़े।*

पार्ट 137
*सल्लल्लाहु त'आला अलैहि वसल्लम*

_भी मुकम्मल दरूद शरीफ है_

पार्ट 138
हम
नही
रहे
तो
____________
दुनिया फिर भी चलती रहेगी, जो हमा वक्त याद करते थे और हमसे खुश रहते थे वो भी कुछ वक्त बाद भूल जाएंगे।
😥

पार्ट 140
⚠️हमारे बहुत सारे काम ऐसे हैं जो हम फ़ैशन समझने लगे हैं। मसला ये है कि दिल दुखाते हैं लोगों का और जुर्म ये है कि माफ़ी अल्लाह तआ़ला से माँगने बैठ जाते हैं। हमें तो खुद यही नही मालूम कि हम मुजरिम किसके हैं ? ग़लती क्या की है, और माफ़ी किससे मांग रहे ? हमें तो चाहिए कि पहले इस बात को तअय्युन करें कि मैंने किस किस का दिल दुखाया है और उससे माफ़ी मांग लूं।
...
✨अल्लाह तआ़ला क़ुरआन मजीद में इरशाद फ़रमाता है:- वो लोग जो ईमान वाले मर्द और ईमान वाली औ़रत को तकलीफ़ देते हैं, बहुत बड़ा बोहतान और गुनाह है जो वो अपने खाते में डालते हैं।

पार्ट 141
*हिकायत*
_*👒बीवी की तारीफ़🎊*_

✨एक दानीशवर हैं वो कहते हैं की मेरी अहलिया को एक दिन कहीं जाना था तो वो बड़ी बन संवर कर मेरे साथ गाड़ी में बैठी। वो कहते हैं की जब वो बन संवर कर मेरे साथ गाड़ी में बैठी तो वो तकाजा करने लगी की मैंने कपड़े बड़े उम्दा पहने हैं और आपने तवज्जोह ही नही कराई।

👤वो सयाना बंदा था, वो चाह रहा था की ये समझ जाए। वो समझता था की बंदी मिसगाइड हो गई है पर है बड़ी भोली भाली।

💫दानीशवर ने कहा: नाराज़ न हो तो फिर मैं सही वाली तारीफ़ कर दूं। तो उस बंदी ने कहा की आप कर दें।

*💔तब उस शख्स ने बड़े दर्द से और खुलूस से अपनी बीवी से कहा, मैंने कहा: मैं रोज़ शाम को घर आता हूं, रोज शाम को घर आता हूं। अगर तू मेरे लिए तैयार होती तो मैं तेरी तारीफ़ जरूर करता। लेकिन आज तो तू बाहर जाने के लिए तैयार हुई है तो फिर तू उनसे तारीफ़ की उम्मीद कर जिनके लिए तू तैयार हुई है। मेरे लिए तूने तैयारी की होती तो फिर तो मैं हर शाम तेरे पास होता हूं। दानिशवर का कहना था की मेरे लहज़ो में बड़ा दर्द था तो वो भी रो पड़ी।❤‍🩹🥹*

पार्ट 142

एक शख्श ने अपनी बीवी को तलाक़ देकर दूसरी शादी कर ली। उस शख़्श का बेटा था 7 साल का। एक दिन उस शख्श ने अपने बेटे से पूछा कि बेटा पुरानी अम्मी अच्छी थी या नई अम्मी ? बच्चे ने कहा: अब्बू पुरानी अम्मी तो झूठी थी। नई अम्मी तो सच्ची है अपने बात की पक्की है। बेटे ने बताया कि जब में शरारत करता तो पुरानी अम्मी बोलती की आज तुझे रोटी नही दूंगी, और थप्पड़ मारकर  निकल देती और आधे घन्टे के मुझे ढूंढती, ढूंढ़कर लाती और मिन्नत करती मुझे न सताया कर फिर बाद में ख़ुद रोटी पकाती और घी लगाती और ख़ुद अपने प्यारे हाथों से निवाला बनाकर खिलाती। ख़ुद नहलाती, उजले कपड़े पहनाती और नई अम्मी सच्ची है, में शरारत करता हूँ तो थप्पड़ मार कर निकालती है और कहती है आज तुझे रोटी नही दूंगी और सारा दिन मुझे रोटी नही देती।😣💔

पार्ट 143
सब्र एक तदबीर है। ये आपको सयाना कर देगी। अल्लाह तआला ने आपको जो दिया है उसपर शुक्र अदा करें। अपने इर्द-गिर्द मौजूद लोगों को देख कर परेशान न हों कि उसका घर कितना आलीशान है, उसके पास महंगी महंगी गाड़ियां हैं और कितना ज़्यादा कमाता है। मुश्किलात हमेशा बड़े लोगों पर आती हैं, जो ज़हन के छोटे हों, दिल के छोटे हों उनपर अल्लाह तआला मुसीबतें नही डालता।
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पूछा गया कि सबसे ज़्यादा मुश्किलात किनपे आती हैं तो फ़रमाया: नबियों पर।
फिर अर्ज़ किया: उसके बाद? फ़रमाया: नेक लोगों पे, उलमा पे, सूफ़िया पे, सुल्हा पे।

पार्ट 144
अक़्सर घरों में मियां-बीवी के किस्से हैं कि शादी के बाद कुछ दिन तो बढ़िया कटते हैं फिर ना जाने कभी कभी, कहीं कहीं, कुछ न कुछ नोक झोंक होती है और यह आम तरह का है। लेकिन कभी कभी बात बढ़ भी जाती है।
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⚠️तो ऐसे मियां-बीवी को बल्कि दुनिया के हर Husband-Wife को हुज़ूर अलैहिस्सलाम की मुबारक अज़्दवाज़ी ज़िन्दगी[Mubaark Marriage Life] को क़रीब से जानना, और अमल में लाने की कोशिश करनी चाहिए। हुज़ूर अलैहिस्सलाम की मुबारक ज़िन्दगी हम सब के लिए एक मुबारक पैग़ाम है।

पार्ट 145
हम अपनी अज़्दवाज़ी ज़िन्दगी किस तरह बसर करें इसे जानने के लिए यह पैग़ाम हमें हुज़ूर अलैहिस्सलाम की मुबारक सीरत ए तैय्यबा में मिलता है।
अग़र आपकी बीवी आप से उम्र में बड़ी है तो आप हुज़ूर अलैहिस्सलाम और हज़रत खदीजा रदियल्लाहो तआला अन्हा की मुबारक अज़्दवाज़ी ज़िन्दगी का मुताला[अध्ययन] करें।
और अग़र आपकी बीवी आप से उम्र में छोटी है तो आप हुज़ूर अलैहिस्सलाम और हज़रत आयशा सिद्दीक़ा रदियल्लाहो तआला अन्हा की अज़्दवाज़ी ज़िन्दगी को पढें।
⚠️इंशा अल्लाह रहमान आपकी ज़िन्दगी में, आपके रिश्तों में बहुत बरक़त होगी।

पार्ट 147
क़र्ज़ लेकर महंगी शादियां करना, बड़े बड़े और महंगे पंडाल(Tent) और बारात में महंगी महंगी गाड़ियों का काफ़िला और ढोल ताशों की धमक से कोई आपको अंबानी नही समझेगा। एक दिन के लिए 20 हज़ार की शेरवानी और 10 हज़ार के घोड़े पर बैठ कर शेखी बघारने(To Rant) के लिए आपको महीनों और सालों खच्चर की तरह काम करना पड़ेगा। निकाह जैसे मुबारक रिश्तों की शुरवात कम खर्च और सादगी के साथ करें, दिखावे की दुनिया से बाहर आएं और सच का सामना करें। मुस्तकबिल(Future) में कशमकश(Tension) फ्री रहना है तो कर्ज़ लेकर घी खाना बंद करें और अहद(Promise) करें की न कर्ज़ वाली बहु लाएंगे और न कर्ज़ वाली बेटी देंगे।
*⚠️निकाह को आसान करें और ज़िना को खत्म करें*

पार्ट 148
बाप की जो मुहब्बत होती है न वो जाहिर नही होती, बस उसे महसूस किया जा सकता है।
🪄
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पार्ट 149
कोई शख्स जब कुछ कंटेंट लिखता है तो बतौर-ए कैफियत और एक क़ल्बी जुड़ाव की वजह से वो अपना नाम उसमें लिख देता है ताकि अवाम को पता भी चल जाए की ये कैफियत किसने अपनी तहरीर में उड़ेल दी है। लेकिन जब वो चीज़ें हमारे पास तक आती हैं तो हम उसमें से उनके लिखे नामों को हटा चुके होते हैं।
क्यों ? क्युकी हमारे अंदर खुलूस कि कमी है। हमें अजीब सा डर है की हमारे पास कुछ चीज़ आ रही तो उसमें किसी दूसरे का नाम क्यू ?
*याद रखें! जब तक हम दूसरों की मेहनत को कद्र व इज़्ज़त नही देते तब तक हमारे अंदर खुलूस पैदा नही हो सकता।*

पाकिसी मर्द या औरत से उसी वक्त तक ख़ैर की उम्मीद की जा सकती है, जब तक वो अपने वालीदैन(Parent's) के हक में ख़ैर की उम्मीद रखता हो।
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_✨आपका, अपने वालिदैन से हुस्न-ए खुल्क व हुस्न-ए अख्लाक रखना ही आपके मुस्तकबिल(Future) को रौशन(Bright) करता है।_

पार्ट 150
यकीन मानो! जिसे नेक परहेज़गार बीवी मिल गई हो, उससे ज़्यादा दौलतमंद दुनिया में कोई नही।
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💜✨💜

पार्ट 151
यकीन माने! जिसके पास वफादार दोस्त हैं वो इन्हें संभाल कर रखें, खोने न दें की ये बड़ी अज़ीम दौलत है।
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✨💜✨

पार्ट 152
हमारी जिंदगी में बहुत से लोग और फिर उनमें से कुछ ख़ास लोग बड़े अज़ीज़ होते हैं लेकिन क्या उन बहुत से लोगों में और उनमें से कुछ लोगों में हम उनके अज़ीज़ हैं ?
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अकसर देखने में आता है की आप जिनको अज़ीज़ रखते हैं उनकी जिंदगी में आप उतने अज़ीज़ नही होते........................💔
😟

पार्ट 153
बीमारी और तंदुरुस्ती जिंदगी में आती जाती रहती है और इसका आना जाना लगा भी रहता है। इसी तरह पैसे भी आते हैं और कभी खत्म भी हो जाते हैं। लेकिन सब से बड़ी दौलत जो है वो सब्र की दौलत है। अगर ये हज़रत-ए इंसान को मयस्सर हो जाए, इसकी तौफीक अता हो जाए तो बंदा हर मुश्किल पर साबित क़दम हो।
*✨सब्र, सब्र वो चीज है की मुश्किल हालात में कठिन दौर में और उन जगहों पर जहां इंसान का वजूद हिल जाता है वहां पर भी अल्लाह तआला की मसलीहत पर राजी रहे।*

पार्ट 154
*“जनवरी एक ख़्वाब है और दिसंबर हकीकत”*
इन छोटे छोटे लफ्ज़ों का असर बड़ा गहरा है। कहने का मतलब यही है जब शम्शी नए साल की शुरवात जनवरी माह से होती है तो हज़रत-ए इंसान कई तरह के ख़्वाब देखता है की नए में अहद करके ये करूंगा वो करूंगा और फिर बहुत से ख़्वाब अपने ज़हनो फ़िक्र में संजो लेता है और उन्हें पूरा करने की जुस्तजू में लगा रहता। लेकिन साल गुजरते गुजरते कई ऐसे मराहिल आ जाते की साल की शुरवात में देखे गए ख़्वाब साल के आखरी अय्याम आते आते न मुकम्मल ही रहते और दिसंबर जो है हकीकत का आईना बन कर आता यानी साल की शुरवात में देखे गए ख़्वाब साल के आख़िर तक पूरे न हो पाते....💔

पार्ट 155
*मशवरा एक अमानत है और जब तुमसे मशवरा लिया जाए तो बड़ी दयानत दारी से दिया करो।*
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_✨तुम्हें कोई बंदा अपने घर की ज़ाती बात बता कर तुमसे मशवरा ले रहा तुम उसे आगे बयान कर रहे हो। कभी अपने दोस्तों की अपने अहबाब की कोई बात इधर उधर न करें।_

पार्ट 156
घर में “मर्द” की इज़्ज़त उस वक्त है जब वो पैसे कमा रहा हो।
इसलिए लड़की बाजी, इश्क बाजी का मर्ज उतार फेंको और आगे बढ़ो कुछ मुकाम हासिल करो।
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🪄
पार्ट 157
जो मुसलमान, क्रिसमस की मुबारकबादी/शुभकामनाएं दे रहें हैं वो सबसे पहले जाकर अपने सुन्नी उलमा से मसले दरयाफ़्त करें इस पर।  बहारे शरीअत पढें और आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खान अलैहिर्रहमाह का लिखा कंजुल ईमान[कुरआन शरीफ़ का तर्ज़मा] सूरह इख़लास पढें।
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⚠️ फ़क़त अपने कारोबारी मसाईल, अपने शॉप के वर्कर्स और दोस्तों को ख़ुश करने के लिए ईमान व अक़ीदे जैसे अहम मसले पर छुरी न चलाएं। दीन सीखें ताकि दुनिया व आख़िरत सँवरे।

पार्ट 158
कभी वक़्त मिले या वक़्त निकाल कर बहारे शरीअत- हिस्सा 1, अक़ाइद का इल्म पढ़ो।
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⚠️क्रिसमस की मुबारकबाद देना तसव्वुर में भी भूल जाओगे। और मेरे प्यारों, ईमान बड़ी नाजुक चीज़ है। इसकी हिफ़ाज़त को अपने ऊपर फ़र्ज़ जानों।

पार्ट 159
शरीअत से हटे
🫵🏻
आखिरत में फ़से

पार्ट 160
हज़रत-ए इंसान को चाहिए की लोगों से जब बात करे तो मुंह टेढ़ा करके बात न करे। अंदाज़ खुबसूरत हो बोलने का, अपने लहज़े में मिठास पैदा करे। मुहब्बत को फरोग दें।
और फिर मुसलमान तो होता ही मुहब्बत वाला है...🪄😊
पार्ट 161
औलाद जब छोटी होती है और उसे कोई Health(स्वास्थ्य) से जुड़ी Problem(दिक्कत) हो तो आप उसे कैसी भी Treatment(उपचार) दिलवा सकते, कोई प्राब्लम नही होगी। लेकिन, वहीं जब बच्चा थोड़ा बड़ा हो और चीजों को समझने लगे यानी की ये दवा खाऊंगा तो इसका स्वाद कड़वा है। ये injection(इंजेक्शन) है इसे लगाऊंगा तो दर्द होगा। ये Syrup(सीरप) है, इसे पीयूंगा तो कुछ देर मुंह कड़वा रहेगा। वगैरह वगैरह...
⚠️और इस तरह औलाद एक वक्त तक वालिदैन को मशक्कत में डाले रखती, लेकिन ये मशक्कत जो है वो औलाद और वालीदैन के बीच मुहब्बत को वसीअ करता है। और फिर इस मशक्कत पर भी ढेरों सवाब.....😍🪄

पार्ट 162
वहाबी देवबंदी कहता है, *हुज़ूर मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम* को पुकारना शिर्क है। लेकिन *आलाहजरत रहमतुल्लाह तआला अलैह* इसका ज़बरदस्त रद्द करते हुए कहते हैं...
_नज़र ए उशशाक ए बरी है ये तेरा हर्फ ए बरी_
_मिबरों वाज़ पर लड़ते रहें आपस में खतीब_
_ये अकीदाह रहे अल्लाह करे मुझको नसीब_
*मैं तो मालिक ही कहूंगा के हो मालिक के हबीब*
*यानी महबूब मुहिब में नही मेरा तेरा*

पार्ट 163
वहाबी-देवबंदी *Said,* *हुज़ूर सल्लल्लाहु त'आला अलैहि वसल्लम* हमारी तरह इंसान हैं। *But Strong Reply By आला हज़रत रहमतुल्लाह त'आला अलैह...*
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_कुछ बशर होने के नाते तुझे ख़ुद सा जाने_
_और कुछ महज़ पयामी ही खुदा का जाने_
_इनकी औकात ही क्या है के ये इतना जाने_
*फर्श वाले तेरी शौक़त का उलू क्या जाने*
*खुशरवा अर्श पे उड़ता है फरेरा तेरा*

पार्ट 164
_हम किसी की ज़िद में या किसी के कहने पर अहले बैत से प्यार करेंगे। अहले बैत हमारा ईमान है।_
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*✨हमारी औलादें और हमारी औलादों पर जितना करम “अल्लाह त'आला” करता है और “अल्लाह त'आला” ने हमें जो कुछ दिया है, ये “हुज़ूर मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु त'आला अलैहि वसल्लम” का सदक़ा ही तो दिया है।*

पार्ट 165
*दुआ बराए सेहतयाबी*

जैसा कि आप सभी जानते हैं की *जुनैद रज़ा अज़हरी/बरैली शरीफ़* किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं।
इनकी जो वालिदा साहिबा हैं वो कैंसर जैसे शदीद मर्ज़ में मुब्तिला हैं और ये जो कैंसर है वो उनके गाल के अंदर हुआ है। आज रात 8 बजे इनके गाल के कैंसर का ऑपरेशन है जो तकरीबन 8 घंटे चलेगा। आप हजरात दुआ फरमा दें की इनकी वालिदा जल्द इस मोहलिक मर्ज से निजात पाए।
और तमाम ईखराजात को पूरा फरमाए।
*#आमीन या रब्बल आलमीन*

पार्ट 166
40 आलिम बैठे हों तो उन्हें 1 दलील से चुप कराया जा सकता है
लेकिन 1 जाहिल हो तो वो 40 दलीलों से भी चुप नही बैठता
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*क्यूंकि वो जाहिल है न*

पार्ट 167
जितना अनाज़ की, रिज्क की हुरमत और उसकी क़दर का बयान मज़हब-ए इस्लाम सिखाता है दुनिया का कोई भी मजाहिब इसका इतना दर्स नही देता।
लेकिन सब से ज़्यादा बेहुरमती अनाज की हमारे ही शादियों में, लंगरों में होती है। की प्लेट भर भर का अनाज फेंका जाता। दरियों में, चटाइयों में,  टेबलों में अनाज के दाने बिखरे पड़े रहते और लोग उन्हें पैरों से, जूतों से रौंदते। ये सारी चीज़ें देख देख कलेजा फटता है।
___________________
*⚠️लोग अपनी हैसियत से ज़्यादा लोगों बुला लेते और फिर उनकी देखभाल में मुआमला ऐसा बिगड़ता की महफ़िल का हर शख्स देखता है अनाज के नाकद्री....❤‍🩹😞*

पार्ट 168
जितना अनाज़ की, रिज्क की हुरमत और उसकी क़दर का बयान मज़हब-ए इस्लाम सिखाता है दुनिया का कोई भी मजाहिब इसका इतना दर्स नही देता।
लेकिन सब से ज़्यादा बेहुरमती अनाज की हमारे ही शादियों में, लंगरों में होती है। की प्लेट भर भर का अनाज फेंका जाता। दरियों में, चटाइयों में,  टेबलों में अनाज के दाने बिखरे पड़े रहते और लोग उन्हें पैरों से, जूतों से रौंदते। ये सारी चीज़ें देख देख कलेजा फटता है।
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*⚠️लोग अपनी हैसियत से ज़्यादा लोगों बुला लेते और फिर उनकी देखभाल में मुआमला ऐसा बिगड़ता की महफ़िल का हर शख्स देखता है अनाज के नाकद्री....❤‍🩹😞*

पार्ट 169
_वो नकाब ही क्या जो शादियों और दीगर तकरीबात पर उतर जाए..._

पार्ट 170
फिजाओं में पतंगे(Kite🪁) उड़ेंगे, इसलिए मोटरसाइकिल(Bike) चलाते(Drive) वक्त थोड़ा होशियार(Alert) रहें।
कहीं ऐसा न हो की कटी हुई पतंग का मांजा(धागा) आपके जिस्म को नुकसान पहुंचाए या जख्मी कर दे।💔
______________________
_डरा नही रहे, बस आपको होशियार कर रहे।_




पार्ट 101

पैसों के और दीगर चीज़ों के बलबूते पर आप ताल्लुकात(Rilationship) कायम करेंगे तो ये मुहब्बत नही बल्कि तिजारत होगी। एक बाजार लगेगा रिश्तों का और तिजारत(Business) होगी मुहब्बतों की। फिर जो ज्यादा रेट लगाएगा वो प्यार ज्यादा लूट के ले जाएगा, तो ये काम न करें।
_________________
*⚠️हमने पैसों और दीगर कीमती चीज का शौकीन नही बनना, बस कोशिश करें की आप अपनी शफक्क़त(Kindness) का, मुहब्बतो का और अदब-ओ लिहाज(Respect Ful Manner) का कुछ हिस्सा हमे देते रहें और फिर बात ख़त्म।*

पार्ट 102

पैसों के और दीगर चीज़ों के बलबूते पर आप ताल्लुकात(Rilationship) कायम करेंगे तो ये मुहब्बत नही बल्कि तिजारत होगी। एक बाजार लगेगा रिश्तों का और तिजारत(Business) होगी मुहब्बतों की। फिर जो ज्यादा रेट लगाएगा वो प्यार ज्यादा लूट के ले जाएगा, तो ये काम न करें।
_________________
*⚠️हमने पैसों और दीगर कीमती चीज का शौकीन नही बनना, बस कोशिश करें की आप अपनी शफक्क़त(Kindness) का, मुहब्बतो का और अदब-ओ लिहाज(Respect Ful Manner) का कुछ हिस्सा हमे देते रहें और फिर बात ख़त्म।*

पार्ट 103
जो मरने वाले लोग होते हैं
*उनका जीना कुछ और होता है*
जिनको जाना होता है
*उनका रहना कुछ और तरह का होता है*
___________
_✨जगह जी लगाने की दुनिया नही है_
_ये इबरत की जां है तमाशा नही है.......💔😥_

पार्ट 104

*✨मफहुम-ए हदीस है: हुजूरﷺ* का इरशाद है कि जिस शख्स ने अपनी बीवी की बद-खुल्की पर सब्र किया अल्लाह तआला उसे मसाइब पर हज़रते अय्यूब अलैहिस्सलाम के सब्र के अज़्र के बराबर अज़्र देगा और जिस औरत ने ख़ाविन्द की बद-खुल्की पर सब्र किया अल्लाह तआला उसे फ़िरऔन की बीवी आसिया के सवाब के मिस्ल सवाब अता फरमाएगा।
______________________________
*#मुकाशिफ़्तुल कुलूब, सफ़ा 488*

पार्ट 105

अल्लाह तआला व रसूल अलैहिस्सलाम के बाद जो हक़ीक़ी मुहब्बत है जिसमें सच्चाई है वो सिर्फ़ वालिदैन(Parents) और भाई-बहन का प्यार है। बाकी सब मे अपना ज़ाती मफाद है। इसी तरह एक लड़का और लड़की का बिना निक़ाह(Marriage) के Relationship में रहना हराम सद हराम है। और जब किसी को समझाया जाए तो कहते हैं कि, नही! हम तो सिर्फ़ दोस्त टाइप के हैं हमारी मुहब्बत सच्ची है। इन नादानों को नही पता की ये जिसे मुहब्बत(Love) कहते हैं उसका आख़री पड़ाव *Sexual Relationship* है और कम्बख़्त इसी को मुहब्बत का नाम देते।
*⚠️इस्लाम में इस तरह की चीज़ों की सख़्त मनाही है, लोगों को इन ख़बासत से बचना चाहिए।*

पार्ट 106

मैं पीर साहब का बड़ा करीबी हूं। तो फिर तेरे अखलाक(Behaviour) बताने चाहिए की तू पीर साहब का बड़ा करीबी है। तेरे ऊपर उसका असर हो तो पता चल जाए की कितना करीबी है। पीर साहब के पास बैठ जाने और पीर के साथ फोटो खिंचवा(तस्वीर-कसी की इजाजत शरिअत नही देती) लेने से कोई करीबी नही हो जाता।
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⚠️आज हमारी सारी नसीहते गैरों के लिए है। हमारे सारे पैगाम(Msg) औरों के लिए है। और जब हमारे अपने घर की बारी आती है, तो बहुत सारे लोग कमजोर पड़ जाते हैं।😥

पार्ट 107

वालिदैन या घर का कोई बड़ा जब किसी छोटे बच्चे या किसी और शख्स से पानी का गिलास मंगाता है तो हो न हो, कभी न कभी एकाध बार पानी का गिलास छूट कर गिर जाता है। और ये साहेबान बिगड़ जाते की देख कर पकड़ नही सकते, इतने बड़े हो गए हो, काम ठीक से करने नही आता। गौर करने की बात है की गिलास किसके हाथ से गिरेगा? उसी से न जो दिन रात पानी का गिलास ला कर दे। या उससे जो पानी का गिलास मंगवाए ? अब बंदा अगर दिन में 10 गिलास भी ला कर देता है और उसे साल भर में करीब वो 4000 गिलास पानी सप्लाई करता है। अब कभी 1-2 मर्तबा गिलास गिर भी गया तो कोई प्राब्लम नही की उसने 4000 गिलास भी तो सप्लाई की...1/2
...अब जबकि गिलास गिर गया तो बच्चे या उस गिराने वाले शख्स को हमदर्दी(Sympathy) देने की बजाए इस पर ही अपनी कड़वाहट निकालने लगते हैं, की देख कर नही कर सकते इतने बड़े हो।
अरे भाई! आपका मिजाज तो ऐसा होना था की उसने 4000 हजार गिलास सप्लाई की लेकिन 1-2 बार गिरा तो उससे कहना था, की बस 1 बार ही गिरा है। इतनी सप्लाई की तो कम से कम 40-50 बार गिरना था। इंसान ही हो न, कोई जिन्न वगैरह तो नही हो न ?
_________________
⚠️पता चला की हम बच्चों का आत्मविश्वास(Confidence) बे-फजुल की बातों से डाउन कर देते हैं।😥2/2

पार्ट 108
*अपनी जिंदगी में एक ही मक़सद रखें की आपने बस खुश रहना है, बाकी सब बेकार की बातें हैं।😊*
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बड़ी बड़ी नौकरी करने वाले भी रोज़ घुटते हैं, ऐसे भी लोग हैं। और छोटी छोटी नौकरी करने वाले, खेतों में काम करने वाले भी एकदम मस्त रहते हैं खुश रहते हैं, ऐसे भी लोग हैं।
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यानी ये समझ लीजिए की आपकी जिंदगी का मक़सद खुश रहना हो। अब चाहे खुशी गरीबी में हो, या मुश्किल हालात में हों या बुरे वक्त में हों या फिर जिंदगी का उतार चढ़ाव। खुशियां अपनी जिंदगी में आपने ही तलाशनी है।😌

पार्ट 109

🥼अगर आप दर्जीयों(Tailor) का काम करते हैं तो
ये *हज़रत इदरीस अलैहिस्सलाम* का तरीका है।
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⚒️अगर आप लोहे(Iron) का काम करते हैं तो
ये *हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम* का तरीका है।
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🌾अगर आप खेती बाड़ी(Farming) का काम करते हैं तो
ये *हजरत आदम अलैहिस्सलाम* का तरीका है।
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🍃अगर आप बकरियां(Goat) चराते हैं तो मफहूम ए रिवायत है की
*सारे नबियों* ने चराई है।
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⚖️अगर आप तिजारत(Business) करते हैं तो
ये मदीने वाले *रसूल अलैहिस्सलाम* का तरीका है।
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🎙️अगर आप मस्जिद के मोअज्जिन हैं, अज़ान पढ़ते है तो
ये *सैय्यदना हज़रत बिलाल रदियअल्लाहो तआला अन्हो* का तरीका है।
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📖अगर आप कुरान पढ़ते, पढ़ाते, सिखाते हैं तो
ये *हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने मसउद रदियअल्लाहो तआला अन्हो* का तरीका है।
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🎤अगर तू नात पढ़ता है तो
ये *हज़रत हस्सान बिन साबित रदियअल्लाहो* तआला अन्हो का तरीका है।
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🕌अगर तू मस्जिद के मिम्बर बैठ कर खुतबा देता है तो
ये *मुहम्मद ए अरबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम* का तरीका है।
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*⚠️तो घबराने की जरूरत क्या है? आप क्यूं घबराते हैं की आप फलां जगह पर हों और ये चीज़ कमजोरी का बाइस है। आप कमजोर क्यूं पड़ते हैं, आपके अंदर ख़ुदएतमादी(Self Confident) तो हो।*

पार्ट 111
🤝लोग माफ़ी नहीं देते, लोग दरगुज़र नही करते। इंसानों से गलतियां हो जाती हैं।
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✨सही मुस्लिम की मफहुम-ए हदीस है: कि अगर कभी किसी बन्दे से कोई गुनाह सरजद हो जाए फिर उसने तौबा कर ली। अगर किसी बन्दे ने दुबारा इस बन्दे को वो गुनाह याद दिलाया तो अल्लाह तआला इसको(याद दिलाने वाले को) मरने से पहले पहले इसे भी उस गुनाह में मुब्तिला कर देगा। अल्लाहु अकबर
*➡️पीर अजमल रज़ा क़ादरी के बयान से अख्ज़*

पार्ट 112
*✨तशरीह:* इश्क ए रसूल की आग में दिल के जलने की जो हल्की हल्की बू आ रही है ये मेरे आका अलैहिस्सलाम की मुबारक आंखों के इश्क की सोजिश से पैदा होती है और इस दिल के इश्क ए रसूल में कबाब होने की जो लज़्ज़त है भला वो हिरण के कबाबों में कहां हो सकती है।

पार्ट 113
सबसे पहले रिज़्क़(Sustananse) को इज़्ज़त(Respect) देना सीखिए।
खाना(Food) अल्लाह त'आला की नेअमत(Gift) है, जब खाना पेश किया जाए तो जरूरी है कि इसके आदाब(Manner's) का ख़्याल रखा जाए।
💯✅
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“Save_Food”

पार्ट 113
पहले निकाह का बड़ा आसान था की बस इज़ाब-व कुबूल था।
लेकिन आज के दौर में सेखी बघारने और दिखाने के चक्कर में लोगों ने निकाह जैसे चीज़ों में बे-फिजूल की चीज़ें दाखिल करके अपने ही नफ्स पर आफ़त मोल ले ली।
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और उन्ही चोचलों में से एक चोचला दौरान-ए निकाह हल्दी और मेहंदी सेरेमनी के नाम पर बेपर्दगी, और दूसरी गैर शरई चीज़ों को फरोग देना है। जिसमें आजका नौजवान तबका इन सेरेमनी को महज़ सोशल मीडिया की ज़ीनत बनाने की गर्ज़ से ही अमल में लाता है। ये तो हाल है हमारा और फिर हम, हमारी शादियों में बरकत तलाशते। हम लोग भी गज़ब हैं...😥

पार्ट 114
*मस्जिद में स्कैनर*

उलमा-ए अहले सुन्नत की बारगाह में यह अर्ज़ी पेश है कि जिस तरह ज़माने के एतिबार से (फुरूई) मसअले-मसाइल बदल जाते हैं, ठीक उसी तरह हालात के एतिबार से तरीक़े भी बदल जाते हैं यानी असल वही रहता है लेकिन उसका तरीक़ा नया हो जाता है।

जैसे पहले मस्जिद का मीनारा नहीं था, बाद में बनाया गया। इसी तरह जमाअत के औकात मखसूस नहीं थे, बाद में लोगों के आसानी के लिए औकात मखसूस किए गए। इसी तरह पहले लोटे से वुजू बनाते थे, अब नल वगैरा पर बनाने का नया तरीक़ा हो गया है। इसी तरह पहले पंखे भी नहीं थे, बाद में पंखा हुआ लेकिन अब Ac वगैरा लगते हैं। पहले माइक नहीं थे, अब माइक से तकरीर वगैरा होती है और भी बहुत सी चीज़ हैं।

कहना ये है, कि जब जदीद चीज़ की बिना पर इतना सारा हो गया तो एक नए जदीद चीज़ को और जारी किया जाए कि अब हर जगह ऑनलाइन पेमेंट का सिस्टम सब लगा है, कहीं भी जाए तो स्कैनर वगैरा के ज़रिए पैसे का लेनदेन होता है, तो ठीक इसी तरह मस्जिद का A/c खुलवा कर उसका स्कैनर बना कर मस्जिद और मदरसे के लिए अलग अलग लिख कर बाहर गेट पर लगवा दिया जाए कि अब 80% ऑनलाइन पेमेंट लोग करते हैं और अक्सर हज़रात Cash नही रखते तो वो जैसे मस्जिद से बाहर निकले तो स्कैनर देख कर पेमेंट कर सकें।

और वैसे भी अभी के दौर में बहुत से लोग इधर-उधर में पैसे ज़्यादा खर्च करते हैं लेकिन नेक काम में खर्च करने से कतराते हैं, और उनका नफ्स उनको एक बहाना भी दे देता है कि "पास पैसे है नहीं तो देगा कैसे" जबकि किसी और काम में दोस्त यार के साथ अय्याशी के लिए कैसे भी कर के पैसे ले आते हैं। तो इस तरह एक अच्छी चीज़ भी राइज हो जायेगी, और लोग बा आसानी इस में हिस्सा भी ले पाएंगे।

पार्ट 115
हमारे पास ढेरों चप्पलें हैं लेकिन हमें हर तिमाही में नई चप्पल चाहिए। हमारी आलमारियां दर्जनों कपड़ों से भरी पड़ीं हैं लेकिन हमें हर माह नए कपड़े चाहिए। हमारे दस्तरखान अल्लाह तआला की दी हुई नेअमतो(Gift) से भरे पड़े हैं लेकिन हमने आज भी दस्तरखान(Tablecloth) में कमी लगती है। हमारे पास दुनिया भर की एशो इशरत(Luxury & Pleasure) की चीजें मौजूद हैं लेकिन फिर भी दिल को सुकून(Peace) नही की बस ये हासिल कर लूं वो हासिल कर लूं।
⚠️सुनो!
✨जिसे शुक्रगुजार(Thankful) दिल और हमेशा करीम रब का शुक्र अदा करने वाली ज़बान मिल गई गोया उसने दो जहां की भलाइयां(Goodness) हासिल कर ली।

पार्ट 116

अगर आप नोकरी करते हैं तो इसमें एक तय शुदा रकम मिलती है मिसाल के तौर पर आप कहीं मुलाजिम हैं तो 7000-10000, और अगर कहीं कंपनी में जॉब करते हैं तो 25हज़ार के करीब और सरकारी नौकरी है तो कहीं ज़्यादा 50 हजार के करीब तनख्वाह पाएंगे। लेकिन आप अगर ख़ुद का कुछ स्टार्टप या बिजनेस करेंगे इससे कहीं ज़्यादा कमा लेंगे और फिर आपको अपने बिजनेस में लगन और मज़ा एक अलग ही लेवल पर ले जाएगा।
⚠️इसलिए छोटी शुरवात करें। अक्सर बड़े ताजिर(बिज़नेस मैन) ने छोटे छोटे कदम बढ़ा कर बड़े मुकाम को हासिल किया है।😊

पार्ट 117

मा-बाप तो हुस्न हैं जिंदगी के, वकार हैं इंसान का। मां बाप का हाथ पकड़ कर चलेंगे तो रास्ते सीधे रहेंगे। और जिस दिन उंगली छोड़ कर सड़क पर निकलना पड़ा न तो सर चकराने लगेगा।
याद रखना! ये बड़ा मुश्किल काम होता है।
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❤‍🩹इंसान का रुख(Dircetion) ही उस दिन मालूम होता है जिस दिन वो साए से महरूम होता है।😥💔

पार्ट 118
_कुरआन-ए करीम फरमाता है_
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*“मर्द अफ़सर है औरतों पर”*
✨💜✨

पार्ट 119
*✨इमाम गज़ाली रदीअल्लाहो तआला अन्हो फरमाते हैं*
💫बुजुर्गों ने फरमाया है औरतों से मशवरा करो लेकिन अमल उसके खिलाफ़ करो। (यानी जरूरी नही कि औरत के हर मशवरे पर अमल किया जाए)
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*#कीम्या-ए सआदत, सफा 263*

पार्ट 120
_📖मिश्कात शरीफ़ की एक हदीस है जिसका मफहुम है:_ *एक मर्द, दूसरे मर्द के साथ और एक औरत, दूसरी औरत के साथ एक कपड़ा ओढ़ कर न लेटे।*
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⚠️कुर्बान जाइए हुजूर अलैहिस्सलाम पर जिन्होंने औरत को औरत के साथ  एक बिस्तर पर एक चादर में आराम करने से मना फरमा दिया। मर्दों में जिस तरह इस हरक़त से कॉम-ए लूत के ना'पाक अमल का खतरा, औरतों में भी उसी फितने का डर।

पार्ट 121
शहरे नबी तेरी गलियों का नक्शा ही कुछ ऐसा है,
खुल्द भी है मुश्ताक-ए ज्यारत जलवा ही कुछ ऐसा है।✨

पार्ट 122
जिंदगी में एक वक्त ऐसा भी आ जाता है जब इंसान बिलकुल अकेला हो जाता। आपने अपनी जिंदगी में देखा ही होगा कहीं न कहीं, कि जब घर में कोई बुज़ुर्ग एक दम ज़्यादा बीमार हो जाएं तो घर में लोग मशवरा करते हैं कि आज तूने रात जागनी है और तीमारदारी करनी है और कल फ़िर मैं रुकूंगा। यानी की वक्त किसी के पास नही है।❤‍🩹
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*⚠️आपने अक्सर जनाजो पर शिरकत की होगी। कोई पुकारने वाला पुकारता है की जल्दी करो जी, मेहमान लोग दूर से आए हैं खाना खाकर उन्हे जाना भी है। यानी की कुल महासल यही की अब लोगों के पास वक्त नहीं रह गया है।💔😥*

पार्ट 123
*✨अ़ल्लामा खा़दिम हु़सैन रज़वी अलैहिर्रहमा* अपने एक बयान में कहते हैं के मैंने शादियों में जाना बंद कर दिया है।  मुझे समझ ही नहीं आता के ये मुसलमानों की शादी है ?
(या'नी क्या मुसलमान भी ऐसे शादी करते हैं?)
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पार्ट 124
अगर मजदूर दिन भर कड़ी धूप में मेहनत करके कुछ 100 रुपए कमा कर लाता है तो वो उन करोड़ों रुपए से बेहतर है जो हराम की कमाई से हासिल किए जाएं।
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*✨इसलिए हज़रत-ए इंसान को चाहिए की कभी भी अपने जायज़ कामों में शर्म न करे, कि हलाल की कमाई नसीब होना भी बहुत बड़ी सआदत है।*

पार्ट 125
तकरीबन तकरीबन हर मर्द और औरत को पता ही है की मर्दों को सोने की अंगूठी पहनना हराम है। लेकिन जब बात अमल की आती है तो अकसर मकाम पर कुछ लोग फिसड्डी साबित होते हैं की इनकी तबिअत इन पर ग़ालिब आ जाती है।🤨
✨कुल महासल यही की मर्द को पता है की सोने की अंगूठी नही पहनना है लेकिन जब ख़ुद की शादी होती है तो बड़ी शौक से पहनते है की मियां कुछ देर ही तो पहनना है। और इसी तरह लड़की की मां भी जानती है की मर्द को सोने की अंगूठी नही पहननी है लेकिन शादी में दामाद को बड़े शौक से सोने की अंगूठी पहनने को दी जाती है।
*⚠️पता चला की हम अमल के मैदान में फिसड्डी हैं।*

पार्ट 126
_साल में कम से कम 2 बार हॉस्पिटल के चक्कर लगा कर वहां एडमिट मरीजों को बस करीब से देख कर आ जाना।_
_________________________
*सारा घमंड, तकब्बुर, अना हॉस्पिटल के सीढ़ियों तक पहुंचते पहुंचते ख़त्म हो जाएगा।*
😥💔

पार्ट 127
कभी कभी ऐसा होता की हम घर की किसी जगह पर कुछ हज़ार रुपए या कुछ सौ रुपए रखे होते हैं और फिर एक मुद्दत तक भूल जाते हैं। लेकिन जब याद आता है सामने सख्त जरूरत हो और पता चले की रखे थे ₹1000 रुपए और वहां से निकले ₹10000 रुपए तो फिर खुशी का ठिकाना पूछो मत मत।
*✨हालांकि ये अल्लाह तआला का फजल है। क्या हमने हज़ार ही रखे थे या हमारी जायज जरूरत के पेशे नज़र उन पैसों में बरकत हो गई और हमें गैब से नवाज़ दिया गया।💜😊*
_पता चला की बन्दे को हमेशा *रब तआला* की रज़ा पर रहना चाहिए वो उसके लिए काफी है_

पार्ट 128
चुनाव हर 5 साल में आयेंगे
कुछ लोग चुनाव जीत कर आएंगे तो कुछ हार जाएंगे
और ऐसा चलता रहेगा।
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लेकिन इन चुनाव परिणामों में आप अपने आपसी सम्बन्ध ख़राब न करें, मिल कर रहें। मतदाता की एक एकता ही उसकी ताकत है।
🇮🇳
पार्ट 129
चुनाव कोई भी जीते
पर जितना *“भारत”* ही चाहिए
___________
💜🇮🇳💜

पार्ट 130

💫अपनी जिंदगी में देने वाला मिजाज बनाएं। अब तो दोस्तियां, यारियां, ताल्लुकात, नाते इस बुनियाद पर है की नफा कैसे हासिल किया जा सके। सामने वाले को इस्तेमाल कैसे करना है?
_🔹ये छोटे लोगों की अलामत है, बुजदिलों की अलामत है, कमजोर लोगों की अलामत है। *दिलेर लोग जो होते हैं वो नफा नही लेते।*_
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*✨लोगों में बेहतर लोग वो हैं जो दूसरों को नफ़ा दें...😊*

पार्ट 131
6 दिसंबर को ~Black Day Status~ रखने से अच्छा अपने *मुहल्ले की मस्जिद* को आबाद करना।
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यही सच्ची खिराज़-ए अकीदत होगी तेरी
💔

पार्ट 132
जब हम किसी नेक, पारसा, परहेज़गार से सच्ची पक्की अकीदत-ओ मुहब्बत करते हैं तो लोग हमें कहते न की प्यार बड़ा करते हो, उन जैसे अमल भी तो करो।😪
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✨अब इंसान है न, गलती तो हो ही जाती है। अब हम अमल नही करते तो क्या तुम हमें नेक लोगों से मुहब्बत भी न करने दोगे ? मेहरबानी तो करिए, प्यार तो करने दीजिए।
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*⚠️एक रिवायत का खुलासा है जो जिससे मुहब्बत करेगा उसका हश्र भी उसके साथ होगा*

पार्ट 133
देखिए! जो शख्स रिश्तों की अहमियत को समझता और उनकी कद्र को जानता है वो हमेशा उन रिश्तों में तालमेल बना कर रखेगा की कभी किसी बात पर कोई खटास पैदा न हो। और बाज़ लोगों को शिकायत भी होती है की दो लोगों के दरमियान एक शख्स दूसरे शख्स को तवज्जोह नही दे रहा जबकि होता इसके बरअक्स है की तवज्जोह तो पूरी है लेकिन फ़िक्र उसकी दिल से है।

पार्ट 134
जो शौहर[Husband] शरीअत का हुक़्म जानता है, वो कभी अपनी बीवी[Wife] के हक़ की ख़यानत[Dishonesty/बेईमानी] न करेगा ! और जो औरत शरीअत के हुक़्म के मुताबिक जज़ा और सज़ा[Gift&Punishment] से वाकिफ़ है, वो हर हाल में शौहर की एहसानमन्द[Gracious] रहेगी, और हमेशा उसे ख़ुश रखने की कोशिश करेगी !
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⚠️बीवी के हक़ की ख़यानत से मुराद यहां यह है, कि बाज़ मर्द घर पर बीवी होने के बावजूद इधर उधर मुंह मारते है यानी कि दूसरी औरतों से नाजाइज़ ताल्लुक़ात रखते हैं !

पार्ट 135
पेशाब और पाखाना का होना भी एक नेअमत है, कि अग़र ये बन्द हो जाये या किसी वजह से इनमें रुकावट आ जाए तो हज़रत ए इंसान का जिस्म एक अज़ीब सी कशमकश और परेशानी के आलम में आ जाता है। आप कभी हॉस्पिटल जाएंगे तो पता चलेगा कि Department Of Nephrology[किडनी विभाग] Department Of Urology[यूरिन विभाग] और Department Of Scatology[मल विज्ञान】 में ऐसे ऐसे मरीज़ मौजूद हैं जो ऐसे ऐसे मर्ज़ और बीमारी से दो चार हो रहे कि यहां बयान करना मुश्किल है। फ़क़ीर ए क़ादरी(writer) ने ख़ुद ब नफ़्स-ए नफ़ीस देखा है कि लोग कैसी कैसी तकलीफ़ों में मुब्तिला हैं।❤‍🩹
लेहाज़ा अग़र आप तंदुरुस्त है तो “करीम रब” का शुक्र अदा करें।

पार्ट 136
हम अक्सर नात सुनते हैं और बहुत सी नातों में हुज़ूर अलैहिस्सलाम का नाम मुबारक भी आता है और अक्सर लोग जलसों में शिरकत करते हैं और जलसों में भी हुज़ूर अलैहिस्सलाम का नाम भी कसरत से ज़िक्र किया जाता है। दो लोग जब आप में बैठते हैं, तो एक शख्स हुज़ूर की सीरत बयान करता है तो दूसरा सुनता है।
क्या इस दौरान हम दरूद-ए पाक पढ़ते हैं ? जबकि हुक्म है की जहां हुज़ूर अलैहिस्लाम ज़िक्र हो कम से कम एक बार दरूद शरीफ़ पढ़ा जाए।
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*✨मफहुम-ए हदीस है की वो शख्स बखिल(कंजूस) है जिसके सामने मेरा ज़िक्र हो और वो मुझ पर दरूद ना पढ़े।*

पार्ट 137
*सल्लल्लाहु त'आला अलैहि वसल्लम*

_भी मुकम्मल दरूद शरीफ है_

पार्ट 138
हम
नही
रहे
तो
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दुनिया फिर भी चलती रहेगी, जो हमा वक्त याद करते थे और हमसे खुश रहते थे वो भी कुछ वक्त बाद भूल जाएंगे।
😥

पार्ट 140
⚠️हमारे बहुत सारे काम ऐसे हैं जो हम फ़ैशन समझने लगे हैं। मसला ये है कि दिल दुखाते हैं लोगों का और जुर्म ये है कि माफ़ी अल्लाह तआ़ला से माँगने बैठ जाते हैं। हमें तो खुद यही नही मालूम कि हम मुजरिम किसके हैं ? ग़लती क्या की है, और माफ़ी किससे मांग रहे ? हमें तो चाहिए कि पहले इस बात को तअय्युन करें कि मैंने किस किस का दिल दुखाया है और उससे माफ़ी मांग लूं।
...
✨अल्लाह तआ़ला क़ुरआन मजीद में इरशाद फ़रमाता है:- वो लोग जो ईमान वाले मर्द और ईमान वाली औ़रत को तकलीफ़ देते हैं, बहुत बड़ा बोहतान और गुनाह है जो वो अपने खाते में डालते हैं।

पार्ट 141
*हिकायत*
_*👒बीवी की तारीफ़🎊*_

✨एक दानीशवर हैं वो कहते हैं की मेरी अहलिया को एक दिन कहीं जाना था तो वो बड़ी बन संवर कर मेरे साथ गाड़ी में बैठी। वो कहते हैं की जब वो बन संवर कर मेरे साथ गाड़ी में बैठी तो वो तकाजा करने लगी की मैंने कपड़े बड़े उम्दा पहने हैं और आपने तवज्जोह ही नही कराई।

👤वो सयाना बंदा था, वो चाह रहा था की ये समझ जाए। वो समझता था की बंदी मिसगाइड हो गई है पर है बड़ी भोली भाली।

💫दानीशवर ने कहा: नाराज़ न हो तो फिर मैं सही वाली तारीफ़ कर दूं। तो उस बंदी ने कहा की आप कर दें।

*💔तब उस शख्स ने बड़े दर्द से और खुलूस से अपनी बीवी से कहा, मैंने कहा: मैं रोज़ शाम को घर आता हूं, रोज शाम को घर आता हूं। अगर तू मेरे लिए तैयार होती तो मैं तेरी तारीफ़ जरूर करता। लेकिन आज तो तू बाहर जाने के लिए तैयार हुई है तो फिर तू उनसे तारीफ़ की उम्मीद कर जिनके लिए तू तैयार हुई है। मेरे लिए तूने तैयारी की होती तो फिर तो मैं हर शाम तेरे पास होता हूं। दानिशवर का कहना था की मेरे लहज़ो में बड़ा दर्द था तो वो भी रो पड़ी।❤‍🩹🥹*

पार्ट 142

एक शख्श ने अपनी बीवी को तलाक़ देकर दूसरी शादी कर ली। उस शख़्श का बेटा था 7 साल का। एक दिन उस शख्श ने अपने बेटे से पूछा कि बेटा पुरानी अम्मी अच्छी थी या नई अम्मी ? बच्चे ने कहा: अब्बू पुरानी अम्मी तो झूठी थी। नई अम्मी तो सच्ची है अपने बात की पक्की है। बेटे ने बताया कि जब में शरारत करता तो पुरानी अम्मी बोलती की आज तुझे रोटी नही दूंगी, और थप्पड़ मारकर  निकल देती और आधे घन्टे के मुझे ढूंढती, ढूंढ़कर लाती और मिन्नत करती मुझे न सताया कर फिर बाद में ख़ुद रोटी पकाती और घी लगाती और ख़ुद अपने प्यारे हाथों से निवाला बनाकर खिलाती। ख़ुद नहलाती, उजले कपड़े पहनाती और नई अम्मी सच्ची है, में शरारत करता हूँ तो थप्पड़ मार कर निकालती है और कहती है आज तुझे रोटी नही दूंगी और सारा दिन मुझे रोटी नही देती।😣💔

पार्ट 143
सब्र एक तदबीर है। ये आपको सयाना कर देगी। अल्लाह तआला ने आपको जो दिया है उसपर शुक्र अदा करें। अपने इर्द-गिर्द मौजूद लोगों को देख कर परेशान न हों कि उसका घर कितना आलीशान है, उसके पास महंगी महंगी गाड़ियां हैं और कितना ज़्यादा कमाता है। मुश्किलात हमेशा बड़े लोगों पर आती हैं, जो ज़हन के छोटे हों, दिल के छोटे हों उनपर अल्लाह तआला मुसीबतें नही डालता।
_____________________
पूछा गया कि सबसे ज़्यादा मुश्किलात किनपे आती हैं तो फ़रमाया: नबियों पर।
फिर अर्ज़ किया: उसके बाद? फ़रमाया: नेक लोगों पे, उलमा पे, सूफ़िया पे, सुल्हा पे।

पार्ट 144
अक़्सर घरों में मियां-बीवी के किस्से हैं कि शादी के बाद कुछ दिन तो बढ़िया कटते हैं फिर ना जाने कभी कभी, कहीं कहीं, कुछ न कुछ नोक झोंक होती है और यह आम तरह का है। लेकिन कभी कभी बात बढ़ भी जाती है।
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⚠️तो ऐसे मियां-बीवी को बल्कि दुनिया के हर Husband-Wife को हुज़ूर अलैहिस्सलाम की मुबारक अज़्दवाज़ी ज़िन्दगी[Mubaark Marriage Life] को क़रीब से जानना, और अमल में लाने की कोशिश करनी चाहिए। हुज़ूर अलैहिस्सलाम की मुबारक ज़िन्दगी हम सब के लिए एक मुबारक पैग़ाम है।

पार्ट 145
हम अपनी अज़्दवाज़ी ज़िन्दगी किस तरह बसर करें इसे जानने के लिए यह पैग़ाम हमें हुज़ूर अलैहिस्सलाम की मुबारक सीरत ए तैय्यबा में मिलता है।
अग़र आपकी बीवी आप से उम्र में बड़ी है तो आप हुज़ूर अलैहिस्सलाम और हज़रत खदीजा रदियल्लाहो तआला अन्हा की मुबारक अज़्दवाज़ी ज़िन्दगी का मुताला[अध्ययन] करें।
और अग़र आपकी बीवी आप से उम्र में छोटी है तो आप हुज़ूर अलैहिस्सलाम और हज़रत आयशा सिद्दीक़ा रदियल्लाहो तआला अन्हा की अज़्दवाज़ी ज़िन्दगी को पढें।
⚠️इंशा अल्लाह रहमान आपकी ज़िन्दगी में, आपके रिश्तों में बहुत बरक़त होगी।

पार्ट 147
क़र्ज़ लेकर महंगी शादियां करना, बड़े बड़े और महंगे पंडाल(Tent) और बारात में महंगी महंगी गाड़ियों का काफ़िला और ढोल ताशों की धमक से कोई आपको अंबानी नही समझेगा। एक दिन के लिए 20 हज़ार की शेरवानी और 10 हज़ार के घोड़े पर बैठ कर शेखी बघारने(To Rant) के लिए आपको महीनों और सालों खच्चर की तरह काम करना पड़ेगा। निकाह जैसे मुबारक रिश्तों की शुरवात कम खर्च और सादगी के साथ करें, दिखावे की दुनिया से बाहर आएं और सच का सामना करें। मुस्तकबिल(Future) में कशमकश(Tension) फ्री रहना है तो कर्ज़ लेकर घी खाना बंद करें और अहद(Promise) करें की न कर्ज़ वाली बहु लाएंगे और न कर्ज़ वाली बेटी देंगे।
*⚠️निकाह को आसान करें और ज़िना को खत्म करें*

पार्ट 148
बाप की जो मुहब्बत होती है न वो जाहिर नही होती, बस उसे महसूस किया जा सकता है।
🪄
__________________
पार्ट 149
कोई शख्स जब कुछ कंटेंट लिखता है तो बतौर-ए कैफियत और एक क़ल्बी जुड़ाव की वजह से वो अपना नाम उसमें लिख देता है ताकि अवाम को पता भी चल जाए की ये कैफियत किसने अपनी तहरीर में उड़ेल दी है। लेकिन जब वो चीज़ें हमारे पास तक आती हैं तो हम उसमें से उनके लिखे नामों को हटा चुके होते हैं।
क्यों ? क्युकी हमारे अंदर खुलूस कि कमी है। हमें अजीब सा डर है की हमारे पास कुछ चीज़ आ रही तो उसमें किसी दूसरे का नाम क्यू ?
*याद रखें! जब तक हम दूसरों की मेहनत को कद्र व इज़्ज़त नही देते तब तक हमारे अंदर खुलूस पैदा नही हो सकता।*

पाकिसी मर्द या औरत से उसी वक्त तक ख़ैर की उम्मीद की जा सकती है, जब तक वो अपने वालीदैन(Parent's) के हक में ख़ैर की उम्मीद रखता हो।
_____________________________
_✨आपका, अपने वालिदैन से हुस्न-ए खुल्क व हुस्न-ए अख्लाक रखना ही आपके मुस्तकबिल(Future) को रौशन(Bright) करता है।_

पार्ट 150
यकीन मानो! जिसे नेक परहेज़गार बीवी मिल गई हो, उससे ज़्यादा दौलतमंद दुनिया में कोई नही।
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💜✨💜

पार्ट 151
यकीन माने! जिसके पास वफादार दोस्त हैं वो इन्हें संभाल कर रखें, खोने न दें की ये बड़ी अज़ीम दौलत है।
______________
✨💜✨

पार्ट 152
हमारी जिंदगी में बहुत से लोग और फिर उनमें से कुछ ख़ास लोग बड़े अज़ीज़ होते हैं लेकिन क्या उन बहुत से लोगों में और उनमें से कुछ लोगों में हम उनके अज़ीज़ हैं ?
________________________
अकसर देखने में आता है की आप जिनको अज़ीज़ रखते हैं उनकी जिंदगी में आप उतने अज़ीज़ नही होते........................💔
😟

पार्ट 153
बीमारी और तंदुरुस्ती जिंदगी में आती जाती रहती है और इसका आना जाना लगा भी रहता है। इसी तरह पैसे भी आते हैं और कभी खत्म भी हो जाते हैं। लेकिन सब से बड़ी दौलत जो है वो सब्र की दौलत है। अगर ये हज़रत-ए इंसान को मयस्सर हो जाए, इसकी तौफीक अता हो जाए तो बंदा हर मुश्किल पर साबित क़दम हो।
*✨सब्र, सब्र वो चीज है की मुश्किल हालात में कठिन दौर में और उन जगहों पर जहां इंसान का वजूद हिल जाता है वहां पर भी अल्लाह तआला की मसलीहत पर राजी रहे।*

पार्ट 154
*“जनवरी एक ख़्वाब है और दिसंबर हकीकत”*
इन छोटे छोटे लफ्ज़ों का असर बड़ा गहरा है। कहने का मतलब यही है जब शम्शी नए साल की शुरवात जनवरी माह से होती है तो हज़रत-ए इंसान कई तरह के ख़्वाब देखता है की नए में अहद करके ये करूंगा वो करूंगा और फिर बहुत से ख़्वाब अपने ज़हनो फ़िक्र में संजो लेता है और उन्हें पूरा करने की जुस्तजू में लगा रहता। लेकिन साल गुजरते गुजरते कई ऐसे मराहिल आ जाते की साल की शुरवात में देखे गए ख़्वाब साल के आखरी अय्याम आते आते न मुकम्मल ही रहते और दिसंबर जो है हकीकत का आईना बन कर आता यानी साल की शुरवात में देखे गए ख़्वाब साल के आख़िर तक पूरे न हो पाते....💔

पार्ट 155
*मशवरा एक अमानत है और जब तुमसे मशवरा लिया जाए तो बड़ी दयानत दारी से दिया करो।*
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_✨तुम्हें कोई बंदा अपने घर की ज़ाती बात बता कर तुमसे मशवरा ले रहा तुम उसे आगे बयान कर रहे हो। कभी अपने दोस्तों की अपने अहबाब की कोई बात इधर उधर न करें।_

पार्ट 156
घर में “मर्द” की इज़्ज़त उस वक्त है जब वो पैसे कमा रहा हो।
इसलिए लड़की बाजी, इश्क बाजी का मर्ज उतार फेंको और आगे बढ़ो कुछ मुकाम हासिल करो।
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🪄
पार्ट 157
जो मुसलमान, क्रिसमस की मुबारकबादी/शुभकामनाएं दे रहें हैं वो सबसे पहले जाकर अपने सुन्नी उलमा से मसले दरयाफ़्त करें इस पर।  बहारे शरीअत पढें और आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खान अलैहिर्रहमाह का लिखा कंजुल ईमान[कुरआन शरीफ़ का तर्ज़मा] सूरह इख़लास पढें।
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⚠️ फ़क़त अपने कारोबारी मसाईल, अपने शॉप के वर्कर्स और दोस्तों को ख़ुश करने के लिए ईमान व अक़ीदे जैसे अहम मसले पर छुरी न चलाएं। दीन सीखें ताकि दुनिया व आख़िरत सँवरे।

पार्ट 158
कभी वक़्त मिले या वक़्त निकाल कर बहारे शरीअत- हिस्सा 1, अक़ाइद का इल्म पढ़ो।
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⚠️क्रिसमस की मुबारकबाद देना तसव्वुर में भी भूल जाओगे। और मेरे प्यारों, ईमान बड़ी नाजुक चीज़ है। इसकी हिफ़ाज़त को अपने ऊपर फ़र्ज़ जानों।

पार्ट 159
शरीअत से हटे
🫵🏻
आखिरत में फ़से

पार्ट 160
हज़रत-ए इंसान को चाहिए की लोगों से जब बात करे तो मुंह टेढ़ा करके बात न करे। अंदाज़ खुबसूरत हो बोलने का, अपने लहज़े में मिठास पैदा करे। मुहब्बत को फरोग दें।
और फिर मुसलमान तो होता ही मुहब्बत वाला है...🪄😊
पार्ट 161
औलाद जब छोटी होती है और उसे कोई Health(स्वास्थ्य) से जुड़ी Problem(दिक्कत) हो तो आप उसे कैसी भी Treatment(उपचार) दिलवा सकते, कोई प्राब्लम नही होगी। लेकिन, वहीं जब बच्चा थोड़ा बड़ा हो और चीजों को समझने लगे यानी की ये दवा खाऊंगा तो इसका स्वाद कड़वा है। ये injection(इंजेक्शन) है इसे लगाऊंगा तो दर्द होगा। ये Syrup(सीरप) है, इसे पीयूंगा तो कुछ देर मुंह कड़वा रहेगा। वगैरह वगैरह...
⚠️और इस तरह औलाद एक वक्त तक वालिदैन को मशक्कत में डाले रखती, लेकिन ये मशक्कत जो है वो औलाद और वालीदैन के बीच मुहब्बत को वसीअ करता है। और फिर इस मशक्कत पर भी ढेरों सवाब.....😍🪄

पार्ट 162
वहाबी देवबंदी कहता है, *हुज़ूर मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम* को पुकारना शिर्क है। लेकिन *आलाहजरत रहमतुल्लाह तआला अलैह* इसका ज़बरदस्त रद्द करते हुए कहते हैं...
_नज़र ए उशशाक ए बरी है ये तेरा हर्फ ए बरी_
_मिबरों वाज़ पर लड़ते रहें आपस में खतीब_
_ये अकीदाह रहे अल्लाह करे मुझको नसीब_
*मैं तो मालिक ही कहूंगा के हो मालिक के हबीब*
*यानी महबूब मुहिब में नही मेरा तेरा*

पार्ट 163
वहाबी-देवबंदी *Said,* *हुज़ूर सल्लल्लाहु त'आला अलैहि वसल्लम* हमारी तरह इंसान हैं। *But Strong Reply By आला हज़रत रहमतुल्लाह त'आला अलैह...*
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_कुछ बशर होने के नाते तुझे ख़ुद सा जाने_
_और कुछ महज़ पयामी ही खुदा का जाने_
_इनकी औकात ही क्या है के ये इतना जाने_
*फर्श वाले तेरी शौक़त का उलू क्या जाने*
*खुशरवा अर्श पे उड़ता है फरेरा तेरा*

पार्ट 164
_हम किसी की ज़िद में या किसी के कहने पर अहले बैत से प्यार करेंगे। अहले बैत हमारा ईमान है।_
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*✨हमारी औलादें और हमारी औलादों पर जितना करम “अल्लाह त'आला” करता है और “अल्लाह त'आला” ने हमें जो कुछ दिया है, ये “हुज़ूर मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु त'आला अलैहि वसल्लम” का सदक़ा ही तो दिया है।*

पार्ट 165
*दुआ बराए सेहतयाबी*

जैसा कि आप सभी जानते हैं की *जुनैद रज़ा अज़हरी/बरैली शरीफ़* किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं।
इनकी जो वालिदा साहिबा हैं वो कैंसर जैसे शदीद मर्ज़ में मुब्तिला हैं और ये जो कैंसर है वो उनके गाल के अंदर हुआ है। आज रात 8 बजे इनके गाल के कैंसर का ऑपरेशन है जो तकरीबन 8 घंटे चलेगा। आप हजरात दुआ फरमा दें की इनकी वालिदा जल्द इस मोहलिक मर्ज से निजात पाए।
और तमाम ईखराजात को पूरा फरमाए।
*#आमीन या रब्बल आलमीन*

पार्ट 166
40 आलिम बैठे हों तो उन्हें 1 दलील से चुप कराया जा सकता है
लेकिन 1 जाहिल हो तो वो 40 दलीलों से भी चुप नही बैठता
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*क्यूंकि वो जाहिल है न*

पार्ट 167
जितना अनाज़ की, रिज्क की हुरमत और उसकी क़दर का बयान मज़हब-ए इस्लाम सिखाता है दुनिया का कोई भी मजाहिब इसका इतना दर्स नही देता।
लेकिन सब से ज़्यादा बेहुरमती अनाज की हमारे ही शादियों में, लंगरों में होती है। की प्लेट भर भर का अनाज फेंका जाता। दरियों में, चटाइयों में,  टेबलों में अनाज के दाने बिखरे पड़े रहते और लोग उन्हें पैरों से, जूतों से रौंदते। ये सारी चीज़ें देख देख कलेजा फटता है।
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*⚠️लोग अपनी हैसियत से ज़्यादा लोगों बुला लेते और फिर उनकी देखभाल में मुआमला ऐसा बिगड़ता की महफ़िल का हर शख्स देखता है अनाज के नाकद्री....❤‍🩹😞*

पार्ट 168
जितना अनाज़ की, रिज्क की हुरमत और उसकी क़दर का बयान मज़हब-ए इस्लाम सिखाता है दुनिया का कोई भी मजाहिब इसका इतना दर्स नही देता।
लेकिन सब से ज़्यादा बेहुरमती अनाज की हमारे ही शादियों में, लंगरों में होती है। की प्लेट भर भर का अनाज फेंका जाता। दरियों में, चटाइयों में,  टेबलों में अनाज के दाने बिखरे पड़े रहते और लोग उन्हें पैरों से, जूतों से रौंदते। ये सारी चीज़ें देख देख कलेजा फटता है।
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*⚠️लोग अपनी हैसियत से ज़्यादा लोगों बुला लेते और फिर उनकी देखभाल में मुआमला ऐसा बिगड़ता की महफ़िल का हर शख्स देखता है अनाज के नाकद्री....❤‍🩹😞*

पार्ट 169
_वो नकाब ही क्या जो शादियों और दीगर तकरीबात पर उतर जाए..._

पार्ट 170
फिजाओं में पतंगे(Kite🪁) उड़ेंगे, इसलिए मोटरसाइकिल(Bike) चलाते(Drive) वक्त थोड़ा होशियार(Alert) रहें।
कहीं ऐसा न हो की कटी हुई पतंग का मांजा(धागा) आपके जिस्म को नुकसान पहुंचाए या जख्मी कर दे।💔
______________________
_डरा नही रहे, बस आपको होशियार कर रहे।_


पार्ट 101

पैसों के और दीगर चीज़ों के बलबूते पर आप ताल्लुकात(Rilationship) कायम करेंगे तो ये मुहब्बत नही बल्कि तिजारत होगी। एक बाजार लगेगा रिश्तों का और तिजारत(Business) होगी मुहब्बतों की। फिर जो ज्यादा रेट लगाएगा वो प्यार ज्यादा लूट के ले जाएगा, तो ये काम न करें।
_________________
*⚠️हमने पैसों और दीगर कीमती चीज का शौकीन नही बनना, बस कोशिश करें की आप अपनी शफक्क़त(Kindness) का, मुहब्बतो का और अदब-ओ लिहाज(Respect Ful Manner) का कुछ हिस्सा हमे देते रहें और फिर बात ख़त्म।*

पार्ट 102

पैसों के और दीगर चीज़ों के बलबूते पर आप ताल्लुकात(Rilationship) कायम करेंगे तो ये मुहब्बत नही बल्कि तिजारत होगी। एक बाजार लगेगा रिश्तों का और तिजारत(Business) होगी मुहब्बतों की। फिर जो ज्यादा रेट लगाएगा वो प्यार ज्यादा लूट के ले जाएगा, तो ये काम न करें।
_________________
*⚠️हमने पैसों और दीगर कीमती चीज का शौकीन नही बनना, बस कोशिश करें की आप अपनी शफक्क़त(Kindness) का, मुहब्बतो का और अदब-ओ लिहाज(Respect Ful Manner) का कुछ हिस्सा हमे देते रहें और फिर बात ख़त्म।*

पार्ट 103
जो मरने वाले लोग होते हैं
*उनका जीना कुछ और होता है*
जिनको जाना होता है
*उनका रहना कुछ और तरह का होता है*
___________
_✨जगह जी लगाने की दुनिया नही है_
_ये इबरत की जां है तमाशा नही है.......💔😥_

पार्ट 104

*✨मफहुम-ए हदीस है: हुजूरﷺ* का इरशाद है कि जिस शख्स ने अपनी बीवी की बद-खुल्की पर सब्र किया अल्लाह तआला उसे मसाइब पर हज़रते अय्यूब अलैहिस्सलाम के सब्र के अज़्र के बराबर अज़्र देगा और जिस औरत ने ख़ाविन्द की बद-खुल्की पर सब्र किया अल्लाह तआला उसे फ़िरऔन की बीवी आसिया के सवाब के मिस्ल सवाब अता फरमाएगा।
______________________________
*#मुकाशिफ़्तुल कुलूब, सफ़ा 488*

पार्ट 105

अल्लाह तआला व रसूल अलैहिस्सलाम के बाद जो हक़ीक़ी मुहब्बत है जिसमें सच्चाई है वो सिर्फ़ वालिदैन(Parents) और भाई-बहन का प्यार है। बाकी सब मे अपना ज़ाती मफाद है। इसी तरह एक लड़का और लड़की का बिना निक़ाह(Marriage) के Relationship में रहना हराम सद हराम है। और जब किसी को समझाया जाए तो कहते हैं कि, नही! हम तो सिर्फ़ दोस्त टाइप के हैं हमारी मुहब्बत सच्ची है। इन नादानों को नही पता की ये जिसे मुहब्बत(Love) कहते हैं उसका आख़री पड़ाव *Sexual Relationship* है और कम्बख़्त इसी को मुहब्बत का नाम देते।
*⚠️इस्लाम में इस तरह की चीज़ों की सख़्त मनाही है, लोगों को इन ख़बासत से बचना चाहिए।*

पार्ट 106

मैं पीर साहब का बड़ा करीबी हूं। तो फिर तेरे अखलाक(Behaviour) बताने चाहिए की तू पीर साहब का बड़ा करीबी है। तेरे ऊपर उसका असर हो तो पता चल जाए की कितना करीबी है। पीर साहब के पास बैठ जाने और पीर के साथ फोटो खिंचवा(तस्वीर-कसी की इजाजत शरिअत नही देती) लेने से कोई करीबी नही हो जाता।
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⚠️आज हमारी सारी नसीहते गैरों के लिए है। हमारे सारे पैगाम(Msg) औरों के लिए है। और जब हमारे अपने घर की बारी आती है, तो बहुत सारे लोग कमजोर पड़ जाते हैं।😥

पार्ट 107

वालिदैन या घर का कोई बड़ा जब किसी छोटे बच्चे या किसी और शख्स से पानी का गिलास मंगाता है तो हो न हो, कभी न कभी एकाध बार पानी का गिलास छूट कर गिर जाता है। और ये साहेबान बिगड़ जाते की देख कर पकड़ नही सकते, इतने बड़े हो गए हो, काम ठीक से करने नही आता। गौर करने की बात है की गिलास किसके हाथ से गिरेगा? उसी से न जो दिन रात पानी का गिलास ला कर दे। या उससे जो पानी का गिलास मंगवाए ? अब बंदा अगर दिन में 10 गिलास भी ला कर देता है और उसे साल भर में करीब वो 4000 गिलास पानी सप्लाई करता है। अब कभी 1-2 मर्तबा गिलास गिर भी गया तो कोई प्राब्लम नही की उसने 4000 गिलास भी तो सप्लाई की...1/2
...अब जबकि गिलास गिर गया तो बच्चे या उस गिराने वाले शख्स को हमदर्दी(Sympathy) देने की बजाए इस पर ही अपनी कड़वाहट निकालने लगते हैं, की देख कर नही कर सकते इतने बड़े हो।
अरे भाई! आपका मिजाज तो ऐसा होना था की उसने 4000 हजार गिलास सप्लाई की लेकिन 1-2 बार गिरा तो उससे कहना था, की बस 1 बार ही गिरा है। इतनी सप्लाई की तो कम से कम 40-50 बार गिरना था। इंसान ही हो न, कोई जिन्न वगैरह तो नही हो न ?
_________________
⚠️पता चला की हम बच्चों का आत्मविश्वास(Confidence) बे-फजुल की बातों से डाउन कर देते हैं।😥2/2

पार्ट 108
*अपनी जिंदगी में एक ही मक़सद रखें की आपने बस खुश रहना है, बाकी सब बेकार की बातें हैं।😊*
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बड़ी बड़ी नौकरी करने वाले भी रोज़ घुटते हैं, ऐसे भी लोग हैं। और छोटी छोटी नौकरी करने वाले, खेतों में काम करने वाले भी एकदम मस्त रहते हैं खुश रहते हैं, ऐसे भी लोग हैं।
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यानी ये समझ लीजिए की आपकी जिंदगी का मक़सद खुश रहना हो। अब चाहे खुशी गरीबी में हो, या मुश्किल हालात में हों या बुरे वक्त में हों या फिर जिंदगी का उतार चढ़ाव। खुशियां अपनी जिंदगी में आपने ही तलाशनी है।😌

पार्ट 109

🥼अगर आप दर्जीयों(Tailor) का काम करते हैं तो
ये *हज़रत इदरीस अलैहिस्सलाम* का तरीका है।
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⚒️अगर आप लोहे(Iron) का काम करते हैं तो
ये *हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम* का तरीका है।
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🌾अगर आप खेती बाड़ी(Farming) का काम करते हैं तो
ये *हजरत आदम अलैहिस्सलाम* का तरीका है।
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🍃अगर आप बकरियां(Goat) चराते हैं तो मफहूम ए रिवायत है की
*सारे नबियों* ने चराई है।
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⚖️अगर आप तिजारत(Business) करते हैं तो
ये मदीने वाले *रसूल अलैहिस्सलाम* का तरीका है।
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🎙️अगर आप मस्जिद के मोअज्जिन हैं, अज़ान पढ़ते है तो
ये *सैय्यदना हज़रत बिलाल रदियअल्लाहो तआला अन्हो* का तरीका है।
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📖अगर आप कुरान पढ़ते, पढ़ाते, सिखाते हैं तो
ये *हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने मसउद रदियअल्लाहो तआला अन्हो* का तरीका है।
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🎤अगर तू नात पढ़ता है तो
ये *हज़रत हस्सान बिन साबित रदियअल्लाहो* तआला अन्हो का तरीका है।
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🕌अगर तू मस्जिद के मिम्बर बैठ कर खुतबा देता है तो
ये *मुहम्मद ए अरबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम* का तरीका है।
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*⚠️तो घबराने की जरूरत क्या है? आप क्यूं घबराते हैं की आप फलां जगह पर हों और ये चीज़ कमजोरी का बाइस है। आप कमजोर क्यूं पड़ते हैं, आपके अंदर ख़ुदएतमादी(Self Confident) तो हो।*

पार्ट 111
🤝लोग माफ़ी नहीं देते, लोग दरगुज़र नही करते। इंसानों से गलतियां हो जाती हैं।
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✨सही मुस्लिम की मफहुम-ए हदीस है: कि अगर कभी किसी बन्दे से कोई गुनाह सरजद हो जाए फिर उसने तौबा कर ली। अगर किसी बन्दे ने दुबारा इस बन्दे को वो गुनाह याद दिलाया तो अल्लाह तआला इसको(याद दिलाने वाले को) मरने से पहले पहले इसे भी उस गुनाह में मुब्तिला कर देगा। अल्लाहु अकबर
*➡️पीर अजमल रज़ा क़ादरी के बयान से अख्ज़*

पार्ट 112
*✨तशरीह:* इश्क ए रसूल की आग में दिल के जलने की जो हल्की हल्की बू आ रही है ये मेरे आका अलैहिस्सलाम की मुबारक आंखों के इश्क की सोजिश से पैदा होती है और इस दिल के इश्क ए रसूल में कबाब होने की जो लज़्ज़त है भला वो हिरण के कबाबों में कहां हो सकती है।

पार्ट 113
सबसे पहले रिज़्क़(Sustananse) को इज़्ज़त(Respect) देना सीखिए।
खाना(Food) अल्लाह त'आला की नेअमत(Gift) है, जब खाना पेश किया जाए तो जरूरी है कि इसके आदाब(Manner's) का ख़्याल रखा जाए।
💯✅
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“Save_Food”

पार्ट 113
पहले निकाह का बड़ा आसान था की बस इज़ाब-व कुबूल था।
लेकिन आज के दौर में सेखी बघारने और दिखाने के चक्कर में लोगों ने निकाह जैसे चीज़ों में बे-फिजूल की चीज़ें दाखिल करके अपने ही नफ्स पर आफ़त मोल ले ली।
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और उन्ही चोचलों में से एक चोचला दौरान-ए निकाह हल्दी और मेहंदी सेरेमनी के नाम पर बेपर्दगी, और दूसरी गैर शरई चीज़ों को फरोग देना है। जिसमें आजका नौजवान तबका इन सेरेमनी को महज़ सोशल मीडिया की ज़ीनत बनाने की गर्ज़ से ही अमल में लाता है। ये तो हाल है हमारा और फिर हम, हमारी शादियों में बरकत तलाशते। हम लोग भी गज़ब हैं...😥

पार्ट 114
*मस्जिद में स्कैनर*

उलमा-ए अहले सुन्नत की बारगाह में यह अर्ज़ी पेश है कि जिस तरह ज़माने के एतिबार से (फुरूई) मसअले-मसाइल बदल जाते हैं, ठीक उसी तरह हालात के एतिबार से तरीक़े भी बदल जाते हैं यानी असल वही रहता है लेकिन उसका तरीक़ा नया हो जाता है।

जैसे पहले मस्जिद का मीनारा नहीं था, बाद में बनाया गया। इसी तरह जमाअत के औकात मखसूस नहीं थे, बाद में लोगों के आसानी के लिए औकात मखसूस किए गए। इसी तरह पहले लोटे से वुजू बनाते थे, अब नल वगैरा पर बनाने का नया तरीक़ा हो गया है। इसी तरह पहले पंखे भी नहीं थे, बाद में पंखा हुआ लेकिन अब Ac वगैरा लगते हैं। पहले माइक नहीं थे, अब माइक से तकरीर वगैरा होती है और भी बहुत सी चीज़ हैं।

कहना ये है, कि जब जदीद चीज़ की बिना पर इतना सारा हो गया तो एक नए जदीद चीज़ को और जारी किया जाए कि अब हर जगह ऑनलाइन पेमेंट का सिस्टम सब लगा है, कहीं भी जाए तो स्कैनर वगैरा के ज़रिए पैसे का लेनदेन होता है, तो ठीक इसी तरह मस्जिद का A/c खुलवा कर उसका स्कैनर बना कर मस्जिद और मदरसे के लिए अलग अलग लिख कर बाहर गेट पर लगवा दिया जाए कि अब 80% ऑनलाइन पेमेंट लोग करते हैं और अक्सर हज़रात Cash नही रखते तो वो जैसे मस्जिद से बाहर निकले तो स्कैनर देख कर पेमेंट कर सकें।

और वैसे भी अभी के दौर में बहुत से लोग इधर-उधर में पैसे ज़्यादा खर्च करते हैं लेकिन नेक काम में खर्च करने से कतराते हैं, और उनका नफ्स उनको एक बहाना भी दे देता है कि "पास पैसे है नहीं तो देगा कैसे" जबकि किसी और काम में दोस्त यार के साथ अय्याशी के लिए कैसे भी कर के पैसे ले आते हैं। तो इस तरह एक अच्छी चीज़ भी राइज हो जायेगी, और लोग बा आसानी इस में हिस्सा भी ले पाएंगे।

पार्ट 115
हमारे पास ढेरों चप्पलें हैं लेकिन हमें हर तिमाही में नई चप्पल चाहिए। हमारी आलमारियां दर्जनों कपड़ों से भरी पड़ीं हैं लेकिन हमें हर माह नए कपड़े चाहिए। हमारे दस्तरखान अल्लाह तआला की दी हुई नेअमतो(Gift) से भरे पड़े हैं लेकिन हमने आज भी दस्तरखान(Tablecloth) में कमी लगती है। हमारे पास दुनिया भर की एशो इशरत(Luxury & Pleasure) की चीजें मौजूद हैं लेकिन फिर भी दिल को सुकून(Peace) नही की बस ये हासिल कर लूं वो हासिल कर लूं।
⚠️सुनो!
✨जिसे शुक्रगुजार(Thankful) दिल और हमेशा करीम रब का शुक्र अदा करने वाली ज़बान मिल गई गोया उसने दो जहां की भलाइयां(Goodness) हासिल कर ली।

पार्ट 116

अगर आप नोकरी करते हैं तो इसमें एक तय शुदा रकम मिलती है मिसाल के तौर पर आप कहीं मुलाजिम हैं तो 7000-10000, और अगर कहीं कंपनी में जॉब करते हैं तो 25हज़ार के करीब और सरकारी नौकरी है तो कहीं ज़्यादा 50 हजार के करीब तनख्वाह पाएंगे। लेकिन आप अगर ख़ुद का कुछ स्टार्टप या बिजनेस करेंगे इससे कहीं ज़्यादा कमा लेंगे और फिर आपको अपने बिजनेस में लगन और मज़ा एक अलग ही लेवल पर ले जाएगा।
⚠️इसलिए छोटी शुरवात करें। अक्सर बड़े ताजिर(बिज़नेस मैन) ने छोटे छोटे कदम बढ़ा कर बड़े मुकाम को हासिल किया है।😊

पार्ट 117

मा-बाप तो हुस्न हैं जिंदगी के, वकार हैं इंसान का। मां बाप का हाथ पकड़ कर चलेंगे तो रास्ते सीधे रहेंगे। और जिस दिन उंगली छोड़ कर सड़क पर निकलना पड़ा न तो सर चकराने लगेगा।
याद रखना! ये बड़ा मुश्किल काम होता है।
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❤‍🩹इंसान का रुख(Dircetion) ही उस दिन मालूम होता है जिस दिन वो साए से महरूम होता है।😥💔

पार्ट 118
_कुरआन-ए करीम फरमाता है_
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*“मर्द अफ़सर है औरतों पर”*
✨💜✨

पार्ट 119
*✨इमाम गज़ाली रदीअल्लाहो तआला अन्हो फरमाते हैं*
💫बुजुर्गों ने फरमाया है औरतों से मशवरा करो लेकिन अमल उसके खिलाफ़ करो। (यानी जरूरी नही कि औरत के हर मशवरे पर अमल किया जाए)
___________________________
*#कीम्या-ए सआदत, सफा 263*

पार्ट 120
_📖मिश्कात शरीफ़ की एक हदीस है जिसका मफहुम है:_ *एक मर्द, दूसरे मर्द के साथ और एक औरत, दूसरी औरत के साथ एक कपड़ा ओढ़ कर न लेटे।*
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⚠️कुर्बान जाइए हुजूर अलैहिस्सलाम पर जिन्होंने औरत को औरत के साथ  एक बिस्तर पर एक चादर में आराम करने से मना फरमा दिया। मर्दों में जिस तरह इस हरक़त से कॉम-ए लूत के ना'पाक अमल का खतरा, औरतों में भी उसी फितने का डर।

पार्ट 121
शहरे नबी तेरी गलियों का नक्शा ही कुछ ऐसा है,
खुल्द भी है मुश्ताक-ए ज्यारत जलवा ही कुछ ऐसा है।✨

पार्ट 122
जिंदगी में एक वक्त ऐसा भी आ जाता है जब इंसान बिलकुल अकेला हो जाता। आपने अपनी जिंदगी में देखा ही होगा कहीं न कहीं, कि जब घर में कोई बुज़ुर्ग एक दम ज़्यादा बीमार हो जाएं तो घर में लोग मशवरा करते हैं कि आज तूने रात जागनी है और तीमारदारी करनी है और कल फ़िर मैं रुकूंगा। यानी की वक्त किसी के पास नही है।❤‍🩹
_____________________________
*⚠️आपने अक्सर जनाजो पर शिरकत की होगी। कोई पुकारने वाला पुकारता है की जल्दी करो जी, मेहमान लोग दूर से आए हैं खाना खाकर उन्हे जाना भी है। यानी की कुल महासल यही की अब लोगों के पास वक्त नहीं रह गया है।💔😥*

पार्ट 123
*✨अ़ल्लामा खा़दिम हु़सैन रज़वी अलैहिर्रहमा* अपने एक बयान में कहते हैं के मैंने शादियों में जाना बंद कर दिया है।  मुझे समझ ही नहीं आता के ये मुसलमानों की शादी है ?
(या'नी क्या मुसलमान भी ऐसे शादी करते हैं?)
_______________________________________

पार्ट 124
अगर मजदूर दिन भर कड़ी धूप में मेहनत करके कुछ 100 रुपए कमा कर लाता है तो वो उन करोड़ों रुपए से बेहतर है जो हराम की कमाई से हासिल किए जाएं।
_______________
*✨इसलिए हज़रत-ए इंसान को चाहिए की कभी भी अपने जायज़ कामों में शर्म न करे, कि हलाल की कमाई नसीब होना भी बहुत बड़ी सआदत है।*

पार्ट 125
तकरीबन तकरीबन हर मर्द और औरत को पता ही है की मर्दों को सोने की अंगूठी पहनना हराम है। लेकिन जब बात अमल की आती है तो अकसर मकाम पर कुछ लोग फिसड्डी साबित होते हैं की इनकी तबिअत इन पर ग़ालिब आ जाती है।🤨
✨कुल महासल यही की मर्द को पता है की सोने की अंगूठी नही पहनना है लेकिन जब ख़ुद की शादी होती है तो बड़ी शौक से पहनते है की मियां कुछ देर ही तो पहनना है। और इसी तरह लड़की की मां भी जानती है की मर्द को सोने की अंगूठी नही पहननी है लेकिन शादी में दामाद को बड़े शौक से सोने की अंगूठी पहनने को दी जाती है।
*⚠️पता चला की हम अमल के मैदान में फिसड्डी हैं।*

पार्ट 126
_साल में कम से कम 2 बार हॉस्पिटल के चक्कर लगा कर वहां एडमिट मरीजों को बस करीब से देख कर आ जाना।_
_________________________
*सारा घमंड, तकब्बुर, अना हॉस्पिटल के सीढ़ियों तक पहुंचते पहुंचते ख़त्म हो जाएगा।*
😥💔

पार्ट 127
कभी कभी ऐसा होता की हम घर की किसी जगह पर कुछ हज़ार रुपए या कुछ सौ रुपए रखे होते हैं और फिर एक मुद्दत तक भूल जाते हैं। लेकिन जब याद आता है सामने सख्त जरूरत हो और पता चले की रखे थे ₹1000 रुपए और वहां से निकले ₹10000 रुपए तो फिर खुशी का ठिकाना पूछो मत मत।
*✨हालांकि ये अल्लाह तआला का फजल है। क्या हमने हज़ार ही रखे थे या हमारी जायज जरूरत के पेशे नज़र उन पैसों में बरकत हो गई और हमें गैब से नवाज़ दिया गया।💜😊*
_पता चला की बन्दे को हमेशा *रब तआला* की रज़ा पर रहना चाहिए वो उसके लिए काफी है_

पार्ट 128
चुनाव हर 5 साल में आयेंगे
कुछ लोग चुनाव जीत कर आएंगे तो कुछ हार जाएंगे
और ऐसा चलता रहेगा।
_____________
लेकिन इन चुनाव परिणामों में आप अपने आपसी सम्बन्ध ख़राब न करें, मिल कर रहें। मतदाता की एक एकता ही उसकी ताकत है।
🇮🇳
पार्ट 129
चुनाव कोई भी जीते
पर जितना *“भारत”* ही चाहिए
___________
💜🇮🇳💜

पार्ट 130

💫अपनी जिंदगी में देने वाला मिजाज बनाएं। अब तो दोस्तियां, यारियां, ताल्लुकात, नाते इस बुनियाद पर है की नफा कैसे हासिल किया जा सके। सामने वाले को इस्तेमाल कैसे करना है?
_🔹ये छोटे लोगों की अलामत है, बुजदिलों की अलामत है, कमजोर लोगों की अलामत है। *दिलेर लोग जो होते हैं वो नफा नही लेते।*_
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*✨लोगों में बेहतर लोग वो हैं जो दूसरों को नफ़ा दें...😊*

पार्ट 131
6 दिसंबर को ~Black Day Status~ रखने से अच्छा अपने *मुहल्ले की मस्जिद* को आबाद करना।
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यही सच्ची खिराज़-ए अकीदत होगी तेरी
💔

पार्ट 132
जब हम किसी नेक, पारसा, परहेज़गार से सच्ची पक्की अकीदत-ओ मुहब्बत करते हैं तो लोग हमें कहते न की प्यार बड़ा करते हो, उन जैसे अमल भी तो करो।😪
_______________________
✨अब इंसान है न, गलती तो हो ही जाती है। अब हम अमल नही करते तो क्या तुम हमें नेक लोगों से मुहब्बत भी न करने दोगे ? मेहरबानी तो करिए, प्यार तो करने दीजिए।
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*⚠️एक रिवायत का खुलासा है जो जिससे मुहब्बत करेगा उसका हश्र भी उसके साथ होगा*

पार्ट 133
देखिए! जो शख्स रिश्तों की अहमियत को समझता और उनकी कद्र को जानता है वो हमेशा उन रिश्तों में तालमेल बना कर रखेगा की कभी किसी बात पर कोई खटास पैदा न हो। और बाज़ लोगों को शिकायत भी होती है की दो लोगों के दरमियान एक शख्स दूसरे शख्स को तवज्जोह नही दे रहा जबकि होता इसके बरअक्स है की तवज्जोह तो पूरी है लेकिन फ़िक्र उसकी दिल से है।

पार्ट 134
जो शौहर[Husband] शरीअत का हुक़्म जानता है, वो कभी अपनी बीवी[Wife] के हक़ की ख़यानत[Dishonesty/बेईमानी] न करेगा ! और जो औरत शरीअत के हुक़्म के मुताबिक जज़ा और सज़ा[Gift&Punishment] से वाकिफ़ है, वो हर हाल में शौहर की एहसानमन्द[Gracious] रहेगी, और हमेशा उसे ख़ुश रखने की कोशिश करेगी !
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⚠️बीवी के हक़ की ख़यानत से मुराद यहां यह है, कि बाज़ मर्द घर पर बीवी होने के बावजूद इधर उधर मुंह मारते है यानी कि दूसरी औरतों से नाजाइज़ ताल्लुक़ात रखते हैं !

पार्ट 135
पेशाब और पाखाना का होना भी एक नेअमत है, कि अग़र ये बन्द हो जाये या किसी वजह से इनमें रुकावट आ जाए तो हज़रत ए इंसान का जिस्म एक अज़ीब सी कशमकश और परेशानी के आलम में आ जाता है। आप कभी हॉस्पिटल जाएंगे तो पता चलेगा कि Department Of Nephrology[किडनी विभाग] Department Of Urology[यूरिन विभाग] और Department Of Scatology[मल विज्ञान】 में ऐसे ऐसे मरीज़ मौजूद हैं जो ऐसे ऐसे मर्ज़ और बीमारी से दो चार हो रहे कि यहां बयान करना मुश्किल है। फ़क़ीर ए क़ादरी(writer) ने ख़ुद ब नफ़्स-ए नफ़ीस देखा है कि लोग कैसी कैसी तकलीफ़ों में मुब्तिला हैं।❤‍🩹
लेहाज़ा अग़र आप तंदुरुस्त है तो “करीम रब” का शुक्र अदा करें।

पार्ट 136
हम अक्सर नात सुनते हैं और बहुत सी नातों में हुज़ूर अलैहिस्सलाम का नाम मुबारक भी आता है और अक्सर लोग जलसों में शिरकत करते हैं और जलसों में भी हुज़ूर अलैहिस्सलाम का नाम भी कसरत से ज़िक्र किया जाता है। दो लोग जब आप में बैठते हैं, तो एक शख्स हुज़ूर की सीरत बयान करता है तो दूसरा सुनता है।
क्या इस दौरान हम दरूद-ए पाक पढ़ते हैं ? जबकि हुक्म है की जहां हुज़ूर अलैहिस्लाम ज़िक्र हो कम से कम एक बार दरूद शरीफ़ पढ़ा जाए।
______________
*✨मफहुम-ए हदीस है की वो शख्स बखिल(कंजूस) है जिसके सामने मेरा ज़िक्र हो और वो मुझ पर दरूद ना पढ़े।*

पार्ट 137
*सल्लल्लाहु त'आला अलैहि वसल्लम*

_भी मुकम्मल दरूद शरीफ है_

पार्ट 138
हम
नही
रहे
तो
____________
दुनिया फिर भी चलती रहेगी, जो हमा वक्त याद करते थे और हमसे खुश रहते थे वो भी कुछ वक्त बाद भूल जाएंगे।
😥

पार्ट 140
⚠️हमारे बहुत सारे काम ऐसे हैं जो हम फ़ैशन समझने लगे हैं। मसला ये है कि दिल दुखाते हैं लोगों का और जुर्म ये है कि माफ़ी अल्लाह तआ़ला से माँगने बैठ जाते हैं। हमें तो खुद यही नही मालूम कि हम मुजरिम किसके हैं ? ग़लती क्या की है, और माफ़ी किससे मांग रहे ? हमें तो चाहिए कि पहले इस बात को तअय्युन करें कि मैंने किस किस का दिल दुखाया है और उससे माफ़ी मांग लूं।
...
✨अल्लाह तआ़ला क़ुरआन मजीद में इरशाद फ़रमाता है:- वो लोग जो ईमान वाले मर्द और ईमान वाली औ़रत को तकलीफ़ देते हैं, बहुत बड़ा बोहतान और गुनाह है जो वो अपने खाते में डालते हैं।

पार्ट 141
*हिकायत*
_*👒बीवी की तारीफ़🎊*_

✨एक दानीशवर हैं वो कहते हैं की मेरी अहलिया को एक दिन कहीं जाना था तो वो बड़ी बन संवर कर मेरे साथ गाड़ी में बैठी। वो कहते हैं की जब वो बन संवर कर मेरे साथ गाड़ी में बैठी तो वो तकाजा करने लगी की मैंने कपड़े बड़े उम्दा पहने हैं और आपने तवज्जोह ही नही कराई।

👤वो सयाना बंदा था, वो चाह रहा था की ये समझ जाए। वो समझता था की बंदी मिसगाइड हो गई है पर है बड़ी भोली भाली।

💫दानीशवर ने कहा: नाराज़ न हो तो फिर मैं सही वाली तारीफ़ कर दूं। तो उस बंदी ने कहा की आप कर दें।

*💔तब उस शख्स ने बड़े दर्द से और खुलूस से अपनी बीवी से कहा, मैंने कहा: मैं रोज़ शाम को घर आता हूं, रोज शाम को घर आता हूं। अगर तू मेरे लिए तैयार होती तो मैं तेरी तारीफ़ जरूर करता। लेकिन आज तो तू बाहर जाने के लिए तैयार हुई है तो फिर तू उनसे तारीफ़ की उम्मीद कर जिनके लिए तू तैयार हुई है। मेरे लिए तूने तैयारी की होती तो फिर तो मैं हर शाम तेरे पास होता हूं। दानिशवर का कहना था की मेरे लहज़ो में बड़ा दर्द था तो वो भी रो पड़ी।❤‍🩹🥹*

पार्ट 142

एक शख्श ने अपनी बीवी को तलाक़ देकर दूसरी शादी कर ली। उस शख़्श का बेटा था 7 साल का। एक दिन उस शख्श ने अपने बेटे से पूछा कि बेटा पुरानी अम्मी अच्छी थी या नई अम्मी ? बच्चे ने कहा: अब्बू पुरानी अम्मी तो झूठी थी। नई अम्मी तो सच्ची है अपने बात की पक्की है। बेटे ने बताया कि जब में शरारत करता तो पुरानी अम्मी बोलती की आज तुझे रोटी नही दूंगी, और थप्पड़ मारकर  निकल देती और आधे घन्टे के मुझे ढूंढती, ढूंढ़कर लाती और मिन्नत करती मुझे न सताया कर फिर बाद में ख़ुद रोटी पकाती और घी लगाती और ख़ुद अपने प्यारे हाथों से निवाला बनाकर खिलाती। ख़ुद नहलाती, उजले कपड़े पहनाती और नई अम्मी सच्ची है, में शरारत करता हूँ तो थप्पड़ मार कर निकालती है और कहती है आज तुझे रोटी नही दूंगी और सारा दिन मुझे रोटी नही देती।😣💔

पार्ट 143
सब्र एक तदबीर है। ये आपको सयाना कर देगी। अल्लाह तआला ने आपको जो दिया है उसपर शुक्र अदा करें। अपने इर्द-गिर्द मौजूद लोगों को देख कर परेशान न हों कि उसका घर कितना आलीशान है, उसके पास महंगी महंगी गाड़ियां हैं और कितना ज़्यादा कमाता है। मुश्किलात हमेशा बड़े लोगों पर आती हैं, जो ज़हन के छोटे हों, दिल के छोटे हों उनपर अल्लाह तआला मुसीबतें नही डालता।
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पूछा गया कि सबसे ज़्यादा मुश्किलात किनपे आती हैं तो फ़रमाया: नबियों पर।
फिर अर्ज़ किया: उसके बाद? फ़रमाया: नेक लोगों पे, उलमा पे, सूफ़िया पे, सुल्हा पे।

पार्ट 144
अक़्सर घरों में मियां-बीवी के किस्से हैं कि शादी के बाद कुछ दिन तो बढ़िया कटते हैं फिर ना जाने कभी कभी, कहीं कहीं, कुछ न कुछ नोक झोंक होती है और यह आम तरह का है। लेकिन कभी कभी बात बढ़ भी जाती है।
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⚠️तो ऐसे मियां-बीवी को बल्कि दुनिया के हर Husband-Wife को हुज़ूर अलैहिस्सलाम की मुबारक अज़्दवाज़ी ज़िन्दगी[Mubaark Marriage Life] को क़रीब से जानना, और अमल में लाने की कोशिश करनी चाहिए। हुज़ूर अलैहिस्सलाम की मुबारक ज़िन्दगी हम सब के लिए एक मुबारक पैग़ाम है।

पार्ट 145
हम अपनी अज़्दवाज़ी ज़िन्दगी किस तरह बसर करें इसे जानने के लिए यह पैग़ाम हमें हुज़ूर अलैहिस्सलाम की मुबारक सीरत ए तैय्यबा में मिलता है।
अग़र आपकी बीवी आप से उम्र में बड़ी है तो आप हुज़ूर अलैहिस्सलाम और हज़रत खदीजा रदियल्लाहो तआला अन्हा की मुबारक अज़्दवाज़ी ज़िन्दगी का मुताला[अध्ययन] करें।
और अग़र आपकी बीवी आप से उम्र में छोटी है तो आप हुज़ूर अलैहिस्सलाम और हज़रत आयशा सिद्दीक़ा रदियल्लाहो तआला अन्हा की अज़्दवाज़ी ज़िन्दगी को पढें।
⚠️इंशा अल्लाह रहमान आपकी ज़िन्दगी में, आपके रिश्तों में बहुत बरक़त होगी।

पार्ट 147
क़र्ज़ लेकर महंगी शादियां करना, बड़े बड़े और महंगे पंडाल(Tent) और बारात में महंगी महंगी गाड़ियों का काफ़िला और ढोल ताशों की धमक से कोई आपको अंबानी नही समझेगा। एक दिन के लिए 20 हज़ार की शेरवानी और 10 हज़ार के घोड़े पर बैठ कर शेखी बघारने(To Rant) के लिए आपको महीनों और सालों खच्चर की तरह काम करना पड़ेगा। निकाह जैसे मुबारक रिश्तों की शुरवात कम खर्च और सादगी के साथ करें, दिखावे की दुनिया से बाहर आएं और सच का सामना करें। मुस्तकबिल(Future) में कशमकश(Tension) फ्री रहना है तो कर्ज़ लेकर घी खाना बंद करें और अहद(Promise) करें की न कर्ज़ वाली बहु लाएंगे और न कर्ज़ वाली बेटी देंगे।
*⚠️निकाह को आसान करें और ज़िना को खत्म करें*

पार्ट 148
बाप की जो मुहब्बत होती है न वो जाहिर नही होती, बस उसे महसूस किया जा सकता है।
🪄
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पार्ट 149
कोई शख्स जब कुछ कंटेंट लिखता है तो बतौर-ए कैफियत और एक क़ल्बी जुड़ाव की वजह से वो अपना नाम उसमें लिख देता है ताकि अवाम को पता भी चल जाए की ये कैफियत किसने अपनी तहरीर में उड़ेल दी है। लेकिन जब वो चीज़ें हमारे पास तक आती हैं तो हम उसमें से उनके लिखे नामों को हटा चुके होते हैं।
क्यों ? क्युकी हमारे अंदर खुलूस कि कमी है। हमें अजीब सा डर है की हमारे पास कुछ चीज़ आ रही तो उसमें किसी दूसरे का नाम क्यू ?
*याद रखें! जब तक हम दूसरों की मेहनत को कद्र व इज़्ज़त नही देते तब तक हमारे अंदर खुलूस पैदा नही हो सकता।*

पाकिसी मर्द या औरत से उसी वक्त तक ख़ैर की उम्मीद की जा सकती है, जब तक वो अपने वालीदैन(Parent's) के हक में ख़ैर की उम्मीद रखता हो।
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_✨आपका, अपने वालिदैन से हुस्न-ए खुल्क व हुस्न-ए अख्लाक रखना ही आपके मुस्तकबिल(Future) को रौशन(Bright) करता है।_

पार्ट 150
यकीन मानो! जिसे नेक परहेज़गार बीवी मिल गई हो, उससे ज़्यादा दौलतमंद दुनिया में कोई नही।
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💜✨💜

पार्ट 151
यकीन माने! जिसके पास वफादार दोस्त हैं वो इन्हें संभाल कर रखें, खोने न दें की ये बड़ी अज़ीम दौलत है।
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✨💜✨

पार्ट 152
हमारी जिंदगी में बहुत से लोग और फिर उनमें से कुछ ख़ास लोग बड़े अज़ीज़ होते हैं लेकिन क्या उन बहुत से लोगों में और उनमें से कुछ लोगों में हम उनके अज़ीज़ हैं ?
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अकसर देखने में आता है की आप जिनको अज़ीज़ रखते हैं उनकी जिंदगी में आप उतने अज़ीज़ नही होते........................💔
😟

पार्ट 153
बीमारी और तंदुरुस्ती जिंदगी में आती जाती रहती है और इसका आना जाना लगा भी रहता है। इसी तरह पैसे भी आते हैं और कभी खत्म भी हो जाते हैं। लेकिन सब से बड़ी दौलत जो है वो सब्र की दौलत है। अगर ये हज़रत-ए इंसान को मयस्सर हो जाए, इसकी तौफीक अता हो जाए तो बंदा हर मुश्किल पर साबित क़दम हो।
*✨सब्र, सब्र वो चीज है की मुश्किल हालात में कठिन दौर में और उन जगहों पर जहां इंसान का वजूद हिल जाता है वहां पर भी अल्लाह तआला की मसलीहत पर राजी रहे।*

पार्ट 154
*“जनवरी एक ख़्वाब है और दिसंबर हकीकत”*
इन छोटे छोटे लफ्ज़ों का असर बड़ा गहरा है। कहने का मतलब यही है जब शम्शी नए साल की शुरवात जनवरी माह से होती है तो हज़रत-ए इंसान कई तरह के ख़्वाब देखता है की नए में अहद करके ये करूंगा वो करूंगा और फिर बहुत से ख़्वाब अपने ज़हनो फ़िक्र में संजो लेता है और उन्हें पूरा करने की जुस्तजू में लगा रहता। लेकिन साल गुजरते गुजरते कई ऐसे मराहिल आ जाते की साल की शुरवात में देखे गए ख़्वाब साल के आखरी अय्याम आते आते न मुकम्मल ही रहते और दिसंबर जो है हकीकत का आईना बन कर आता यानी साल की शुरवात में देखे गए ख़्वाब साल के आख़िर तक पूरे न हो पाते....💔

पार्ट 155
*मशवरा एक अमानत है और जब तुमसे मशवरा लिया जाए तो बड़ी दयानत दारी से दिया करो।*
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_✨तुम्हें कोई बंदा अपने घर की ज़ाती बात बता कर तुमसे मशवरा ले रहा तुम उसे आगे बयान कर रहे हो। कभी अपने दोस्तों की अपने अहबाब की कोई बात इधर उधर न करें।_

पार्ट 156
घर में “मर्द” की इज़्ज़त उस वक्त है जब वो पैसे कमा रहा हो।
इसलिए लड़की बाजी, इश्क बाजी का मर्ज उतार फेंको और आगे बढ़ो कुछ मुकाम हासिल करो।
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🪄
पार्ट 157
जो मुसलमान, क्रिसमस की मुबारकबादी/शुभकामनाएं दे रहें हैं वो सबसे पहले जाकर अपने सुन्नी उलमा से मसले दरयाफ़्त करें इस पर।  बहारे शरीअत पढें और आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खान अलैहिर्रहमाह का लिखा कंजुल ईमान[कुरआन शरीफ़ का तर्ज़मा] सूरह इख़लास पढें।
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⚠️ फ़क़त अपने कारोबारी मसाईल, अपने शॉप के वर्कर्स और दोस्तों को ख़ुश करने के लिए ईमान व अक़ीदे जैसे अहम मसले पर छुरी न चलाएं। दीन सीखें ताकि दुनिया व आख़िरत सँवरे।

पार्ट 158
कभी वक़्त मिले या वक़्त निकाल कर बहारे शरीअत- हिस्सा 1, अक़ाइद का इल्म पढ़ो।
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⚠️क्रिसमस की मुबारकबाद देना तसव्वुर में भी भूल जाओगे। और मेरे प्यारों, ईमान बड़ी नाजुक चीज़ है। इसकी हिफ़ाज़त को अपने ऊपर फ़र्ज़ जानों।

पार्ट 159
शरीअत से हटे
🫵🏻
आखिरत में फ़से

पार्ट 160
हज़रत-ए इंसान को चाहिए की लोगों से जब बात करे तो मुंह टेढ़ा करके बात न करे। अंदाज़ खुबसूरत हो बोलने का, अपने लहज़े में मिठास पैदा करे। मुहब्बत को फरोग दें।
और फिर मुसलमान तो होता ही मुहब्बत वाला है...🪄😊
पार्ट 161
औलाद जब छोटी होती है और उसे कोई Health(स्वास्थ्य) से जुड़ी Problem(दिक्कत) हो तो आप उसे कैसी भी Treatment(उपचार) दिलवा सकते, कोई प्राब्लम नही होगी। लेकिन, वहीं जब बच्चा थोड़ा बड़ा हो और चीजों को समझने लगे यानी की ये दवा खाऊंगा तो इसका स्वाद कड़वा है। ये injection(इंजेक्शन) है इसे लगाऊंगा तो दर्द होगा। ये Syrup(सीरप) है, इसे पीयूंगा तो कुछ देर मुंह कड़वा रहेगा। वगैरह वगैरह...
⚠️और इस तरह औलाद एक वक्त तक वालिदैन को मशक्कत में डाले रखती, लेकिन ये मशक्कत जो है वो औलाद और वालीदैन के बीच मुहब्बत को वसीअ करता है। और फिर इस मशक्कत पर भी ढेरों सवाब.....😍🪄

पार्ट 162
वहाबी देवबंदी कहता है, *हुज़ूर मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम* को पुकारना शिर्क है। लेकिन *आलाहजरत रहमतुल्लाह तआला अलैह* इसका ज़बरदस्त रद्द करते हुए कहते हैं...
_नज़र ए उशशाक ए बरी है ये तेरा हर्फ ए बरी_
_मिबरों वाज़ पर लड़ते रहें आपस में खतीब_
_ये अकीदाह रहे अल्लाह करे मुझको नसीब_
*मैं तो मालिक ही कहूंगा के हो मालिक के हबीब*
*यानी महबूब मुहिब में नही मेरा तेरा*

पार्ट 163
वहाबी-देवबंदी *Said,* *हुज़ूर सल्लल्लाहु त'आला अलैहि वसल्लम* हमारी तरह इंसान हैं। *But Strong Reply By आला हज़रत रहमतुल्लाह त'आला अलैह...*
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_कुछ बशर होने के नाते तुझे ख़ुद सा जाने_
_और कुछ महज़ पयामी ही खुदा का जाने_
_इनकी औकात ही क्या है के ये इतना जाने_
*फर्श वाले तेरी शौक़त का उलू क्या जाने*
*खुशरवा अर्श पे उड़ता है फरेरा तेरा*

पार्ट 164
_हम किसी की ज़िद में या किसी के कहने पर अहले बैत से प्यार करेंगे। अहले बैत हमारा ईमान है।_
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*✨हमारी औलादें और हमारी औलादों पर जितना करम “अल्लाह त'आला” करता है और “अल्लाह त'आला” ने हमें जो कुछ दिया है, ये “हुज़ूर मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु त'आला अलैहि वसल्लम” का सदक़ा ही तो दिया है।*

पार्ट 165
*दुआ बराए सेहतयाबी*

जैसा कि आप सभी जानते हैं की *जुनैद रज़ा अज़हरी/बरैली शरीफ़* किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं।
इनकी जो वालिदा साहिबा हैं वो कैंसर जैसे शदीद मर्ज़ में मुब्तिला हैं और ये जो कैंसर है वो उनके गाल के अंदर हुआ है। आज रात 8 बजे इनके गाल के कैंसर का ऑपरेशन है जो तकरीबन 8 घंटे चलेगा। आप हजरात दुआ फरमा दें की इनकी वालिदा जल्द इस मोहलिक मर्ज से निजात पाए।
और तमाम ईखराजात को पूरा फरमाए।
*#आमीन या रब्बल आलमीन*

पार्ट 166
40 आलिम बैठे हों तो उन्हें 1 दलील से चुप कराया जा सकता है
लेकिन 1 जाहिल हो तो वो 40 दलीलों से भी चुप नही बैठता
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*क्यूंकि वो जाहिल है न*

पार्ट 167
जितना अनाज़ की, रिज्क की हुरमत और उसकी क़दर का बयान मज़हब-ए इस्लाम सिखाता है दुनिया का कोई भी मजाहिब इसका इतना दर्स नही देता।
लेकिन सब से ज़्यादा बेहुरमती अनाज की हमारे ही शादियों में, लंगरों में होती है। की प्लेट भर भर का अनाज फेंका जाता। दरियों में, चटाइयों में,  टेबलों में अनाज के दाने बिखरे पड़े रहते और लोग उन्हें पैरों से, जूतों से रौंदते। ये सारी चीज़ें देख देख कलेजा फटता है।
___________________
*⚠️लोग अपनी हैसियत से ज़्यादा लोगों बुला लेते और फिर उनकी देखभाल में मुआमला ऐसा बिगड़ता की महफ़िल का हर शख्स देखता है अनाज के नाकद्री....❤‍🩹😞*

पार्ट 168
जितना अनाज़ की, रिज्क की हुरमत और उसकी क़दर का बयान मज़हब-ए इस्लाम सिखाता है दुनिया का कोई भी मजाहिब इसका इतना दर्स नही देता।
लेकिन सब से ज़्यादा बेहुरमती अनाज की हमारे ही शादियों में, लंगरों में होती है। की प्लेट भर भर का अनाज फेंका जाता। दरियों में, चटाइयों में,  टेबलों में अनाज के दाने बिखरे पड़े रहते और लोग उन्हें पैरों से, जूतों से रौंदते। ये सारी चीज़ें देख देख कलेजा फटता है।
___________________
*⚠️लोग अपनी हैसियत से ज़्यादा लोगों बुला लेते और फिर उनकी देखभाल में मुआमला ऐसा बिगड़ता की महफ़िल का हर शख्स देखता है अनाज के नाकद्री....❤‍🩹😞*

पार्ट 169
_वो नकाब ही क्या जो शादियों और दीगर तकरीबात पर उतर जाए..._

पार्ट 170
फिजाओं में पतंगे(Kite🪁) उड़ेंगे, इसलिए मोटरसाइकिल(Bike) चलाते(Drive) वक्त थोड़ा होशियार(Alert) रहें।
कहीं ऐसा न हो की कटी हुई पतंग का मांजा(धागा) आपके जिस्म को नुकसान पहुंचाए या जख्मी कर दे।💔
______________________
_डरा नही रहे, बस आपको होशियार कर रहे।_

पार्ट 171
आजकल के लड़के सांवले हैं लेकिन उनको लड़की चौदहवीं के चांद सरीखी चाहिए। खुद साइकिल पर या किसी की मांगी हुई बाइक पर घूमते, लेकिन दहेज में न्यू बाइक चाहिए। ख़ुद की शादी तो इस तरह करनी की ख्वाहिश रखते जैसे किसी रियासत के बादशाह हों। और उन शादियों में खर्चे यू करना जैसे उन खर्चों का कोई हिसाब ही नही, की मेहनत से कमाए या फिर.....?
*⚠️क्या ये दर्स हमें इस्लाम ने दिया ? हरगिज़ नहीं। बल्कि मज़हब-ए इस्लाम ने तो हमें सादगी से निकाह करने पैग़ाम दिया और वलीमा अपनी वुसअत के मुताबिक़ करने का जाब्ता दिया। फिजुलखर्ची तो वैसे भी जायज़ नहीं। खुदारा, निकाह को आसान बनाएं अपने नफ्स को मुश्किलात में न ढकेलें।*

पार्ट 172
आजकल के लड़के सांवले हैं लेकिन उनको लड़की चौदहवीं के चांद सरीखी चाहिए। खुद साइकिल पर या किसी की मांगी हुई बाइक पर घूमते, लेकिन दहेज में न्यू बाइक चाहिए। ख़ुद की शादी तो इस तरह करनी की ख्वाहिश रखते जैसे किसी रियासत के बादशाह हों। और उन शादियों में खर्चे यू करना जैसे उन खर्चों का कोई हिसाब ही नही, की मेहनत से कमाए या फिर.....?
*⚠️क्या ये दर्स हमें इस्लाम ने दिया ? हरगिज़ नहीं। बल्कि मज़हब-ए इस्लाम ने तो हमें सादगी से निकाह करने पैग़ाम दिया और वलीमा अपनी वुसअत के मुताबिक़ करने का जाब्ता दिया। फिजुलखर्ची तो वैसे भी जायज़ नहीं। खुदारा, निकाह को आसान बनाएं अपने नफ्स को मुश्किलात में न ढकेलें।*

पार्ट 173

आजकल शरीफ़ मर्द कहां मिलते हैं ?
खुबसूरती मिल जाएगी, शराफत(Decency) नही होगी तो सुकून नहीं मिलेगा...
________________
_शरीफ़ मर्द Is The Best..._

Part 174
कुछ लोगों ने उनपर बड़े इल्ज़ाम लगाए। सबसे ज़्यादा आला हज़रत के नाम पर Propaganda(साजिश) हुआ। एड़ी चोटी का लोगों ने जोर लगाया, बड़ी बड़ी किताबें लिखी, बड़ा कुछ कहा, बड़ा कुछ किया, लेकिन अल्लाह तआला ने उन्हें कमाल दिया। उन्होंने एक सलाम लिखा था *“मुस्तफ़ा जाने रहमत पे लाखों सलाम”* उनको अल्लाह तआला ने एजाज अता किया की हर मस्जिद में, हर जुमे में उनका लिखा हुआ सलाम पढ़ा जाता है।
⚠️और आज ये राफ़ज़ी सिफ़त मुज़ावार कहतें हैं अजमेर मुक़द्दसा में आलाहज़रत का लिखा सलाम न पढा जाए। अरे चरसियों तुम्हारी क़िस्मत में कुढ़ना और जलना ही है।
*सब उनसे जलने वालों के गुल हो गए चिराग़, अहमद रज़ा का ताजा गुलिस्तां है आज भी।*

पार्ट 175
अजमेर शरीफ़ जाना, कोई पिकनिक स्पॉट जाना नही है।
हुज़ूर ख़्वाजा गरीब नवाज़ रहमतुल्लाह तआला अलैह की बारगाह बड़ी मुबारक बारगाह है। यहां हाजरी इस तरह दी जाए की मानों बादशाह के दर पे फ़कीर हाजिर हो।
लेकिन कितनों ही को देखा गया है की, वहां जाते हैं तो ऐसा महसूस करवाते की वो उस दर-ए पाक पर महज़ सैर-ओ तफरीह की गर्ज़ से जा रहे।
⚠️जब कभी आप सरकारों की बारगाह में जाएं तो खुद को बिल्कुल खाली करके जाएं। और ये भी ख़्याल रखें की पानी उन्हीं कांसो(बर्तन) में भरा जाता है जो खाली होता है।

पार्ट 176
जो नौजवान अजमेर मुकद्दसा जाकर “हज़रत ख़्वाजा गरीब नवाज रहमतुल्लाह तआला अलैह” की बारगाह में Selfi लेते और अजीब-ओ गरीब रील्स बनाते उनको थोड़ा एहतियात करना चाहिए। “हज़रत ख़्वाजा गरीब नवाज” ने हमें इन सब का दर्स नही दिया, बल्कि शरियत की तालीम-ओ तरबीअत अता की है। और हमारा फरीजा है की हम उस पर अमल करें। हम अगर ख़्वाजा साहब के तरीके पर अमल करेंगे तो हम भले ही 1500 Km दूरी पर मौजूद हों लेकिन हमेशा उनका कुर्ब हासिल होगा और आपके फैज़ व करम की बारिश हम पर भी होती रहेगी। *इंशाअल्लाह तआला*
*⚠️और ये भी याद रखें, जो तरीका “हज़रत ख़्वाजा गरीब नवाज अलैहिर्रहमा” का है वही तरीका “आला हज़रत इमाम अहमद रजा अलैहिर्रहमा का है।*
*_#उर्स ए ख्वाजा गरीब नवाज बहुत बहुत मुबारक हो..._*

पार्ट 177
ह़दीस: बीवी की इ़ज़्ज़त करने वाला करीम शख़्स है और बीवी को ज़लील करने वाला कमीना(Slavish) है।
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📖जामेउ़स्सग़ीर, जि. 2, स. 250
❤️‍🩹

पार्ट 178
किसी ग़रीब से पूछा गया कि और बताओ कैसा हाल है ? फ़रमाया: अल्हम्दुलिल्लाह, अल्लाह का शुक्र है
फिर किसी अमीर से पूछा कि और बताओ क्या हाल है ? फ़रमाया: बस, कट रही है ज़िन्दगी। मतलब यह वह शख्श बोल रहा जिसके हज़ारों-लाखों-करोड़ों रुपये बैंक में पड़ें हैं।😟
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⚠️रिवायतों में आया है कि जो बन्दा अल्लाह तआला के थोड़े दिए रिज़्क़ पर राज़ी हो जाएगा तो अल्लाह तआला बरोज़ ए कयामत उसके थोड़े अमलों पर राज़ी हो जाएगा।

पार्ट 179
*🤝गलती पर बीवी को मुआ़फ़ कर देना चाहिए🫂*

*स़दरुल अफ़ाज़िल मौलाना सय्यिद मुह़म्मद नई़मुद्दीन मुरादाबादी رحمت اللہ علیہ* फ़रमाते हैं: तुम गुनाह करते हो फिर भी वो *रबﷻ* तुम्हारी तौबा क़ुबूल फ़रमाता है तो तुम्हारी ज़ेरे दस्त औ़रतें अगर क़ुस़ूर करने के बाद मुआ़फ़ी चाहें तो तुम्हें ब त़रीक़े औला मुआ़फ़ करना चाहिए और *अल्लाहﷻ* की क़ुदरत व बरतरी का लिहाज़ रखकर ज़ुल्म से मुज्तनिब(बचते) रहना चाहिए।
____________________________
*[तफ़सीरे ख़ज़ाइनुल इ़रफ़ान, पारा 5, सूरह अल्निसा, आयत 34, सफ़ह़ा 165]*

पार्ट 180
अल्लाह पाक समी'अ और बसीर है,  यानी उस में सिफते समा'अत व सिफते बसारत पाई जाती है। हर पस्त से पस्त आवाज़(बहुत कम आवाज) को भी सुनता है और हर बारीक से बारीक(बहुत कम साइज वाली चीज) को भी देखता है।
काली रात में काले पहाड पर काली चींटी के चलने से जमीन पर जो निशान बनते है उसे भी वैसे ही देखता है जैसे पहाड़ों को देखता है और उस चींटी के चलने से जो आवाज पैदा होती है उसे भी वैसे ही सुनता है जैसे बादलों की गरज को सुनता है।  यानी कोई चीज, आवाज उससे छुपी हुई नही है और बड़ी छोटी चीज को एक जैसा देखता है और बड़ी छोटी आवाज को एक जैसा सुनता है। 1/3

दुनिया भर में जितनी मखलुक है इंसान, जिन्नात, जानवर हर चीज को वो देखता है और उन सबकी जबान(भाषा) को जानता है और सुनता है। और उसका देखना, सुनना इंसानों की तरह नही है। इंसान एक तरफ देखता है, तो दूसरी तरफ से गाफिल हो जाता है। इंसान एक तरफ का सुनता है तो दूसरे से गाफिल हो जाता है।
मगर अल्लाह रब्बुल इज्ज़त की शान निराली है। वो एक वक्त में सभी को देखता है, सुनता है। ऐसा नहीं है के एक तरफ देखने से, सुनने से वो दूसरे से गाफिल हो जाए नही नही। इस पर गौर करे के रब की शान कितनी बुलंद है। एक वक्त में 600 करोड़ लोगो को देखना, उनको सुनना... 2/3
कोई इंसान नमाज के रुकु में है, कोई सजदे में, कोई हज कर रहा है, कोई तस्बीह पढ़ रहा है, कोई दुआ कर रहा है, कोई दुनिया में मशगूल है, इन सब को एक ही वक्त में देखना और सुनना ये सिर्फ उसी की शान है। और इंसानों का देखना सुनना और अल्लाह के देखने सुनने में एक ये फर्क है के इंसान आंख से देखता है और कान से सुनता है जब के अल्लाह तआला आंख, कान, हाथ, पैर, बदन इन सब से पाक है। अल्लाह कैसा है ये हम नहीं जानते। कयामत के दिन उसका दीदार नसीब होगा तब मालूम हो जाएगा। *बस अभी हमे इतना पता है के अल्लाह तआला कुरआन में सुरह 42, आयत 11 में अपने बारे में फरमाता है...*
*“उस जैसा कोई नही”*
3/3

पार्ट 181
कभी खाली बैठे हुए होगे न तो सैय्यद किफायतुल्लाह काफ़ी रहमतुल्लाह तआला अलैह का लिखा कलाम सुनना। सच कहूं, दुनिया की मुहब्बत दिल से निकल जायेगी।
_कोई गुल बाकी रहेगा न चमन रह जाएगा_
*आपने ये कलाम फांसी के फंदे पर चढ़ने के चंद लम्हे पहले लिखा था और आज डेढ़ सौ साल के बाद भी इस कलाम आजाद में अज़ीब सा दर्द ओ कैफियत है। ख़ुद आलाहजरत ने इस कलाम को बड़ा पसंद फरमाया।*

पार्ट 182
_औरत का हुस्न, उसकी बनाव सिंगार, उसकी अदाए, सिर्फ और सिर्फ उसके शौहर के लिए होती हैं ताकि उसका शौहर उसे देख कर अपने दिन भर की थकान भूल जाए और उसके दिल को राहत पहुँचे। लिहाजा अपनी हुस्न को बिरयानी समझ कर सोशल मीडिया पर लंगर न करें, वर्ना लोग मजे से लुत्फ लेंगे और स्क्रीनशॉट की सुरत में बिरियानी जगह जगह बटेगी भी, ख़ुदा का शुक्र करें कि उसने आपकों खुबसूरत बनाया है।_
उस हुस्न की हिफाज़त करें यूँ लंगर करके अपनी इज्ज़त पलिद न करें,
*_बुरा लगे तो दो रोटी ज्यादा खाएं, लेकिन इन चीजों पर ग़ौर ज़रूर करें।।_*

पार्ट 183
ठंड का मौसम है...
वज़ू करते वक़्त कोहनियों और टखनों को धोते वक़्त ध्यान दें। क्योंकि एक बार पानी बहाने से वो जगह भीगती नहीं क्योंकि ये जगह खुरदुरी होती है और ठंड के दिनों में अपना मॉइस्चराइज(नमी) खो देती है।
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⚠️लेहाज़ा, जब कोहनियों और टखनों को धोएं तो चंद मर्तबा हाथों से मले, ताकि अच्छी तरह वो जगह भीग भी जाए। इसका एक तरीका और भी है कि वज़ू करने से पहले इन जगहों को भीगा लें, ताकि जब मुक़म्मल वज़ू करें तो पानी अच्छे से जज़्ब हो जाए जिल्द(चमड़ी) में।
ज़्यादा मालूमात अपने उलमा से हासिल करें।

पार्ट184
अगर बीवी को नफ्ली रोज़ा रखना है तो शरीअत ने हुक्म दिया है कि शौहर से पहले इजाज़त ले ले, और अगर शौहर इजाज़त नहीं देता है तो बीवी को नफ़्ल रोज़ा रखने की इजाज़त नहीं। अगर बावजूद इसके रखेगी तो गुनहगार होगी और शौहर अगर अपनी बीवी को नफ्ली रोज़ा रखने से मना करता है तो वह गुनाहगार नहीं होगा।
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⚠️ऐसा इसलिए है कि शौहर का उसकी बीवी पर हक़ है कि अगर शौहर, बीवी से हमबिस्तरी करना चाहता है और बीवी अगर नफ्ली रोज़ा रख ले तो वो हमबिस्तरी नहीं कर पाएगा। इसलिए रोज़ा रखने में शौहर की रज़ामंदी ज़रूरी है।

पार्ट 185
⚠️बावजूद शौहर के मना करने के अगर बीवी रखती है तो शौहर को इख्तियार है की वो रोज़ा को तोड़वा दे। मगर उसकी क़ज़ा भी बीवी को रखनी होगी और जब क़ज़ा रोज़ा रखेगी तब भी शौहर की इजाज़त लेनी होगी।
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*(औरतों के मसाइल, जिल्द 1, सफ़ा 191)*

पार्ट 186
अबू दाऊद शरीफ़ और निसाई शरीफ़ में दर्ज है, कि हुज़ूर मुहसिन-ए इंसानियतﷺ का मुबारक इरशाद है: “जो क़र्ज़ ले, फिर उस के पास माल[₹] हो जाए तो क़र्ज़ अदा करने में ताख़ीर[देरी] करना उसकी आबरू और सज़ा को हलाल कर देता है।”
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*.*
*.*
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*⚠️हज़रत अब्दुल्लाह बिन मुबारक रदियल्लाहो तआला अन्हो इस हदीस की तफ़सीर में फ़रमाते हैं-: “आबरू को हलाल करना ये है कि उसपर सख़्ती की जाएगी और सज़ा को हलाल करना ये है कि उसको क़ैद किया जाएगा।”*

पार्ट 187
निकाह की खुबसूरती, चमचमाते लाल जोड़े या चमचमाते सूट बूट या फिर खुबसूरत कलम से निकाह नामे पर दस्तख़त(Signature) करने में नही है।
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असल खुबसूरती तो अज़दवाज़ी जिंदगी(Marriage Life) में एक दूसरे को समझने और एक दूसरे को साथ लेकर चलने और एक दूसरे पर भरोसा करने में है।😊

पार्ट 188
बहुत सी औरतें, नक़ाब के हुस्न और उसकी मिठास से ना'आशना हैं।
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❤‍🩹

पार्ट 189
मुसलमानों ने अपनी शादियों की तकरीबात को Laughter Show (हंसी मज़ाक) बना रखा है। दुल्हे का दोस्त आता है नकाब और बुर्का पहन कर और आते ही स्टेज पर मौजूद दुल्हे से गले लग जाता है। पास खड़ी दुल्हन हक्की बक्की हो जाती है साथ खड़े लोग भी और मस्त रील्स वीडियो बनती।
और बाद में पर्दा उठाया जाता तो सब हंसते है। मज़ाक बना रखा है जाहिलों ने दीन की बुनियादी रस्म और अज़मत का। और इन जाहिल लोगों की वजह से दूसरे भी मजाक बनाने लगे हैं।
*⚠️हदीस का मफहुम है: जो मर्द, औरतों की वजा(रंगरूप) इख्तियार करे और जो औरत, मर्द की वज़ा इख्तियार करे उसपर अल्लाह तआला की लानत है।*

पार्ट 190
हम अपने नामों नमुद के लिए दीनी तहरीरें नही post करते हैं, आप भी अपना दीनी फरीजा समझते हुए इसे शेयर कर दिया करें स्टेटस पर रख लिया करें। दूसरो तक भी बात पहुंचेगी उनको भी अमल करने को मिलेगा। नेकी आपको भी मिलेगी।
और बड़े बड़े ग्रुप चलाने वाले हजरात और लंबी चौड़ी फैन फ्लोविंग कॉन्टेक्ट रखने वाले हजरात से भी गुजारिश की अपने स्टेटस पर ऐसी तहरीरों को जगह दें। आपकी वजह से दूसरे भी अमल करेंगे और उनकी भी दिन दुनिया रौशन होगी।

पार्ट 191

जुमा के दिन जल्दी तैयार होकर मस्जिद के लिए निकलें और अव्वल सफ़ में बैठे। मस्जिद में रश(भीड़) हो तो जहां जगह मिले वहां बैठें। लोगों की गर्दन न फलांगे। बाज़ लोग आगे की सफ़ में जाने के लिए लोगों की गर्दन फ्लांगते हैं।
💜मफहुम-ए हदीस है: जिसने जुमा के दिन लोगों की गर्दन फ्लांगी, उसने जहन्नुम की तरफ़ पुल बनाया।
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*⚠️शरीयत का हुक्म सबके लिए है*

पार्ट 192
_पता है लोग सबसे ज़्यादा कहां रोते हैं ?_
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*❤‍🩹“मदीना” शरीफ़ में❤‍🩹*
_बहुत रोते हैं, बहुत रोते हैं..._

पार्ट 193
22 रजब, उर्स-ए अमीर-ए मुआविया रज़ीअल्लाहु तआला अन्हो मुबारक हो
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ज़िक्र-ए मुआविया आम करो
राफजी का जीना हराम करो
_हर सहाबी-ए नबी, जन्नती-जन्नती_

पार्ट 194
कुछ लोग ऐसे होते हैं जो लंबे चौड़े जुमले तो नही कहते लेकिन मिलते इतने प्यार से हैं मानों ऐसा लगता की जब वो सीने से लगे यानी की उनसे कुछ मशवरा किया या कुछ अपनी उलझन बताई वो वो दुःख हमारे सारे बाहर खींच लिए। कोई चीज़ जो हमारे अंदर परेशानी वाली थी, उसे बाहर निकाल दिया।
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*🫂वो मिले ही इतने प्यार से, लबो लहज़ा उनका इतना प्यारा की उनकी अदा देख कर इंसान मुरीद ही हो जाए।*

पार्ट 195
*“मर्द”* कभी अपनी मोहब्बत का इज़हार लफ़्ज़ों में नहीं कर सकता उसे करना ही नहीं आता या फिर सिखाया ही नहीं जाता। वह कभी अपनी माँ को नहीं बता पाता कि उसे उनके बग़ैर घर बहुत अधूरा लगता है। वह कभी अपनी बहन को नहीं बोल पाता कि उसे उसकी शरारतें अच्छी लगती हैं। अपनी बीवी को नहीं बोल पाता कि उसकी वजह से उसका ईमान महफ़ूज़ है। अपनी बेटी को नहीं बता पाता कि उसने कितनी दुआ़एँ की थी, कि रब उसको रहमत से नवाज़े।
*⚠️गर्ज़ यह कि मर्द को लफ़्ज़ी मोहब्बत करना ही नहीं आता, वह हमेशा अ़मली और मज़बूत मोहब्बत करता है और उसी मोहब्बत के इज़हार के लिए वह अपनी ज़ात पर हर तकलीफ़ सहता है कि उसकी मोहब्बतें महफ़ूज़ रह सकें।❤‍🩹*

पार्ट 197
मुफ्ती सलमान अजहरी साहब के मुताल्लिक कुछ भी कापी पेस्ट करके अफ़वाह न फैलाएं।
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मोअतबर लोगों पर भरोसा रखें

पार्ट 198

Doctor और Scientist के एतबार से जब एक माँ, बच्चे को जनती(पैदा करती)  है तो उसे एक साथ 20 हड्डियों के टूटने के बराबर दर्द होता है, जो 57 डेल(दर्द मापने की इकाई) तक होती है। लेकिन मर्द सिर्फ़ 45 डेल तक ही दर्द सह सकता है, इससे ज़्यादा दर्द होने पर उसकी मौत होने का इमकान(मुमकिन) है।😓
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*अल्लाह तआला ने किस क़दर बर्दाश्त करने की ताकत औरत को बख्शी है। अल्लाहु अकबर...🪄*

पार्ट 199
जब दिल तड़प कर किसी चीज़ की तलब करे तो उसे कहें; तू किधर निकल रहा है...
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*तू तो मदीने वाले आकाﷺ का गुलाम है*

पार्ट 200
💎ओ खुदा के बंदों!
दाढ़ी *हुज़ूर ﷺ* की सुन्नत है। किसी को अच्छी न लगे, इसकी कोई तारीफ़ न करे लेकिन *हुज़ूर ﷺ* को तो अच्छी लगती न।
अगर कोई दाढ़ी के नाम पर ताना भी दे तो खुश होकर कुबूल करो, क्योंकि ये *हुज़ूर ﷺ* के नाम का ताना है।
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*✨ﷺ✨ﷺ✨ﷺ✨ﷺ✨ﷺ✨*
*ﷺ ✨ﷺ✨ﷺ✨ﷺ✨ﷺ✨ﷺ*

पार्ट
मदारिस-ए इस्लामिया और आलिमों से बुग्ज़ हज़रत-ए इंसान को सड़क पर लाकर पटक देगा
और आखिरत में खराबी सो अलग
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मुफ्ती सलमान अजहरी के मुआमलात देख कर मुझे ख़ुद की जात पर तरस आता है। किस तरह उस बा-बरकत वाली जात ने हम नालायको के ईमानो-अकाईद के हिफाज़त के लिए ख़ुद की ज़ात को तकलीफ़ में झोंक दिया।😞💔
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अल्लाह तआला से दुआ है की मौला-ए करीम हज़रत की कदम कदम पर हिफाज़त करे और दुश्मनों के शर से महफुज रखे।
आमीन या रब्बल आलमीन...

पार्ट 201
आप खुशनसीब हैं की आपको बहुत से समझाने वाले मिले हैं,
कम नसीब होता है वो शख्स जिसे कोई समझाने वाला नही मिलता।
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❤‍🩹

पार्ट 202
लड़के और लड़कियों के नाजायज ताल्लुकात के लिए मुंतखब(Elected) Chocolate Day, Hug Day, Kiss Day, Propose Day, Velentine's Day महज़ और महज़ फ़साना (धोखा) है।
आज का सभ्य समाज इस Western  Culture की इजाज़त नही देता।
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अपने कमसिन(नाबालिग) बच्चों और बच्चियों को इस नहुसत बचाएं ताकि आप भी एक सभ्य समाज के नींव में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकें।👍🏼

पार्ट 204ये जो फरवरी की मुहब्बत है वो सिर्फ़ बिस्तरों तक है।☹️
*और जो निकाह के बाद मुहब्बत होती न, वो हज़रत-ए इंसान के बाद-ए विसाल और इंशा अल्लाह तआला जन्नत तक साथ होती है।🥰*
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✨💜✨
_निकाह को आम करो_
_और ज़िना को मुश्किल..._

पार्ट 205
हमनें बहुत से लोगों को ज़िंदादिल देखा है। वो कहते हैं: यार! *अल्लाह तआला* की मसलिहत है, *इंशा अल्लाह तआला* ठीक हो जायेंगे। और फिर वो ठीक हुए भी।😊
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*✨ज़िन्दगी तो ज़िंदादिली का नाम है, मुर्दा दिल क्या ख़ाक़ जिया करते हैं...💯☑️*

पार्ट 206
ज़ुबान का दिया ज़ख्म और लफ्ज़ों के तीर इंसान को इस क़दर घायल करते हैं की उम्र भर इसका घाव भरता नहीं।
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इसलिए, अपने लहजों में मिठास पैदा करें।
पार्ट 207
मैं उनसे क्या दुआ़ को अर्ज़ करूं जो खुद मुक़द्दस मक़ामात पर दुआ़ छोड़के फोटो लेने में लगे रहते हैं!?
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पार्ट 208
बहुत शौक है लोगों को बात करने का और दुनिया में जो ज्यादा खताएं होती है वो ज़बान की वजह से होती है।
दुनिया में बहुत से लोग हैं जिन्होंने बहुत से ऐसे जुमले कहे, जिसका अफ़सोस उन्हे आखिर तक हुआ और मैं दयानतदारी से कहूंगा कि उनको बाद में जरूर पछतावा हुआ की उन्हे ऐसा नही बोलना था।
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*⚠️लेकिन, काश! आप बाद में बहुत ज़्यादा पछताने से अच्छा, बहुत ज़्यादा सोच लेते।*

पार्ट 209
बड़ा खतरनाक होता है वो बंदा जो किसी को इतना सताए की वो कहे; मैं तेरा कुछ नही कर सकता, तेरी शिकायत मैं *रब तआला की बारगाह* में करूंगा। ये बड़ा खतरनाक मसअला होता है।
बाज़ दफा हम समझते हैं कि सामने वाला बंदा बोल नही सका, उसकी नज़र झुक गई, उसे ऐसा सुनाया है या ऐसा मार मारा है की पानी पानी करने लगा।
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*✨लेकिन ये भी याद रख! वो तेरी नफरत का शिकार तो हुआ है। और ये भी याद रखना जब मज़लूम की आह निकलती है तो आसमान के दरवाजे खुल जाते हैं।❤‍🩹*

पार्ट 210
_आप क्या सोंचते है की मुसलमानों की शादियां महंगी हो गई है? महंगी नही हुई, हमने अपने बेवजह के ख्वाहिश को पूरा करने के लिए अपनी शादियों को महंगा कर दिया था।_
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*⚠️वरना इस्लाम में निकाह के लिए इजाब-ओ कुबूल और 2 गवाह चाहिए होते और अगर ताकत हो तो वलीमा अच्छे से करे वरना 1 प्याला दूध भी काफी है। इतना आसान मज़हब है समझे।*

पार्ट 211
सुनो मेरे दोस्तों
कुंवारे बैठ जाना, लेकिन कभी Reel's बनाने वाली लुगाई मत लाना
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_ज़िंदगी बर्बाद है_
😅

पार्ट 212
जब बेटों का, बेटियों का रिश्ता किया जाता और जिस रिश्ते की, जिस घर की बुनियाद लालच पर हो तो उस घर का माहौल दुरुस्त रहना मुमकिन नही। घर का माहौल दुरुस्त तब रहता है जब तकवा को, तहारत को, परहेजगारी को, उम्दा अखलाक को, अच्छे नजरियात को पेशे नज़र रखा जाता है तो फिर माहौल तो कुछ और ही होता है।
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*⚠️मुआशरे का अपना मिजाज बन चुका है की बहु लानी हो तो फिर उसका अपने नसीब का रिज्क है और अगर बेटी बिदा करनी हो तो क्या कुछ नही देखा जाता.....❤‍🩹💔*
पार्ट 213
⏰ये जो हमारा और आपका दौर है न ये चालाकियों से भरा दौर है। लोग ऐसी-ऐसी बात सुनाते हैं की बंदा हैरान(Astonished) हो जाता है। कई चालाक मिजाज़(Cunning Temper) और तेज तबियत के लोगों को आपने अपनी जिंदगी में नाकाम(Failure) होते हुए देखा ही होगा लेकिन भोले-भाले, सीधे-साधे लोगों को अल्लाह तआला ने इतना नवाजा(Awarded) है इतना करम फरमाया है...
*🪄तिर्मीजी शरीफ की हदीस का मफहुम है: जो मोमिन होता है न वो भोला-भाला(Innocent Spear) होता है, शराफत(Decency) वाला होता है।*
_💜मोमिन तो इतना भोला-भाला होता है की सामने वाला उसे बेवकूफ समझता है_

पार्ट 214
*⚠️याद रखना⚠️*
_जो बंदा लोगों को तोड़ने की कोशिश करता है वो आखिर में ख़ुद तन्हा रह जाता है। वो टूट जाता है, उसका कोई अपना नही होता।💔_
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❤‍🩹

पार्ट 215
ये जो बदगुमानियां होती हैं न ये दिलों को सख़्त कर देती है। हम जो बुरा सोंचते हैं न, लोगों के बारे में बुरी राय रखते हैं आहिस्ता आहिस्ता हम जिसका बुरा सोचते है उसे अपना दुश्मन समझने लगते हैं। हमारा दिल उसके हक़ में सख्त होता जाता है। यहां तक की जब वो आदमी किसी मुसीबत गिरफ्तार जो तो हमें माज़अल्लाह तस्कीन पहुंचती है की देखो हमारा दुश्मन था।
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*🪄मेहरबानी करें, अपनी असल जिंदगी में लौटें जो इस्लाम ने सिखाया है।*
पार्ट 216
समझदार वो होता है जिसे पता होता है की कहां बोलना है, कितना बोलना है। अगर आप चुप रहना सीख जाओ, शांत रहना सीख जाओ तो ज़िंदगी की आधी परेशानी यूं ही खत्म हो जाएगी।
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🫂🪄

पार्ट 217
बहुत से लोग ये सोंचकर बच्चे का मदरसे में दाखिला कराते हैं की निकम्मा है लेकिन कुर्बान जाएं, यही बच्चा एक दिन सबका इमाम बन गया। इंजीनियर साहब पीछे खड़े हैं हाथ बांध कर, Dr. साहब पीछे खड़े हैं हाथ बांध कर, बड़े बड़े पैसे वाले और हाजी जी पीछे खड़े है हाथ बांध कर और इमाम कहता है...
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*“अल्लाहु अकबर”*
✨🪄✨🪄✨🪄✨

पार्ट 218
मंस़ब(Post) के भूखे लोग मंस़ब का बोझ(Burden) उठा कर इतने थक जाते हैं, के फिर उसकी ज़िम्मेदारी का बोझ नहीं उठाते। जबके मुख़लिस़(Honest) लोग बग़ैर मंस़ब ही के ज़िम्मेदारी का बोझ उठा कर मुल्क और मुआ़शरे(Society) की भलाई में लगे रहते हैं। मंस़ब को मक़स़द ना बनाएं, ख़िदमत(Service) को मक़स़द बनाएं।
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*मुफ्ती क़ासिम साहब क़िब्ला*

पार्ट 219
एक बात कहूं!
एक दिन दुनिया से सबको जाना है।
लेकिन बाद-ए विसाल मां-बाप को सबसे ज़्यादा इसाले सवाब कोई करता है तो वो बेटियां ही है। बेटा दुआ भी करेगा तो रस्मी ही करेगा और बेटी जब दुआ करेगी तो मुसल्ला भीगो देगी....!!
😞❤‍🩹

पार्ट 120
कल मगरीब से पहले पहले सारे कामों को समेट लें। कल मगरीब के बाद ये 15वीं शाबान की शब(शबे बराअत) शुरू होगी। एक छुट्टी कर लो *अल्लाह तआला और रसूल अलैहिस्सलाम* के लिए।
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छुट्टी कर लेंगे न ?  इंशाअल्लाह तआला...
*🫂“Shab E Bra'at Mubaarak”🫂*

पार्ट 221
वो जो साल भर कहते न! की काम नही चल रहा, नौकरी नही मिल रही, काम कोई नही मिल रहा वो शाबान की 15वीं शब को *रब तआला* की बारगाह अपनी अर्जी दें...
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*रब फरमाता है, है कोई रोज़ी मांगने वाला....*

पार्ट 122
15वीं शाबान को मस्जिदों में बड़ा रश होता। हम ज़ारो कतार रो रोकर मुआफी मांगते है, खूब तौबा करते हैं लेकिन अगली सुबह फिर से झूठ बोलना, बेईमानी करना, धोखा देना ये सब हमारी फितरत में शुमार हो जाता ?
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*⚠️ये तौबा नही। तौबा तो वो है की अपने पिछले गुनाहों से मुआफी मांगी जाए और आइंदा वो गुनाह न करने का अहद किया जाए।*

पार्ट 123
बेर के पत्तियों से गुस्ल करने का जो मसला है वो 15वीं शाबान की शब का है। 15वीं शब आज मगरीब के बाद से शुरू हो गई है।
किताबों में आया है की जो आजके दिन यानी 15वीं शाबान की शब को 7 बेरी के पत्तों को जोश देकर(पानी में गर्म) उस पानी से गुस्ल करेगा वो साल भर तक जादू टोने से बचा रहेगा।
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*हर फर्द के लिए 7-7 बेरी के पत्ते अलग अलग पानी में उबालें*

पार्ट 224
अक्सर मेरे लिखे हुए Status और उसके अल्फाज़ आप लोगों के लिए कभी कभी थोड़ा तकलीफ देह भी बन जाते हैं और अनजाने में आपकी इज़ा रसानी का सबब भी बन ही जाते हैं। लेकिन मेरा मकसद लोगों को इज़ा देना नही बल्कि मुआशरे की इस्लाह मक़सद है।
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फिर भी मेरे जरिए आपका कभी दिल दुखा हो तो आपसे माफ़ी का तलबगार रहूंगा। सबको कॉल करके तो माफ़ी नही मांग सकता लिहाजा इसे ही मेरा माफ़ीनामा समझें।

पार्ट 225
औलाद समझती है मां-बाप को खर्चा देना ही उनकी खिदमत है। जबकि मां-बाप को अपना वक्त देना, उनके पास बैठना, उनकी बातों को सुनना, उनसे किसी भी काम में अपने लिए मशवरा करना ये उनकी असल खिदमत है।
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*बाज़ औलाद बाहर रहती हैं लेकिन हफ्तों हफ्तों, महीने महीने अब्बा जी को फ़ोन नही लगाते और न अम्मी जी को कभी Call करके खैरीयत लेते ? और हम समझते की हम वालीदैन के खिदमत गुजार हैं?*😞❤‍🩹

पार्ट 226
जो शादी शुदा हैं वो अपनी बीवियों को भी राजी रखें, की अकसर घरों में शोहरों की नोकझोक बीवियों से होती है और कभी कभी बीवियों को इससे क़ल्बी तकलीफ भी पहुंचती है।
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बीवियां आपके लिए अच्छा पकाती हैं, आपके कपड़े धुलती हैं, आपके बच्चों की परवरिश में हाथ बटाती हैं, आपके माल की आपके घर की हिफाज़त करती हैं, आपके घर वालों की खिदमत करती हैं। आपका तो इतना फरीज़ा तो बनता है न, की आप उन्हें राज़ी रखें।
💜🥰💜

पार्ट 226
*अगर तुमने बन्दे राजी करते करते रब करीम को नाराज किया, तो याद रखना! अल्लाह तआला तुम्हारी नफ़रत भी लोगों के दिलों में डाल देगा। अगर तुमने लोगों की परवाह न की। होते हैं नाराज होने दो और तुमने अपने रब को राजी किया तो अल्लाह तआला तुम्हारी मुहब्बत लोगों के दिलों में भी तुम्हारी मुहब्बत पैदा फरमा देगा।*
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❤‍🩹

पार्ट 227
*लड़के वालों का लालच* होता है की लड़की दहेज में क्या लेकर आएगी ?
______तो______
*लड़की वालों का भी लालच* होता ही है की लड़का कितना कमा कर घर लाता है?
❤‍🩹

पार्ट 228
आप मुहब्बत करें सामने वाला बंदा आए जितनी मर्जी नफरत लेकर आए। हम अपना लहजा कैसे बदलें जो लहजा हमारे पास है ही नही और लोग चाहतें है की हम भी नफरत भरी जुबान कहें। कहां से लाएं वो नफरत और वो बाजारू लहजे, और बाजारू जुबान, जो ख़ुद ऐसी जुबान है जिसे कोई शरीफ आदमी ऐसे ही पसंद नही करता।
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*✨आप किसी को देखकर कभी भी अपना लहजा ख़राब न करें। वो बिगड़े लफ्ज़ कहता है वो उसका मुआमला है और हम तो मुहब्बत वाले लोग हैं ना। और फिर मुहब्बत वाले तो अपनी बोली बोलते है।*

पार्ट 229
दीन सिर्फ़ बताने और सुनाने के लिए नही है
हमें अमल करके भी बताना पड़ेगा...
___________________
☑️

पार्ट 230
*कबूतर अदब करते है*
जो मदीना शरीफ़ गए हैं वो देखे होंगे की मदीना शरीफ में गुंबद ए खज्रा के सामने मस्जिद ए गमामा, मस्जिद ए अली और दीगर मस्जिदें है। इन मस्जिदों के गुंबदों पर आप सैकड़ों कबूतरों के जोड़े बैठे हुए पाएंगे। लेकिन मजाल है एक भी कबूतर आप गुम्बद ए खज़रा के आसपास पाएं।
और आज वहाबी, हुज़ूर अलैहिस्सलाम को अपनी तरह बशर कहता है।

पार्ट 231
_⚠️कौन औरत, और कौन लड़की नही जानती की मजहब ए इस्लाम ने औरतों को मजारत पर जाने से मना किया और कौन मर्द नही जानता की जुआ और सट्टा खेलना इस्लाम में हराम है। लेकिन लोग जानकर भी इस पर अमल कर रहे। जबकि बारहा उलमा, मस्जिद के मिंबरों से इन चीज़ों की मनाही करते आ रहे लेकिन लोगों को नसीहत असर ही नही करती।_
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*✨हज़रत ए अबूबक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहो तआला अन्हू का कौल है: जिसको नसीहत असर न करे वो समझ ले की उसका दिल ईमान के नूर से खाली है।*

पार्ट 232
छोटी छोटी बच्चियां आजकल रील्स बनाती और बनाती क्या बल्कि ख़ुद मां बाप बनवाते और बड़े खुश होते।
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लेकिन जब यही बच्चे बड़े होकर रील्स बनायेगे तो यही मां बाप हाए तौबा करेंगे। सुनें! अपने बच्चों के अंदर बचपन ही से इस्लामी अखलाक ओ आदाब का बीज बोएं, उन्हे शर्म ओ हया का पाठ पढ़ाएं। उन्हे बताएं की इस्लाम कितना पाकसाफ़ मज़हब है। मॉर्डन लोगों की पैरवी करते हुए ख़ुद के सर पर ढपी हुई हया और शर्म की चादर न उतारें।

पार्ट 233
जिंदगी में कभी ऐसा नहीं होता की इंसान को सारे रास्ते छांव वाले मिले। कुछ दिन ऐसे भी आते हैं की दिन भी लंबे होते हैं और धूप भी सख्त होती है। और कभी कभी उन दिनों में रोजे भी रखने होते हैं।
*अब इंसान का कमाल ये है की जिस तरह उसने ठंडे दिन गुजारे हैं, आराम के दिन गुजारे हैं तो सख्त धूप के दिन भी उसी मजे से गुजारे।*
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पार्ट 234
_सिर्फ़ रोटी खिलाना ही सदक़ा नही, सिर्फ गरीब को पैसे देना ही सदक़ा नही है।_
*⚠️इब्ने माजा में दर्ज हदीस का मफहूम है: सबसे अफज़ल सदक़ा ये है की बंदा इल्म सीखे और फिर दूसरो को सिखाए।*

पार्ट 235
*💜आला हज़रत अलैहिर्रहमा के छोटे शहजादे हजरत हज़रत मुफ्ती ए आज़म हिंद रहमतुल्लाह तआला अलैह*
✨हज़रत मौलाना अब्दुल मन्नान साहब मुबारकपुरी फरमाते हैं की एक बार बिना इत्तिला दिए हुजूर मुफ्ती आज़म हिंद जुमा में तशरीफ लाए। मस्जिद में रश था, तो उस जगह तशरीफ फरमा हो गए जहां मुसल्ला भी कोई नही बिछा था। सबसे बड़े मुफ्ती, वहीं अपना तौलिया बिछा कर बैठ गए। सबने इसरार किया मैंने भी कहा; की आगे आ जाएं तो फरमाने लगे जब *नबी अलैहिस्सलाम* की हदीस का मफहूम है: *जिसने जुमे वाले दिन लोगों की गर्दने फ्लांगे उसने जहन्नम की तरफ पुल बनाया। तो क्या ये हदीस सिर्फ सुनाने के लिए है?* फरमाने लगे: चूंकि मैं बाद में आया हूं इसलिए मेरी जिम्मेदारी है की जहां जगह मिलेगी... 1/2

... मैंने वहीं बैठना है। गर्दने फ्लांग के आगे आने की इजाज़त नही है। लिहाजा, दीन सिर्फ़ सुनने और सुनाने के लिए ही नही है बल्कि अमल करने के लिए है। फरमाते हैं: गोया तकरीर तो कोई और कर रहा था, बात कोई और कर रहा था। हज़रत मुफ्ती-ए आज़म हिंद तो पीछे बैठे हुए थे। और हज़रत का वो पीछे बैठना, लोगों को वो वाली नसीहत कर रहा था *जिससे दिल “हुजूर अलैहिस्सलाम” की सुन्नतों से जुड़ते चले जा रहे थे। 🥰2/2*
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पार्ट 236
*सरकारी नौकरी, मध्यम वर्गीय परिवार के लिए जीवन भर वो छत है जो उसके स्वाभिमान की रक्षा करता है।*
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_आप अच्छी नौकरी चाहते हैं अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा जरूर दें।_

पार्ट 237
*“बाप” की चप्पल जगह-जगह से इसलिए घिस गई की उसकी औलाद स्कूल के जूते पहन सके।*
और फ़िर भी औलाद पूछती है किसी दिन, *तुमने हमारे लिए क्या किया है?💔*

पार्ट 238
✨अक़्लमंद लोग उनको Follow करते हैं, उनकी पैरवी करते हैं जो दीन-ए हक़ के मुहाफ़िज़ हैं। कमअक़्ल उनको Follow करते हैं जो फिस्क-ओ फुजूर और गैर शरई कामों में मुब्तिला। अल्हम्दुलिल्लाह! हम बरेली के उस आशिक़-ए रसूलुल्लाहﷺ को Follow करते हैं, जिसने उस जमाने में जब इंटरनेट नाम की कोई चीज़ ही नही थी, लाखों करोड़ो मुसलमानों के ईमान की हिफाज़त की। तकरीबन 1400 से ज़्यादा किताबें लिखीं। हम उस ईमाम अहमद रज़ा रज़ियल्लाहु अन्हु की पैरवी करते हैं। हम उमर गाज़ी की पैरवी करते हैं जिसने South Africa में कुरान की हिफाज़त की। हम उस मुमताज़ ग़ाज़ी को Follow करते हैं जिसने नामुस-ए रिसालत पर पहरा दिया। हम ख़ादिम हुसैन रज़वी साहब को Follow करते हैं, जिन्होंने हमें नामुस-ए रिसालत का मसअला समझाया।🫂

पार्ट 239
बहुत से लोगों की तबिअत होती है GoodBook में रहने की, मिजाज होता है सबकी आंखों का तारा बनने का। लेकिन वो अपने घर के अंदर भी इतनी जुर्रत(Audacity) का मुजाहरा नही कर सकते की, गलत को गलत कह सकें। हक़ बात की तायिद(Support) कर सकें। ताकत ही नही होती। ऐसी अजीब सियासत सीखा दी गई है की हर शख्स अजीब ही रंग में जिंदगी बशर करना चाहता है।
⚠️कुरान का मफहुम है: की खसारे(Loss) में चले जाओगे अगर तुम्हारे जुबान में कलमा-ए हक जारी ही नही होगा तो। अगर कलमा-ए हक़ अदा करने की तुम्हारे अंदर ताकत नही तो तुमने सारा वक्त जाया कर दिया।1/2

पार्ट 240
कहें...! कहें, अगर अपनी बिरादरी(Fraternity), अपना कबीला(Clan), अपना मुआशरा(Society) अपना खानदान(Dynasty),  कहीं पर गलत है और सामने वाला कबीला सही है तो। आप ताईद करें सामने वाले की। आपके अंदर ये अखलाकी जुर्रत होनी चाहिए के गलत को गलत कह सकें और सही को सही। 2/2

पार्ट 241
*📑मफहुम ए हदीस है: कोई शख्स किसी बूढ़े की खिदमत उसके बुढ़ापे में करेगा तो जब ये बूढ़ा होगा तो अल्लाह तआला एक जवान मुकर्रर करेगा, जो इसकी बुढ़ापे में खिदमत करेगा।*
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⚠️अपने बूढ़ों, बुजुर्गों, ज़ईफों की खिदमत और इनकी इज़्ज़त करें। अगर इनके दो बोल थोड़े कड़वे भी हों न तो सब्र कर लें। और वैसे भी नीम के पेड़ का फल कड़वा जरूर होता है, लेकिन उसकी छांव जरूर ठंडी होती है।🫂😊

पार्ट 242

जो स्वार्थी लोग होते हैं वो Contect बनाते हैं, रिश्ते नही बनाते। वो कहते हैं की Contect बनालो, Contect बनालो काम का आदमी है कभी जरूरत पढ़ जाएगी। Dr. है, Police है, IAS है, IPS है, गुंडा है, बदमाश है, माफिया है, युवा नेता है,  Politician(राजनेता) है जो कोई भी बड़े ओहदे में हो बस Contect बना कर रखो। और जब जरूरत ख़त्म हुई, दोस्ती खत्म। Contect बनाने और रिश्ते बनाने में ज़मीन आसमान का फर्क होता है।
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*🪴रिश्ते जो बनते हैं वो उसूलों से। और एक दोस्त का दूसरे दोस्त की मदद करना ये दोस्ती की बेहतरीन मिसाल और उसकी खुबसूरती है।*

पार्ट 243
✨अगर आप अपने दोस्तों को, रिश्तेदारों को नमाज़ की तरफ बुलाते हैं, उन्हें कुरआन सिखाने और दीन की तरफ माइल करने में कामयाब हैं तो आपने दीन की खिदमत के लिए कुछ न कुछ हिस्सा शामिल किया है। करने का काम ये है की जद्दोजहद करे, कोशिश करें, दो जुमले मीठे बोलें।
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*⚠️अगर कोई कहे न की दीन पर चलना तो बड़ा मुश्किल है तो आप उसे कहें: की दीन पर चलना तो बड़ा आसान है। और दीन पर ही तो चलना आसान है। और यकीन जानिए आपके ये अल्फाज़ भी खिदमत-ए दीन के लिए ही हैं।*

पार्ट 244
हर जगह रोना, रोना की मेरा बच्चा अच्छा नही है मैं बड़ा परेशान हूं।
ये बच्चा तो आपकी कमाई है, आपके अहसासात हैं, हुस्न है, अस्ल है, नस्ल है और उन्हें इस क़दर तकलीफ़ देना की जगह जगह शिकायते?
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*⚠️हमारे बच्चे हमारे हैं न? तो फिर उनकी इज़्ज़त किसकी है? तो क्यों हम गली-गली उनकी रुसवाई करें। और हम जिन्हे अपना खैरख्वाह समझ कर बताते न वो आगे दूसरों को मजे लेकर बताते....❤‍🩹🫥*

पार्ट 245
खड़े होकर पेशाब करने से पेल्विस और हिप्स की मसल्स Relax महसूस नहीं कर पातीं। इसलिए कहा जाता है कि बैठकर पेशाब करना ज्यादा फायदेमंद है। बैठकर पेशाब करना उन लोगों के लिए फ़ायदेमंद हो सकता है, जो ज्यादा देर तक खड़े नहीं रह सकते। पेल्विक फ्लोर उन सभी मांसपेशियों का समूह है जो मूत्राशय(Urinary Bladder), गर्भाशय(Uterus), प्रोस्टेट(Prostate), योनि(Vagina), मलाशय(Rectum), और गुदा से जुड़ी रहती हैं। पेल्विक क्षेत्र जांघ के ऊपर और नाभि(Nawel) के नीचे मौजूद होता है। लोगों को पेल्विक फ्लोर से जुड़ी तकलीफ तब होती है जब पेल्विक मसल्स काम करना बंद कर देते हैं।
*⚠️जिंदगी में आगे बढ़ना है तो 1450 साल पीछे चले जाओ*

पार्ट 246
खड़े होकर पानी पीने से पानी तेज Speed से Food Pipe से होते हुए सीधे पेट के निचले हिस्से पर पहुंच जाता है। इससे Digestion(पाचन) पर बुरा असर पड़ता है। जब हम खड़े होकर पानी पीते हैं तो पानी फिल्‍टर हुए बगैर पेट में पहुंचता है और जमा इंप्योरिटीज गॉलब्लैडर में पहुंचती हैं। इससे यूरिनरी ट्रैक्ट से जुड़ी तकलीफों का Risk बढ़ता है।
⚠️1450 साल पहले जब Science(विज्ञान) नही था तब इस्लाम ने बताया था सारे संसार को, की पानी बैठ कर पियो। और अगर खड़े खड़े पानी पी चुके हो तो उसे "कै" (उल्टी) करके निकाल दो। यानी किस कदर नुकसान देह है खड़े खड़े पानी पीना। खड़े होकर पानी पीने से Lungs(फेफड़े) और Hart(हृदय) से जुड़ी जो तकलीफ़ है उसका ज़िक्र तो अभी किया ही नही हमने।

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