जिन्नात की हिकायत.।
*💐"सिराते मुस्तक़ीम"💐*
_एक उम्दा इस्लामी ग्रुप_
*☄जिन्नात की हिक़ायत🌪*
*पहला बाब(हिस्सा)*
🏔हज़रत सय्य्येदना आदम सफीउल्लाह अलेहिस्लाम की पैदाइश से तक़रीबन 1 लाख 44 हज़ार साल पहले जिन्नात को पैदा किया गया ! अल्लाह ने सब से पहले जिन्न का नाम *"मारीज"* और उसके लिए एक बीवी *"मरजा"* नामी पैदा फरमाई ! इस जोड़े से जिन्नात की नस्ल बढ़ी और उन के बहुत से कबीले पैदा हो गए ! *"इब्लीस"@* ने भी एक जिन्नी से शादी कर ली और उसकी भी नस्ल चली !
✨अलगर्ज जिन्नात की तादाद बहुत बढ़ गयी ! इब्लीस व उसकी ओलाद की आसमान अव्वल पर रहने की इजाज़त मिली और हवा में भी जिन्नात को रहने की रुखसत मिली ! अल्लाह के हुक्म से जिन्नात अल्लाह की इताअत करते रहे, फिर सरकशी पर उतर आये ! और ज़मीन पर आपस में खून रेज़ी शुरू कर दी ! जिन्नात की शर अंगेज़ी इस क़दर बढ़ी की खुद ज़मीन उन से पनाह मांगने लगी ! कई बार जिन्नात पर कहर नाजिल हुआ और बहुक़्मे इलाही फरिश्तों ने उन को क़तल किया !
*👉🏼इब्लीस@-:: इब्लीस का नाम पहले अज़ाज़ील था और ये जिन्न है फरिश्ता नही !*
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*☄जिन्नात की हिक़ायत🌪*
*दुसरा बाब(हिस्सा)*
*"जिन्नात की किस्में"*
❄सरकारे आली वक़ार सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम का फरमान है की जिन्नात की तीन किस्मे है~
_1~ एक किस्म जो हवा में उड़ती है_
_2~ एक वो जो सांप व कुत्तो की शक्ल मे_
_3~ जो सफ़र व क़ियाम करती है_
*📚(तबरानी हाकिम वगैराह)*
⚜अबूबकर इब्ने अबीद दुन्या रहमतुल्लाह अलैहि ने *"मकायदुश शैतान"* में अबु दरदा रदियल्लाहो अन्हु से रिवायत है के हुज़ूर सल्लल्लाहो ताला अलेहि वसल्लम का फरमान है अल्लाह ने तीन क़िस्म के जिन्नात पैदा फरमाये है !
*1-:: एक किस्म सांप, बिच्छू, और कीड़े मकोड़ो की है !*
*2-:: हवा की मानिंद(हवा में उड़ने वाली)*
*3-:: तीसरी वो जो हिसाब किताब कि मुकल्लफ़ !*
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*☄जिन्नात की हिक़ायत🌪*
*तीसरा बाब(हिस्सा)*
*_⚜हज़रते अल्लामा ऐनी रहमतुल्लाह अलैहि ने कुरान पाक और अहादीस मुबारका और आसार में गोरो फिक्र करके जिन्नात की मज़िद अक्साम बयान फरमाई हैं !_*
*1~गोल या इफ़्रियत-::* ये सब से खतनाक और खबीस जीन्न है किसी से मानूस नही होता, जंगलात में रहता हे उमूमन मुसाफिरों को दिखायी देता है और उन्हें रस्ते से भटकता है !
*2~उज़ार-::* ये मिस्र और यमन में पाया जाता है उसे देखते ही इंसान बेहोश हो जाता है !
*3~वलहान-::* समुन्द्र के ऊपर जज़ीरों में रहता है उस की शक्ल ऐसी है जेसे इंसान शूतर मुर्ग़ पर सवार हो जो इंसान जज़ीरों में जा पड़ते उन्हेँ खा लेता है !
*4~शक़-::* ये इंसान के आधे क़द के बराबर होता है जो सफ़र में जाहिर होता है !
*5-::* बाज़ जिन्नात इंसानो से मानुष होते हे उन्हें इज़ा नही पहुँचाते !
*6-::* बाज़ कंवारी लड़कियो को उठा ले जाते है !
*7-::* बाज़ जिन्नात कुत्तों और छिपकली की शक्ल में होते है !
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*☄जिन्नात की हिक़ायत🌪*
*चौथा बाब(हिस्सा)*
*🎤जिन्नात नात भी पढ़ते हैं🎤*
💫जिन्नात की कई हिक़ायतो से ये बात मालूम होती है की जिन्न मुसलमान भी होते है और काफिर भी और ये मालूम पड़ता हवकी इनकी उम्रें भी तवील होती हैं ! खास कर ये बात ज़हन नशीन फरमा लें की हक़ हक़ है और बातिल बातिल ! किसी बूत का बातिल की ताईद करना या किसी दीवार से आवाज़ आना ये अक्सर जिन्नात ही के कारनामे होते है ! अगर इस तरह की गैबी आवाज़े शरीअत के मुताबिक हैं तो ठीक है वरना उन्हें नही माना जाये !
⚜जिन्नात की एक किस्म ऐसी है जो दुसरी चीज़ों में हुलुल कर जाती है ! जैसा की बुतो का वाक़या ! किसी ने तहरीर दी एक शहर की फलां मक़ाम पर एक दीवार से नातें रो रो कर पढ़ने की आवाज़ आ रही थी ! जाहिर है की वह कोई आशिक ए रसूल नात ख्वान मुसलमान जिन्न होगा ! जिन्न नात भी पढ़ते है इज़तिमात में भी शिरकत करते है बुज़ुर्गों से इक्तिसाब ए फैज़ भी करते हैं मुरीद भी बनते है !
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*☄जिन्नात की हिक़ायत🌪*
*पांचवां बाब(हिस्सा)*
*🔮~~"हाज़िरात"~~🔮*
_✨हमारे मुआशरे में आजकल जगह जगह "हाजीरात" का सिलसिला चला है बाज़ मक़ामात पर मर्द या औऱत को हाज़री और फिर किसी बुज़ुर्ग की सवारी आती है हत्ता की *"गौस ए पाक रदियल्लाहो अन्हु"* की सवारी आने का भी दावा किया जाता है ! मसलन हाज़री में मुब्तला ओरत जब इस तरह हम कलम होती हे की हम *"गौस पाक रदियल्लाहो अन्हु"* है हम से पूछो क्या पूछना चाहते हो ! फिर मज़मा से लोग सवाल पूछते है और जवाबात दिए जाते है इलाज तजवीज़ होते हे वगैरह !_
*_🌹मेरे भोले भाले मुसलमान भाइयों! ये बात अच्छी तरह ज़हन नशीं कर लें "इंसान किसी दूसरे इंसान के जिस्म में हुलूल नही कर सकता" ! जरा सोचिये तो सही! वो "बुज़ुर्गाने दीन "जिन्होंने उम्र भर पर्दा की तालीम दी और बादे कैसे मुमकिन है के वही बूजुर्ग, बेपर्दा औरतों के जिस्म में दाखिल होकर तमाशा दिखाने लगे !_*
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*आखरी बाब(हिस्सा)*
*~~"इंसानी चेहरा वाला चौपाया"~~*
_☪हज़रत ए सय्येदुना इमाम शाफ़ई रहमतुल्लाह तआला अलैहि को मक्का मुकर्रमा एक नव मुस्लिम ने अपने इस्लाम लेन का हेरत अंगेज़ वाकिया कुछ इस तरह बताया~ "में दरीयाई सफ़र पर था की तूफान आ गया और हमारी कश्ती उल्ट गयी ! पानी की मोज़ों ने उछाल कर मुझे एक जज़ीरे पर डाल दिया ! उस जज़ीरे पर फल व शफ़्फ़ाफ़ पानी की नहरें जारी थीं !_
🏝मेने उस जज़ीरे पर सारा दिन गुजारा, जब रात हुई तो क्या देखता हूँ की एक अज़ीब व ग़रीब चौपाया मेरे करीब आ कर खड़ा हो गया ! उस का सर शुतुर मुर्ग़ के सर जैसा, चेहरा आदमी की तरह, उस के हाथ पांव ऊंट के मिस्ल और दूम मछली की तरह थी ! वो बुलंद आवाज़ से कह रहा था~ *_"अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लाइक नहीं मुहम्मद सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम अल्लाह के सच्चे रसूल हैं ! हज़रत सैयदना अबूबकर सिद्दीक़ उनके यारे गार, हज़रत उमर फ़ारूक़ फुतूहात के मालिक, हज़रत सय्येदुना उस्मान शहीद और हज़रत मौला अली शेरे खुदा कुफ्फार पर खुदा की तलवार हैं ! रदियल्लाहो तआला अन्हू ! उनके दुश्मनों पर खुदा की मार हो !"_*
💨में ख़ौफ़ जदा होकर भागने लगा की उसने मुझे रोक दिया और पूछा आपका मज़हब क्या है? मेने कहा ईसाई ! उसने बड़ी नरमी से नेकी दावत पेश की और कहा आप मुसलमान हो जाएँ तमाम आफतों से महफूज़ रहेंगे ! में उसी वक़्त मुसलमान हो गया ! उसने मुझसे कहा, अच्छी तरह याद रखिये ! *_आपका इस्लाम हज़रात सय्येदुना अबूबकर, उमर फ़ारूक़, उस्माने गनी और हज़रत अली की मुहब्बत से ही मुकम्मल होगा !_*
💐मै ने हिम्मत करके पूछा, आपको ये तमाम बातें किसने सिखाई ! उसने बताया की हमारा काफिला *"सरकार सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम"* के दस्ते पुर अनवार पर मुसलमान हुआ था और हम ने ये बातें सुल्तान ए दोजहां की ज़बान ए हक़ तर्जुमान से सुनी है !
*📚[नुज़हतुल मज़ालिस]*
*➡नुक़्ता:-- "आली वक़ार सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम और उनके प्यारे चार यार से जिन्नात भी मुहब्बत करते है ! हर मुसलमान के लिए उनकी मुहब्बत जरुरी है बल्कि तमाम सहाबा ए किराम से मुहब्बत रखनी लाज़मी है ! यक़ीनन सब के सब सहाबी क़तई जन्नती है" !*
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*➡उन्वान ख़त्म*
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✨अलगर्ज जिन्नात की तादाद बहुत बढ़ गयी ! इब्लीस व उसकी ओलाद की आसमान अव्वल पर रहने की इजाज़त मिली और हवा में भी जिन्नात को रहने की रुखसत मिली ! अल्लाह के हुक्म से जिन्नात अल्लाह की इताअत करते रहे, फिर सरकशी पर उतर आये ! और ज़मीन पर आपस में खून रेज़ी शुरू कर दी ! जिन्नात की शर अंगेज़ी इस क़दर बढ़ी की खुद ज़मीन उन से पनाह मांगने लगी ! कई बार जिन्नात पर कहर नाजिल हुआ और बहुक़्मे इलाही फरिश्तों ने उन को क़तल किया !
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_1~ एक किस्म जो हवा में उड़ती है_
_2~ एक वो जो सांप व कुत्तो की शक्ल मे_
_3~ जो सफ़र व क़ियाम करती है_
*📚(तबरानी हाकिम वगैराह)*
⚜अबूबकर इब्ने अबीद दुन्या रहमतुल्लाह अलैहि ने *"मकायदुश शैतान"* में अबु दरदा रदियल्लाहो अन्हु से रिवायत है के हुज़ूर सल्लल्लाहो ताला अलेहि वसल्लम का फरमान है अल्लाह ने तीन क़िस्म के जिन्नात पैदा फरमाये है !
*1-:: एक किस्म सांप, बिच्छू, और कीड़े मकोड़ो की है !*
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*1~गोल या इफ़्रियत-::* ये सब से खतनाक और खबीस जीन्न है किसी से मानूस नही होता, जंगलात में रहता हे उमूमन मुसाफिरों को दिखायी देता है और उन्हें रस्ते से भटकता है !
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*3~वलहान-::* समुन्द्र के ऊपर जज़ीरों में रहता है उस की शक्ल ऐसी है जेसे इंसान शूतर मुर्ग़ पर सवार हो जो इंसान जज़ीरों में जा पड़ते उन्हेँ खा लेता है !
*4~शक़-::* ये इंसान के आधे क़द के बराबर होता है जो सफ़र में जाहिर होता है !
*5-::* बाज़ जिन्नात इंसानो से मानुष होते हे उन्हें इज़ा नही पहुँचाते !
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*_🌹मेरे भोले भाले मुसलमान भाइयों! ये बात अच्छी तरह ज़हन नशीं कर लें "इंसान किसी दूसरे इंसान के जिस्म में हुलूल नही कर सकता" ! जरा सोचिये तो सही! वो "बुज़ुर्गाने दीन "जिन्होंने उम्र भर पर्दा की तालीम दी और बादे कैसे मुमकिन है के वही बूजुर्ग, बेपर्दा औरतों के जिस्म में दाखिल होकर तमाशा दिखाने लगे !_*
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_☪हज़रत ए सय्येदुना इमाम शाफ़ई रहमतुल्लाह तआला अलैहि को मक्का मुकर्रमा एक नव मुस्लिम ने अपने इस्लाम लेन का हेरत अंगेज़ वाकिया कुछ इस तरह बताया~ "में दरीयाई सफ़र पर था की तूफान आ गया और हमारी कश्ती उल्ट गयी ! पानी की मोज़ों ने उछाल कर मुझे एक जज़ीरे पर डाल दिया ! उस जज़ीरे पर फल व शफ़्फ़ाफ़ पानी की नहरें जारी थीं !_
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ReplyDeleteye baat kaha lekhi hai ki jinn ka name mariz tha aur uski patni marja....galat hai ye man se mat banao kahani profh do iska
Aur tajkiratul Ambiya me likha hai , jinn on ko insan k takhlik se 2000 hajar Saal pahle paida Kiya Gaya .
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