हुज़ूर ताजुश्शरीआ की जिन्दगी मुबारका*

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*👑हुज़ूर ताजुश्शरीआ अलैहिर्रहमा की जिन्दगी मुबारका*
          पोस्ट नम्बर:-1️⃣

🌸ताजुश्शरीआ अल्लामा मुहम्मद अख़्तर रज़ा अजहरी बरेलवी जानशीन-ए- मुफ्ती-ए-आजम मसनदे रुशद व हिदायत आस्ताना-ए-आलिया कादरिया बरकातिया रजविया सौदागिरान,बरेली शरीफ

✨उनकी पेशानी की चमक से जुलमतें दूर होती हैं जिस तरह तुलूअ आफताब से अंधेरा छुट जाता है!और उन की हैबत से लोगों की आँखें झुक जाती वह नर्म खु हैं,उनकी खसलतें पौशीदा नहीं हैं,खुश खल्की और खुश मिजाजी ने जीनत बख्शी है।

💫उनकी सिफात,सिफाते रसूलुल्लाह कि आइना दार हैं!उनकी आदतें व खसलतें बहुत खुब हैं!दोनों हाथ मुसला धार बारिश की तरह फैजे रसाँ हैं चाहे माल हो या न हो!वह इस मुकद्दस गिरोह के फर्द फरीद हैं जिन की

*🗒️मोहब्बत दीन है और नका कुर्ब निजात देने वाला है।  विलादत* जानशीन मुफ्ति-ए-आज़म अल्लामा मुफ्ती आलहाज अश्शाह मुहम्मद अख्तर रज़ा अज़हरी कादरी इब्ने मौलाना मुहम्मद इब्राहीम रज़ा जीलानी इब्ने हुज्जतुलइस्लाम मौलाना मुहम्मद हामिद रजा इब्ने आला हजरत इमाम अहमद रज़ा फाजिले बरेलवी25/फरवरी 1942 ई. को महल्ला सौदागिरान बरेली शरीफ में पैदा हुये।

*(📚हयात ए ताजुश्शरीआ सफ़ह,28,29)*
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            *पोस्ट नम्बर:-2️⃣*

*📝खान्दानी पस मन्ज़र*

⛺ताजुश्शरीआ का खान्दान अफगानिन्नसल और कबील-ए-बढ़ेच से तअल्लुक रखता है। मुरिस आला शहज़ादा सईदुल्लाह ख़ाँ कन्दहार हुकूमत अफगानिस्तान के वली अहद थे,खान्दानी इख्तिलाफ की वजह से कन्दहार को तर्क वतन कर लाहूर आये यहाँ पर गवर्नर ने आप शीश महल में आप के कियाम का इन्तिजाम किया और दरबार मुहम्मद शाह बादशाह देहली को इत्तिलाअ भेजवार दरबार से शाही मेहमान नवाजी का हुक्म सादिर हुआ 

📃फिर शहजादा सईदुल्लाह ख़ाँ ने देहली बादशाह मुहम्मद शाह से जा कर मुलाकात की,आप को बादशह ने फौज का जरन्ल बना दिया और आप के साथियों को भी फौज में अच्छी जगह मिल गई रूहैल खन्ड में कुछ बगावत के आसार नुमाया हुये तो बादशाह ने आप को रुहेलखन्ड की दारुस्सुलतनत बरेली भेज दिया ताकि वहाँ अमन व अमान काइम करें आप के साहबजादे सआदत यार खाँ दरबार देहली में वजीर-ए-मुम्लिकत थे,उनको कलैदी कलमदान मिला था उनकी अपनी अलाहिदा महर थी हाफिज काजिम अली खां के आहद में मुगलिया हुकूमत का जवाल शुरू हो गया हर तरफ बगावतों का शौर और आजादी व खुद मुख्तारी का जोर था आप अवध की कमान संभालने पहुंचे। आप के फरजन्द मौलाना शाह रजा अली खाँ बरेली जिन्होंने 1857 ई में अहम किरदार अदा किया। इंग्रेज ने उनका सर कलम करने के लिए पाँच हजार के इन्आम का एलान किया था। आप के दो फरज़न्द मौलाना मुफ्ती नकी अली खा कोलवी और दूसरे मौलाना हकीम तकी अली ख़ाँ बरेलवी तवल्लुद हुये, जिन्होंने दरजनों किताबें लिखे, मौलाना नकी अली खाँ बरेलवी के तीन फरजन्द तवल्लुद हुये। *1* आला हजरत इमाम अहमद रजा खाँ कादरी फाज़िले बरेलवी *2* मौलाना हसन रजा खाँ बरेलवी *3* मौलाना मुफ्ती मुहम्मद रजा खाँ बरेलवी।

*(📚हयात ए ताजुश्शरीआ सफ़ह,29)*
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            *पोस्ट नम्बर:-3️⃣*

*📝तस्मिया ख्वानी*

🏁जानशीन मुफ्तिए-आजम की उमर शरीफ जब चार साल. चार माह, चार दिन की हुई तो वालिद माजिद मुफस्सिरे आजम हिन्द मौलाना मुहम्मद इब्राहीम रजा जीलानी ने तकरीब बिस्मिल्लाह ख्वानी मुन्अकिद की और उस में दारूलउलूम मन्जरे इस्लाम के जुमला तलबा को दअवत दी हुजूर मुपित-ए-आजम कुदिसा सिर्रहु ने रस्मे बिस्मिल्लाह अदा कराई और मुहम्मद नाम पर अकीका हुआ पुकार ने का नाम मुहम्मद इस्माईल रजा और उर्फमुहम्मद अख्तर रजा तजवीज़ हुआ हुजूर मुफ्ति-ए-आजम की साहबजादी यानी जानशीने मुफ्ति-ए-आजम की वालिदा माजिदा ने तअलीम का खास ख्याल रखा..!

🌸चुंकि नाना जान का सहीह जानशीन इसी नवासे को मुस्तकबिल में बन्ना था और सारी तवक्कुआत उन्ही से वाबस्ता थीं इसी लिए नाना जान हुजूर मुफ्ति-ए-आज़म की सहर आमूज दुआये भी आप ही के हक में निकलती रहीं।

*(📚हयात ए ताजुश्शरीआ सफ़ह,30,31)*
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            *पोस्ट नम्बर:-4️⃣*

*💫अल्काब*

 🗓️जानशीने मुफ्ति-ए-आजम ने 1984 ई/1404 हिजरी में सुराश्टर का दौरा फरमाया वीरावल, पुरबन्दर जामजोधपुर ईलटिया,धोराजी,और जीतपूर होते हुये 15/

🌸आगस्त 1984 ई. 1404 हिजरी को अमरीली तशरीफ ले गये वहाँ हजारों लोग दाखिले सिलसिला हुये रात 12 बजे से दो बजे तक जानशीन मुफ्ति-ए-आजम की तकरीर हुई और 18 आगस्त को जोनागढ़ में बज़म रजा की जानिब से एक जलसा रज़ा मस्जिद में रखा गया जिस में अमीरे शरीअत हाजी नूर मुहम्मद रज़वी मारफानी ने ताजुल- इस्लाम का लकब दिया जिसकी ताईद मुफ्ती गुजरात मौलाना मुफ्ती अहमद मियाँ ने आम जलसा में की।

🏁जानशीन मुफ्ति-ए-आजम को सदरूलमुफत्तीन सनदुल मुफत्तीन,और फकीह-ए-इस्लाम का लकब 1984 ई 1404 हिजरी में रामपुर के मशहूर आलिमे दीन हजरत मौलाना सय्यद मुफती शाहिद अली रजवी शैखुल हदीस अल जामियातुल इस्लामिया गंज कदीम रामपुर ने एक आम जलसा में दिया।

⚜️फखरे अहले सुन्नत,फकीहे आज़म और शैखुल मुहद्दीसिन का लकब14/शव्वालुलमुकर्रम 1405 हिजरीः 1985 ई. को मौलाना हकीम मुजफ्फर अहमद रज वी बरकाती दातागंज बदायूँ ने दिया। उस के एलावा मसलन ताजुश्शरीआ मरजउलउलमा वलफुजला वगैरा,और बहुत से अलकाब उलमा व मशाइख ने दीए जिसकी एक तवील फिहरिस्त है जामेअ अजहर मिस्र के शैखुलहदीस ने आप :को फ़ख अजहर का खिताव 2010 को काहिर में मुन्अकिद। तकरीव में दिया
*(📚हयात ए ताजुश्शरीआ सफ़ह,30,31)*
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            *पोस्ट नम्बर:-5️⃣*

*🏫हुसूले उलूम इस्लामिया*

📓जानशीने मुपित-ए-आज़म ने घर पर वालिदार माजिदा से कुरआन करीम नाज़रा ख़त्म किया उसी दौरान वालिद माजिद से उर्दू की किताबें पढ़ी। घर पर तअलीम: हासिल करने के बाद वालिद बुजुर्गवार ने दारूलउलूम मन्जरे इस्लाम में दाखिल करादिया नहमीर,मीज़ान मुन्शइब विगैरा से हिदाया आखेरैन तक की कितवें दारूलउलूम मन्ज़रे इस्लाम के कुहना मशक असातिजा किराम से पढ़ीं।

👑ताजुश्शरीआ ने फारसी की इब्तिदाई कुतुब पहली फारसी दूसरी फारसी.गुलज़ारे दविस्ता,गुलिस्ताँ और बुस्त मन्जर-ए-इस्लाम के उस्ताद हाफिज़ इन्आमुल्लाह खाँ तरनीम हामिदी बरेलवी से पढ़ी1 1952 ई. में एफ आर इस्लामिया इन्टर कालेज में दाखिला लिया। जहाँ पर हिन्दी और अंग्रेजी की तालीम हासिल की मुफस्सिरे हिन्द कुद्दुस सिरुंह के मरीद खास जनाव निसार अहमद हामिदी सुलतान पूरी मरहम की कोशिश से जामिआ अजहर काहिरा मिस्र से अरबी अदब में महारत हासिल करने के लिए फजीलतुश्शैख मौलाना अब्दुत्तवाब मिस्री की खिदमात हासिल की गई थीं।

*(📚हयात ए ताजुश्शरीआ सफ़ह,32,33)*
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            *पोस्ट नम्बर:-6️⃣*

*🏫हुसूले उलूम इस्लामिया*

💎शैख़ साहिब दारुल उलूम मन्जरे में दर्स व तदरीस दिया करते थे। उनके खाश तलामिजा में आप का शुमार होता था आप दौराने ताल्ब इल्मी मामूल था कि अलस्सुबह अरबी अख़बारात उसताद को सुनाते और उर्दू हिन्दी के अखबारात की ख़बरों व इत्तिलाआत को अरबी, जबान में तर्जमा कर के सुनाते आप को शैख साहिब बड़ी तवज्जोह और इन्हेमाक से पढ़ाते आप की जिहानत व फतानत को देखते हुये जामिआने अजहर में दाखिला का मशवरा मौलाना इब्रहीम रजा खाँ जीललानी को दिया तो वह तैयार हो गये। ताजुश्शरीआ जानशीन मुफ़्ती ए आज़म 1963 ई. में जामिया अजहर काहिरा मिस्र तशरीफ ले गये। वहाँ आप ने कुल्लिया उसुलुद्दीन" (एम-ए--में दाखला लिया मुसलसल तीन साल तक जामिया अजहर मिस्र में फन तफसीर व हृदीस के माहिर असातिजा से इक्तिसाव इल्म किया 

❣️ताजुश्शरीआ बचपन ही से जहानत व फितानत और कुव्यतं हाफिजा के मालिक थे और अरबी अदब के दिलदादा थे जामिया अजहर मिस्र में दाखिला के बाद जब आप की जामिया के असातिजा और तलबा से गुफ्तगु हुई तो वह आप की ये तकल्लुफ फसीह व चलीग अरबी गुफ्तगु: मन कर महवे हैरत हो जाते थे और कहते थे कि *!एक जामियुनन्सल हिन्दुतानी अरबियुनन्सल अहले इल्म हज़रात से गुफ्तगू करने में कोई ताल्लुक महसूस नहीं करता*
*(📚हयात ए ताजुश्शरीआ सफ़ह,32,33)*
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            *पोस्ट नम्बर:-7️⃣*

*🏫हुसूले उलूम इस्लामिया*

🎗️जामिया अजहर मिस्र के शोअवा-ए-कुल्लिया उसूलुद्दीन का सालाना इम्तिहान अगर्चे तहरीरी होता था मगर मालूमात अम्मा जनरल नालेज का इम्तिहान तकरीरी होता था चुनॉचेह जामिया के सालाना इम्तिहान के मौका पर जब जानशीन मुफ्ति-ए आजम का इम्तिहान हुआ तो मुम्तहिन ने आपकी जमाअत से इल्मे कलाम के चन्द सवालात किए, पूरी जमाअत में से कोई एक भी सवालात के सहीह जवाव न दे सका। मुम्तहिन ने रूये सुख्न आप की तरफ करते हुये सवालात को दोहराया जानशीन मुफ्ति-ए-आज़म ने उन सवालात का ऐसा शाफ़ी व काफी  जवाब दिया कि मुम्तहिन तअज्जुब की निगाह से देखते हुये कहने लगा कि आप तो हदीस व उसूले हदीस पढ़ते हैं तव इल्मे कलाम में कैसे जवाब दिया जानशीन मुफ्ती-ए-आजम ने जवाब में कहा कि मैंने दारूलउलूम मन्जरे इस्लाम बरेली में इल्मे कलाम पढ़ा था आप के जवाब से मसरूर हो कर मुम्तहिन जामिया ने आप को जमाअत में पहला मकाम दिया।

*(📚हयात ए ताजुश्शरीआ सफ़ह,34)*
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            *पोस्ट नम्बर:-8️⃣*

*🛬जामिया अज़हर से फ़रागत,एवार्ड,और बरेली आमद*

👑ताजुएशरीआ मुफ़्ती मुहम्मद अखतर रजा अजहरी मद्दजुल्लाहु 1963 ई में जामिया अजहर मिस्र तशरीफ ले गये और वहाँ पर तीन साल मुसलसल रह कर हुसूले इल्म में मशगूल रहे दुसरे साल के सालाना इम्तिहान में आप ने शिरकत की अल्लाह तआला ने अपने फजले अमीम से पूरे
जामिया अजहर काहिरा में इम्तिहान में आला काम्यावी अता फरमाई उस कामयाबी पर इडिटर माहनामा आला हज़रत बरेली कवाइफ अस्ताना रजविया के उनवान से रकमतराज है नवीर-ए-आला हज़रत हुज्जतुल इस्लाम अलैहिर्रहमा और हजरत मुफसिरे आजम के फरजिन्द दिलबन्द मौलाना अखतर रजा खाँ साहब ने अरबी में बी-ए-की सनद फरागत निहायत नुमाया और मुम्ताज हैसियत से हाशित की मौलाना अख़्तर रजा सौ साहब न सिर्फ जामिया अजहर में बल्कि पूरे मिस्र में अव्वल नम्बरों से पास हुये मौला तआला उन को इस से ज्यादा वेश अज वेश काम्याची अता फरमाये और उन्हें खिदमात का अहल बनाये और वह सहीह मअना में आला हज़रत इमाम अहले सुन्नत के जानशीन कहे जाये।..!
*(📚हयात ए ताजुश्शरीआ सफ़ह,34)*
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          *📝पोस्ट नम्बर:-9️⃣*

💫अल्लाहुम्मा जिद फज़िद।
ताजुश्शरीआ1966. ई. जामेअ अजहर काहिरा से फारिग हुये तो करनल जमाल अब्दुन्नासिर ने आप को बतौर इन्आम जामे "अजहर ईवार्ड" पेश किया और साथ ही साथ सनद से भी नवाजे गये। जब आप जामेअ अज़हर से बरेली शरीफ तशरीफ लाये तो उस की कैफियत शहर के मशहूर बुजुर्ग उमीद रज़वी यूँ तहरीर फ़रमाते हैं, बउनवान आमदनत बाइस...गुलिस्ताने रजवियत के महकते फूल, चमनिस्ताने आला हज़रत के गुल खुशरंग, जनाब मौलाना मुहम्मद अखतर रजा खाँ साहब इब्ने हजरत मुफस्सिरे आज़म हिन्द रहमतुल्लाहि अलैहि एक असा दराज़ के बाद जामेअ अजहर से फारिगुत्तहसिल हो कर 17/नवम्बर 1966ई.1386 हिजरी.की सुबह को बहार अफजाये गुलशन बरेली हुये,बरेली के जंकशन के स्टेशन.पर.मुतअल्लिकन व मुतवस्सिलीन व अहले. खान्दान, उलमा-ए-किराम व तल्बा-ए- दारूलउलूम मन्जरे इस्लाम. 
 के एलावा बेशुमार मोअ़तकदीन हजरात ने जिन में बेरूने जात.खुसूसन. कानपुर के अहबाब भी मौजूद थे हजरत मुफ्ती आजम मद्दजुल्लाहु की सर परस्ती मे परतिपाक और शान्दार  इस्तिकबाल किया और. साहबजादा मौसूफ को खुशरंग फूलों के गजरों और हारों की पेशकशी से अपने वालिहाना जजबात व खुलूस और अकी़दत का इजहार किया.
*(📚हयात ए ताजुश्शरीआ सफ़ह,35..36.)*
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     *📝पोस्ट नम्बर:-1️⃣0️⃣*

💫इदारा मौलाना अखतर रजा खाँ अजहरी और.मुतवस्सिलीन को उस कामयाब वापसी पर
 हदया.ए.तबरिक व तहनियत पेश करता है,और दुआ करता है कि.अल्लाह. तआ़ला
.बतुफैलअपने.हबीब.करीम.अलैहिस्सलात वत्तस्लीम उन के आबा किराम खुसूसन.आला हज़रत इमाम अहले सुन्नत मुजद्दिदे आजम.रदियल्लाहु तआला अन्हु का सच्चा सही वारिस व जानशीन.बनाये। ई दुआ अज मन व अज जुमला जहाँ आमीन बाद।(मौलाना रेहान रजा खाँ मुदीर माहनामा आला हजरत बरेली दिसम्बर 1965 ई1386 हिजरी)"हुजूर को लेने के लिए हजरत बजाते खुद बनफ्स नफीस तशरीफ ले गये,और ट्रेन का बे ताबाना इन्तिज़ार.फरमाते रहे,जैसे ही ट्रेन पलेट फार्म पर उतरी,सब से पहले.हज़रत ने गले लगाया, पेशानी चुमी और बहुत दुआयें दी.और फरमा कि  कुछ लोग गए थे.बदल कर आये  मगर मेरे बच्चे.पर जामीआ़ की तहजीब का कुछ.असर नही हुआ माशा अल्लाह !.
*(📚हयात ए ताजुश्शरीआ सफ़ह,36 ..37)*
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    *📝पोस्ट नम्बर:-1️⃣1️⃣*

*💎अन्दाजे तर्बियत*

💫हज़रत ताजुश्शरीआ के वालिद माजिद मुफस्सिर-ए.आजम हिन्द रहमतुल्लाहि अलैहि ने आप की नशू व नुमा.बड़े नाज़ व नअ़म और खुसूसी एहतिमाम के साथ की.दौराने तालिबइल्मी आप को तकरीर व बअ़ज की तरबियत देते थे। एक बार वालिद माजिद ने आप को करीब बुला कर बैठाया और फरमाया कि कल से त़लबा(मन्जर ए इस्लाम) को सैफुलजब्बार(मुसन्निफा सैफुल्ला अलमसलूम.अल्लामा शाह फजले रसूल उस्मानी बदाँयूनी)सुनाया करोगे। आप ने अर्ज किया कि अब्बा हुजूर  अभी मेरी उर्दू भी अच्छी नहीं है.फरमाया कि सब ठीक हो जायेगी,यह काम.तुम्हारे जिम्मा किया जाता है। आप ने दूसरे दिन से हम.दर्स तलबा को जमा किया और खानकाहे आलिया रज़विया
की छत पर बैठ कर सैफुलजब्बार का दर्स शुरू करदिया।इस तरह मुतअ़दि्द बार सैफुलजब्बार का दर्स  दिया और मुतालअ़ किया वालिद माजिद के इस से कई मकासिद.पौशीदा थे,एक तो यह कि उर्दू एबारत ख्वानी बेहतर हो.जायेगी,दूसरी अकाइद-ए-अहले सुन्नत व जमाअत की खुब.जानकारी हासिल होगी तीसरी वजह यह थी कि तकरीर.खिताबत करने में तकल्लुफ और झिझक खत्म हो जायेगी

*(📚हयात ए ताजुश्शरीआ सफ़ह,37)*
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     *📝पोस्ट नम्बर:-1️⃣2️⃣*

*दौराने तालीम वालिद माजिद का इन्तिकाल* 

💎जानशीन ए हुजूर  मुफ्ती.आजम  जब जामे  अजहर में तालीम   तरबीयत  हासिल कर रहे थे उसी दौरान आपके वालिद माजिद मुफस्सिर ए आजम हिन्दी मौलाना इब्राहिम रजा खाँ जीलानी बरेलवी का 60 साल की  उमर में 11 सफ्फरूलजमुजफ्फर 1385  हिजरी12/ जुन 1965,ई को  इंन्तिकाल  हो गया इन्तिकाल की  खबर पहुंचते ही आपके कल्व  पर गहरा गहरा सदमा पहुंचा आपके हम  दर्श  मौलाना शमीम अशरफ अजहरी (मारीशश) ने  आपके बरादरे अकबर  मौलाना रेहान रजा खाँ रहमानी मियाँ ताज़ीयत मकतूब  लिखा और आप की कैफियत तहरीर की है इस से बखूबी  अंदाजा होता है जानशीन  मुफ्ती ए आजम ने एक तवील खत बाजरे अकबर के नाम  तहरीर किया और वालिद साहब के इन्तिकाल की तफसीलात  मालूम की और एक ताजीयत नजम भी तहरीर फरमाई यह तमाम चीजें राकिमुस्सुतूर के पास महफूज है 

 *किसी गम में हाय तड़पता है दिल  और कुछ ज्यादा उभन्डआता हैं दिल हाय दिल  का आसरा ही चल बसा टुकड़े अब हो जाता है दिल अपने अखतर पर एनायत कीजिए मेरे मौला किस को बहकाता है दिल*

*(📚हयात ए ताजुश्शरीआ सफ़ह,38)*
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     *📝पोस्ट नम्बर:-1️⃣3️⃣*

*असातिजा किराम*

💎आप के असातिजा में काबिल ज़िक्र 
असातिजा किराम यह हैं हुजूर
मुफ्ती आजम मौलाना अश्शाह मुस्तफा
 रजा नूरी बरेलवी कुद्दुस सिर्रहु बहरूलउलूम हजरत मौलाना मुफ्ती सैयद मुहम्मद अफजल हुसैन रजवी मोंगरी मुफस्सिरे आजम हिन्द
 हज़रत मौलाना मुहम्मद इब्राहीम रजा जीलानी रज़वी बरेलवी फजीलतुश्शैख मौलाना अल्लामा मुहम्मद समाही शैखुल हदीस वत्त्तफसीर जामेआ  अजहर काहिरा हजरत अल्लामा मौलाना महमूद 
अब्दुलगफ्फार उस्ताजुलहदीस जामेआ अजहर 
काहिरा उस्ताजुलअसातिज़ा मौलाना मुफ्ती मुहम्मद अहमद उर्फ जहाँनगीर खाँ रज़वी आज़मी रेहान मिल्लत मौलाना मुहम्मद रैहान रजा रहमानी रज़वी बरेलवी फजीलतुश्शैख मौलाना अब्दुत्त्तवाब मिस्री.उस्ताद.मन्जर-ए-इस्लाम बरेली.मौलाना हाफिज इन्आमुल्लाह ख़ाँ 
तस्नीम हामिदी बरेलवी।
*(📚हयात ए ताजुश्शरीआ सफ़ह,38..39)*
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     *📝पोस्ट नम्बर:-1️⃣4️⃣*

*दर्स व तदरीस* 

 💎ताजुश्शरीआ अल्लामा मुफ्ती मुहम्मदअखतर रजा अजहरी को 1967 ई में दारूलउलूम मन्जरे इस्लाम बरेली में दर्स देने के लिए पेश कश की गई। आपने उस दअवत को कबूलियत से सरफराज़ किया, 1967 ई.से तदरीस के मसन्द पर फाइज हो गये। ताजुश्शरीआ के.बरादरे अकबर मौलाना रैहान रजा रहमानी बरेलवी ने 1978 ई.में सदरूलमुदर्रिसीन के आला ओहदा पर तकर्कर किया।और उस ओहदे के साथ "रजवी दारूलइफ्ता के सदर:मुफ्ती भी रहे। दर्स व तदरीस का सिलसिला मुसलसल बाराह साल तक चलता रहा।हिन्दुस्तान गीर तब्लीगी दौरे की वजह से यह सिलसिला कुछ अय्याम के लिए मुन्कतअ हो गया। मगर कुछ ही दिनों बाद अपने दौलत कदे पर दर्स कुरआन व हदीस का सिलसिला शुरू किया। जिस में मन्जरे इस्लाम,

💫मजहरे इस्लाम और जामिआ नूरिया 
रजविया के तलबा कसरत से शिरकत करते, 1407 हिजरी और 1408 हिजरी को मदरसा अलजामियातुल इस्लामिया गंजकदीम रामपुर में ख़त्म बुखारी शरीफ कराया 11408 हिजरी को जामिआ फारूकिया भोजपुर जिला
 मुरादाबाद में बुख़ारी शरीफ का इफ्तिताह
 किया। 1409 हिजरी को दारूलउलूम अमजदिया कराची (पाकिस्ता)में बुखारी शरीफ का इफ्तिताह.फरमाया,और जिलहिज्जा 
1409हिजरी को अलजामिअतुल कादरिया रिछा बेहड़ी जिला बरेली शरीफ में शरह वकाया का तवील सबक पढ़ाया। अब तक मुल्क व बैरुने मुमालिक में न जाने कितने मदारिस वजामीआत में दर्स बुखारी दिए।हैं जामिआ फारूकिया बनारस में ख़त्म बुख़ारी के मौका पर साहिबे बुखारी और आखिरी हदीस पर ढाई घन्टा तकरीर फरमाई।
*(📚हयात ए ताजुश्शरीआ सफ़ह,39.40)*
जारी है.... 
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    *📝पोस्ट नम्बर:-1️⃣5️⃣*

*खान्दान रज़ा की फतवा नवैसी* :
💫खान्दान इमाम अहमद रजा कादरी फाजिले बरेलवी की मुद्दत फतवा नवैसी का मन्दर्जा जैल जाइजा ईमान और.यकीन को रौशन करता है हजरत मौलाना रज़ा अली खाँ!की फतवा नवैसी का आगाज 1246 हिजरी 1831 ई अन्जाम 1282 हिजरी 1865 ई. इमाम अहमद रज़ा की फतवा नवैसी का आगाज़ 1286हिजरी/ 1869 ई.अन्जाम 1340 हिजरी 11831 ई. हुज्जतुलइस्लाम मुफ्ती मुहम्मद हामिद रजाकी फतवा नवैसी का आगाज़ 1338 हिजरी 1910 ई.अन्जाम 1981 ई./14021 है।बहम्देही तआला यह सिलसिला-ए-ज़ररों जिसकी मुद्दत 1408 हिजरी 1988 ई. तक 162 साल होती है,अब भी.खानकाह आलिया कादरिया बरकातिया रजविया सौदागिरान.बरेली सेनताजुश्शरीआ 1967 ई से अन्जाम दे रहे हैं। आप.हुजूर मुफ्ती आज़म कुदिदसा सिर्रहु और मुफ्ती सैयद.मुहम्मद अफजल हुसैन रज़वी मोंगीरी की जेरे निगरानी.फतावा लिखते रहे।

✨ मुफ्ती आजम कुदिसा सिर्रहु के पास.फतावा की कसरत की वजह से कई काम करते। मुफ्ती आजम ने फरमाया अखतर मियाँ घर में बैठने का वक्त नहीं। यह लोग जिन की भीड़ लगी हुई है कभी सुकून से बैठने नहीं देते।अब तुम उस काम को अन्जाम दो। में तुम्हारे सुपुर्द करता हूँ.लोगों से मुखातब हो कर मुफ्ती आज़म ने फरमाया आप लोग अब अखतर मियाँ सल्लमहु से रजूअ करें उन्हीं को मेरा काइम मकाम और जानशीन जानें उसी दिन से लोगों का रूजहान ताजुश्शरीआ की तरफ हो गया। आप खुद अपने फतवा नवैसी की इब्तिदा यूँ तहरीर फरमाते हैं।
*(📚हयात ए ताजुश्शरीआ सफ़ह,40..41)*
जारी है....
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   *📝पोस्ट नम्बर:-1️⃣6️⃣*

*📄फतवा नवैसी का आगाज* 

💫जानशीन-ए-हुजूर मुफ्ती-ए-आजम अल्लामा मुफ्ती मुहम्मद अख़्तर रजा खाँ अजहरी दामत बरकातुहुमुल आलिया को अल्लाह तआला ने वदीअत के तौर पर इल्मी व फकही सलाहियतों और जुजयात फिक्हिया पर कामिल दसर्तस इल्मे कुरआन व हदीस पर मुकम्मल इदराक अता फरमाया। आप ने सब से पहले फतवा 1966ई/1382हिजरी में तहरीर फरमा कर मुफ्ती सैयद अफजल हुसैन मुंगीरी सद्र दारुलइफता मन्जर-ए-इस्लाम को दिखाया आप ने फरमाया।कि अब मैंने देख लिया है नाना मोहतर्म को दिखा आइये फिर आप ने अपने नाना ताजदारे अहले सुन्नत हुजूर
मुफ्ती-ए-आजम कुद्दुस सिर्रुहु की खिदमत में पेश किया हजरत ने मुलाहिजा फरमा कर आप से मुखातब हो कर दादे तहसीन और हौसला अफजाई फरमाई और हिदायत की दारुलइफता में आ कर फतवा लिखा कर और मुझे
दिखाया करो। इस से पहले फतवा में सवालात के शाफि व काफी जवावात दिये। यह इस्तिफ़ता.मरकज.इस्लाम.मदीनतुल मुनव्वर से आया था। जिस में तलाक निकाह.मीरास से मुतअल्लिक मसाइल शरइया दरयाफत किए गये थे। आप ने तफसील से दलाइल व बराहीन के साथ फतवा को मुजय्यन कर के उस्ताज मोहतर्म और नाना जान से दाद व तहसीन हासिल की।नबीरा-ए-उस्ताजे जमन हजरत मौलाना मुफ्ती हबीब रजा खाँ बरेलवी कहते हैं कि कभी कभी नागा हो जाता था तो हजरत की

*(📚हयात ए ताजुश्शरीआ सफ़ह,41.. 42)*
*➡️जारी है.....*
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     *📝पोस्ट नम्बर:-1️⃣7️⃣*

*📑फतवा नवैसी का आगाज*

💎अहलिया मोहतर्मा पीरानी अम्माँ साहिबा अलैहिर्रमा दरयाफ्त फरमाती कि आज अख़्तर मियाँ नहीं आये हैं। उन से कहो कि रोजाना आया करे। हजरत इन को बहुत पसन्द फरमाते ताजुश्शरीआ जब भी फतावा की इस्लाह के लिए
हाजिरे ख़िदमत होते तो हज़रत आप को अपने करीब बैठाते फतावा मुलाहिजा फरमाते और जरूरत के तेहत कुछ इजाफा या तरमीम व तदलील फरमा कर दस्तखत फरमा देते.यह मामूल बरसों रहा। और हज़रत के अय्यामे अलालत दफतरी कामों दारुलउलूम मजहर इस्लाम 

💫और सन्द खिलाफत व इजाज़त पर दस्तखत करने और महर की तमाम तर जिम्मा दारियाँ आप के सुपुर्द फरमा दी थीं जिस को आप ने बहुस्न व खुबी अन्जाम दिया। आप खुद अपने फतवा नवैसी की इब्तिदा यूँ तहरीर फरमाते हैं।
मैं बचपन से ही हजरत मुफ्ती आजम से दाखिले सिलसिला हो गया हूँ,जामिआ अज़हर से वापसी के बाद मैंने अपनी दिलचस्पी की बिना पर फतवा का काम शुरू किया। शुरू शुरू में मुफ्ती सैयद अफजल हुसैन साहब अलैहिर्रहमा और दूसरे मुफ्तियाने किराम की निगरानी में मैं यह काम करता रहा। और कभी कभी हजरत की खिदमत
में हाज़िर हो कर फतवा दिखाया करता था कुछ दिनों के बाद उस काम में मेरी दिलचस्पी ज्यादा बढ़ गई और फिर में मुस्तकिल हज़रत की ख़िदमत में हाजिर होने लगा.हजरत की तवज्जोह से मुख्तसर मुद्दत में उसकाम में मुझे

*(📚हयात ए ताजुश्शरीआ सफ़ह,43.)*
➡️जारी है....
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    *📝पोस्ट नम्बर:-1️⃣8️⃣*

*📑फतवा नवैसी का आगाज*

💎वह फैज़ हासिल हुआ कि 
जो किसी के पास मुद्दतों बैठने से
भी न होता.माहनामा इस्तिकामत कानपूर स.151रज्जबुलमुरज्जब 1403 हिजरी 1983 ई.) ताजुश्शरीआ ने राकिमुस्तूर के एक सवाल के.जवाब में फरमाया कि मैं ने दारुलउलूम मन्ज़र-ए-इस्लाम.में पढ़ा और पढ़ाया,जामिआ अजहर में भी पढ़ा,शुरू से ही.मुझे मुतालअ का बहुत शौक था अपनी दरसी किताबों के अलावा शुरूह व हवाशी और गैर मुतअल्लिक किताबों का.रोजाना कसरत से मुतालअ करता,और खास खास चीजों को डाइरी पर नोट कर लिया करता था। उसके अलावा सब से अहम बात यह है कि मुझे जो कुछ भी मिला वह हुजूर मुफ्ती-ए-आजम कुद्दुस सिर्राहु की सोहबत व इस्तिफादा से हासिल हुआ। उनके एक घन्टा की सोहबत.इस्तिफ़सारात और इस्तिफादा सालों की मेहनत व मुशक्कत पर भारी पड़ते थे। मैं आज हर जगह हुजूर मुफ्ती-एआजम का इल्मी व रूहानी फैजान पाता हूँ। आज जो मेरी हैसियत है वह उन्हें की सोहबत किमया असर का सदका तकरीबन चौबीस साल से मुसलसल मुफ्ती आज़म.कुद्दिसा सिर्रहु के उस मनसब को बहुसन व खूबी अन्जाम दे.रहे हैं ताजुश्शरीआ के फतावा इकसाये आलम में सनद का दर्जा रखते हैं। एक अन्दाजे के मुताबिक ता दम तहरीर फतावा के रजिस्टरों की तदाद 31 से मुतजावज हो गई है। 

*(📚हयात ए ताजुश्शरीआ सफ़ह,44)*
➡️जारी है....
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     *📝पोस्ट नम्बर:-1️⃣9️⃣*

*💎मर्कजी़ दारूल इफ़्ता  का क़ियाम*

💫1981 ई.में ताजदारे अहले सुन्नत हुजूर मुफ्ती-एआज़म कुद्दुस सिर्रहु के इन्तिकाल के बाद आला हज़रत इमाम अहमद रजा कादरी फाजिल बरेलवी के दौलत कदा पर जहाँ ताजुश्शरीआ की मुस्तकिल सुकूनत है मर्कजी दारुलइफ्ता की बुनियाद डाली,1982 ई.में घर पर ही मसाइल के जवाबात एनायत फरमाते थे। बाज़ाबता तौर पर किसी इदारा की बुनियाद नहीं पड़ी थी,मगर 
उलमा व मशाइख और अवामे अहले सुन्नत की जरूरत का खियाल करते हुये"मर्कजी दारुलइफ्ता के कियाम का फैसला किया उस वक्त हज़रत रोज़ाना दारुल इफ्ता में जलवा अफरोज होते और आप ने मौलाना मुफ्ती काजी अब्दुर्रहीम बस्तवी,मौलाना मुफ्ती मुहम्मद नाजिम अली कादरी बारा बंकी मौलाना मुफ्ती हबीब रजा खाँ बरेलवी को मुफ्ती की हैसियत से मरकजी दारुलइफ्ता में मुकर्रर फरमाया। फतावा को रजिस्टर में नकल की खिदमत के लिए मौलाना अब्दुलवहीद खाँ बरेलवी को मामूर किया गया। मौलाना अब्दुल वहीद बरेलवी मरहूम ने 1983 ई से 2005 ई तक फतावा की नकल का काम किया आज मरकजी दारुलइफ्ता में मौलाना के हाथ से मुन्दर्जा फतावा के 80/ रजिस्टर होंगे। मौजूदा वक्त में मर्कजी दारुलइफ्ता से जारी फतावा की हैसियत मुल्क व बैरूने ममालिक में हर्फ आख़िर का दर्जा में हैं। जिस मस्नद इफ्ता की बुनियाद मुजाहिद जंग आजादी मौलाना मुफ्ती रजा अली खाँ बरेलवी रहमतुल्लाहि अलैहि ने रखी थी वह आज तक बारौनक है।
*(📚हयात ए ताजुश्शरीआ सफ़ह,44..45)*
➡️ जारी है....
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    *📝पोस्ट नम्बर:-2️⃣0️⃣*

   *✨अज़दवाजी ज़िन्दगी*

💎जानशीन मुफ्ती आजम का अक्द मसनून हकीमुलइस्लाम मौलाना हुसनैन रज़ा बरेलवी अलैहिर्रहमा की दुख्तरनेक अख़्तर सालेह सीरत के साथ. 3 नवम्बर1968.ई.शअबानुलमुअज्जम 1388 हिजरी बरोज इतवार को महल्ला कांकर टोला पुराना शहर से हुआ, जिन से फिलहाल एक साहबजादा मख़दूम गिरामी मौलाना अस्जद रजा कादरी बरेलवी और पाँच साहबजादयाँ तवल्लुद हुयें जिन में सब की शादियाँ हो चुकी हैं अल्लाह तबारूक व तआला आप की औलाद अमजाद को सलफे सालिहीन और खान्दान रजा का नमूना बनाये और साहबजादा गिरामी को वालिदे बुजुर्ग गवार.ताजुश्शरीआ का सही मअनों में जानशीन और काइम मकाम बनाये (आमीन)हज व जियारत ताजुशशरीआ मुफ्ती मुहम्मद अख़्तर रज़ा अजहरी ने पहला हज 1403/4सितम्बर 1983 ई.. दूसरा। हज 1405/1985 ई. तीसरा हज 1406 हिजरी 1986 ई.. में अदा फरमाये। और मुतअद्दिद बार उमरा से भी फैज़याब हुये।
*(📚हयात ए ताजुश्शरीआ सफ़ह,46)*
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  *📝पोस्ट नम्बर:-2️⃣1️⃣*

  *🌸नस्बन्दी के खिलाफ फतवा :*

💫श्रीमती इंद्रागाँधी साबिक वजीर-ए-आजम हिन्द का मिजाज आमराना था,उनके दौरे इक्तिदार में अवाम पर जुल्म व जबर किया गया,कांग्रेस पार्टी की सारी कव्वतु का नुक्ता. इरतिकाब सिर्फ और सिर्फ इंद्रागाँधी की जात थी उन्होंने यह सब बिला शिरकत गैर इक्तिदार पर अपनी गिरफ्त काइम रखने के लिए ही किया था। वह सियासी मुखालिफीन को बे दर्दी से कुचल देने के लिए सख्त से सख़्त इकदाम करने में कोई हिचकिचाहट महसूस नहीं.करती थीं। इंद्रागाँधी के साथ उन के बेटे श्री संजे गाँधी का ताना शाही नज़रिया पसे पुश्त काम कर रहा था। 1975 ई. में पुरे मुल्क में हंगामी हालात का एलान कर दिया गया,तमाम शहरियों के बुनियादी हुकूक सलब कर लिए गये.रकिबों को कैदे सलासिल में जकड़ कर नजरे जिन्दा कर दिया गया मिसा"जैसे जाबिर कानून का नाफिजुलअमल कर दिया गया। इन तमाम हालात के साथ ही दो से ज्यादा बच्चा पैदा करने पर सख्ती से पाबन्दी आइद कर दी गई और उन लोगों पर नस्बन्दी करना ज़रूरी करार दे दिया। पुलीस अवाम को जबरन पकड़ पकड़ कर नस्बन्दी करा रही थी,उसी इसना में नस्बन्दी के जवाज या अदमे जवाज़ पर शरई नुक्ता नजर जानने और अमल करने के लिए दारुलइफ्ता बरेली से अवाम ने रजूअ करना शुरू कर दिया। दूसरी तरफ दैबन्द के दारुलइफ्ता बरेली से कारी
मुहम्मद तैब मोहतमिम दारुलउलूम देवबन्द ने 
नस्बन्दी के जाइज़ होने का फतवा दे दिया।
*(📚हयात ए ताजुश्शरीआ सफ़ह,46 47)*
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    *📝पोस्ट नम्बर:-2️⃣2️⃣*

*✨नस्बन्दी के खिलाफ फतवा:*

💫मुल्क की हेजानी कैफियत
और उम्मते मुस्लिमा में इन्तिशार को देखते हुये जाबिर व जालिम हुक्मराँ के खिलाफ ताजदारे अहले सुन्नत हुजूर मुफ्ती-ए-आजम कुददुस सिर्रहु के हुक्म पर ताजुश्शरीआ ने नस्बन्दी के हराम व नाजाइज होने का फतवा सादिर फरमाया। इस फ़तवा पर हुजूर मुफ्ती-ए-आजम के अलावा हजरत मौलाना मुफ्ती काजी अब्दुर्रहीम बस्तवी,मौलाना मुफ्ती रियाज़ अहमद सीवानी के.दस्तखत हैं फ़तावा की इशाअत के बाद हुकूमत ने इस बात के लिए दबाओ डाला कि यह फतावा वापस ले लिया जाये मगर हजरत ने फतवा से रुजूअ़ करने से इन्कार कर दिया और नुमाइन्दगाने हुकूमत से साफ साफ कह दिया गया कि फतावा कुरआन व हदीस की रौशनी में लिखा गया है।किसी भी सूरत में वापस नहीं लिया जा सकता।
*(📚हयात ए ताजुश्शरीआ सफ़ह,47.48)*
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    *📝पोस्ट नम्बर:-2️⃣3️⃣*

*💎हक गोई व बे बाकी*

✨अल्लाह रब्बुलइज्जत ने जानशीन मुफ्ती आजम को जिन गोनोगों सिफात से मुत्तसिफ किया है। इन सिफात में एक हक गोई और बेबाकी है। आप ने कभी भी सदाकत व हक्कानियत का दामन हाथ से नहीं छोड़ा। चाहे कितने ही मसलिहत के तकाजे क्यों न हों। चाहे कितने ही कैद व बन्द,मसाइब व आलाम और हाथों में हथकड़ियाँ पहनना.पड़ी, कभी किसी को खुश करने के लिए उसकी मनशाह के मुताबिक फतावा नहीं तहरीर फरमाया जब लिखी कोई फितरी तहरीर फरमाया तो अपने अस्लाफ व अपने आवा व अजदाद के कदम तक़ददुम हो कर तहरीर फरमाया। जिस तरह जद्दे अमजद इमाम अहमद रजा फाजिल बरेलवी और मुफ्ती आजम मौलाना मुस्तफा रज़ा नूरी ने बे खौफ व ख़तर फतावे तहरीर फरमाये। इसी तरह अपने अजदाद के नक्शे कदम पर चलते हुये जानशीन मुफ्ती आजम  नजर आते हैं इस हक़ गोई  के शवाहिद आज आप के  हजारों फतवा हैं  जो मुल्क और बैरूने मुल्क मे  फैले हुये हैं
*(📚हयात ए ताजुश्शरीआ सफ़ह,48.49)*
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   *📝पोस्ट नम्बर:-2️⃣4️⃣*

*💎सऊ़दी मुज़ालिम की कैफ़ियत जानशीन मुफ़्ती आज़म की ज़बानी*

💫जानशीने हुज़ूर मुफ्ती-ए-आज़म अपनी शरीक हयात पीरानी अम्मा साहिबा के साथ हज व जियारत के लिए तशरीफ ले गये थे,अरफात से वापस लौटने के बाद सऊदी हुकूमत ने रात के वक्त मक्का मुअज्जमा में आप को कियान गाह से गिरफ्तार कर लिया,बिला.वजह.ग्यारह(11)दिन जेल में रख कर बगैर मदीना शरीफ की जियारत कराये.हिन्दुस्तान भेज दिया। मन्दर्जा ज़ैल सुतूर में हज़रत की जबानी पूरी रिपोर्ट पेश है बम्बई 13/ सितम्बर 1986 ई./1407 हिजरी में इब्राहीम मिरचन्ट रोड मीनारा मस्जिद बम्बई के करीब रजा एकडमी बम्बई के जेरे एहतिमाम जानशीन मुफ्ती आज़म के मक्का मुकर्रमा में बेजा गिरफतारी पर सऊदी हुकूमत के खिलाफ एक शान्दार एहतिजाजी इजलास   मुन्अकिद हुआ जिस की सदारत मुहद्दिस कबीर मौलाना जियाउलमुस्तफा रज़वी अमजदी ने फरमाई, बम्बई के उलमा. अइम्मा मसाजिद के एलावा बाहर से आये हुये अकाबिर उलमा ने शिरकत फरमाई। मजमअ जो तकरीबन पचास हजार,अफराद पर मुश्तमिल था जोश एहतिजाज में सऊदी हुकूमत के खिलाफ नअ़रे बलन्द करता रहा। अख़ीर मैं जानशीन मुफ्ती आज़म ने सऊदी हुकूमत में अपनी
*(📚हयात ए ताजुश्शरीआ सफ़ह,49)*
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  *📝पोस्ट नम्बर:-2️⃣5️⃣*

*💎सऊ़दी मुज़लिम की कैफ़ियत जानशीन मुफ़्ती आज़म की ज़बानी* 

💫गिरफ्तारी और ज़ियारत मदीना मुनव्वरा के बगैर वापस किए जाने से मुतअल्लिक अपना यह मुख्तसर सा बयान दिया जो दर्जे जैल है 31 अगस्त 1986 ई शब में तीन बचे अचानक सऊदी
हुकूमत के सी आई डी और पुलिस के लोग मेरी कियाम गाह पर आये, और मुझे बेदार कर के पास्पोर्ट तल्ब किया और फिर मेरे सामान की तलाशी का मुतालबा किया। मेरे साथ मेरी पर्दा नशीन बीवी थीं  मैंने उन्हें बाथ रोम में  भेजा फिर सी आई डी ने बाथ रूम को बाहर से मुकफल कर दिया। और वह लोग सिपाहियों के साथ मेरे कमरे में दाख़िल हुये। मुझे रेलवालोर के नशाने पर हरकत न करने की वारनिंग दी। मेरे सामान की तलाशी ली मेरे पास हजरत मौलाना सैयद अलवी मुद्दजुल्लाहु की दी हुई चन्द किताबें, और कुछ किताबें आला हज़रत की और दलाइलुलखैरात थी,उन तमाम किताबों को अपने कबज़ा में लिया। मुझ से टेलिफोन की डाइरी मांगी। जो मेरे पास न थी मेरा,मेरी बीवी का और मेरे साथियों के पासपोर्ट टिकट और वह कितायें हमरा ले कर मुझे सी आई डी आफिस लाये। और एके बाद दीगर मेरे रफका,महबूब और याकूब को भी उठालाये मुझ से रात में रस्मी गुफ्तगु के बाद पहला सवाल यह किया कि आप ने जुमा कहाँ पढ़ा, मैंने कहा कि मै मुसाफिर हूँ मेरे ऊपर जुमा फर्ज नहीं। लिहाजा मैंने अपने घर में ज़ोहर पढ़ी। मुझ से पूछा कि तुम हर्म में नमाज नहीं पढ़ते हो
*(📚हयात ए ताजुश्शरीआ सफ़ह,50)*
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    *📝पोस्ट नम्बर:-2️⃣6️⃣*

*💎सऊ़दी मुज़लिम की कैफ़ियत जानशीन मुफ़्ती आज़म की ज़बानी*

💫मैंने कहा मैं हर्म से दूर रहता हूँ,हर्म में तवाफ़ के लिए जाता हूँ इसलिए में हर्म में नमाज नहीं पढ़ सकता मुझ से कहा कि आप क्यों अपने महल्ला की मस्जिद में.नमाज़ नहीं पढ़ते, मैंने कहा कि बहुत से लोग हैं जिन्हें मैं देखता हूँ कि वह महल्ला की मस्जिद में नमाज़ नहीं पढ़ते.और बहुत से लोगों के मुतअल्लिक मुझे महसूस होता है कि वह सिरे से नमाज ही नहीं पढ़ते तो मुझ से ही क्यों बाज पर्स करते हैं। मुझ से फिर भी इसरार किया गया तो मैंने कहा कि मेरे मजहब में और आप लोगों के मजहब में इख्तिलाफ है,आप हम्बली कहलाते हैं और मैं हन्फी हूँ और हन्फी मुकतदी की रिआयत गैर हन्फी इमाम अगर न करे तो हन्फी की नमाज़ सही न होगी। इस वजह से मैं नमाज अलाहिदा पढ़ता हूँ। मुझ से हज़रत अल्लामा सैद अलवी मालकी मद्दजुल्लाहु की किताबों के मुतअ़ल्लिक पूछा कि यह
तुम्हें कैसे मिली? मैंने कहा कि यह किताबें मुझे उन्होंने चन्द रोज़ पहले दी हैं। जब मैं उन से मिलने गया था। मुझ से सवाल किया कि यह पहली मुलाकात थी। मैंने कहा हाँ, यह पहली मुलाकात थी। आला हज़रत इमाम अहमद रजा फ़ाज़िल बरेलवी की चन्द किताबें देख कर जो नअत और मसाइल के मुतअ़ल्लिक थीं पूछा उन से तुम्हारा किया रिशता है?मैंने कहा कि वह मेरे दादा थे उस मुख़्तसर सी इन्कुवारी के बाद मुझे रात गुजर जाने के बाद फजिर के वक्त जेल भेजदिया गया। दस बजे फिर सी आई डी से गुफ्तगु हुई। उस ने मुझ से पूछा कि
*(📚हयात ए ताजुश्शरीआ सफ़ह,51)* 
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   *📝पोस्ट नम्बर:-2️⃣7️⃣*

*✨सऊ़दी मुज़लिम की कैफ़ियत जानशीन मुफ़्ती आज़म की ज़बानी*

 💎हिंदुस्तान में कितने फिरके हैं मैंने शीआ, कादयानी, वगैरा चन्द फिर्के गिनाये और मैंने वाजेह किया कि इमाम अहमद रजा खाँ फाजिले बरेलवी ने कादयानियों का रद किया है और उस के रद में छः रिसाले वगैरा लिखे हैं। हम पर कुछ लोग यह तोहमत लगाते हैं और आप को यह बताया है कि हम और कादयानी एक हैं,यह गलत है और वही लोग हमें बरेलवी कहते हैं जिस से यह वहम होता है कि बरेलवी किसी नये मजहब का नाम है। ऐसा नहीं है। बल्कि हम अहले सुन्नत व जमाअत हैं सी आई डी के पूछने पर मैंने बताया कि इमाम अहमद रजा फाजिल बरेलवी ने किसी नये मज़हब की बुनियाद नहीं डाली बल्कि उनका मजहब वही था जो सरकार मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु तअ़ाला अलैहि
वसल्लम और सहाबा व ताबेईन और हर जमाने के सालिहीन का मजहब है, और यह कि हम अपने आप को अहले सुन्नत व जमाअत कहलवाना ही पसन्द करते हैं और हमें इस मकसद से बरेलवी कहना कि हम किसी नये मजहब के पैरोकार हैं हम पर बहुतान है, सी आई डी के पूछने पर मैंने वहाबी और सुन्नी का फर्क मुख्तसिर तौर पर वाजेह किया। मैंने कहा कि वहाबी हुजूर अलैहिस्सलात वस्सलाम के इल्मे गैब और उनकी शफ़ाअ़त और उन से तवस्सुल और इस्तिमदाद और उन्हें पुकारने के मुन्किर हैं और उन उमूर को शिर्क बताते हैं। जबकि हमारा यह
*(📚हयात ए ताजुश्शरीआ सफ़ह,52*
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     *📝पोस्ट नम्बर:-2️⃣8️⃣*

*💎सऊ़दी मुज़लिम की कैफ़ियत जानशीन मुफ़्ती आज़म की ज़बानी*

💎अकीदा है कि हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से तवस्सुल जाइज़ है, और उन्हें पुकारना भी, और यह कि वह सुनते भी हैं और अल्लाह के बताये से गैब को भी जानते हैं और.अल्लाह.ने.उन.को.शिफ़ाअत का मन्सब अता फरमाया,और इल्मे गैब पर सी आई डी के पूछने पर आयात कुरआन से मैंने दलीलें काइम की, और यह साबित किया कि नबूवत इत्त्तिलाअ अललगैब ही का नाम है और नबी वही है जो अल्लाह के बताने से इल्मे गैब की खबर दे और यह कि नबी के वास्ते से हर मोमिन गैब जानता है जैसा कि कुरआने मुकद्दस में मन्सूस है सी आई.डी.के.पूछने.पर.मैं.ने.बताया.कि.सरकारे.सल्लल्लाहु.अलैहि.वसल्लम को बाद विसाल सभी गैब की खबर है। इसलिए कि सरकार सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की नबुब्बत बाकी है और नुबुव्वत गैब जानने ही को कहते हैं। फिर यह कि आयतों में ऐसी कैद नहीं है जिस से यह जाहिर हो कि बाद विसाल सरकार सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम इल्मे गैब नहीं जानते हैं। एक और नशिस्त में सी आई डी के मुतालबे पर मैंने तवस्सुल की दलील में आयत पढ़ी और यह बताया कि सरकार सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से तवस्सुल मिन्जुमला आमाल सालेहा है और यह 'कि किसी अमल का सालेह होना और वसीला होना इस शर्त पर मौकूफ है कि वह मकबूल हो और सरकार रिसालत सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम बिला शुबह मकबूल बारगाहे उलूहियत हैं, बल्कि 
सैयदुलमकबूलीन हैं
*(📚हयात ए ताजुश्शरीआ सफ़ह,53)*
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    *📝पोस्ट नम्बर:-2️⃣9️⃣*

*💎सऊ़दी मुज़लिम की कैफ़ियत जानशीन मुफ़्ती आज़म की ज़बानी*

💎 तो उन से तवस्सुल बदर्जाए ऊला जाइज है, और तवस्सुल शिर्क नहीं सी आई डी के कहने पर मैंने मजीद कहा कि किसी से उस तौर मदद मांगना कि अल्लाह के सिवा उस को मुस्तकिल और फाइल समझे शिर्क है और हम इस तौर पर किसी से मदद मांगने के काइल नहीं हैं। हाँ अल्लाह की मदद का वसीला जान कर किसी मकबूल बारेगाह से मदद मांगना हर गिज शिर्क नहीं है। सी आई डी के एक सवाल के जवाब में कहा कि हम में और वहाबियों में यह फर्क है। कि वह हमें तवस्सुल वगैरा उमूर की बिना पर काफिर व मुशरिक बताते हैं, लेकिन हम उन को महज़ इस बिना पर काफिर व मशरिक नहीं कहते यानी उस के वजूहात और हैं दूसरे दिन मेरे उन बयानात की रोशनी में सी आई डी ने मेरे लिए एक इकरार नामा उस ने खुद लिख कर मुझे सुनाया, जो यूँ था। मैं फलाँ इने फलाँ बरेलवी मजहब का मतीअ हूँ मैंने एअतिराज किया कि मैं बारहा यह कह चुका हूँ कि बरेलवी कोई मजहब नहीं है। और अगर कोई नया मज़हब बनाम बरेलवी है तो मैं उस से बरी हूँ। आगे इकरार नामे में उसने यूं लिखा कि मैं इमाम अहमद रजा का पैरवहूँ और बरेलवियों में से एक हूँ और हमारा अकीदा है कि सरकार से तवस्सुल,इस्तिगासा और उन को पुकारना जाइज है। और सरकार सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम गैब जानते हैं और वहाबी उन उमूर को शिर्क.बताते हैं, और यह कि मैं उन पीछे इस वजह से नमाज नहीं    पड़ता हूँ
*(📚हयात ए ताजुश्शरीआ सफ़ह,54)*
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     *📝पोस्ट नम्बर:-3️⃣0️⃣*

*💎सऊ़दी मुज़लिम की कैफ़ियत जानशीन मुफ़्ती आज़म की ज़बानी*

💎कि हम सुन्नियों को मुशरिक बताते हैं इकरारनामे के आखिर में मेरे मुतालबे पर उस ने यह.इजाफा किया कि बरेलियत कोई नया मजहब नहीं है और हम लोग अपने आप को अहले सुन्नत व जमाअत कहलवाना ही पसन्द करते हैं। फिर मुख़्तलिफ नशिश्तों में बार बार वही सवालात दोहराये बाद में मुझ से मेरे सफर लन्दन  के बारे में पूछा और कहा कि क्या वहाँ आप ने किसी कानफरन्स में शिरकत की है। मैंने जवाब दिया कि कान्फरन्स हुकूमत के पैमाने और सियासी सतह पर होती है हम लोग न सियासी हैं, न किसी हुकूमत से हमारा राबता है सी-आई-डी के पूछने पर मैंने बताया कि लन्दन के उस इजलास में जिस में शरीक था। बनाम बरेलियत मसाइल पर मुबाहिसा न हुआ बल्कि इत्त्तिहादे इस्लामी
और तन्जीमुल मुस्लिमीन पर तक़ारीर हुयें और उस जलसा का खर्च वहाँ के सुन्नी मुसलमानों ने उठाया, और उस में यह मुतालबा किया गया कि इमाम अहमद रज़ा फाज़िले बरेलवी के पैर व अहले सुन्नत व जमाअत को राबता आलमे इस्लामी में नुमाइन्दगी दी जाये। जिस तरह नदवियों वगैराको राबता में नुमाइन्दगी हासिल है।
सी-आई-डी-के पूछने पर मैंने बताया कि यह तजवीज बिलइत्त्तिफाक राये पास हो गई थी। तीसरी निशिस्त में जब दो नशिस्तों की तफतीश खत्म हो चुकी और मेरा इकरार नामा खुद तैयार कर चुके तो मुझ से एक बड़े
*(📚हयात ए ताजुश्शरीआ सफ़ह,55)*
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    *📝पोस्ट नम्बर:-3️⃣1️⃣*

*💎सऊ़दी मुज़लिम की कैफ़ियत जानशीन मुफ़्ती आज़म की ज़बानी*

💎सी आई डी आफीसर ने कहा कि मैं आप का आप के इल्म,उम्र और शख्सियत की वहज से एहतिराम करता हूँ और आप से मखसूस औकात में दुआओ का.तालिब हूँ। गिरफ्तारी का सबब मेरे पूछने पर उसने बताया कि आप का कैस मअ़मूली है। वरना उस वक्त जब सिपाही हथकड़ी डाल कर आप को लाया था मैं आप की हथकड़ी न खिलवाता।मुख्तसर यह कि मुसलसल सवालात के बावजूद मेरा जुर्म मेरे बार बार पूछने के बाद भी मुझे न बताया, बल्कि यही कहते रहे कि मेरा मुआमला अहमियत नहीं रखता लेकिन उसके बावजूद मेरी रिहाई में ताख़ीर की और बगैर
इजहार जुर्म मुझे मदीना मुनव्वरा की हाजिरी से मौकूफ रखा। और ग्यारह दिनों के बाद जब मुझे जद्दा रवाना किया गया तो मेरे हाथों में जद्दा एरपोर्ट तक हथकड़ी पहनाये रखी, और रास्ते में नमाज जोहर के लिए मौका भी न दिया गया, उस वजह से मेरी नमाज जोहर कजा हो गई।
*(📚हयात ए ताजुश्शरीआ सफ़ह,56)*
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   *📝पोस्ट नम्बर:-3️⃣2️⃣*

*💎बैनललअकवामी एहतिजाजी मुजाहिरी* 

✨सितम्बर 1986 ई. 1407 हिजरी में दौरान हज जानशीन मुफ्ती आज़म को हुकूमत सऊदी अर्ब ने मक्का मुकर्रमा में बिला जुर्म सिर्फ ग़लबा-ए-नजदियत की खातिर गिरफ्तार कर के गयारह दिन तक कैद व बन्द में रखा और मजीद सितम यह कि उन्हें दियारे हबीये पाक सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की हाजिरी से भी महरूम कर दिया। लेकिन जानशिने मुफ्ती-ए- आजम अपने मौकफ और मसलक पर काइम रहे और उनके पाये सिबात में लगज़िश नहीं आई।आप की गिरफ्तारी से आलमे इस्लाम में गम व गुस्सा की एक लहर दोड़ गई थी। और न सिर्फ हिन्दुस्तान बल्कि बैरूने हिन्द बेशतर इस्लामी और गैर इस्लामी मुमालिक में सवाद आजम अहले सुन्नत के एहतिजाजात का लम्बा सिलसिला शुरू हो गया था अखबारात व रसाइल 
ने भी जानशीन मुफ्ती-ए-आजम की उस बेजा रिगफ्तारी की मजम्मत की। वर्लड इस्लामिक मिशन बरतानिया रजा एकेडमी मुम्मबई सुन्नी जमीअतुलउलमा.जमीआ उलमा-ए- इस्लाम पाकिस्तान और छोटी बड़ी.अन्जुमनों व जमाअतों ने जबर दस्त एहतिजाजी मुज़ाहिरे पूरे बरे सगीर में किए। और हुकूमते सऊदी से मुआफी का मुतालबा किया।
*(📚हयात ए ताजुश्शरीआ सफ़ह,56.57)*
➡️ जारी है.... 
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   *📝पोस्ट नम्बर:-3️⃣3️⃣*

*💎शाह फहद,शहज़ादा अब्दुल्लाह और तर्की इब्ने अब्दुलअज़ीज से मुलाक़ात*

💫जानशीन-ए-मुफ्ती-ए-आजम की गिरफ्तारी के रहे अमल पर काइदीने मिल्लत ने लन्दन में सऊदी हुकूमत के बादशाह शाह.फ़हद शहजादा
अब्दुल्लाह मौजूदा बादशाह और तुर्की इब्ने अब्द अल अ़जीज वजीर-ए-ममलिकत से तवील मुलाकाते की,जिन में अल्लामा अरशदुलकादरी मौलाना अब्दुस्सत्तार खाँ नियाजी मौलाना शाह अहमद नूरानी मौलाना सय्यद गोलामुस्सय्यदैन, मौलाना शाहिद रजा नईमी शाह मुहम्मद जीलानी सिद्दीकी मौलाना यूनुस का

✨शमीरी मौलाना अब्दुलवहाब सिद्दीकी और शाह फ़रीदुल हक और दीगर उलमा अहले सुन्नत ने हुक्मरान सऊदिया को पुर जोर अन्दाज़ में गिरफ्तारी पर एहतिजाज दर्ज कराया और हरमैन शरीफैन में हर मसलक के लोगों को अपने अकीदे के मुताबिक नमाज पढ़ने और दीगर अरकान करने पर मुतालबा किया जिस पर उनसरबराहाने ममलुकत ने फौरन मन्जूर कर लिया और उम्मते मुस्लिमा के लिए सऊदी.हुकूमत ने एक एलानिया जारी किया कि हरमैन शरीफैन में हर मसलक व मज़ाहिब के लोग.अब आजादाना अपने तौर व तरीकों से एबादत करेंगे

💫कुन्जुलईमान पर पाबन्दी मेरे हुक्म से नही लगाई गई है मुझे इस का इल्म भी नहीं है। अब मीलाद की मुहाफिल आज़ादाना तरीका पर होंगी,किसी पर मुसल्लत नहीं किया जायेगा सुन्नी हेजाज़ किराम के साथ कोई ज्यादती नहीं होगी रोज नामा अलएहराम काहिरा 12 रबीउलअब्बल 1407 हिजरी1987 ई.रोजनामा जंग लन्दन 3/मार्च 1987/1407 हिजरी बालाआखिर कुरबानी रंग लाई अहले सुन्नत के एहतिजाजात ने हुकूमत सऊदिया को यह सोचने पर मजबूर कर दिया और लन्दन में सऊदी फरमाँ रवा शाह फहद को यह एलान करना पड़ा कि "हरमैन शरीफैन में हर मसलक के लोगों को उन के तरीके पर एबादात करने की आजादी होगी"अरकान वल्डइस्लामिक मिशन बर तानिया ने लन्दन में शाह फहद और उन के भाई तुर्की इने अब्दुलअ़ज़ीज़ से
*(📚हयात ए ताजुश्शरीआ सफ़ह,58.58.)*
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*👑हुज़ूर ताजुश्शरीआ की जिन्दगी मुबारका*

     *📝पोस्ट नम्बर:-3️⃣4️⃣*

*💎शाह फहद,शहज़ादा अब्दुल्लाह और तर्की इब्ने अब्दुलअज़ीज से मुलाक़ात*

💎मुलाकात कर के इख्तिलाफ़ी मसाइल पर मज़ाकिरा के सिलसिला में गुफ्तगु की अल्लामा अरशदुलकादरी रज़वी ने सऊदी सफीर को बज़बान अरबी एक एहतिजाजी मैमूरन्डम.भी दिया.21 मई 1987 ई.1407 हिजरी को सऊदी सफारत खाना देहली से जानशिने मुफ्ती आज़म के दौलतकदा पर एक फौन आया और खुद सफीर सऊदिया ने आप से मुआफी मांगते हुये यह ख़बर दी कि।हुकूमत सऊदी अर्ब ने आप को जियारत मदीना.मुनव्वरा और उमरा के लिए एक माह का खुसूसी वीज़ा दिया है।जानशीन-ए-मुफ्ती आज़म 24 मई 1987 ई. 14073 को सऊदी फलाइट से वाया जद्दा मदीना मुनव्वरा पहुँचे सऊदी सफारत ख़ाना ने आप की आमद की इत्तिला बजरीआ टेलिकस जद्दा और मदीना हवाई अड्डों पर देदी थी। सऊदी सफीर मिस्टर फवाद सादिक मुफ्ती ने इस मुआमला में काफी दिलचस्पी ली। जानशीन मुफ्तीआज़म.उमरा और मदीना मुनव्वरा की जियारत से मुशर्रफ हो कर सऊदी में सौला रोज कियाम के बाद वतन वापस आये देहली हवाई अड्डा और बरेली जंकशन पर हजारों मुसलमानों ने पुर जोश इस्तिकबाल और ख़ैरमक़दम किया।
*(📚हयात ए ताजुश्शरीआ सफ़ह,59)*
➡️जारी है...... 
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2020, में इस उन्वान पर सिर्फ 34 पोस्ट लिखी गईं हैं 
2021 में हयात ए ताजुशशरीआह मुकम्मल लिखी जाएगी इन्शा अल्लाह तआला

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