सलिक़ा -ए- ज़िन्दगी,
*🇮🇳"सिराते मुस्तक़ीम*
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*💝 आपकी जिन्दगी के जरूरी मसाईल*
📮पोस्ट नम्बर::- 1️⃣
*💍निकाह के फज़ाइल*
🌏 खालिके कायनात ने मर्दो औरत के दरमियान एक दूसरे की मुहब्बत से सुकून हासिल करने और लुत्फ़ अन्दोज़ होने की जो ख्वाहिश रखी है उसका नाम जिमाअ है इस ख्वाहिश को पूरा करने के लिये शरीअते इस्लामी ने निकाह का तरीका बताया है निकाह हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की निहायत अहम सुन्नत है निकाह आपस में उन्सो मुहब्बत इख्लासो हमदर्दी पैदा होने का सबब है निकाह से दो अजनबी अफराद रिश्तए इज़्दिवाज में मुन्सलिक हो जाते हैं और एक दूसरे के सच्चे हमदर्द और ज़िन्दगी भर के लिये शरीके हयात बन जाते हैं!!
📄 क़ुरआन में अल्लाह तआला इरशाद फ़रमाता है तर्जुमा *तो निकाह मे लाओ जो औरतें तुम्हें खुशआयें*
🔮 और अल्लाह ने तुम्हारे लिए तुम्हारी जिन्स से औरतें बनायीं और तुम्हारे लिए तुम्हारी औरतों से बेटे और पोते और नवासे पैदा किये!!
*(📚सलिक़ -ए- ज़िन्दगी, सफह 7-8)*
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*📜 निक़ाह के मुताल्लिक 5 हदीसें*
💎 रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया दुनिया की तमाम चीजें फायदा उठाने के लिए हैं और दुनिया की बेहतरीन फायदा उठाने की चीज़ नेक औरत है ।
💫 रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया जो मर्द किसी औरत से उसकी इज़्ज़त के सबब निकाह करे , अल्लाह तआला उसकी ज़िल्लत में ज़्यादती करेगा और जो किसी औरत से उसके माल के सबब निकाह करेगा तो अल्लाह तआला उसकी मोहताजी बढ़ायेगा और जो उसके हसब के " सबब निकाह करेगा तो उसके कमीनेपन में ज़्यादती फरमायएगा और जो इसलिए निकाह करे कि इधर उधर निगाह न उठे और पाक दामनी हासिल हो या सिला रहमी करे तो अल्लाह तआल उस मर्द के लिए उस औरत में बरकत देगा और औरत के लिए मर्द में!!
✨ हज़रत मआज़ बिन जबल रदियल्लाहु अन्हु से मरवी है साहिबे निकाह की नमाज़ बिला निकाह वाले की नमाज़ से चालीस या सत्तर दरजा ज़्यादा अफज़ल है ।
💰 रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया जो गुरबत के सबब निकाह न करे वह हम में से नहीं । नीज़ अल्लाह तआला फ़रिश्तों को हुक्म फरमाता है कि उसकी पैशानी पर लिख दो कि ऐ सुन्नते रसूल के छोड़ने वाले ! तुझे किल्लते रिज़्क की बशारत हो !
🪶 हज़रत जाबिर रदियल्लाहु तआला अन्हु से मरवी है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया जब तुम में से कोई निकाह करता है तो शैतान कहता है हाय अफसोस इब्ने आदम ने मुझ से अपना दो तिहाई दीन बचा लिया ।
*(📚सलिक़ -ए- ज़िन्दगी, सफह 7-8)*
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*💍निकाह के फवाइद 💡*
🌟 शरीअते इस्लामिया में निकाह के जरीये मर्द व औरत के दरमियान एक दीनी व मज़हबी लगाव और एक मखसूस कल्बी तअल्लुक पैदा होता है । उनके दरमियान उलफ़त व यगांगत और उखुव्वतो मुहब्बत का माहौल पैदा होता है । दो अजनबी अफराद के दरमियान से अजनबीयत ख़त्म होकर उखुव्वतो मुहब्बत का एक पाकीज़ा रिश्ता पैदा होता है और यह रिश्ता महज़ नफ़सानी और जिन्सी ख्वाहिशात की तकमील का ज़रिया नहीं होता बल्कि इससे मकसूदे असली यह है कि मर्दो औरत के हम - रिश्ता होने से एक कामिल और खुशगवार ज़िन्दगी वजूद में आये और नस्ले इन्सानी का सिलसिला आगे बढ़े । इसलिए रब्बे कायनात ने नौए इन्सान ही से उस का जोड़ा बनाया ताकि दोनों में उलफ़तो मुहब्बत कायम रहे और तख्खलीके इन्सानी का सिलसिला दस्तूर के मुताबिक जारी रहे और नस्ले इन्सानी फलती फूलती रहे । और इन्सान दरिन्दों की तरह ज़िन्दगी न गुज़ार कर फ़रिश्ता सिफत बन जाये और अपने हम - जिन्स से मिलकर तस्कीने कल्ब हासिल करे । निकाह मर्द के लिए सुकूने कल्ब और गुनाहों से बचने का अज़ीम ज़रिया है ।निकाह से इन्सान हज़ारों गुनाहों से बच जाता है । बिलखुसूस ज़िना से महफूज़ रहता है । इसी वजह से निकाह को निस्फे ईमान भी कहा गया है ।
*📄क़ुरआन में अल्लाह तआला इरशाद फ़रमाता है तर्जुमा:-* और उसकी निशानियों से है कि तुम्हारे लिए तुम्हारी ही जिन्स से जोड़े बनाये कि उनसे आराम पाओ और तुम्हारे आपस में मुहब्बत और रहमत रखी ।
*(📚सलिक़ -ए- ज़िन्दगी, सफह 8-9)*
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*📜निक़ाह के मुताल्लिक कुछ हदीसें*
💰 रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया ऐजवानो ! तुम में से जो कोई निकाह की इस्तिताअत रखता है वह ज़रूर निकाह करे कि यह अजनबी औरत की तरफ़ नज़र करने से निगाह को रोकने वाला है और शर्मगाह की हिफाज़त करने वाला है और जिसमें निकाह की ताक़त न हो वह रोज़ा रखे क्योंकि यह शहवतको कम करता है
💎 रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया बन्दे ने जब निकाह कर लिया तो आधा दीन मुकम्मल कर लिया , अब बाकी आधे के लिए अल्लाह से डरे
🔥 हज़रत जाबिर से मरवी है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फरमाया औरत आती है शैतान की सूरत में और जाती भी है शैतान की सूरत में जब तुमको कोई औरत अच्छी लगे और उसका ख्याल दिल में बैठ जाये तो चाहिए कि फ़ौरन अपनी बीवी के पास जाये और उससे मुहब्बत करे क्योंकि यह मुहब्बत उसकी ख्वाहिशे नफ़्सानी को दूर कर देगी
*(📚सलिक़ -ए- ज़िन्दगी, सफह 8-9)*
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*📜निक़ाह के मुताल्लिक कुछ हदीसें*
🔮 रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया जब किसी को कोई औरत अच्छी मालूम हो तो चाहिये कि अपने घर जाये और अपनी बीवी के साथ कुरबत करे क्योंकि इस बात में सब औरतें बराबर है ।
💝 रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया मर्दो औरत के दरमियान जो निकाह के ज़रिये मुहब्बत पैदा होती है ऐसी कोई मुहब्बत देखने में नहीं आती यानी जो बाहमी मुहब्बत व उलफत निकाह से पैदा होती है उसकी कोई नज़ीर नहीं मिलती ।
*(📚सलिक़ -ए- ज़िन्दगी, सफह 8-9)*
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*💎 हज़रत इमाम गज़ाली रहमतुल्लाहि अलैहि के कौल*
हज़रत इमाम गज़ाली रहमतुल्लाहि अलैहि ने निकाह के बारे में बहुत से फवाइद तहरीर किये हैं उनमें से बअज़लिखे जाते हैं *औलाद का हासिल होना , नेक औलाद इन्सान के लिए सदकए जारिया है* आदमी अपने दीन की हिफाज़त करता है और शहवते नफ़्सानी जो शैतान का हथियार है अपने से दूर करता है!!
💫 इसलिए हुजूर सरवरे कायनात सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया " जिसने निकाह किया उसने अपने निस्फ दीन की हिफाज़त कर ली और जो शख्स निकाह नहीं करता गो फ़र्ज ( शर्मगाह ) को बचा ले लेकिन आँख को बद निगाही और दिल को वसवसे से नहीं बचा सकता ।
💝 निकाह की वजह से औरतों से उन्सियतो मुहब्बत होती है ,उनके साथ मज़ाहो दिल लगी करने से दिल को राहत होती है और इस आसाईश के ज़रिये शोके इबादत ताज़ा होता है क्योंकि हमेशा इबादत में रहना उदासी लाता है ।
💍औरत घर की गम ख्वारी करती है खाना पकाने बर्तन धोने ,झाडू देने की खिदमत अन्जाम देती है अगर मर्द ऐसे कामों में मशगूल होगा तो इल्मो अमल और इबादत से महरूम रहेगा इसलिए दीन की राह में औरत अपने शौहर की यारो मददगार होती है ।
*(📚सलिक़ -ए- ज़िन्दगी, सफह 8-9)*
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*💍 निकाह के अहकाम*
💫रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया निकाह मेरी सुन्नत है जो मेरी सुन्नत पर अमल न करे वह मेरे तरीके पर नहीं !!
📜रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया जो शख्स अल्लाह तआला के हुजूर तय्यबो ताहिर *( पाक - साफ )* जाना चाहता है तो उसे चाहिये कि आज़ाद औरतों से निकाह करे!!
🎊 निकाह करना सुन्नते अम्बिया अलैहिमुस्सलाम है जितने अम्बिया ए किराम दुनिया में जलवागर हुए सभी ने शादियाँ की हत्ता कि हज़रत यहया अलैहिस्सलाम के बारे में भी हैं की आप ने शादी तो की लेकिन किसी वजह से जिमाअ़ *( हमबिस्तरी )* न किया । इसी तरह हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम भी जब आसमान से नजूल फ़रमायेंगे तो आप शादी करेंगे और आपकी औलाद भी होगी!!
*(📚तिरमिजी शरीफ जिल्द1 , सफ़ह, 128)*
*(📚रूहुलबयान जिल्द 1 सफ़ह 73 )*
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*💍निक़ाह के अहकाम*
💌 निकाह और उसके हुकूक अदा करने और औलाद की तरबियत मशगूल रहना नवाफिल में मशगूल होन से बेहतर है!!
💡मर्द के लिए बअज़ सूरतों में निकाह करना फर्ज़ और बअज सूरतों में वाजिब हो जाता है मसलन जो आदमी दैन महर और औरत का खर्चा देने पर कुदरत रखता है और उसे यकीन है कि निकाह न करने की सूरत में ज़िना वाके हो जायगा तो उस पर निकाह करना फर्ज इसी तरह जो देन महर और ख़र्चा देने की कुदरत रखता है और उसे शहवत का इतना गलबा हो कि निकाह न करने की सूरत में जिना का अन्देशा है तो उस पर निकाह करना वाजिब है अगर ऐतिदाल " *दरमियान* की हालत हो तो निकाह करना सुन्नते मुअक्कदा है कि निकाह न करने पर मुसिर रहना इसाअत है अगर आदमी हराम से बचने या इत्तिबाए सुन्नत या औलाद हासिल करने की नियत निकाह कर लेगा तो सवाब भी पायेगा जो शख्स महज लज्जत या कज़ाये शहवत की नियत से शादी कर ले तो उसके लिये निकाह करना मुबाह है । जिस आदमी को यह यकीन हो कि निकाह कर लेगा तो नानो नफका न दे सकेगा या जो ज़रूरी हुकूक हैं उनको पुरा न कर सकेगा तो उसके लिए निकाह करना हराम है और जिनको इन बातों का अन्देशा हो तो उनके लिए निकाह करना मकरूह है खुलासा यह है कि बअज़ सूरतों में निकाह करना सुन्नत और बअज़ सूरतों में फर्ज है । न हर सूरत में निकाह करना सुन्नत है और न हर सूरत में फर्ज़ है!!
*(📚 फतावा रिज्विया जिल्द 5 , सफ़ह 581 )*
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जुनैद रज़ा अज़हरी
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📮पोस्ट नम्बर::- 9️⃣
*💡किन औरतों से निकाह करना बेहतर है❓*
🔮 रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया मुहब्बत करने वाली ज़्यादा बच्चे पैदा करने वाली औरतों से शादी करो क्योंकि मैं तुम्हारी वजह से उम्मतों पर फ़खर करूंगा!
💎 रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया और न उनसे निकाह करो उनके माल की वजह से कि अनकरीब उनके माल उनको सरकश बना देंगे लेकिन उनसे दीनदारी की वजह से निकाह करो और ज़रूर काली कलूटी , नाक कटी अफ़ज़ल होती है दूसरी खूबसूरत गैर दीनदार औरतों से
🔥 रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया औरतों से महज़ उनके हुस्न की वजह से शादी न करो इसलिए कि जल्द ही उनका हुस्न उनको बर्बाद कर देगा!
*(📚 मिश्कात शरीफ़ जिल्द 2 , सफ़ह 267 )*
*( 📚इब्ने माजा सफ़ह 133 )*
*(📚 इब्ने माजा सफ़ह 133 )*
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📮पोस्ट नम्बर::- 🔟
*💡किन औरतों से निकाह करना बेहतर है❓*
📜 साहिबे रददुलमोहतार फरमाते हैं कुंवारी औरत से और जिससे ज़्यादा औलाद होने की उम्मीद हो उससे निकाह करना बेहतर है सन रसीदा *बड़ी उम्र वाली* और बद खुल्क ( बुरे अखलाक वाली ) और ज़ानिया से निकाह न करना बेहतर है!
📝 साहिबे गुनिय्या फरमाते हैं निकाह के लिए ऐसी औरत का इन्तिखाब करे जो आली नसब हो और ऐसी औरतों में से हो जो कसीरून्नस्ल मशहूर हैं !
⚜️ आलाहज़रत फरमाते हैं रज़ील कौम से निकाह न करे कि बुरी रग ज़रूर रंग लाती है । दीनदार लोगों में शादी करे कि बच्चे पर नाना , मामू की आदतों और हरकतोंका भी असर पड़ता है!
💖 इमाम गज़ाली फरमाते है औरत अच्छे नसब वाली शरीफुन्नफ्स हो यानी ऐसे खानदान से तअल्लुक रखती हो जिसमें दयानत और नेक बखती पाई जाये क्यों कि ऐसे खानदान की औरत अपनी औलाद की तालीमो तरबियत का एहतिमाम करती है !
*( 📚रदुलमोहतार जिल्द 2 सफ़ह 269 )*
*( 📚गुनिय्या सफ़ह 111 )*
*(📚 फतावा रज़विया जिल्द9 , पेज 46 )*
*(📚 अहयाउल उलूम जिल्द 2 , सफ़ह 42 )*
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*🇮🇳"सिराते मुस्तक़ीम*
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*💝 आपकी जिन्दगी के जरूरी मसाईल*
📮पोस्ट नम्बर::- 1️⃣1️⃣
*💡किन औरतों से निकाह करना बेहतर है❓*
💎 इमाम गज़ाली रहमतुल्लाही तआला अलैह फ़रमाते हैं कि निकाह करने में औरतो में ये सात सिफ़ात देखनी चाहिए
1:- औरत पारसा और दीनदार हो!
*2:- उसकी आदत और मिज़ाज अच्छे हों , खुश खुल्क और हंस मुख हो क्योंकि बद मिज़ाज औरत नाशुक्री और ज़बान दराज़ होती है और बात - बात पर झगड़ा करती और बुरा भला कहना शुरू कर देती है!*
3 :- औरत खूबसूरत और हसीन हो क्योंकि जितनी हसीन होगी , मर्द को उतनी ही उसके साथ मुहब्बतो उलफ़त होगी!
*4 :- मेहर कम हो क्योंकि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया " औरतों में वह औरत बहुत अच्छी है जिसका मेहर कम हो!*
5 :-औरत बांझ न हो क्योंकि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया " पुराना बोरिया जो घर के कोने में पड़ा हुआ हो वह बांझ औरत से ज़्यादा बेहतर है!
*6 :- औरत नौजवान और कुंवारी हो क्योंकि ऐसी औरत को खाविन्द ( शौहर ) से ज़्यादा मुहब्बत होगी!*
7 :- औरत अच्छे और दीनदार खानदान की हो क्योंकि बद दीन घराने की औरत के अखलाको आदात और चालो चलन अच्छे नहीं होते!
*( 📚कीमिया एसआदत सफ़ह, 260 )*
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*🇮🇳"सिराते मुस्तक़ीम*
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📮पोस्ट नम्बर::- 1️⃣2️⃣
*💡किन औरतों से निकाह करना बेहतर है❓*
🔥 रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया घूरे की हरयाली से बचो आप से पूछा गया घूरे की हरयाली क्या है आपने फ़रमाया बुरी नस्ल में खूबसूरत औरत से!
💍कभी ऐसा होता है कि औरत खूबसूरत तो होती है मगर परहेज़गार व पारसा नहीं होती बद मिज़ाज ना शुक्रगुज़ार ज़बान दराज़ होती है और मर्द पर बेवजह हुकूमत करती है ऐसी औरत के साथ ज़िन्दगी गुज़ारना बद मज़ा और तल्ख होकर रह जाती है और साथ ही साथ दीन में भी खलल पड़ जाता है!!
🔮 रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया अच्छी नस्ल में शादी करो कि रगे खुफ़या अपना काम करती !!
*(📚 अहयाउल उलूम जिल्द 2 सफ़ह 42 )*
*(📚 अहया उल उलुम जिल्द 2 , सफ़ह 42 )*
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*💡किन औरतों से निकाह करना बेहतर है❓*
💎 हज़रत अबु हुरैरह रदियल्लाहु अन्हु से मरवी है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया *चार वज्हों से औरतों से निकाह किया जाता है:-*
( 1 ) मालदारी ।
( 2 ) शराफ़ते खानदान ।
( 3 ) खूबसूरती
( 4 ) दीनदारी | लेकिन तुम दीनदार औरत को इख्तियार करो यानी आमतौर पर लोग औरत के मालो जमाल और ख़ानदान पर नज़र रखते हैं! इन ही चीज़ों को देखकर शादी करते हैं मगर तुम दीनदारी औरत की तमाम चीज़ो से पहले देखो..!
📜इस हदीस से मालूम हुआ कि दीनदार औरत से शादी करना बेहतर है! दीनदार औरत शौहर की फ़रमांबरदार और खिदमतगार होती है! थोड़ी रोज़ी पर कनाअत कर लेती है! शौहर की ऐब जोई नहीं करती है! इसके बरखिलाफ दीन से दूर औरतें नाशुक्रगुज़ार नाफरमान और शौहर की दूसरों के सामने बुराई बयान करने वाली होती हैं!!
🔮 इमाम गज़ाली रहमतुल्लाह अलैह फरमाते है औरत की तलब दीन के लिए ही करनी चाहिए जमाल लिए के नहीं इसका मतलब यह है कि सिर्फ खूबसूरती के लिए निकाह न करे न यह कि खूबसूरती ढूंडे ही नहीं! अगर निकाह करने से सिर्फ औलाद हासिल करना और सुन्नते नबवी पर अमल करना ही किसी शख्स का मकसद है खूबसूरती नहीं चाहता तो यह परहेज़गारी है!!
*(📚 कीमिया ए सआदत पेज 260 )*
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*🔥बदमज़ब से निक़ाह नहीं!*
🔮 सुन्नी मर्द या औरत का राफ़ज़ी वहाबी देवबन्दी कादयानी नेचरी चकड़ालवी वगैरह जितने मुरतदीन हैं उनके मर्द औरत में से किसी से निकाह नहीं होगा अगर निकाह किया तो निकाह बातिल होगा उनसे हमबिस्तरी खालिस ज़िना होगा और औलाद वलज्जिना होगी!!
📜 रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया जब तुम्हारे पास किसी दीनदार बाअखलाक लड़के का रिश्ता आये तो तुम उस रिश्ते को कबूल कर लो वरना ज़मीन में फितने और बड़े - बड़े फ़साद ज़ाहिर होंगे यानी अगर ऐसे आदमी से निकाह न करोगे बल्कि मालदार जगह तलाश करोगे तो ऐसी सूरत में बहुत सी लड़कियाँ और बहुत से लड़के बिला शादी के रह जायेंगे जिसके बाइस दुनिया में ज़िना की कसरत हो जायेगी!
*( 📚अलमलफूज हिस्सा 2 सफ़ह 107 )*
*( 📚तिर्मिज़ी शरीफ़ जिल्द1 , सफ़ह, 126 )*
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*💌 निकाह का पैगाम शरीयत में*
💍 जब किसी लड़की या औरत से शादी करने का इरादा हो तो उसे शादी का पैगाम देने से पहले मालूम कर लेना बेहतर है कि उसके लिये किसी और शख्स ने पहले से पैगाम तो नहीं दिया है या किसी से रिश्ते की बात चीत तो नहीं चल रही है । अगर ऐसा है तो उस लड़की के लिए निकाह का पैगाम हरगिज़ न दे । ऐसी हालत में निकाह का पैगाम देना सख्त मना है.!
💫 हज़रत अबु हुरैरा व हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने उमर रदियल्लाहु तआला अन्हुमा से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कोई शख्स अपने इस्लामी भाई के पैगाम पर अपने निकाह का पैगाम न दे । यहाँ तक कि पहला खुद इरादा तर्क कर दे या उसे पैगाम भेजने की इजाज़त दे दे!!
*( 📚बुखारी शरीफ़ जिल्द 2 , सफ़ह 772 )*
➡️पोस्ट जारी है.....
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📮पोस्ट नम्बर::- 1️⃣6️⃣
*💍शादी से पहले लड़की को देखना*
💫 रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया जब तुम में से कोई किसी औरत को निकाह का पैगाम दे तो अगर उसको देखना मुमकिन हो तो देख ले!!
📜 हज़रत मुगीरा बिन शोअबा से मरवी है फरमाते हैं मैंने एक औरत को निकाह का पैगाम दिया मुझ से रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया क्या तुमने उसे देख लिया है में ने कहा नहीं फ़रमाया उसे देख लो कि देखना तुम्हारी आप की दाइमी मुहब्बत का ज़रिया है!!
*( 📚अबु दाऊद जिल्द 1 सफ़ह 284 )*
*( 📚तिर्मिजी शरीफ़ जिल्द 1 , सफ़ह 129)*
➡️पोस्ट जारी है.....
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🔖पोस्ट नम्बर::- 1️⃣7️⃣
*💍शादी से पहले लड़की को देखना*
💎 हज़रत मुहम्मद बिन सल्लमा फरमाते हैं कि मैंने एक औरत को निकाह का पैगाम दिया मैं उसे देखने के लिए उसके बाग में छिप कर जाया करता था यहाँ तक कि मैंने उसे देख लिया किसी ने आपसे कहा आप ऐसा काम क्यों करते हैं हालांकि आप हुजूर सल्लल्लाह अलैहि वसल्लम के सहाबी हैं मैंने उसे जवाब दिया कि हमने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को इरशाद फ़रमाते सुना है जब अल्लाह तआला किसी के दिल में किसी औरत से निकाह की ख्वाहिश डाले और वह उसे पैगामे निकाह दे तो उसकी जानिब देखने में कोई हरज नहीं!
✨हज़रत आयशा रदियल्लाहु अन्हा फ़रमाती हैं कि हजरत जिब्राईल अलैहिस्सलाम मेरी तस्वीर सुर्ख रेशम के कपड़े में लपेट कर हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास लेकर आये और आपसे फरमाया यह आपकी अहलिया हैं दुनिया और आख़िरत में!
*(📚 इब्ने माजा सफ़ह 134 )*
*(📚 तिर्मिजी शरीफ़ जिल्द 2 , सफ़ह,226)*
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*💍शादी से पहले लड़की को देखना*
*📖मसअलाः -* जिस औरत से निकाह करने का इरादा हो तो पैगाम डालने से कब्ल उसको देख लेना मुस्तहब है क्योंकि देखने के बाद अगर दिल को भा गई तो निकाह के बाद मुहब्बत ज़्यादा होगी!
💫हज़रत इमाम गज़ाली अलैहिर्रहमा फरमाते हैं औरत का जमाल मुहब्बतो उलफत का ज़रिया है इसलिये निकाह करने से पहले औरत को देख लेना सुन्नत है बुजुर्गों का कौल है कि औरत को देखे बगैर जो निकाह होता है उसका अन्जाम परेशानी और गम है!!
*( 📚कीमिया ए सआदत सफ़ह,260 )*
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*💍शादी से पहले लड़की को देखना*
💡साहिबे गुनिय्या फरमाते है मुनासिब है कि निकाह से पहले औरत का चेहरा और ज़ाहिरी बदन यानी हाथ मुँह वगैरह देख ले ताकि बाद में नफरत या तलाक की नौबत न आये!!
*📖मसअला::-* मर्द का अजनबीया औरत की तरफ़ बिला ज़रूरत नज़र करना जाइज़ नहीं लेकिन उस औरत से निकाह करने का इरादा है तो इस नियत से देखना जाइज़ है । हदीस शरीफ़ में है जिस औरत से निकाह करना चाहे उसको देख ले कि यह बकाये मुहब्बत का ज़रिया है इसी तरह औरत उस मर्द को देख सकती है जिसने उसके पास निकाह का पैगाम भेजा हो!!
⛅जुमेरात या जुमा को निकाह करना मुस्तहब है सुबह के बजाये शाम के वक़्त यानी बादे असर करना औला व अफ़ज़ल है! जुमे के दिन निकाह करना बाइसे बरकत है! हज़रत आदम अलैहिस्सलाम का निकाह हज़रत हव्वा से हज़रत यूसुफ़ अलैहिस्सलाम का निकाह हज़रत जुलैख़ा से हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम का निकाह सफूरा से हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम का निकाह बिलकीस से और हमारे हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का निकाह हज़रत ख़दीजतुल कुबरा व हज़रत आयशा सिददीक़ा रदियअल्लाहु अन्हा से जुमे के दिन हुआ!
*( 📚गुनिय्यतुत्तालिबीन 112 )*
*( 📚तफ़सीरे नईमी , पारा 11 सफ़ह,171 )*
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*🚫किन औरतों से निकाह करना मना है"*
*📖मसअलाः:-* माँ सगी हो या सौतेली बहन सगी हो या सौतेली बेटी पोती नवासी नानी दादी ख़्वाह कितनी पुश्तों का फ़ासिला हो इन सब से निकाह हराम है!
*📖मसअला::-* फूफी , फूफी की फूफी खाला ख़ाला की ख़ाला भतीजी भान्जी और भान्जी की लड़की या उसकी पोती नवासी भी मुहरमात में दाखिल हैं इन सब से भी निकाह हराम है!
📖मसअलाः - ज़िना से पैदा हुई बेटी पोती बहन भतीजी भान्जी भी मुहरमात में दाखिल हैं इन से भी निकाह हराम है
💎रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया तहक़ीक कि रज़ाअत यानी दूध के रिश्तों से भी वही हराम हो जाते हैं जो विलादत से हराम होते हैं!
💫रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया दूध के रिश्तों से वही हराम हो जाते हैं जो नसब से हराम होते हैं!
📩 यानी किसी बच्चे ने अगर किसी औरत का दूध पिया तो वह और उस बच्चे की माँ हो जायेगी और उसका शौहर जिस से औरत का दूध उतरा दूध पीने वाले बच्चे का बाप हो जायेगा और उस औरत व तमाम औलादें उसके भाई बहन हो जायेंगे और उन से निकाह हराम हो जायेगा जैसा कि नसब में हराम है!
*( 📚मुस्लिम शरीफ़ , जिल्द1 सफ़ह, 466 )*
*(📚इब्ने माजा , सफ़ह 138 )*
*( 📚बहारे शरीअत हिस्सा 7 सफ़ह, 30)*
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*🚫किन औरतों से निकाह करना मना है"*
⭐ बच्चे के दूध पीने का ज़माना दो साल तक है जो ख़्वाह अपनी माँ का पिये या दाई का । दो साल के बाद दूध का पिलाना हराम है लेकिन निकाह हराम होने के लिए ढाई साल का ज़माना है यानी अगर कोई अजनबिया औरत किसी पराये बच्चे को ढाई साल के अन्दर दूध पिलायेगी तो हुरमते रज़ाअत साबित हो जायेगी और अगर इसके बाद पिलायेगी तो हुरमते निकाह साबित नहीं होगी , अगरचे पिलाना हराम है!
*📖मसअलाः:* ज़ौजा - ए - मौतू की लड़कियाँ जीजा की माँ दादीयां नानियां बाप दादा वगैरह उसूल की बेटियां बेटे पोते वगैरहहुमा फुरूअ की बीबियां इनसे निकाह हराम है!
*📖मसअलाः:-* जिस औरत से ज़िना किया उसकी माँ और लड़कियां उस पर हराम हैं । यूंही वह ज़ानिया औरत उस शख्स के बाप दादा और बेटों पर हराम है । उनसे निकाह नहीं हो सकता । यूंही मर्दो औरत में से किसी ने एक दूसरे को शहवत के साथ छुआ तो उससे हुरमते मुसाहरत साबित हो जायगी यानी औरत की माँ और लड़कियाँ मर्द पर और मर्द के बाप दादा औरत पर हराम हो जायेंगे!
*📖मसअलाः:-* जिस औरत को ज़िना का हम्ल ( गर्भ ) है तो जानी व गैर जानी दोनों से बे वज्ए हम्ल ( गर्भपात कराये बगैर ) निकाह दुरूस्त है कि ज़िना के पानी की शरीअत में अस्लन कोई हुरमतो इज्जत नहीं , मगर फर्क इतना है कि अगर खुद ज़ानी ही ने निकाह कर लिया तो उससे वती भी जाइज़ है और अगर दूसरे ने निकाह किया तो जब तक वज़ए हम्ल न हो जाये हाथ नहीं लगा सकता!
*(📚 बहारे शरीअत हिस्सा 7 , सफ़ह,29 )*
*(📚 हिदाया जिल्द 2 , सफ़ह 289 बहारे शरीअत हिस्सा 7 , सफ़ह 28 )*
*( 📚फतावा रज़विया जिल्द 5 , सफ़ह, 225 )*
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*🚫किन औरतों से निकाह करना मना है"*
💡 रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कोई शख्स भतीजी और उसकी फूफी को भान्जी और उसकी ख़ाला को निकाह में जमा न करे!
📜 हुजूर सल्लल्लाह अलैहि वसल्लम ने भतीजी और फूफी भांजी और खाला को निकाह में जमा करने से मना फरमाया!
💍औरत की बहन चाहे सगी हो या रज़ाई बीवी की खाला चाहे सगी हो या रज़ाई , इन सब से बीवी की मौजूद में निकाह हराम हैं । यूही अगर बीवी को तलाक दे दी हो तो जबतक उसकी इददत खत्म न हो जाये उसकी बहन , फूफी , ख़ाला वगैरह से निकाह बातिल है
*📖मसअलाः:-* चार औरतों के निकाह में होते हुए पांचवीं से निकाल बातिल है!
*📖मसअलाः:-* हिजड़ा जिसमें मर्द व औरत दोनों की अलामतें ( निशानियां ) पाई जायें और यह साबित न हो कि मर्द है या औरत उससे न मर्द का निकाह हो सकता है न औरत का अगर किया गया तो निकाह बातिल होगा!
*📖मसअला::-* मर्द का परी से या औरत का जिन से निकाह नहीं हो सकता!
*( 📚मुस्लिम शरीफ़ जिल्द 1 सफ़ह 452 )*
*( 📚बहारे शरीअत हिस्सा7 , सफ़ह 5 )*
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*💍दूल्हा दुल्हन को सजाना*
🎁 शादी ब्याह के मौके पर दूल्हा को आरास्ता करना और उसके सर पर सेहरा सजाना मुबाह है इसमें कोई हरज नहीं रहा दुल्हन को सजाना उसको जेवरात से आरास्ता करना और हाथ पांव में मेंहदी लगाना मुस्तहब और कारे सवाब है कि यह औरत के लिए ज़ीनत है!
💎 सरकारे दो जहाँ सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया औरतों को चाहिए कि हाथ पांव पर मेंहदी लगायें ताकि मर्दो के हाथ से मुशाबह न हों!
🔥 एक हदीस पाक में इरशाद हुआ ज़्यादा न हो तो नाखुन ही रंगीन रखे मर्द के लिए हाथ पांव में बल्कि नाखुन ही में मेंहदी लगाना हराम है
*( 📚फतावा रजविया जिल्द9 सफ़ह 412 )*
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*🤲🏼 दूल्हा दुल्हन को सजाते वक़्त की दुआ*
दुल्हन को जो औरतें सजायें उन्हें चाहिए कि वे दुल्हन को दुआएं दें
💍 उम्मुल मोमिनीन हज़रत आयशा सिद्दीका रदियल्लाहु अन्हा फ़रमाती हैं कि हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से जब मेरा निकाह हुआ तो मेरी वालिदा माजिदा मुझे हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के दौलत कदे पर लायीं वहाँ अन्सार की कुछ औरतें मौजूद थीं उन्होंने मुझे सजाया और यह दुआ दी
*_٠عَلًی الْخَیْرِ وَالْبَرْ کَۃِ وَعَلٰی خَیْرِ طَائِرٍ٠_*
अलल खैरि वल बरकति व अला खैरि ताइरिन
*( 📚बुख़ारी शरीफ़ जिल्द 2 ,सफ़ह 775 )*
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*🎈दूल्हा दुल्हन को मुबारकबाद*
💍शादी होने के बाद दूल्हा को उसके दोस्तो अहबाब और दुल्हन को उसकी सहेलियाँ मुबारकबाद और बरकत की दुआ दें , यह बेहतर है!
💎 जब कोई शख्स निकाह करता तो हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम उसको मुबारकबाद देते हुए उसके लिए दुआए खैर फ़रमाते!
*_٠بَارَکَ اللّٰهُ لَکَ وَبَارَکَ عَلَیْکَ وَجَمَعَ بَیْنَکُمَافِیْ خَیْرٍ٠_*
*बारकल्लाहु लक वबारक अलैक वजमअ़ बैनकुमा फी खेरिन ।*
*📄तर्जुमा::* अल्लाह तआला तुम्हें मुबारक करे और तुम पर बरकत नाज़िल करे और तुम दोनों में भलाई रखे! ( अब और तुम पर बरकत!
*(📚 अबु दाऊद सफ़ह, 290 )*
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*🚗💨रूखसती का बयान*
🌟जब कोई शख्स अपनी लड़की की शादी करे तो रूखसती वक़्त अपनी लड़की को अपने पास बुलाये । इसके बाद एक प्याले थोड़ा सा पानी लेकर यह दुआ पढ़कर प्याले में दम करे:-
_*٠اَللّٰہُمَّ اِنِّیْ اُعِیْذُ ھَابِکَ وَذُرِّ یَّتَهَا مِنَ الشَّیْطٰنِ الرَّجِیْمِ٠*_
*अल्लाहुम्मा इन्नी अउईजु हाबिक व जुर्रियतहा मिनश्शेतानिर्रजीम "*
*📃तर्जमा :: -* ऐ अल्लाह ! में इस लड़की को और इसकी होने वाली औलाद को तेरी पनाह में देता हूँ शैतान मरदूद से । फिर उस पानी को दुल्हन के सर और सीने और पीठ पर छींटे मारे , इसके बाद दूल्हा को भी बुलाए और प्याले में दूसरा पानी लेकर यह दुआ पढ़कर दम करे
_*٠اَللّٰہُمَّ اِنِّیْ اُعِیْذُہٗ بِکَ وَذُرِّ یَّتَهٗ مِنَ الشَّیْطٰنِ الرَّجِیْمِ٠*_
अल्लाहुम्मा इन्नी उईजुहू बि क व जुर्रियतहू मिनश्शेतानिर्रजीम " फिर दुल्हा के सर और सीने और पीठ पर छींटे मारे और इसके बाद रूखसत करे!
✨दुल्हन जब सुसराल पहुंचे तो सुसराल वालों को चाहिए कि नई दुल्हन का पांव धोकर पानी को मकान के चारों तरफ छिड़के कि यह मुस्तहब और बाइसे बरकत है
*( 📚फतावा रज़विया जिल्ट 1 ,सफ़ह 455 )*
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*💎शबे ज़िफाफ के आदाब*
📜जब दूल्हा दुल्हन के पास जाये तो सबसे पहले दूल्हा दुल्हन दोनों वुजू करें फिर दो रकअत नमाजे शुकरान पढ़ें अगर दुल्हन हैज़ की हालत में हो तो नमाज़ न पढ़े लेकिन दूल्हा ज़रूर पढ़े हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने मसऊद रदियल्लाहु अन्हु फ़रमाते हैं कि एक शख्स ने उनसे बयान किया कि मैंने एक जवान लड़की से निकाह कर लिया है और मुझे अन्देशा है कि वह मुझे पसन्द नहीं करेगी हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने मसऊद रदियल्लाहु अन्हु ने फ़रमाया मुहब्बतो उल्फ़त खुदा की तरफ़ से होती है और नफ़रत शैतान की तरफ से । जब तुम अपनी बीवी के पास जाओ तो सबसे पहले उससे कहो कि वह तुम्हारे पीछे दो रकअत नमाज़ पढ़े । इन्शा अल्लाह तुम उसे मुहब्बत करने वाली और वफ़ा करने वाली पाओगे!
*🤲🏻 शबे ज़िफाफ की खास दुआ🌸*
🕌 नमाज़ अदा करने के बाद दूल्हा अपनी दुल्हन की पैशानी के ऊपर | के थोड़े से बालों को अपने सीधे हाथ से नरमी के साथ महब्बत भरे अन्दाज़ में पकड़े और यह दुआ पढ़ेः
*_٠اَللّٰہُمَّ اِنِّیْ اَسْئَلُکَ مِنْ خَیْرِ ھَاوَ خَیْرِ مَا جَبَلْتَهَا عَلَیْهِ وَاَعُوْذُبِکَ مِنْ شَرِّ ھَاوَشَرِّ مَا جَبَلْتَهَا عَلَیْهِ ٠_*
अल्लाहुम्मा इन्नी असअलु क मिन खैरिहा व खैरि मा जबलतहा अलैहि व अऊजु बि क मिन शर्रि हा व शर्रि मा जबलतहा अलैहि!
*📃तर्जुमा ::-* ऐ अल्लाह ! मैं तुझ से इसकी भलाई और इसके । अखलाक की भलाई का सवाल करता हूँ और इसके अब आदात के शर से तेरी पनाह चाहता हूँ!
💫अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त दो रकअत नमाज़ और इस दुआ को पढ़ने की बरकत से मियां - बीवी के दरमियान इत्तिहादो इत्तेफाक और मुहब्बत कायम रखेगा और अगर औरत में कोई कमी व बुराई होगी तो उसे दूर फ़रमा कर उसके ज़रिये नेकी फैलायेगा और औरत हमेशा शौहर की ख़िदमत गुज़ार और फ़रमां बरदार रहेगी!
*( 📚अबू दाऊद शरीफ़ सफ़ह,293 )*
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*👥शौहर के हुकूक 💎*
✨हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने औफा रदियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूलल्लाह सल्लल्लाह अलैहि वसल्लम ने फरमाया अगर मैं किसी को हुक्म करता कि गैर खुदा के लिए सजदा करे तो हुक्म देता कि औरत अपने शौहर को सजदा करे कसम है उसकी जिसके कब्ज - ए - कुदरत में मुहम्मद ( सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ) की जान है औरत अपने परवरदिगार का हक़ अदा न करेगी जबतक शौहर के कुल हक अदा न करे!
🌟 हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया औरत पर सब आदमियों से ज़्यादा हक़ उसके शौहर का है और मर्द पर उसकी माँ का!
🔮 हज़रत मआज़ बिन जबल रदियल्लाहु अन्हु से मरवी है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया औरत मज़ा न पायेगी जब तक कि शोहर का हक अदा न करे!
*( 📚इब्ने माजा सफ़ह 133 )*
*( 📚बहारे शरीअत हिस्सा 7 , सफ़ह 89 , 90 )*
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*👥शौहर के हुकूक 💎*
🌟 अल्लाह तआला ने शौहरों को बीवियों पर हाकिम बनाया है और उसे बहुत बड़ी फ़ज़ीलतो बुर्जुगी दी है इसलिए हर औरत पर फ़र्ज़ है कि वह अपने शौहर का हर हुक्म माने और खुशी बख़ुशी अपने शौहर के हर हुक्म की ताबेदारी करे । याद रखो ! शौहर को राजी व खुश रखना बहुत बड़ी इबादत है और शौहर को नाखुश और नाराज़ रखना बहुत बड़ा गुनाह है हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने यह भी फ़रमाया है कि जिस औरत को मौत ऐसी हालत में आये कि मरते वक़्त उसका शौहर उससे खुश हो तो वह औरत जन्नत में जायेगी और यह भी फ़रमाया है कि जब कोई मर्द अपनी बीवी को अपनी हाजत पूरी करने के लिए बुलाये तो उसे फ़ौरन जाना चाहिए ख्वाह वह तनूर ही पर क्यों न हो । दूसरी हदीस में है अगर तुम में से कोई अपनी बीवी को बिस्तर पर बुलाये और वह न आये और उसका शोहर तमाम रात गम और गुस्से में बसर करे तो फ़रिश्ते सुबह तक उस औरत पर लानत भेजते रहते हैं!
📜 हदीस शरीफ़ का मतलब यह है कि औरत को चाहिए कितने भी ज़रूरी काम में मशगूल हो शौहर के बुलाने पर सब कामों को छोड़ कर शौहर की ख़िदत में हाज़िर हो जाय!
💎 हज़रत अबु हुरैरह रदियल्लाहु अन्हु से मरवी है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया जो औरत अपने शौहर को उसके काम यानी जिमाअ से रोक देती है उस पर दो कीरात गुनाह होता है और जो मर्द अपनी औरत की हाजत पूरी नहीं करता उस पर एक कीरात गुनाह होता है!
*( 📚तिर्मिज़ी जिल्द 1 , सफ़ह 138)*
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*👥शौहर के हुकूक 💎*
🌟 हज़रत इब्ने उमर रदियल्लाहु अन्हुमा से मरवी के रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया शौहर का हक़ औरत पर यह है कि अपने नफ़्स को उससे रोके और सिवाय फ़र्ज़ के किसी दिन उसकी इजाज़त के बगैर रोज़ा न रखे । अगर ऐसा किया यानी बगैर इजाज़त रोज़ा रख लिया तो गुनाहगार होगी और उसकी इजाज़त के बगैर औरत का कोई अमल मक़बूल नहीं अगर औरत ने कर लिया तो शौहर को सवाब है और औरत पर गुनाह जो औरत अपने घर से बाहर जाय और उसके शौहर को नागवार हो जब तक पलट कर आये आसमान में हर फ़रिश्ता उस पर लानत करे और इन्सानो जिन के सिवा जिस - जिस चीज़ पर गुज़रे सब उस पर लानत करें!
*( 📚फ़तावा रज़विया जिल्द 9 , सफ़ह 197 )*
*(📚 बहारे शरीअत हिस्सा 7 , सफ़ह 91)*
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🔖पोस्ट नम्बर::- 3️⃣1️⃣
*👥शौहर के हुकूक 💎*
💌 एक शख्स ने हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से पूछा कि बेहतरीन औरत की क्या पहचान है ? आपने इरशाद फ़रमाया जो औरत अपने शौहर को खुश कर दे जब उसकी तरफ़ देखे और उसकी इताअत व फ़रमां बरदारी करे जब कोई हुक्म दे!
📝 इस हदीसों से सबक़ मिलता है कि शौहर का बहुत बड़ा हक़ है और हर औरत पर अपने शौहर का हक़ अदा करना ज़रूरी है जिनके अदा न करने पर मर्द औरत का खर्चा बन्द कर सकता है शौहर के हुकूक बहुत ज़्यादा हैं कुछ नीचे लिखे जाते हैं!
( 1 ) औरत पर शौहर का हक़ यह है कि उसके बिछौने को न छोड़े और ऐसे शख्स को मकान में न आने दे जिसका आना शौहर को पसन्द न हो!
( 2 ) शौहर की इजाज़त के बगैर घर से बाहर न जाय!
( 3 ) अपने शौहर की इताअत गुज़ार और वफ़ादार हो!
( 4 ) सलीका शिआर हो कि शौहर के मालो दौलत की हिफ़ाज़त करे!
( 5 ) इफ़्फत मआब हो कि अपनी और अपने शौहर की इज़्ज़तो नामूस पर आंच न आने दे !
( 6 ) औरत हरगिज़ - हरगिज़ कोई ऐसा काम न करे जो शौहर को नापसन्द हो!
( 7 ) औरत को लाज़िम है कि मकान , सामान और अपने बदन और कपड़ों की सफ़ाई सुथराई का ख़ास तौर से ख्याल रखे फूहड़ मैली , कुचैली न रहे बल्कि बनाव सिंगार से रहा करे ताकि शौहर उसको देख कर खुश हो जाय!
(8 )शौहर को कभी जली कटी बातें न सुनाये न कभी उसके सामने गुस्से में चिल्ला - चिल्ला कर बोले न उसकी बातों का कड़वा तीखा जवाब दे न कभी उसको तअना दें न उसकी लाई हुई चीज़ों में ऐब निकाले न शौहर के मकानो सामान वगैरह को हक़ीर बताये!
*( 📚निसाई जिल्द 2 सफ़ह 60 )*
*(📚सलिक़ा -ए- ज़िन्दगी, सफह 30/31)*
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*👥शौहर के हुकूक 💎*
*💍बेहतरीन बीवी वह है*
*🔹(1)* जो अपने शौहर की फरमा बरदारी और ख़िदमत गुज़ारी को अपना फर्जे मनसबी समझे!
*🚻(2)* जो अपने शौहर के तमाम हुकूक अदा करने में कोताही न करे!
*❣️(3)* जो अपने शौहर की खूबियों पर नज़र रखे और उसके ड्यूब और खामियों को नज़र अन्दाज़ करती रहे!
*🙅🏼♀️(4)* जो अपने शोहर के सिवा किसी अजनबी मर्द पर निगाह न डालें न किसी की निगाह अपने ऊपर पड़ने दे!
*🗡️(5)* जो अपने शौहर की ज्यादती और जुल्म पर हमेशा सब्र करती रहे!
*🧕🏼(6)* जो मज़हब की पाबंदी और दीनदार हो और अल्लाह व बन्दें के हुकूक़ को अदा करती हो!
*🔮(7)* जो पर्दे में रहे और अपने शौहर की इज्जत नामूस की हिफ़ाज़त करें ।
*(📚सलिक़ा -ए- ज़िन्दगी, सफह 31/32)*
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*🧕🏼वीबी के हुक़ूक़ 💎*
🌟इस्लाम से पहले औरतों का बहुत बुरा हाल था, दुनिया में औरतों की कोई इज़्ज़तो वक़अ़त ही नहीं थी। मर्दों की नज़रों में उनकी कोई हैसियत न थी । वे मर्दों की नफ़्स की ख्वाहिश पूरी करने का एक खिलौना थीं, दिन-रात मर्दों की किस्म-किस्म की खिदमतें करती थी । मगर जालिम मर्द फिर भी उन औरतों की कोई कदर नहीं करता था बल्कि जानवरों की तरह उनके साथ सुलूक किया करता था। उनका कोई मकाम न था। शौहर फ़क़्त अपनी खिदमत के लिए उन्हें खाना कपड़ा देकर उनसे गुलामों जैसा बर्ताव करता था बल्कि उन्हें जायदाद की तरह इस्तेमाल करता था लेकिन इस्लाम ने औरत को नीचे से ऊपर उठाया और उनके लिए हुकूक मुकर्रर किये गये। माँ-बाप, भाई-बहन के मालों में वारिस करार दिया गया! औरतों को मालिकाना हुकूक हासिल हो गये, गरज़ कि वे औरतें जो मर्दों की जूतियों से ज़्यादा जलीलो ख़्वार और इन्तिहाई मजबूरो लाचार थीं वे मर्दों के घरों की महिला बन गईं। अब न कोई मर्द बिला वजह औरतों को मार पीट सकता है, ना ही उनको घरों से निकाल सकता है बल्कि हर मर्द मज़हबी तौर पर औरतों के हुकूक अदा करने पर मजबूर है!
*📄तर्जमा :-* और औरतों का भी हक ऐसा ही है जैसे उन पर है शरीअत के मुआफिक़
(सूरह बकरह)
🥀हज़रत आयशा रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया ईमान में सबसे ज़्यादा कामिल वह शख्स है जिसके आदातो अखलाक सबसे अच्छे हों और अपनी बीवी के साथ सबसे ज्यादा नर्मी और अच्छा बर्ताव करता हो!
*(📚 मिशकात शरीफ सफ़ह 282)*
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*🧕🏼वीबी के हुक़ूक़ 💎*
💖 हज़रत अबू हुरैरह रदियल्लाहु अन्हु फ़रमाते हैं कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया "ईमान में कामिल तरीन वह शख्स है जो सब से ज़्यादा बा अखलाक हो और तुम में सब से ज़्यादा बेहतर वह है जो अपनी औरतों के लिए बेहतर हो!
📜 रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया औरत टेढ़ी पसली से पैदा की गयी है। अगर कोई शख्स टेढ़ी पसली को सीधी करने की कोशिश करेगा तो पसली की हड्डी टूट जायेगी मगर वह कभी सीधी न होगी और अगर छोड़ देगा तो टेढ़ी बाकी रहेगी ठीक इसी तरह अगर कोई शख्स अपनी बीवी को बिल्कुल ही सीधी करने की कोशिश करेगा तो टूट जायेगी यानी तलाक की नौबत आ जायेगी। लिहाज़ा अगर औरत से फ़ायदा उठाना है तो उसके टेढ़े पन ही से फ़ायदा उठा लो।
🔮 रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया तुम में बेहतर वह है जो अपने घर वालों के लिए अच्छा है और मैं तुम सब में अपने अहल के लिए बेहतर हूँ।
🌟 एक सहाबी ने हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से दरयाफ्त किया या रसूलल्लाह! बीवी का उसके शोहर पर क्या हक़ है आपने फ़रमाया जब तू खाये उसको भी खिलाये, जब तू कपड़ा पहने उसको भी पहनाये उसके मुँह पर मत मार उसको गालियाँ न दे और उसको न छोड़ मगर घर में!
*(📚तिरमिज़ी शरीफ जिल्द 1, सफ़ह 138)*
*(📚बुखारी शरीफ जिल्द 2, सफ़ह779)*
*(📚तिर्मिज़ी शरीफ जिल्द1, सफ़ह 228)*
*(📚 अबु दाऊद सफ़ह 291)*
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*🧕🏼वीबी के हुक़ूक़ 💎*
*📜औरतों के शरई हुकूक मर्द पर चार किस्म के हैं*
*💎पहली::* खाना जैसा खुद खाये उसे भी खिलाये!
*✨दूसरी::* लिबास देना यानी जिस मैयार के कपड़े खुद पहने उसे भी पहनाये!
*🏠तीसरी::* मकान कि हस्बे हैसियत उसके रहने के लिए दे!
*🛌🏻चौथा::* हमबिस्तरी करना यानी निकाह के बाद एक बार जिमाअ् करना औरत का हक़ है!
📝अगर एक बार भी न कर सके तो औरत के दावे पर काज़ी मर्द को साल भर की मोहलत देगा! अगर इसमें भी हमबिस्तरी न हो तो काज़ी तफरीक कर देगा इसके बाद गाह बगाह वती (सम्भोग) करना दयानतन वाजिब है कि उसे परेशान नज़री न पैदा हो और उसकी रज़ा के बगैर चार माह तक तर्के जिमाअ् बिला उज्र सहीह शरीअ़ी नाजाईज़!
👳🏼♀️ अगर मर्द जिमा पर कादिर है फिर भी जिमा नहीं करता ख्वाह इब्तिदाअन ख्वाह तर्के मुतलक का इरादा कर लिया है और औरत को उस से ज़रर है तो काज़ी मजबूर करेगा कि जिमअ् करे या तलाक दे अगर न माने तो कैद करेगा फिर भी न मानेगा तो मारेगा, यहां तक कि दो बातों में से एक करे
🧕🏼 औरत को बिला किसी बड़े कुसूर के हरगिज़-हरगिज़ न मारे। रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया कोई शख्स औरत को इस तरह न मारे जिस तरह अपने गुलाम को मारा करता है! फिर दूसरे वक़्त उस से सोह़बत भी करे!
*(📚फतावा रज़विया जिल्द 5, सफ़ह 907)*
*(📚मिशकात जिल्द 2, सफ़ह 280)*
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*🧕🏼वीबी के हुक़ूक़ 💎*
*👳🏼♀️ शौहर अपनी औरत को इन उमूर पर मारपीट सकता है*
*🙇🏼♀️पहली वजह::-* बनाव सिंगार पर कुदरत रखने के बावजूद बनाव सिंगार न करे घर में मैली कुचैली, परा गन्दा हाल रहे!
*✨दूसरी वजह::-* नमाज़ न पढ़े!
*💫तीसरी वजह::-* गुस्ले जनाबत न करे!
*🏃🏼♀️चौथी वजह::-* बगैर इजाज़त घर से चली जाय!
*🖐🏽 पाँचवी वजह::-* शौहर अपने पास बुलाये और वह न आये जबकि हैज़ो निफ़ास से पाक थी और फर्ज़ रोज़ा भी रखे हुए न थी!
*👸🏼छटी वजह::-* गैर महरम के सामने चेहरा खोल कर चले फिरे!
*🗣️सातवीं वजह::-* अजनबी मर्द से कलाम करें!
*💡आठवी वजह::-* शौहर से झगड़ा करे
✨शौहर को चाहिये कि औरत के खर्चों के बारे में बहुत ज़्यादा बख़ील और कन्जूसी न करे और हद से ज़्यादा फुजूल खर्ची भी न करे हदीस शरीफ में है कि बीवी को नफ़क़ा देना खैरात देने से बेहतर है। बुजुर्गों ने फ़रमाया है कि अहलो अ़याल के लिए कस्बे हलाल करना अबदालों का काम है। औरत का उसके शौहर पर यह भी हक़ है कि शौहर औरत की नफासत और बनाव सिंगार का सामान यानी साबुन, तेल, कंघी, मेंहदी वगैरह मुहय्या करता रहे ताकि औरत अपने आपको साफ सुथरी रख सके!
*(📚बहारे शरीअत हिस्सा 9, सफ़ह,119)*
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*🧕🏼वीबी के हुक़ूक़ 💎*
*💡बेहतरीन शहर कौन है?*
(1) जो अपनी बीवी के साथ नर्मी, खुश सिल्की और हुस्ने सुलूक के साथ पैश आये!
(2) जो अपनी बीवी के हुकूक अदा करने में किसी किस्म की ग़फ़लत और कोताही न करे!
(3) जो अपनी बीवी की खूबियों पर नज़र रखे और मामूली ग़लतियों को नज़र अंदाज़ करे!
(4) जो अपनी बीवी को पर्दे में रख कर इज़्ज़त व आबरू की हिफाज़त करे!
(5) जो अपनी बीवी को दीनदारी की ताकीद करता रहे और शरीअत की राह पर चलाये।
*(📚सलिक़ा -ए- ज़िन्दगी, सफ़ह 36)*
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*💡जिमाअ़् (हमबिस्तरी) का बयान🥀*
🛌🏼 जिमाअ़् (हमबिस्तरी) की ख्वाहिश एक फ़ितरी (Natural) जज़्बा है जो हर ज़ीरूह में खिलक़तन पाया जाता है। इसे बताने की ज़रूरत नहीं होती। हर एक अपनी नौअ़ की मादा की तरफ तबई एतबार से माइल होता है और यह जज़्बा ही इज़्दिवाजी ज़िन्दगी और जिन्सी तअल्लुकात की जान है। जब इश्क व मोहब्बत का जज़्बा हैवानात में पाया जाता है और वे भी अपनी मिलने की ख्वाहिश पुरी करते हैं । नर को मादा की तलाश रहती है और मादा को नर की तो फिर इन्सान जो जज़्बात का मअदिन है उसका दिल जिमाअ़् और ख्वाहिशे विशाल से क्योंकर खाली रह सकता है? और वह औरत जैसी सिनफे नाजूक से क्यों न लुत्फ़ अन्दोज़ हो?
🌟 इमाम ग़ज़ाली रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं जिमाअ़् की ख्वाहिश को इन्सान पर मुसल्लत कर दिया गया है ताकि नस्ले इन्सानी की बक़ा के लिए वह तुम रेज़ी करे जिमा जन्नत की लज़्ज़तों में से एक लज्जत है!
*(📚कीमिया ए सआदत सफ़ह 496)*
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*💡जिमाअ़् (हमबिस्तरी) का बयान🥀*
💠 जिमाअ़् के मुतअल्लिक याद रखना चाहिये कि जब तक शहवत ग़ालिब न हो और मनी मुस्तअिद न हो, जिमाअ़् करना मुनासिब नहीं लेकिन जब वह हालत पाई जाए तो फ़ौरन मनी खारिज करनी चाहिये। जिस तरह रद्दी फुला पेशाब पाखाना से खारिज किया जाता है क्योंकि उस वक़्त मनी के रोकने मे बड़े नुक्सान का अन्देशा है!
💝 उम्दा जिमाअ वह कहलाता है जिसका नतीजा दिल की ताज़गी और तबीअत को फ़रहतो सुरूर हो। बुरा जिमाअ़् वह है जिसका नतीजा लर्ज़ा व तंगीए नफ़्सो दिल की कमजोरी और तबीअत का मत्लाना और महबूबा को पसंद न आना हो!
🌟 जिमाअ़् सिर्फ मज़ा लेने या शहवत की आग बुझाने की नियत से न हो बल्कि यह नियत हो कि ज़िना से बचूंगा और औलाद स्वालेह व नेक सीरत पैदा होगी। अगर इस नियत से जिमाअ़् करेगा तो सवाब भी पायगा!
*(📚मुजर्राबात सुयूती सफ़ह 40)*
*(📚कीमिया ए सआदत सफ़ह 255)*
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*💡जिमाअ़् (हमबिस्तरी) का बयान🥀*
🔮 जिमाअ करना इन्सान की वह तबई और अहम ज़रूरत है जिसक बगैर इन्सान का सही तौर से ज़िन्दगी गुज़ारना मुश्किल बल्कि तकरीबन ना मुम्किन सा है। अल्लाह तआला ने जिमाअ़् की ख़्वाहिर इन्सानों ही में नहीं बल्कि तमाम हैवानात में वदीअ़त रखी है लेकिन शरीअत ने इन्सान की इस फ़ितरी ख्वाहिश की तक्मील के लिये कुछ आदाब और तरीके मुकर्रर कर दिये ताकि इन्सान और हैवान में फर्क हो जाए। अगर जिमाअ़् का मकसद सिर्फ शहवत की तकमील होता ख्वाह जिस तरह भी हो तो इन्सान और हैवान में फर्क ही न होता। इसलिये इसके आदाब की रिआयत शीरअी हक होने के साथ-साथ इन्सानी हक़ भी है!
⚜️ रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया तुम में से जो कोई अपनी बीवी के पास जाए तो पर्दा करे और गधों की तरह बरहना(नंगा) न हो जाए!
*(📚इब्ने माजा सफ़ह,138)*
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*💡जिमाअ़् (हमबिस्तरी) का बयान🥀*
अब हम जिमाअ के कुछ आदाब बयान करते हैं
1️⃣::: जिमाअ़् से पहले औरत से मुलाकात और छेड़-छाड़ करे ताकि औरत का दिल खुश हो जाय और उसकी मुराद आसानी से हासिल हो। खूब बोसो किनार जारी रखें यहाँ तक कि औरत जल्दी-जल्दी साँस लेने लगे और उसकी घबराहट बढ़ जाय और मर्द को अपनी तरफ ज़ोर से खींचे।
2️⃣::: मर्द को चाहिये कि अपनी औरत पर जानवरों की तरह न गिरे। सोहबत से पहले कासिद होता है। लोगों ने अर्ज़ किया या रसूलल्लाह! वह कासिद क्या है? आपने फरमाया "बोसो किनार।
4️⃣::: जिमाअ़्.करते वक़्त कलाम करना मकरूह है बल्कि बच्चे के गूंगे या तोतले होने का खतरा है। यूं ही उस वक़्त औरत की शर्मगाह पर नज़र न करे कि बच्चे के अन्धे होने का अन्देशा है और मर्द औरत कपड़ा ओढ़ लें, जानवरों की तरह बरहना न हों कि बच्चे के बेहया या बेशर्म होने का अन्देशा है।
5️⃣::: हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम खुद को और अपनी बीवी को सर से पैर तक चादर या किसी कपड़े से ढांप लिया करते थे और आवाज़ पस्त करते थे और बीवी से फरमाते थे कि वक़ार के साथ रहो।
6️⃣::: हमबिस्तरी से पहले बिस्मिल्लाह पढ़ना सुन्नत है मगर यह याद रहे कि सत्र खुलने से पहले पढ़ी जाय।
7️⃣::: जिमाअ़् के वक़्त किब्ला रू न हो, पोशीदा जगह में हो, किसी की नज़र के सामने न हो। हदीस शरीफ में है कि सरकार सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया "जब तुम में से कोई अपनी बीवी से कुरबत करे तो पर्दा करे, बेपर्दा होगा तो फ़रिश्ते हया की वजह से बाहर निकल जायेंगे और उनकी जगह शैतान आ जाएगा। अब अगर कोई बच्चा हुआ तो शैतान की उसमें शिरकत होगी। जिमाअ़् के वक़्त यानी जिमाअ़् शुरू करने से पहले बिस्मिल्लाह ज़रूर पढ़ना चाहिये। अगर बिस्मिल्लाह न पढ़े तो इस सूरत में मर्द की शर्मगाह से शैतान लिपट जाता है और उस मर्द की तरह वह भी जिमाअ़् करता है।
8️⃣::: जिमा से पहले औरत को जिमाअ़् की तरफ रागिब करना मुस्तहसन है। अगर ऐसा न किया जाए तो औरत को नुक्सान पहुंचने का अंदेशा है, जो अक्सर अदावतो जुदाई तक पहुँचा देता है।
9️⃣::: हमबिस्तरी से पहले गुस्ल करना बेहतर है, वर्ना इस्तिन्जा और वुजू कर ले
🔟::: जिमाअ के वक़्त बीवी के अलावा किसी गैर औरत का तसव्वुर हरगिज़ न करे। ऐसा करना सख्त गुनाह है और यह भी एक किस्म का ज़िना है!
*(📚सलिक़ा -ए- ज़िन्दगी, सफ़ह 41/42/43)*
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*🧕🏼लड़कियों का पैदा होना बाइसे रह़मत है*
🔥 पुराने ज़माने में लड़कियों का पैदा होना बाइसे नंग व आर समझा जाता था, समाज व मुआशिरे में बुरा तसव्वुर किया जाता था! अरब के लोग अपनी जिहालत व दरिंदगी का मुज़ाहिरा करते हुए कभी इसे भेंट चढ़ाते और कभी ज़िन्दा क़ब्र मे दफ़न कर देते थे। सदियों से यही पुरानी रस्म चली आ रही थी लेकिन मोहसिने इंसानियत के दुनिया में तशरीफ़ लाते ही इन बुरी रस्मों का खात्मा हो गया और आपने उन दरिन्दा सिफ़त इंसानों को इस्लाम के सांचे में ढाल दिया। ज़िन्दगी का सलीका सिखाया और सही मानों में इस्लाम का शैदाई बना दिया और आपने बबांगे दुहल दुनिया वालों को पैगाम सुना दिया कि लड़कियों का पैदा होना बाइसे ज़हमत नहीं बल्कि बाइसे रह़मत है उनकी पैदाईश वबाले जान नहीं बल्कि जहन्नम से बचाने के लिए एक वसीला है! इनकी परवरिश अल्लाह व रसूल की खुशनूदी और जन्नत में जाने का एक ज़रिया है!
🌟 हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया! जिस शख्स के लड़की पैदा हुई और उसने न उसको ज़िन्दा दफ़न किया, न उसे बेवक्अ़त समझा, न अपने बेटे को उस तरजीह दी तो अल्लाह तआला जन्नत में दाखिल फ़रमाएगा!
*(📚सलिक़ा -ए- ज़िन्दगी, सफ़ह 67)*
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*🧕🏼लड़कियों का पैदा होना बाइसे रह़मत है*
💎 रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने जिसकी परवरिश में दो लड़कियां बुलूग तक रहीं तो क़यामत के दिन इस तरह आयगा कि मैं और वह बिल्कुल पास-पास होंगे। यह कहते हुए हुजूर ने उंगलियां मिला कर फ़रमाया कि इस तरह।
✨ हज़रत सुराका बिन मालिक रदीयल्लाहु अन्हु से रिवायत है। कि हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया क्या मैं तुमको यह न बता दूं कि अफ़ज़ल सदक़ा क्या है? तुम्हारी बेटी जो तुम्हारे पास लौट कर आयी है (मुतल्लका या बेवा होने के सबब) उसका तुम्हारे सिवा कोई कफ़ील न हो!
🔮 हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाय: "जो शख्स बेटियों के ज़रिये आज़माइश में डाला जाए और फिर वह उनके साथ अच्छा सुलूक करे तो ये बेटियां उसके लिए जहन्नम की आग से परदा बन जायेगी!
*(📚सलिक़ा -ए- ज़िन्दगी, सफा 68)*
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🔖पोस्ट नम्बर::- 4️⃣4️⃣
*🧕🏼लड़कियों का पैदा होना बाइसे रह़मत है*
🌸 रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम न फरमाया जिसने तीन बेटियों या उनकी मिस्ल बहनों की परवरिश का इन्तिजाम किया, फिर उनको इल्म व अदब से आरास्ता किया और उन पर मेहरबानी करता रहा, यहाँ तक कि अल्लाह तआला उनको बेनियाज़ कर दे यानी शादी कर दे तो अल्लाह तआला उसके लिए जन्नत वाजिब कर देता है। एक शख्स ने अर्ज़ किया या रसूलल्लाह! दो हों तो हुजूर ने फ़रमाया दो हों तब भी, यहां तक कि लोगों ने अर्ज़ की अगर एक ही हो फरमाया अगरचे एक ही हो!
🔮 नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया जिस घर में लड़कियां होती हैं उस पर रोज़ाना आसमान से बारह रहमतें नाज़िल होती हैं और उस घर की फ़रिश्ते ज़्यारत करते रहते हैं। नीज़ उनके वालिदैन के हक़ में हर एक शबो रोज़ के बदले साल भर की इबादत लिखी जाती है!
*(📚सलिक़ा -ए- ज़िन्दगी, सफह 68/69ल*
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🔖पोस्ट नम्बर::- 4️⃣5️⃣
*🧕🏼लड़कियों का पैदा होना बाइसे रह़मत है*
📄 अब तक जो पिछली पोस्ट में हदीसें पोस्ट की गईं इन हदीसों से लड़कियों की फज़ीलत और उनके बारे में हुस्ने सुलूक की ताकीद मालूम होती है नीज़ इन अहादीस से पता चलता है कि लड़कियों की परवरिश करना और उनके साथ हुस्ने सुलूक करना जन्नत में जाने का सबब है ये लड़कियां गोया ख़ुदा की तरफ़ से आज़माइश का सबब हैं! लिहाज़ा लड़कियों को नापसंद करना या उनसे नफ़रत करना खुदा के गज़ब को दावत देना है! कुर्आने करीम में लड़कियों से नाखुश होने को अह़दे जाहिलियत की अलामत करार दिया गया है। इरशादे बारी तआला है
*🔮तर्जुमा::-* और जब उनमें किसी को बेटी होने की खुशखबरी दी जाती है तो दिन भर उसका मुंह काला रहता है और वह गुस्सा खाता है!
👆🏼इस आयत से पता चला कि लड़कियों के पैदा होने पर रंज वह ग़म करना काफ़िरों का तरीका है लेकिल आज यह देखा जा रहा है कि अगर किसी घर में लड़की पैदा हो गई तो उस घर में सफे मातमबिछ जाती है और घर का घर रंजो अलम में डूब जाता है और खुशी के बजाए ग़म का बादल छा जाता है लड़कियों को अपने ऊपर बोझ और वबाले जान समझने लगता है कभी-कभी बेचारी माँ डर की वजह से मौत के घाट उतार दी जाती है वरना ज़िन्दगी भर के लिए अपने ससुराल वालों के लअ़्नत व तअन से दो चार रहती है! अल्लाह तआला उम्मते मुसलिमा को राहे हक़ की तौफीक अता फरमाएं!
*आमीन!*
*(📚सलिक़ा -ए- ज़िन्दगी, सफह 70)*
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*🍶 बच्चे को दूध पिलाना*
📄कुरान में अल्लाह तआला इरशाद फ़रमाता है:
✨और माऐं दूध पिलाएं अपने बच्चों को पूरे दो बरस, उसके लिए जो दूध की मुद्दत पूरी करनी चाहिए!
*📖मसअलाः-* लड़की हो या लड़का दोनों को दो साल तक दूध पिलाया। जाए माँ बाप चाहें तो दो साल से पहले भी दूध छुड़ा सकते हैं मगर दो साल के बाद पिलाना मना है!
*(📚 सलिक़ा -ए- ज़िन्दगी, सफा 70)*
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🔖पोस्ट नम्बर::- 4️⃣7️⃣
*🍶 बच्चे को दूध न पिलाना*
🔥 हज़रत अबू उमामा रदीयल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः "शबे मेराज मैंने कुछ औरतें ऐसी देखीं जिनके पिस्तान लटके हुए और सर झुके हुए थे। उनके पिस्तानों को सांप डस रहे थे। जिब्रीले अमीन ने बताया या रसूलल्लाह! यह वे औरतें हैं जो अपने बच्चों को दूध नहीं पिलाती थीं!
🌪️ आज की औरतें इस हदीस से इबरत हासिल करें जो अपने बच्चे को दूध नहीं पिलातीं बल्कि गाय, भेंस या डिब्बे का दूध पिलाती हैं। जनका ख्याल है कि बच्चे को दूध पिलाने से औरत का हुस्न और इसकी खूबसूरती ख़त्म हो जाती है जबकि यह ख्याल सरासर बातिल और लग़्व है। हकीक़त यह है कि बच्चे को दूध पिलाना सिर्फ बच्चे ही के लिए मुफीद नहीं बल्कि खुद माँ के लिए भी मुफीद है। दूध पिलाने से न औरत में किसी किस्म की कोई कमज़ोरी आती है और न ही उसके हुस्न व जमाल पर कोई फर्क पड़ता है। जो माऐं अपने बच्चों को दुध नहीं पिलातीं वे अकसर छाती के मर्जों और दीगर जिल्दी बीमारियों में मुब्तिला हो सकती हैं! औरत के लिए बच्चे को दूध पिलाना जिस्मानी और दीनी दोनों ऐतिबार से फ़ायदे मंन्द है बल्कि औरत दूध पिलाकर बहुत बड़े सवाबे अज़ीम की मुसतहिक बनती है!
*(📚 सलिक़ा -ए- ज़िन्दगी, सफह 70/71)*
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🔖पोस्ट नम्बर::- 4️⃣8️⃣
*📯 शादी की रस्में 🎊*
👥 दूल्हा-दुल्हन को उबटन या हल्दी वगैरह मलना जाइज़ है। दूल्हा की उम्र अगर नो दस साल की हो तो अजनबी औरत भी उसके बदन में उबटन हल्दी वगैरह लगा सकती है। हाँ, अगर दूल्हा बालिग हो तो ना महरम औरत का उसके बदन पर हाथ लगाना नाजाइज़ है। शादी ब्याह के मौके पर अकसर जवान औरतें बालिग दूल्हा के बदन पर उबटन वगैरह मलती हैं, यह नाजाइज़ और सख्त हराम है। मुसलमानों को इससे एहतिराज़(बचना) लाज़िम है!
🪘 रस्मों की पाबन्दी करना उसी हद तक जाइज़ है कि किसी हराम काम का इरतिकाब न करना पड़े। कुछ लोग रस्मों की पाबन्दी इस तरह करते हैं कि हरामो नाजाइज़ काम तक कर बैठते हैं! अकसर जाहिलों में यह रिवाज है कि मोहल्ले या रिश्ते की औरतें जमा होती हैं और गाती ही हैं यह हराम है। अव्वलन ढोल बजाना हराम, फिर औरतों का गाना मजीद बरआं, औरतों की आवाज़ नामहरमों तक पहुंचाना यह अलैहदा हराम है!
*(📚 सलिक़ा -ए- ज़िन्दगी, सफ़ह 72/73)*
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