करामात ए आलाहज़रत
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*🔖पोस्ट नम्बर::-1️⃣*
✨एक बार आप बीसलपुर तशरीफ ले गए और किसी मुरीद के यहां क़याम किया,आपने उनसे पूछा कि क्या इस जगह किसी वली का मज़ार भी है तो उन्होंने कहा कि नहीं यहां तो कोई मज़ार नहीं है तो आप फरमाते हैं कि मुझे वली की खुशबु आ रही है तब उन्होंने बताया कि जंगल के किनारे एक कोठरी है जिसमे किसी की कब्र बनी है मगर वहां कोई जाता नहीं,तो आप वहां जाने के लिए निकले और आपके पीछे एक कसीर मजमा भी हो गया जब आप कोठरी में दाखिल हुए तो दरवाज़ा अंदर से बंद कर लिया,लोगों का बयान है कि हमने दो आवाज़े अन्दर से आती हुई सुनी जैसे कि दो लोग बात करते हों,कुछ देर बाद हज़रत बाहर तशरीफ लाये और फरमाया कि इनका नाम गाज़ी कमाल उद्दीन है ये कबीलये अंसार के एक वली हैं जो सोहरवर्दी सिलसिला रखते हैं इनसे फैज़ लो,आपके फरमाने के बाद तो उस जंगल में लोगों का हुजूम बढ़ गया
*(📚तजल्लियाते इमाम अहमद रज़ा,सफह 100)*
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*🔖पोस्ट नम्बर::-2️⃣*
🌸एक मर्तबा दो अंग्रेज़ आलाहज़रत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की बारगाह में हाज़िर हुए और कहने लगे कि आपके नबी का ये फरमान है कि “मेरी उम्मत के उल्मा बनी इस्राईल के अम्बिया की मानिंद हैं” तो नबी तो जमादात और नबादात की बोलियां भी समझ लेते थे क्या आप ऐसा कर सकते हैं,उस वक़्त दो चिड़िया एक आगे एक पीछे ऊपर से उड़कर जा रही थीं उन लोगों ने कहा कि बताइये कि ये चिड़ियां आपस में क्या बात कर रही हैं तो आप फरमाते हैं कि मैं तो उनके दर का अदना सा गुलाम हूं मगर तुम इसरार करते हो तो बताता हूं कि आगे उड़ने वाली चिड़िया पीछे वाली से कह रही है कि जल्दी घर चलो अंधेरा होने वाला है इस पर पीछे वाली बोली कि मैं अपनी पूरी ताक़त से उड़ने की कोशिश कर रही हूं मगर जहां हम उतरे थे वहां मेरे पैर में कांटा चुभ गया है जिसकी वजह से मैं उड़ नहीं पा रही हूं,चुंकि वो अंग्रेज़ शिकारी भी थे तो फौरन अपनी बन्दूक से पीछे वाली चिड़िया को गोली मार दी जब वो गिरी तो उसके पैरों को देखा गया तो हक़ीक़त में उसके पैर में कांटा लगा हुआ था,ये देखते ही दोनों आलाहज़रत के क़दमों में गिर गए और मुसलमान हो गए
*(📚गुलिस्ताने औलिया,सफह 50)*
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📿एक शख्स हबीबुर्रहमान नाम के थे उनको बचपन में निमोनिया हुआ और उनका इंतेक़ाल हो गया इकलौता लड़का था घर में कोहराम मच गया,कफन दफन का इंतेज़ाम होने लगा उनके वालिदैन बरैली शरीफ में ज़ेरे सायये आलाहज़रत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ही रिहाइश पज़ीर थे,वालिदा रोती हुई आलाहज़रत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के पास पहुंची और कहने लगी मेरा इकलौता बेटा इंतेक़ाल कर गया आप ही की दुआ से नसीब हुआ था हुज़ूर मुझे मेरा लड़का चाहिए हुज़ूर मुझ बेचारी पर नज़रे करम फरमाइये,आलाहज़रत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने असा उठाया और उसके घर की तरफ चल दिए सब लोग आपको देख कर ताज़ीम के लिए खड़े हो गए,आलाहज़रत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने फरमाया पर्दा कर लीजिये ज़रा हम भी तो देखे पर्दा हुआ और आप मय्यत के करीब पहुंचे,ये देख कर हबीबुर्रहमान की वालिदा और ज़ोर ज़ोर से रोने लगीं हुज़ूर मेरा बेटा ज़िंदा कीजिये मुझे और कुछ नहीं चाहिए आलाहज़रत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने बच्चे के ऊपर से कपड़ा हटाया और बिस्मिल्लाह शरीफ पढ़ कर फ़रमाया “आंखें क्यों नहीं खोलता देख तो तेरी वालिदा क्या कह रही है” सरकारे आलाहज़रत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु का इतना फरमाना था कि बच्चे ने आंखें खोल दी और रोना शुरू कर दिया,आप ने फरमाया ये बच्चा तो जिंदा है कौन कहता था कि ये मर गया फिर तो हर तरफ ख़ुशी की लहर दौड़ गई,आपने उस पर मुहब्बत और शफ़्क़त से हाथ फेरा तो वो खामोश हो गया और बच्चे के चेहरे पर मुस्कुराहट मालूम होने लगी,आलाहज़रत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की करामत से हबीबुर्रहमान ज़िंदा हुए और बुढ़ापे तक जिंदा रहे
*(📚तजल्लियाते इमाम अहमद रज़ा,सफह 103)*
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*🔖पोस्ट नम्बर::-4️⃣*
🔹मौलाना मुहम्मद हुसैन मेरठी साहब का बयान है कि एक मर्तबा मैं बरेली शरीफ गया,2 दिन वहां रहकर सुना कि किसी ने आलाहज़रत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की दावत की है और हुज़ूर गाँव तशरीफ ले जा रहे हैं कुछ लोग हमराह थे सो मैं भी चल दिया,2 दिन हज़रत वहां रुके उसके बाद वापसी का इरादा किया ट्रेन दोपहर 2 बजे की थी और सख्त गर्मी का महीना था मैं मुतअज्जिब हुआ कि हज़रत का मिज़ाज भी गर्म है और गर्मी भी शदीद है सफर कैसे होगा अभी ये सोचकर 15-20 क़दम ही चला था कि एक बादल का टुकड़ा आया और स्टेशन तक लगातार क़ायम रहा जबकि स्टेशन गांव से 5 मील की दूरी पर था,लोग भी इस वाक़िये से हैरान थे क्योंकि वो ज़माना भी अब्र का नहीं था
*(📚सीरते आला,सफह 994)*
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*🔖पोस्ट नम्बर::-5️⃣*
*⛈️बारिश होने लगी*
✨एक मर्तबा सरकारे आलाहज़रत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की बारगाह में एक नुजूमी हाज़िर हुआ बातों बातों में उसने कहा कि अभी एक महीने तक बारिश होने की कोई सबील नहीं है क्योंकि मैंने सितारों के इल्म से पता किया है,आलाहज़रत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त हर बात पर क़ादिर है तुम सिर्फ सितारों को देख रहे हो और मैं सितारे बनाने वाले की क़ुदरत को भी देख रहा हूं,वो नहीं माना तो आपने उससे फरमाया कि अच्छा ये बताओ कि इस वक़्त घड़ी में कितने बजे हैं उसने दीवार घड़ी की तरफ देखा और कहा कि सवा ग्यारह तो आपने फरमाया कि 12 बजने में कितना वक़्त बाक़ी है तो कहने लगा कि पौन घंटा तो आप फरमाते हैं कि क्या फौरन ही 12 नहीं बज सकते उसने कहा बिल्कुल नहीं,तब आप घड़ी की तरफ जाते हैं और उसकी सुईओं को 12 पर करके पूछते हैं कि अब कितने बजे हैं तो उसने कहा 12 मगर युं कि आपने घड़ी की सुईओं को अपने इरादे से घुमा दिया है तो सरकारे आलाहज़रत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि मेरा रब इस बात पर क़ादिर है कि जिस सितारे को जिस वक़्त चाहे और जहां चाहे पहुंचा दे आप कहते हैं कि बारिश एक महीना नहीं होगी पर मेरा रब चाहे तो अभी इसी वक़्त बारिश होने लगे बस आपका इतना कहना था कि चारों तरफ से आसमान पर घटायें छा गयी और झूम झूम कर बारिश होने लगी
*💫सुब्हान अल्लाहः*
*(📚 अनवारे ज़िया,सफह 375)*
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*🔖पोस्ट नम्बर::-6️⃣*
*👥दो मुर्दा बच्चे ऑपरेशन🩺*
🌡️सरदार अहमद साहब कहते हैं कि मेरी बीवी को 7 माह का हमल था पेट में 2 जुड़वा बच्चे थे मगर वो पेट में ही मर गए,डॉक्टर ने कह दिया कि बगैर आप्रेशन के अब औरत की जान नहीं बचाई जा सकती लिहाज़ा मैं पालकी लेने के लिए बाहर निकला,रास्ते में मुझे आलाहज़रत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु मिले आपने मुझसे पूछा कि परेशानी की हालत में कहां चले जा रहे हैं तो मैंने उनको सारा मुआमला बता दिया तो आप फरमाते हैं कि मुझे घर ले चलो,आप बाहर ही रुके रहे और सय्यद साहब को अंदर एक डोरा लेकर भेजा और फरमाया कि इसका सिरा औरत की नाफ पर रखो और दूसरे सिरे पर आप पढ़कर दम करते रहे,कुछ देर बाद उनको भी बाहर बुलाया और दाई को अंदर भेजने को कहा थोड़ी ही देर में 2 मुर्दा बच्चे पैदा हो गए और औरत को भी कुछ नहीं हुआ।
*🌹सुब्हान अल्लाहः*
*(📚 हयाते आलाहज़रत,सफह 959)*
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*✨दुश्मन की मुआफ़ी*
🌹सय्यद अय्यूब अली साहब का बयान है कि आलाहज़रत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु जिस मकान में रहते थे कुछ दिनों बाद वही आपके मंझले भाई हज़रत मौलाना हसन रज़ा खान रहमतुल्लाहि तआला अलैहि का क़याम गाह बना,एक दिन बरसात के मौसम में उसकी एक तरफ की दीवार गिर गयी उस ज़माने में गाये की क़ुरबानी की वजह से कुफ्फार आलाहज़रत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से बदज़न थे,रात के एक पहर एक दुश्मन ने घर में घुसना चाहा मगर जैसे ही दरवाज़े के करीब पहुंचा तो देखा कि एक शेर दरवाज़े पर बैठा हुआ है मारे डर के ये वहां से भाग निकला,सुबह होते ही सबसे पहले ये आलाहज़रत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की बारगाह में हाज़िर हुआ और रात की सारी बात बताई और माफी चाही सरकार आलाहज़रत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने उसे माफ फरमा दिया
*🌸सुब्हान अल्लाह*
*(📚 हयाते आलाहज़रत,सफह 932)*
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*🕊️कबूतरों की सुलह*
💫सरकारे आलाहज़रत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु अपने दूसरे हज का ज़िक्रे खैर करते हुए फरमाते हैं कि मक्कतुल मुकर्रमा में जिस मकान में हमारी रिहाइश थी और जहां मेरी नशिश्त थी उससे कुछ दूरी पर ऊपर के ताक़ में कबूतरों का जोड़ा रहता था,कबूतर अक्सर ऊपर से तिनका वगैरह गिराया करते जो उसके नीचे बैठने वालों पर गिरता कुछ दिनों के बाद मेरी नशिश्त उसी ताक़ के नीचे लगायी गई ताकि मुलाकात करने वालों के लिए जगह वसीअ रहे पर मेरी नशिश्त लगते ही कबूतरों ने अपना ताक़ बदल दिया अब वो दूसरे ताक़ पर जा बैठे और वहां से तिनका गिराते जो कि आने वालों पर अक्सर गिरा करता,ये देखकर हज़रत मौलाना सय्यद इस्माइल ने फरमाया कि वहशी जानवर भी आलाहज़रत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु का अदब करते हैं तो मैंने कहा कि हमने उनसे सुलह करली तो उन्होंने भी हमसे सुलह करली
*(📚फैज़ाने आलाहज़रत,सफह 394)*
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*💰अशर्फियां और रूपये💵*
🌸नबीरये मुहद्दिस सूरती क़ारी अहमद साहब फरमाते हैं कि पीलीभीत शरीफ की एक सय्यदानी साहिबा ने आलाहज़रत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की बारगाह में अर्ज़ किया कि हुज़ूर मैंने कुछ अशर्फियां और रूपये एक घड़े में रखकर ज़मीन में दफनाये थे पर अब वो वहां नहीं है,मेरी बेटी की शादी का वक़्त क़रीब है और मैं बहुत परेशान हूं तो आप फरमाते हैं कि वो घड़ा अब वहां नहीं बल्कि दूसरे कमरे में फलां जगह मौजूद है,जब वहां खोदा गया तो घड़ा बरआमद हुआ सरकारे आलाहज़रत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि अगर बग़ैर बिस्मिल्लाह शरीफ पढ़े कोई रुपया या ज़ेवरात दफन किया जाये तो वो अपनी जगह क़ायम नहीं रहता
*🌹सुब्हान अल्लाह*
*(📚हयाते आलाहज़रत,सफह 981)*
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*🔖पोस्ट नम्बर::-🔟*
*🚊ट्रेन की करामात👤*
⚜️एक मर्तबा सरकारे आलाहज़रत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु पीलीभीत से बरैली शरीफ जा रहे थे रास्ते में नवाब गंज स्टेशन पर चंद मिनट के लिए ट्रेन रुकी मग़रिब का वक़्त हो चुका था तो सरकारे आलाहज़रत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने मग़रिब की अज़ान दिलवाई और इत्मिनान के साथ नमाज़ शुरू करदी,आपके दीगर साथी परेशान थे कि अगर ट्रेन चल पड़ी तो क्या होगा फिर भी हज़रत के नमाज़ शुरू करते ही सब नमाज़ में शामिल हो गये उधर ट्रेन का हॉर्न बज गया और हरी झंडी दिखा दी गयी मगर लाख कोशिशों के बाद भी ड्राइवर ट्रेन को आगे ना बढ़ा सका,रेलवे का पूरा स्टाफ इकठ्ठा हो गया बहुत कोशिश की गई इंजन को भी चेक कराया गया पर कहीं कोई खराबी नहीं थी,तब ही एक पंडित बोला कि ये दरवेश नमाज़ पढ़ते हैं शायद यही वजह हो कि ट्रेन नहीं चल रही अब क्या था तमाम लोग सरकारे आलाहज़रत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के इर्द गिर्द जमा हो गये और जैसे ही आप नमाज़ पढ़कर ट्रेन पर सवार हुए तो बिला किसी परेशानी के ट्रेन चल पड़ी
*(📚तज़किरा इमाम अहमद रज़ा,सफह 15)*
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*🍑मीठा फल......🍑*
💎सय्यद महमूद जान मुहल्ला गढ़ी फरमाते हैं कि एक रोज़ सय्यद सुलेमान अशरफ साहब प्रोफेसर अलीगढ़ युनिवर्सिटी बारगाहे आलाहज़रत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु में हाज़िर थे,कुछ ऐसे फल लाये गए जिनकी मिठास में शक था तो सरकारे आलाहज़रत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की इजाज़त से हज़रत सुलेमान अशरफ साहब ने 11 मर्तबा सूरह इखलास पढकर फल पर दम किया और काटा पर वो फीका ही निकला फिर सरकारे आलाहज़रत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने 1 मर्तबा सूरह इखलास पढकर दम किया और काटा तो फल निहायत ही मीठा निकला,तो सय्यद सुलेमान अशरफ साहब फरमाते हैं कि हम 11 बार पढ़ें तो भी फीका निकले और आप 1 बार पढ़े तो मीठा,हज़रत ये आप ही का ख़ास्सा है
*(📚हयाते आलाहज़रत,सफह 929)*
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*🗣️....इंचार्ज अफसर....*
✨सय्यद सरदार अहमद साहब फरमाते हैं कि एक मर्तबा मेरा इंचार्ज अफसर मुझसे किसी बात पर नाखुश हो गया और मेरे पीछे पड़ गया,एक दिन उसने मुझ पर काफी सख्ती की जिसके बाईस मैंने इशा का खाना भी नहीं खाया और युंही सो गया,रात को सरकारे आलाहज़रत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ख्वाब में तशरीफ लाये और फरमाया कि परेशान ना हो वो तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ पायेगा हमने उसको समझा दिया है,सुबह को जब मैं काम पर गया तो युं लगा कि जैसे कभी कोई बात ही नहीं हुई थी और उसके बाद से कभी उसने मुझे परेशान नहीं किया
*( 📚हयाते आलाहज़रत,सफह 961)*
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*⚜️बुज़ुर्गाने दीन की ताज़ीम*
☝🏻एक शख्श जो कि पीरी मुरीदी को तवज्जोह ना देते थे और इसकी अहमियत ना समझते थे उन्हीं के खानदान से बअज़ लोग सरकारे आलाहज़रत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से मुरीद थे,एक दिन वो लोग इनको बहला फुसलाकर मुरीद कराने के लिए सरकारे आलाहज़रत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की बारगाह में लेकर चले रास्ते में हलवाई इमरतियां निकाल रहा था इमरती देखकर इनके मुंह में पानी आ गया और बोले पहले ये खिलाओ तो चलूंगा,उन लोगों ने कहा कि पहले चलिये वापस लौटते हुए आपको खिलाया जायेगा बहरहाल वो चले जैसे ही वहां पहुंचे एक साहब इमरतियों से भरा हुआ टोकरा तोहफे में लाये,दरबारे आलाहज़रत का ये मअमूल था कि सादात और दाढ़ी वालों को दो गुना हिस्सा मिलता था और इन साहब की दाढ़ी नहीं थी सो इनको 1 ही इमरती मिली,सरकार आलाहज़रत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने फरमाया कि इनको 2 दे दीजिये तो बांटने वाले ने कहा कि हज़रत इनकी दाढ़ी नहीं है तो आप मुस्कुराकर फरमाते हैं कि बात तो ठीक है मगर इनका इमरती खाने का दिल चाह रहा था,ये सुनकर वो फौरन सरकारे आलाहज़रत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से बैयत हो गए और बुज़ुर्गाने दीन की ताज़ीम करने लगे
*(📚 तजल्लियाते इमाम अहमद रज़ा,सफह 101)*
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