बच्चों और बूढ़ों के लिए नसीहत भरे वाकियात
*🇮🇳सिराते मुस्तक़ीम*
इस्लामिक व्हाट्सएप ग्रुप
*📑बच्चों और बूढ़ों के लिए नसीहत भरे वाकियात*
*पोस्ट नम्बर::- 1️⃣*
*💰बेगर्ज़ नेकी*
🚗एक नेक औरत कहीं गाड़ी में सवार जारही थी कि उसे सड़क पर छोटी उम्र का एक लड़का नजर आया. जो नंगे पाँव चला जारहा था और बहुत थका हुवा मालूम होता था. यह देख कर नेक औरत ने ड्राइवर से कहा. गरीब लड़के को गाड़ी में बिठा लो. उस का किराया मैं अदा कर दूंगी इसके बीस साल बाद उसी सड़क पर एक कप्तान. गाड़ी पर सवार चला जारहा था. उसकी नज़र इत्तेफाक़न एक बूढ़ी औरत पर जा पड़ी. जो थकी हुई चाल से पैदल चल रही थी यह देख कर कप्तान ने ड्राइवर को हुक्म दिया कि गाड़ी रोक कर उस बुढ़ी औरत को भी साथ बिठालो. उस का किराया मैं अदा कर दूंगा जब मनज़िल पर सारी सवारियाँ गाड़ी से उतरने लगीं तो बूढ़ी औरत ने कप्तान का शुक्रिया अदा करके कहा कि इस वक्त मेरे पास किराया अदा करने के लिये दाम नहीं है कप्तान ने कहा तुम बिल्कुल फिक्र न करो, मैंने किराया दे दिया है. क्योंकि मुझे बूढ़ी औरतों को पैदल चलते देख कर हमेशा तरस आजाता है वजह यह है कि कोई बीस साल हुए
👤जब मैं गरीब लड़का था. मुझे इसी जगह कहीं आस पास सड़क पर नंगे पाँव पैदल चलते देख कर एक रहम दिल औरत ने गाड़ी मे बिठा लिया था. बूढ़ी औरत ने ठंडी साँस भरते हुए कहा कप्तान साहब! वह औरत यही कम नसीब बुढ़िया है. मगर अब इसकी हालत इतनी बिगड़ गई है कि वह अपना किराया भी नहीं दे सकती कप्तान ने कहा नेक बख्त अम्मा! अब आप इस का कोई गम न करें. मैंने बहुत सा रूपया कमा लिया है और जिन्दगी के बाकी दिन आराम से काटने के लिये वतन आरहा हूँ. तुम जब तक जिन्दा रहोगी मैं बड़ी खुशी से तुमहारी खिदमत करूंगा यह सुन कर बुढ़ी औरत शुक्रिया अदा करती हुई रोपड़ी और कप्तान को दुआएँ देने लगी और फिर कप्तान तमाम उम्र उस की मदद करता रहा.
*📜प्यारे बच्चो! हमारे आकाए करीम सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम वसल्लम का फरमान है "हर नेकी का बदला दस गुना ज्यादा करके मिलता है"*
*(📚सही बुखारी 7/89हदीसः1840)*
*~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~*
व्हाट्सएप पर इसी तरह के मैसेज पढ़ने के लिए नीचे दर्ज़ नम्बर पर अपना नाम अपने शहर का नाम लिखकर मैसेज करें लेडिश जेन्स दोनो ग्रुप अलग अलग मौजूद हैं
*📲9711933871🚻*
*🇮🇳सिराते मुस्तक़ीम*
इस्लामिक व्हाट्सएप ग्रुप
*📑बच्चों और बूढ़ों के लिए नसीहत भरे वाकियात*
*पोस्ट नम्बर::- 2️⃣*
*🔮आधा कम्बल*
👳🏻♂️एक दौलतमन्द सौदागर की बीवी मर गई थी. थोड़े अर्से के बाद वह खुद भी दमे के मर्ज़ में मुब्तेला होगया तो उस ने अपनी कुल जाएदाद अपने नौजवान बेटे के नाम करदी.
💰हजारों की जाएदाद पाकर पहले पहले तो नौजवान लड़का और उसकी बीवी बच्चे सब सौदागर की खूब अच्छी तरह खातिरदारी करते रहे. मगर ब्रस 6 महीने में जोश ठंडा होकर हालत यह होगई कि इलाज मुआलजा भी छूट गया और खाना भी वही मिलने लगा जो मामूली अन्दाज़ का घर में पकता था. बल्कि एक दिन तो नौजवान बेटे ने साफ कह दिया कि बाबा! आप अपनी चारपाई डेवढ़ी में बिछालें तो बेहतर हो कि हर वक्त खाँसते रहने से बच्चों में बीमारी फैलने का अन्देशा है.
💊बीमार बाप को सब्र व शुक्र के सिवा चारा ही क्या था उसने कहा मुझे तो उज़ नहीं मगर एक कम्बल ओढ़ने को चाहिये कि अभी सर्दी बाकी है नौजवान ने छोटे बेटे से कहा दादा के लिये गाय को ओढ़ने वाला कम्बल उठा लाओ. लड़का झट कम्बल उठा लाया. और दादा से कहाः लो दादा. इसमें से आधा तुम फाड़ लो और आधा मुझे देदो. दादा बोलाः भाला आधे कम्बल से सर्दी क्या जाएगी?. बाप ने भी बेटे से कहा कि दादा को सारा ही कम्बल देदो जिस पर छोटे लड़के ने बाप को मुखातब करके जवाब दिया घर में ऐसा कम्बल तो एक ही है. अगर सारा दादा को दे दिया तो जब तुम बूढ़े और बीमार होकर डेवढ़ी में चारपाई बिछाओगे तो मैं तुमहें क्या दूंगा!.
✨नौजवान बाप लड़के की यह भोली बात सुन कर सुन हो गया और बाप से माफी माँग कर पूरी एताअत और खिदमत करने लगा जिससे बाप भी खुश होगया और उसकी अपनी आकेबत भी संवर गई.
🌸प्यारे बच्चो! देखो हमारे नबी सल्लल्लाहो तआला अलैहि व अलैहि वसल्लम ने एक मरतबा हज़रत उमर फारूक रज़ि अल्लाहो अन्हो को नसीहत करते हुए क्या खूब फरमाया था अपने बाप की फरमाँबरदारी करो जब तक वह हयात से हैं और (किसी हाल में) उनकी नाफरमानी न करो".
*(📚मुस्नद अहमद बिन हम्बलः13/290हदीस:6252)*
*~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~*
व्हाट्सएप पर इसी तरह के मैसेज पढ़ने के लिए नीचे दर्ज़ नम्बर पर अपना नाम अपने शहर का नाम लिखकर मैसेज करें लेडिश जेन्स दोनो ग्रुप अलग अलग मौजूद हैं
*📲9711933871🚻*
*🇮🇳सिराते मुस्तक़ीम*
इस्लामिक व्हाट्सएप ग्रुप
*📑बच्चों और बूढ़ों के लिए नसीहत भरे वाकियात*
*पोस्ट नम्बर::- 3️⃣*
*🎪बुढ़िया की झोपड़ी🏛️*
👳🏼♀️कहते हैं कि नौशेरवाँ ने शाही महल बनवाना चाहा तो उसके चौकोर बनाने के लिये एक तरफ इस कदर ज़मीन की ज़रूरत थी जिस पर एक गरीब बुढ़िया की झोंपड़ी बनी हुई थी सरकारी मुलाजिमों ने बुढ़िया से ज़मीन खरीदनी चाही मगर उसने बेचने से इनकार कर दिया नौशेरवाँ ने सुना तो हुक्म दिया कि महल चौकोर बने न बने मगर बुढ़िया बेसहारी पर जब्र न करना. बहर हाल शाही महल एक तरफ टेढ़ा ही बन गया.
🏯जब महल बन चुका तो बुढ़िया ने दरबार में हाज़िर हो कर अर्ज किया जहाँ पनाह! सच मुच शाही महल इस झोंपड़ी की जमीन लिये बगैर टेढ़ा तिरछा अच्छा नहीं मालूम होता तो लिजिये अब मेरी यह जमीन बे कीमत हाज़िर है नौशेरवाँ ने पूछा तुमने पहले देने से क्यों इनकार कर दिया था? बुढ़िया ने जवाब दिया सिर्फ इस लिये कि दुनियाँ भर में आपके इनसाफ का डंका बज जाए इस पर नौशेरवाँ ने बुढ़िया को बहुत सारा इनआमो इकराम देकर रुखसत किया. उसकी ज़मीन भी न ली और
महल को बदस्तूर टेढ़ा ही रहने दिया.
⏳अज़ीज़ बच्चो देखो कि नौशेरवाँ और बुढ़िया तो दोनों चल बसे मगर इनसाफ की यह कहानी अब तक लोगों को याद है और हर एक से उस मुनसिफ बादशाह की तारीफ करा रही है. इसी तरह अगर हर शख्स अपने हर काम में इनसाफ और मुरव्वत से काम लिया करे तो उससे खालिक भी खुश होगा और मख्लूक भी.
✨प्यारे बच्चो! देखो मुअल्लिमे इनसानियत सल्लल्लाहो तआला अलैहे वसल्लम की तालीम कितनी सच्ची है अदलोइनसाफ बहुत अच्छी चीज़ है लेकिन अगर बादशाहों और बा इक्तेदार लोगों में हो तो फिर क्या कहने!".
*(📚कंजुल उम्माल 15/896हदीस:43542)*
*~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~*
व्हाट्सएप पर इसी तरह के मैसेज पढ़ने के लिए नीचे दर्ज़ नम्बर पर अपना नाम अपने शहर का नाम लिखकर मैसेज करें लेडिश जेन्स दोनो ग्रुप अलग अलग मौजूद हैं
*📲9711933871🚻*
*🇮🇳सिराते मुस्तक़ीम*
इस्लामिक व्हाट्सएप ग्रुप
*📑बच्चों और बूढ़ों के लिए नसीहत भरे वाकियात*
*पोस्ट नम्बर::- 4️⃣*
*💎"हर हाल में अल्लाह का शुक्र करो"*
👑शैख सादी शीराजी फारसी जबान के एक बहुत बड़े शाएर गुज़रे हैं उनहें मुबल्लिगे अख्लाकियात भी कहा जाता है "गुलिस्ताँ" और "बोस्ताँ" उनकी दो मशहूर किताबें हैं जिनमें उनहोंने अख्लाक का प्रचार किया है उनके अकवाले जर्री ज़बान ज़दे खास व आम हैं और रोज़ मर्रा की गुफ्तगू में इस्तेमाल होते हैं बड़े बुढ़े शैख सादी के पन्दो नसाएह अपने किस्से कहानियों में बयान करते रहते हैं।
❄️एक दफा शैख सादी को हुसूले इल्म की गर्ज़ से शीराज़ से बग्दाद का सफर करना पड़ा उस दौर में रेल गाड़ी मोटर कारें या हवाई जहाज़ नहीं होते बल्कि एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिये घोड़े ऊँट और हाथी पर सवार होकर जाना पड़ता था या जो लोग गरीब होते थे वह पैदल ही सफर करते थे! शैख सादी के पास भी सवारी के लिये कोई जानवर न था इस लिये वह भी पैदल ही बग्दाद जा रहे थे।
🕌बग्दाद. शीराज़ से काफी फासले पर था और सादी शीराज़ी पैदल थे पैदल चलते चलते उनका जूता घिस कर टूट गया और ऐसी हालत इख्तेयार कर गया कि सादी के लिये उस जूते को पाँव में पहनना मुमकिन न रहा चुनानचा वह नंगे पाँव चलने लगे।
🏜️सफर अभी बहुत बाकी था नंगे पाँव चलते चलते सादी के पाँव जख्मी हो गए पाँव में छाले पड़ गए और फिर चलने से वह छाले फूटने लगे और तकलीफ बढ़ने लगी यहाँ तक कि शैख सादी तकलीफ की शिद्दत से कराहने लगे अब उनके लिये मजीद चलना दुश्वार हो गया वह एक जगह थक कर बैठ गए और अल्लाह तआला से गिला करने लगे कि ऐ अल्लाह! अगर तुने मुझे रकम दी होती तो मैं यूँ पैदल सफर न करता न ही मेरा जूता टूटता न मेरे पाँव जख्मी होते और न मुझे यह तकलीफ बरदाश्त करना पड़ती!
⚡अभी शैख सादी बैठे यही सोच रहे थे कि उनहें एक माजूर शख्स दिखाइ दिया जिस के दोनों पाँव सिरे से थे ही नहीं और वह खड़ा भी नहीं हो सकता था फिर भी वह अपने धड़ की मदद से ज़मीन पर बैठ कर खुद को घसीट कर चल रहा था!सादी ने जब यह मंजर देखा तो खुदा से माफी माँगी और उसका शुक्रिया अदा किया कि मेरे दोनों पाँव सलामत हैं मैं खड़ा भी हो सकता हूँ चल भी सकता हूँ. क्या हुवा जो मेरे पास रकम नहीं सवारी का जानवर नहीं या जूते नहीं! इस ख्याल के आते ही सादी ने दोबारा अपने सफर का आगाज़ कर दिया!
*✨प्यारे बच्चो !* देखो कि शैख सादी को अपनी गलती का एहसास किस तरह हुवा इससे पता चला कि इनसान को हर हालत में खुदा का शुक्र अदा करते रहना चाहिये अगर वक्ती तौर पर कोई परेशानी या मुसीबत आ जाए तो फौरन अल्लाह तआला से उसका गिला नहीं करना चाहिये और हमेशा अपने से कम मरतबा लोगों पर निगाह रखना चाहिये कि उस से इनसान के अनदर नेमत की कदर और खालिक के शुक्र का एहसास पैदा होता है! देखो हमारे प्यारे आका सल्लल्लाहो तआला अलैहे वआलिही वसल्लम ने हमें कितनी प्यारी नसीहत फरमाई है उनहें देखा करो जो तुम से कमतर हैं और उनहें न देखो जो तुमसे बालातर हैं!
*(📚सहीह मुस्लिम 14/213 हदीस 5264)*
*~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~*
व्हाट्सएप पर इसी तरह के मैसेज पढ़ने के लिए नीचे दर्ज़ नम्बर पर अपना नाम अपने शहर का नाम लिखकर मैसेज करें लेडिश जेन्स दोनो ग्रुप अलग अलग मौजूद हैं
*📲9711933871🚻*
*🇮🇳सिराते मुस्तक़ीम*
इस्लामिक व्हाट्सएप ग्रुप
*👳🏼♀️बच्चों और बूढ़ों के लिए नसीहत भरे वाकियात*
*पोस्ट नम्बर::- 5️⃣*
*🦌 'हिरनी की दुआ"👸🏼*
🔅पुराने जमाने की बात है अफगानिस्तान के मुल्क पर एक बादशाह हुकूमत करता था. उस का एक गुलाम था जिस का नाम सुबुक्तगीन था. वह बहुत बहादुर अकलमन्द. और रहम दिल था उसकी इनही खूबियों की वजह से बादशाह उसे बहुत अज़ीज़ रखता था एक रोज़ की बात है कि सुबुक्तगीन घोड़े पर सवार होकर जंगल में शिकार खेलने गया. वह बड़ा अच्छा शिकारी था. मगर उस रोज़ ऐसा इत्तेफाक हुवा कि शाम तक जंगल में मारा मारा फिरने के बाद भी कोई शिकार उसके हाथ न आया.
🐎जब वह वापस हाने लगा तो हिरनी का एक बच्चा उसके सामने से गुज़रा. उसने झट घोड़े से उतर कर उसे पकड़ लिया.6 फिर उसको घोड़े की काठी के साथ बाँध कर अपने आगे रख लिया और वापस शहर की तरफ चल पड़ा कुछ देर के बाद उसने पीछे मुड़ कर देखा तो हैरान रह गया हिरनी उसके पीछे पीछे आरही थी और यूं लगता था जैसे उसकी आँखों से आँसू बह रहे हैं. हिरनी का बच्चा भी बुरी तरह तड़प रहा था. सुबुक्तगीन को यह देख कर हिरनी और उसके बच्चे पर बड़ा तरस आया. वह फौरन घोड़े से उतरा और हिरनी के बच्चे को छोड़ दिया. बच्चा आज़ाद होते ही अपनी माँ के पास चला गया. हिरनी ने बच्चे को दूध पिलाया और फिर उसे साथ लेकर जंगल की तरफ चली गई. वह बार बार मुड़ कर सुबुक्तगीन की तरफ देखती थी जैसे उसका शुक्रिया अदा कर रही हो. उस रात सुबुक्तगीन ने खाब में देखा कि एक नूरानी सूरत बुजुर्ग उस से कह रहे
*✨ऐ सुबुक्तगीन! तुमने एक बे जबान जानवर पर रहम खाया. तुमहारे इस काम से अल्लाह बेपनाह खुश हुवा है और सिले में उसने तुमहें बादशाहत बख्श दी है*
🏯इस खाब के कुछ अर्से के बाद बादशाह ने अपनी बेटी की शादी सुबुक्तगीन से करदी. बादशाह के यहाँ बेटी के एलावा और कोई औलाद न थी. इस लिये उसके मरने के बाद सुबुक्तगीन अफगानिस्तान का बादशाह बन गया. इस तरह हिरनी पर रहम करने की वजह से एक मामूली गुलाम को एक मुल्क की बादशाहत मिल गई.
➡️ प्यारे बच्चो! हमेशा जानवरों पर रहम किया करो. उनहें बेजा तंग न किया करो. देखो आका अलैहिस्सलातो वस्सलाम ने उम्मत को कितनी अच्छी तालीम दी है *इन बे ज़बान जानवरों के बारे में अल्लाह से डरो और उनके साथ रहम व मुरव्वत का मुआमिला करो*
*(📚सुनन अबू दाऊदः7/90हदीस:2185)*
*~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~*
व्हाट्सएप पर इसी तरह के मैसेज पढ़ने के लिए नीचे दर्ज़ नम्बर पर अपना नाम अपने शहर का नाम लिखकर मैसेज करें लेडिश जेन्स दोनो ग्रुप अलग अलग मौजूद हैं
*📲9711933871🚻*
*🇮🇳सिराते मुस्तक़ीम*
इस्लामिक व्हाट्सएप ग्रुप
*👳🏼♀️बच्चों और बूढ़ों के लिए नसीहत भरे वाकियात*
*पोस्ट नम्बर::- 6️⃣*
🛕सुल्तान महमूद गजनवी अफगानिस्तान के बादशाह सुबुक्तगीन का बेटा था वह एक बहादुर सिपाही तजर्बा कार जरनील इनसाफ पसन्द बादशाह और सच्चा मुसलमान था वह आलिमों का बहुत बड़ा कद्र दान था बड़े बड़े अहले इल्मोदानिश उसके दरबार में जमा होते थे।
💡महमूद अभी छोटी उम्र ही का था कि एक रात वह किसी काम से महल से बाहर गया उस में सड़कों और गलियों में रौशनी का इनतेज़ाम नहीं होता था सिर्फ बड़े बड़े चौराहों पर खम्बों के साथ चराग लटका दिये जाते थे महमूद महल से बाहर निकला तो शाही खादिम चराग उठाए उसके साथ साथ चल रहे थे एक जगह वह क्या देखता है कि एक खम्बे में एक चराग लटक रहा है और उस चराग के नीचे एक लड़का किताब पढ़ रहा है महमूद उसके पास आकर रुक गया और उससे पूछने लगा तुम कौन हो *लड़के ने अदब से जवाब दिया* हुजूर! मैं एक तालिबे इल्म हूँ *महमूद ने पूछा* इस वक्त यहाँ कयों खड़े हो? *लड़के ने जवाब दिया* हुजूर! मेरे माँ बाप बहुत गरीब हैं मेरे लिये चराग का खर्च बरदाश्त नहीं कर सकते इस लिये मैं यहाँ आ जाता हूँ और सरकारी चराग के नीचे खड़े होकर सबक याद करता हूँ महमूद ने यह सुन कर अपने एक खादिम की तरफ देखा और उस से कहा तुम इस लड़के के साथ जाओ और यह चराग और एक साल के लिये तेल का खर्च इसके घर दे आओ।
🪔खदिम चराग लेकर लड़के के साथ उसके घर गया और चराग और उसके साथ एक साल के लिये तेल का खर्च दे आया उस रात महमूद जब बिस्तर पर लेटा तो उसे खाब में एक बुजुर्ग नजर आए उनहोंने फरमाया महमूद! तुमने एक गरीब तालिबेइल्म के घर में जिस तरह इल्म की शमा रौशन की है अल्लाह तआला उसी तरह तुमहारा नाम रौशन करेगा।
🌸चुनानचे जब महमूद गजनवी बादशाह हुवा तो उसने हिन्दुस्तान पर सत्तरह हमले किये और यहाँ इस्लाम का बोल बाला किया! इसी वजह से मुसलमान उसे गाजी और मुजाहिद समझते हैं और इस्लाम की तारीख में उसका नाम शमा की तरह रौशन है।
*📄प्यारे बच्चो!* तुमने देखा कि एक गरीब की मदद ने महमूद गजनवी को कहाँ से कहाँ पहुँचा दिया! क्या खूब फरमाया है हमारे प्यारे नबिये अकरम सल्लल्लाहो तआला अलैहे वआलिही वसल्लम ने "जो किसी तंगदस्त की परेशानी दूर करता है अल्लाह दुनियाँ और आखेरत में उस पर आसानी के रास्ते खोल देता है।
*(📚सही मुस्लिमः 13/212 हदीस : 4867)*
*~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~*
व्हाट्सएप पर इसी तरह के मैसेज पढ़ने के लिए नीचे दर्ज़ नम्बर पर अपना नाम अपने शहर का नाम लिखकर मैसेज करें लेडिश जेन्स दोनो ग्रुप अलग अलग मौजूद हैं
*📲9711933871🚻*
*🇮🇳सिराते मुस्तक़ीम*
इस्लामिक व्हाट्सएप ग्रुप
*👳🏼♀️बच्चों और बूढ़ों के लिए नसीहत भरे वाकियात*
*पोस्ट नम्बर::- 7️⃣*
*🐓"अकलमन्द शागिर्द...🗡️*
🌸हज़रत जुनैद बग्दादी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु एक बहुत बड़े बुजुर्ग गुजरे हैं. उनके बहुत से मुरीद और शागिर्द थे. उनमें एक शागिर्द ऐसा था जिसके साथ आप बहुत मेहरबानी से पेश आते थे. हज़रत जुनैद बग्दादी अलैहिर्रहमा के दूसरे शागिर्दो को यह बात अच्छी नहीं लगती थी उनहोंने एक रोज़ उनसे शिकायत करते हुए कहा कि आखिर वह भी हमारी ही तरह आपका शागिर्द है. फिर आप उसके साथ हमसे ज्यादा अच्छा सुलूक कयों करते हैं?.
🔪हज़रत जुनैद बग्दादी अलैहिर्रहमा ने जवाब दिया मेरा यह शागिर्द अख्लाक व अदब और इल्मोदानिश में तुमसे बढ़ा हुवा है इसी वजह से मैं इसे ज़्यादा अज़ीज़ रखता हूँ. तुमहारी तसल्ली के लिये एक रोज़ इसका इम्तिहान भी हो जाएगा इसके चन्द रोज़ बाद हज़रत जुनैद बग्दादी अलैहिर्रहमा ने अपने शागिदों को जमा करके उनहें एक एक मुर्गी और एक एक छुरी दी और कहने लगेः जाओ इन मुर्गियों को ऐसी जगह जबह करो जहाँ कोई देखने वाला ना हो सब शागिर्द गए और अपनी अपनी मुर्गी को ऐसी जगह पर जबह करके ले आए जहाँ कोई आदमी न था मगर वह शागिर्देरशीद उसी तरह जिन्दा मुर्गी वापस ले आया. हज़रत जुनैद बग्दादी अलैहिर्रहमा ने उस से पूछाः कयों भई! तुमने मुर्गी को जबह कयों नहीं किया?.
🐓शागिर्द ने नेयाज़ मन्दी से अर्ज कियाः हुजूर! मुझे ऐसी कोई जगह नहीं मिल सकी जहाँ कोई देखने वाला न हो. मैं जिस जगह भी गया वहाँ अल्लाह तआला को मौजूद पाया इस लिये मजबूर होकर मुर्गी वापस ले आया हूँ,
👂यह सुन कर हज़रत जुनैद बग्दादी ने अपने दीगर शागिर्दो से फरमाया तुमने देख लिया कि जितनी अक्ल व बसीरत इसमें है
तुम में किसी के अन्दर नहीं बस यही बात मुझे इसे ज़्यादा इज्जत देने पर मजबूर करती हैं.
➡️ प्यारे बच्चो! हज़रत जुनैद बग्दादी अलैहिर्रहमा का यह अमल हमारे हुजूरे अक्दस सल्लल्लाहो अलैहे वआलिही वसल्लम की इस हदीस के ऐन मुताबिक था. "लागों के साथ उनकी अक्लोदानिश के मुताबिक सुलूक किया करो".
*(📚अलमकासिदुलहसनाः1/52)*
*~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~*
व्हाट्सएप पर इसी तरह के मैसेज पढ़ने के लिए नीचे दर्ज़ नम्बर पर अपना नाम अपने शहर का नाम लिखकर मैसेज करें लेडिश जेन्स दोनो ग्रुप अलग अलग मौजूद हैं
*📲9711933871🚻*
*🇮🇳सिराते मुस्तक़ीम*
इस्लामिक व्हाट्सएप ग्रुप
*👳🏼♀️बच्चों और बूढ़ों के लिए नसीहत भरे वाकियात*
*पोस्ट नम्बर::- 8️⃣*
*✂️दर्जी की कैंची👕*
📿हज़रत अब्दुल्लाह हनीफ अलैहिर्रहमा अपने जमाने के मशहूर वली थे दो आदमी उनकी शोहरत सुन कर बड़ी दूर से उनसे मिलने के लिये आए. जब वह उनकी खानकाह में पहुँचे तो मालूम हुवा कि वह बादशाह के दरबार में गए हैं.
✨उन आदमियों ने सोचा कि यह कैसे वली हैं जो बादशाहों के दरबार में जाते है वली तो वह है जो दुनियाँ से कोई तअल्लुक न रखे. यह सोच कर उनहोंने हज़रत अब्दुल्लाह हनीफ अलैहिर्रहमा से मिलने का ख्याल छोड़ दिया और खानकाह से निकल कर शहर की तरफ चल दिये. वह शहर में घूम फिर रहे थे कि एक दर्जी की दुकान पर नज़र पड़ी सफर में उनके कपड़े जगह जगह से फट गए थे. उनहोंने दर्जी से सूई धागा लिया और अपने कपड़े मरम्मत करने बैठ गए.
🌸वह दोनों तो अपने काम में लगे हुए थे कि इतने में एक शख्स आया और मौका पाकर दर्जी की कैंची उठाकर लेगया दर्जी अपने काम में मसरूफ था उसे उसकी खबर न हुई थोड़ी देर बाद जब दर्जी को कैंची की ज़रूरत पड़ी तो उसने इधर उधर देखा मगर कैंची कहीं न पाई उसने ख्याल किया कि कैंची इन दोनों आदमियों ने ही चुराई है उसने उनसे कैंची माँगी. जब उनहोंने इनकार किया तो दर्जी ने शोर मचाया कि यह दोनों चोर हैं बहुत से लोग शोर सुनकर जमा होगए
👥उन आदमियों को उस शहर में कोई नहीं जानता था तो उनका साथ कौन देता! चुनानचा दर्जी उन दोनों को पकड़ कर बादशाह के दरबार में लेगया और कहने लगा कि यह लोग चोर हैं इनसे मेरी कैंची दिलवाई जाए हज़रत अब्दुल्लाह हनीफ अलैहिर्रहमा भी बादशाह के पास बैठे थे उनहोंने उन आदमियों पर एक निगाह की और फिरासते मोमिनाना से फौरन सारी बात जान गए उनहोंने बादशाह से फरमाया यह बेचारे तो दर्वेश हैं इनहें चोरी से क्या गर्ज! यह दर अस्ल मुझसे मिलने की खातिर बड़ी दूर से चल कर आए हैं दर्जी की कैंची किसी और शख्स ने उठाई होगी
➡️प्यारे बच्चो! तुमने देखा कि एक अल्लाह वाले की निगाह कहाँ तक काम करती है! यही सबक हमारे नबी सल्लल्लाहो तआला अलैहे वआलिही वसल्लम ने भी दिया है बन्दए मोमिन की फिरासत(और निगाहे बसीरत)से होशियार रहा करो कयोंकि वह अल्लाह के नूर से देखा करता है".
*(📚सुनन तिरमिजीः10/399हदीसः3052)*
*~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~*
व्हाट्सएप पर इसी तरह के मैसेज पढ़ने के लिए नीचे दर्ज़ नम्बर पर अपना नाम अपने शहर का नाम लिखकर मैसेज करें लेडिश जेन्स दोनो ग्रुप अलग अलग मौजूद हैं
*📲9711933871🚻*
Comments
Post a Comment