करामत ए ताज्जुशशरिअ


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*👑करामात-ए-ताज्जुशशारिया👑*

           *(🏷पोस्ट-:01)* 

 *🕌नमाज़ के लिए ट्रेन का रुकना🚆*

_11 मार्च 2015 ई को हज़रत ताजुश्शरीआ बनारस के लिए काशी विशनाथ एक्सप्रेस से रवाना हुये।_
 
*_अस्र की नमाज बरेली जंक्शन पर अदा फरमाई। मग्रिब शाहजहानपुर में अदा की और इशा के वक्त ट्रेन लखनऊ पहुँच गई स्टेशन पहुंचने से पहले हजरत बैतुलखुला गए जब हात से फारिग हुये तो ट्रेन के छूटने का वक्त हो गया हज़रत जब बैतुलखुला से बाहर तशरीफ लाये उस वक्त तक_* 

_ट्रेन रवाना नही हुई थी, मगर चन्द लमहा मे ट्रेन चलने लगी हजरत नमाज इशा अदा करने के लिए जाये नमाज निकालने का हुक्म देरहे थे बरादरम मुहम्मद यूसुफ अख्तर रज़वी ने बैग से जाये नमाज निकाली,_ 

_हजरत ने फरमाया मुसल्ला बिछा दो तो यूसुफ रज़वी ने कहा कि हुजूर ट्रेन चलने लगी है हज़रत के हुक्म पर  मुसल्ला बिछा दिया गया जैसे ही _मुसल्ला पर हज़रत ने कदम रखा फ़ौरन ट्रेन रुक गई हज़रत नमाज_
 _के लिए खड़े हो गये ट्रेन में जगह तंग और हज़रत की नक्राहत को देखते हुये एक तरफ़ मुहिब्बे मोहतरम मुफ्ती_
 
*_मुहम्मद शुऐब रजा कादरी और दूसरी_ _तरफ यह राकिमुस्सुतूर मामूली सहारा देते रहे। हज़रत ने इत्मीनान के साथ खड़े हो कर नमाज़ इशा अदा फ़रमाई बस सलाम फेरते ही ट्रेन चलने लगी हजरत ने सलाम फेरा फिर फरमाया कि ट्रेन कहाँ पर है,राकिम ने अर्ज_ _किया हुजूर ट्रेन अभी प्लेट फारम पर ही है। हज़रत नेफरमाया कि चलो अलहम्दु लिल्लाह नमाज़ अपने वक्त पर अदा हो गई इस करामत के ज़हूर के वक्त मौलाना आशिक हुसैन कशमीरी अलहाज मुहम्मद यूसुफ नूरी_ _पोरबन्दर अलहाज शाहनवाज हुसैन रज़वी दुबई मौजूद थे ।_*

_(मुहर्ररा 14/मार्च 2015 ई बरोज हफ्ता बवक्त इशा तरेली)_

*( 📚करामात ए ताज्जुशशरिया शफा न.77,78)*

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*【🏷पोस्ट-: नम्बर 02】*

_*🏥कैंसर से निजात🤲🏻*_

*_♻अज़ीज़म अब्दुल्ला रज़वी साकिन मोहल्ला मलुकपुर बरेली किसी कंप्यूटर में मुलाजीमत करते हैं। डॉक्टर ने आप को कैंसर का मर्ज़ बाता दिया ।_*

_🧳बरेली से दिल्ली पहूचे यहाँ जाँच कारा कर टाटा कैंसर अस्पताल मे जाँच के लिये पहूचे सभी ने कैंसर जैसे महलक मर्ज़ के होने  की बात कह दी। मौसूफ फौरन अपने पीर ओ मुर्शिद हजरत ताजुशशहरिया अलैहिर्रहमा की खिदमत में हाजिर हुये और ज़ार ओ कतार रोने लगे, हजरत ने दरयाफात क्या की क्यों  रो रहे हो, खदीम ने कहा की हुजूर डॉक्टरो ने कैंसर बता दिया है,जाँच रिपोर्ट में भी कैंसर के नुमाया निशानात बताये है। हजरत ने डॉक्टर पर गुस्सा होते हुए फरमाया की डॉक्टर झूठा और डॉक्टर की रिपोर्ट झूठी फिर करीब आने का इशारा फरमाया। हजरत बहत देर तक अब्दुल्ला रज़वी पर पढ़ पढ़ कर दम करते रहे। अभी चंद महा कबल राकिम को घर जाते हुये रस्ते में मिल गये, मैने मालूम क्या  कि  आपकी तबीयत कैसी है, कहने लगे की जिस दिन से हजरत ने दम फर्मया है उसी दीन से मुझे बड़ी राहत मिली_

*_🌸👉🏻और कैंसर का मर्ज़ काफूर हो गया। अब जाँच रिपोर्ट में बिल्कुल ही कैंसर का कहीं नाम व निशान नहीं है। ये सब पीर ओ मुर्शिद की दुआ का असर है_*

_♻वरना मेरे घरवाले यह समज रहे थे कि अब मेरी जिंदगी के चंद ही अय्याम रह गए है, मगर मेरे पीर ओ मुर्शिद की यह जिंदा करामत है की मैं आप के सामने सही  ओ सालिम खड़ा हू।_

*_और कंपनी भी जॉइन करली है और में बहुत अच्छी तरह से काम कर रह हु _(22/सितम्बर 2015 ई)_*
 
*(📚करामत ए ताज्जुशशरिअ शफा न.89,90)*

*_~🖋है रज़ा की नस्ल का हर एक बच्चा मोहतरम बस गई है खुन मे अज़मत रसूलल्लाह की सल्ललाहो तआला अलैहि वसल्लम_*

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 *(🏷पोस्ट=नम्बर 03)* 
 
*🕌नमाज ए जनाजा के बादआ बारिश🌧* 

_💫शैरे बेशाए अहले सुन्नत मौलाना हशमत अली खाँ पीली भीती अलैहिर॔हमा के साहबज़ादे मौलाना अहमद मशहूद रजा का 19 सितंबर 2015 ई को इंतेकाल हो गया।_

 *इंतेकाल की इतिलाह हजरत ताजुशशहरिया को कराई कि मौलाना अहमद मशहूद रजा साहब ने नमाज ए जनाजा पड़ाने के लिये हजरत के नाम वसीयत की है।*
 
 _मौजुदा वक्त में बरेली शहर से पीलीभीत का रास्ता वाया नवाबजंग बहुत खराब है रोड पर ईंट पत्थर का काम चल रहा है। निहायत खराब रास्ता होना के बावज़ूद भी हजरत ने नामाज ए जनाजा पड़ाने की मंजुरी अता फरमा दी।_ 

_इसी खानवादा के जवाँ साल बरादरम बरकात रजा कादरी बरकाती बिन मौलाना मुहम्मद मियाँ रज्वी बिन मुल्लाह लियाकत हुसैन खाँ रज्वी मरहूम महल्ला सुरखा बरेली शारीफ शरीक नमाज ए जनाजा थे।_

 *बरेली वाप्सी पर बयान क्या  कि मैने किसी हदीस की किताब मे पड़ा था की नमाज ए जनाजा के बाद अगर बरिश हो जाती है तो साहिब-ए-मय्यत की बख़्शिश हो होती है।*

 *मैने हजरत ताजुशशरिया से अरज़ किया हुजूर आप नमाज पढ़ायेंगे साथ ही बारिश की दुआ भी फरमा दें ताकी ये रहमत की बरकत से मेरे मामू अहमद मशहूद रजा सहाब मारहूम की बखिशिश का सामान फराहम हो जाये।* 

_हजरत ने (25 हज़ार) पर मुशतामिल अफराद की इमामत फरमाई और देखते ही देखते असमान पर बरिश के आसार नुमाया  हो गाये। और फौरान बारिश होने लगी।_

*ये है हजरत की दुआ की मुस्तजाबियत और साहिब-ए-मय्यत की नेकी की दलील। अल्लाह ताअला मरहूम को गरीक रहमत फरमाये।* 
 *आमीन* 
 *(22 सितम्बर 2015 ई)*

 *(📚करामत ए ताज्जुशशरिअ शफा न.90,91)*

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 *(🏷पोस्ट नम्बर=04)* 

 *⏰बयक वक्त दो जगह मौजूदगी🌸* 

_*🗒2013 ई में हजरत ताजुश्शारिया अलैहिर्रहमा  के हमराह साहबजादा मौलाना अस्जद रजा कादरी मोहतमिम जामिअतुर्रज़ा बरेली शरीफ़ साउथ अफ्रीका के अलावा दारूस्सलाम,तंज़ानिया,हसरे,जिमबाब्वे और मलावी वगैरा के तब्लीगी सफ़र पर तशरीफ ले गये थे।*_

_वापसी पर मलावी का एक वाक़िआ जो हज़रत की ज़िन्दा व जावी करामत से मन्सूब है राकिमुस्सुतूर से बयान किया।_ 

💫👉🏻कि जुमुआ का दिन था मुहम्मद रज़वी बेताबाना असलम मिर्जा  मेरे पास आएे और बगलगीर हो गये और कहने लगे कि आपने। नमाज़ कहाँ पढ़ी। मैंने बताया कि फ़लॉ मस्जिद में पढ़ी वहाँ हजरत ने नमाजे जुमा अदा कराई असलम मिर्जा ने नमाजे जुमा किसी दूसरी मस्जिद मे पढ़ी थी,

_*यहाँ मैंने नमाज। जुमुआ हज़रत ताजुश्शारिया की ज्यारत और मुसाफा व दस्त बोसी भी की थी,*_

 _असलम मिर्जा साहब का अपनी मस्जिद में ज्यारत करना और हजरत का किसी दूसरी मस्जिद में नमाज पढ़ना, वाकई किसी करामत से कम नहीं है।_

_*💫इसी मज्लिस में किसी ने कहा कि हुजूर गौसे आजम शेख अब्दुल कादिर जीलानी बगदादी रजियल्लाह तआला अन्हु बयक वह 70 जगह जलवा। नुमाई कर सकते हैं, तो उन के जानशीन और खलीफा बयक वक्त दो जगह क्यों नहीं हो सकते। असलम मिर्जा साहब हजरत की यह करामत देख कर फौरन घर गये और अपने बीवी व बच्चों को लाकर हज़रत के दस्ते हक पर वैअत करा दिया।*_

 _🌸👉🏻और उन्होंने यह अपना चशम दीद वाकिआ तमाम लोगों से बयान कर के हैरत में डाल दिया। वह कहते हैं कि उस दिन से मेरी अकीदत व मोहब्बत में हज़ार दर्जा इज़ाफ़ा हो गया।_
 *(5 अक्टूबर 2015 )*

 *📚(करामत- ए- ताज्जुशशरिअ शफा न. 99,100)*

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 *(🏷पोस्ट नम्बर =05)* 

 *✈  हवाई जहाज़ का वापस आना  🛣* 

 *🗒7/अक्तूबर 2015 ई बाद नमाजे जोहर कादरी राइस मील बेहड़ी जिला बरेली में बैअत व इरशाद का जलसा मौलाना मुख्तार अहमद कादरी ने मुनअकिद किया था।* 

*💫हज़रत ताजुश्शरीआ के हमराह राकिम (लेखक) के अलावा मौलाना मुहम्मद आशिक हुसैन कश्मीरी और मुफ्ती शुऐब रजा कादरी भी थे।*

_🌸👉🏻मोहतरम मुफ्ती साहब ने अपनी तकरीर में अपना ऐनी मुशाहिदा बयान किया कि गुजश्ता साल हजरत के हमराह ज़िम्बाब्वे के शहर हरारे के एयरपोर्ट पर हम लोग दूसरे शहर की_ _फ्लाइट पकड़ने के लिए पहुंचे, ताख़ीर हो जाने की वजह से इतिजामिया ने कहा कि प्लेन रनवे पर जा चुका है अब आपका जाना मुम्किन नहीं है हजरत से मुखातब हो कर अफसोस का इजहार करने लगे कि अब दूसरी फ्लाइट भी नहीं है।_

 _👉🏻प्रोग्राम मुतास्सिर हो जायेगा काफ़ी लोग जमा हुये होंगे। प्रोग्राम ऑर्गेनाइजर का क्या हाल होगा। हजरत ने फरमाया कि अल्लाह तआला पर तवक्कुल करो अल्लाह जो करेगा बेहतर होगा परेशान होने की कोई बात नहीं है।_

 _*चन्द मिनट ही गुजरे थे कि इन्तिजामिया के अहले कार आये कहने लगे कि आप लोग चलें ना मालूम क्या वजह रही कि प्लेन रनवे पर जाने के बाद वापस आ गया है। शायद आप लोगों को ले जाना मकसूद था।*_

 _मुफ्ती शुऐब रजा साहब ने अपनी तकरीर में कहा कि उदयपुर मे शहरी हवा बाजी के लिए सिर्फ एक बार प्लेन रनवे पर जा कर बापस आया है।_

_*♻और ना आज तक की तारीख मे मैने कहीं सुना और ना कभी देखा कि एसा हुआ हो,मगर यह हजरत की करामत ही है कि हवाई जहाज उड़ने के बाद फिर दुबारा बापस आया और हम लोग खुदा का शुक्र अदा करते हुए प्लेन मे बैठ गये*_

 *(🗒10/अक्तूबर 2015 ई )*

 *📚(करामत ए ताज्जुशशरिअ. 100,101)*

*बीमार - ए-इश्क़ हूँ दवा की ज़रूरत नहीं चेहरा -ए- अख़्तर रज़ा दिखा दो सुकून मिल जाएगा.*

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